EE 50031 Switchgear and Protection Unit 3 Notes in hindi

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3. प्रोटेक्टिव रिले (Protective Relays)

प्रोटेक्टिव रिले एक महत्वपूर्ण सुरक्षा डिवाइस है जो विद्युत सर्किट में ओवरलोड, शॉर्ट सर्किट, या अन्य असामान्य स्थितियों का पता लगा कर उन्हें नियंत्रित करता है। यह सिस्टम को नुकसान से बचाने के लिए कार्य करता है।


3.1 प्रोटेक्टिव रिले के लिए बुनियादी गुण आवश्यकताएँ (Fundamental Quality Requirements)

प्रोटेक्टिव रिले के कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित गुणों का होना जरूरी है:

3.1.1. चयनात्मकता (Selectivity)
  • इसका मतलब है कि रिले को केवल उस क्षेत्र या सर्किट के लिए काम करना चाहिए जहाँ कोई असामान्य स्थिति हो। यानी, यदि कोई समस्या सिस्टम के एक हिस्से में है तो केवल वही हिस्सा प्रभावित होना चाहिए, न कि पूरे सिस्टम का आउटेज हो।
3.1.2. गति (Speed)
  • रिले को तत्काल प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ताकि समस्याएँ और नुकसान होने से पहले सर्किट को ठीक से कट किया जा सके। अधिकतम सुरक्षा के लिए, रिले का समय न्यूनतम होना चाहिए।
3.1.3. संवेदनशीलता (Sensitivity)
  • रिले को न्यूनतम करंट या वोल्टेज में परिवर्तन का पता लगाने में सक्षम होना चाहिए। इसे कम से कम इनपुट पर भी सही प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ताकि छोटे और बड़े दोषों को सही समय पर पहचाना जा सके।
3.1.4. विश्वसनीयता (Reliability)
  • रिले को हाई-लोड और उच्च वोल्टेज परिस्थितियों में भी सही तरीके से काम करना चाहिए, और इसे लंबे समय तक बिना किसी विफलता के काम करना चाहिए।
3.1.5. सरलता (Simplicity)
  • रिले को सरल डिजाइन और कमप्लेक्सिटी में कमी होनी चाहिए, ताकि संचालन और मेंटेनेंस आसान हो।
3.1.6. आर्थिकता (Economy)
  • रिले को कम लागत पर उपलब्ध होना चाहिए, ताकि उसे बड़े स्तर पर लागू किया जा सके। इसके साथ-साथ यह जरूरी है कि इसका रखरखाव भी किफायती हो।

3.2 प्रोटेक्टिव रिले की बुनियादी टर्मिनोलॉजी (Basic Relay Terminology)

यह प्रोटेक्टिव रिले की कुछ महत्वपूर्ण टर्मिनोलॉजी हैं जो इसके कार्यों को समझने में मदद करती हैं:

3.2.1. रिले टाइम (Relay Time)
  • यह वह समय है जब रिले सिग्नल प्राप्त करता है और कंट्रोल सर्किट को क्रियान्वित करता है।
3.2.2. पिक-अप (Pick-up)
  • पिक-अप वह करंट या वोल्टेज है जब रिले ऑपरेशन मोड में आता है और इसका कार्य शुरू होता है।
3.2.3. रिसेट करंट (Reset Current)
  • यह वह करंट है जिसे प्राप्त करने के बाद रिले अपना ऑपरेशन बंद कर देता है। इसका मतलब यह है कि रिले रिट्रीप करता है और फिर से सर्किट चालू हो जाता है।
3.2.4. करंट सेटिंग (Current Setting)
  • यह वह करंट है जो रिले द्वारा निर्धारित किया जाता है और इसके माध्यम से यह निर्धारित होता है कि रिले कब एक्टिव होगा।
3.2.5. प्लग सेटिंग मल्टीप्लायर (Plug Setting Multiplier)
  • यह वह गुणांक है जो रिले के जोड़ने पर पिक-अप करंट को सेट करने में मदद करता है।
3.2.6. टाइम सेटिंग मल्टीप्लायर (Time Setting Multiplier)
  • यह वह गुणांक है जो रिले के सेट टाइम को प्रभावित करता है और इसे अनुकूलित करता है।

3.3 प्रोटेक्टिव रिले का कार्य सिद्धांत (Principle of Working of Protective Relays)

प्रोटेक्टिव रिले विभिन्न प्रकार के होते हैं, और इनके कार्य करने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं:

3.3.1 इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले (Electromagnetic Relay)
  • आकर्षण आर्मेचर प्रकार (Attracted Armature Type): इस प्रकार में, एक मैग्नेट किसी आर्मेचर को आकर्षित करता है और यह सर्किट को ऑपरेट करता है।

  • सोलिनॉइड प्रकार (Solenoid Type): इसमें एक सोलिनॉइड विद्युत प्रवाह से उत्तेजित होता है और इसे नियंत्रित करने के लिए आर्मेचर का प्रयोग किया जाता है।

  • वाट आवर मीटर प्रकार (Watthour Meter Type): इसमें विद्युत ऊर्जा की मात्रा को मापने के लिए वाट अवर मीटर का उपयोग होता है, ताकि उपभोग के आधार पर सर्किट को ट्रिप किया जा सके।

3.3.2 थर्मल रिले (Thermal Relay)
  • थर्मल रिले में हीटिंग और कोल्डिंग के कारण एक्सपेंशन और कॉन्ट्रैक्शन होता है, जो ट्रिप करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर ओवरलोड कंडीशंस में उपयोग किया जाता है।
3.3.3 स्टेटिक रिले का कार्य (Working of Static Relay)
  • स्टेटिक रिले में इलेक्ट्रॉनिक या संपर्क रहित सर्किट का उपयोग होता है, जो किसी भी परिवर्तन का तुरंत पता लगा लेता है और सर्किट को सुरक्षित करता है। यह अधिक सटीक और कुशल होता है।

3.4 ओवर करंट रिले - समय-करंट गुणांक (Overcurrent Relay - Time Current Characteristics)

  • ओवर करंट रिले एक प्रकार का प्रोटेक्टिव रिले है जो किसी सर्किट में करंट की अधिकता होने पर सक्रिय हो जाता है। इस रिले का समय-करंट गुणांक यह निर्धारित करता है कि करंट किस स्तर तक बढ़ने के बाद रिले कितने समय में ट्रिप करेगा। यह रिले ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट जैसी स्थितियों से सुरक्षा प्रदान करता है।

3.5 माइक्रोप्रोसेसर आधारित ओवर करंट रिले (Microprocessor Based Overcurrent Relays)

  • माइक्रोप्रोसेसर आधारित रिले में प्रोसेसिंग यूनिट होती है जो रिले के कार्य को स्मार्ट तरीके से नियंत्रित करती है। इसमें सिस्टम की स्थिति को सटीक रूप से निर्धारित किया जाता है और यह आसान सेटिंग और नियंत्रण प्रदान करता है।

3.6 डिस्टेंस रिले (Distance Relaying)

  • डिस्टेंस रिले एक प्रकार का प्रोटेक्टिव रिले है जो सर्किट के भीतर विद्युत प्रवाह का माप करता है। यह रिले तथ्यात्मक दूरी के आधार पर कार्य करता है, और किसी निश्चित दूरी तक पहुँचने पर ट्रिप हो जाता है। यह अक्सर लाइन फॉल्ट्स को पहचानने के लिए उपयोग किया जाता है।

3.7 डायरेक्शनल रिले (Directional Relay)

  • डायरेक्शनल रिले विद्युत प्रवाह के दिशा का निर्धारण करता है। यह रिले केवल तभी सक्रिय होता है जब विद्युत प्रवाह उस दिशा में हो, जहाँ रिले का निर्देशित क्षेत्र हो। यह रिले मुख्यतः लाइन फॉल्ट्स और अनियंत्रित प्रवाह के लिए उपयोग होता है।

3.8 करंट और वोल्टेज डिफरेंशियल रिले का संचालन (Operation of Current and Voltage Differential Relay)

  • करंट डिफरेंशियल रिले: यह रिले करंट के अंतर को मापता है और समान प्रवाह के बीच अंतर होने पर ट्रिप करता है।
  • वोल्टेज डिफरेंशियल रिले: यह वोल्टेज के अंतर को मापता है और यदि वोल्टेज निर्धारित सीमा से अधिक या कम होता है, तो यह ट्रिप कर जाता है।

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