ME 50051 (CAD) All Units Notes in Hindi

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Course Code : ME 50051 
Course Title : COMPUTER AIDED DESIGN AND MANUFACTURING

UNIT-I: FUNDAMENTALS OF CAD/CAM (CAD/CAM के मूल सिद्धांत)


1. Automation (स्वचालन)

स्वचालन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मशीनों और कंप्यूटरों का उपयोग कर कामों को स्वचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य मानव हस्तक्षेप को कम करना और कार्य की गति और गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।

  • उदाहरण: एक कार निर्माण फैक्ट्री में रोबोट्स का उपयोग स्वचालन के उदाहरण के रूप में किया जाता है, जो कार के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का काम करते हैं।

2. Design Process (डिजाइन प्रक्रिया)

डिजाइन प्रक्रिया वह कदम होते हैं, जिनसे एक उत्पाद का डिज़ाइन तैयार किया जाता है। इसमें सामान्यतः निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  • समस्या को पहचानना
  • आवश्यकताओं और विशिष्टताओं को समझना
  • विचार बनाना
  • डिज़ाइन विकसित करना
  • मॉडल और प्रोटोटाइप तैयार करना
  • परीक्षण और सुधार करना

CAD (Computer-Aided Design) में, इस पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटर द्वारा किया जाता है, जो डिज़ाइन में अधिक सटीकता और गति प्रदान करता है।


3. Application of Computers for Design (डिजाइन के लिए कंप्यूटर का उपयोग)

कंप्यूटर का उपयोग डिज़ाइन में निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

  • सटीकता: कंप्यूटर द्वारा डिज़ाइन किए गए मॉडल में सटीकता होती है।
  • संपादन में आसानी: डिज़ाइन को जल्दी और आसानी से बदल सकते हैं।
  • 3D मॉडलिंग: कंप्यूटर 3D मॉडलिंग और सिमुलेशन का उपयोग करके वास्तविक उत्पाद के जैसे डिज़ाइन तैयार करते हैं।
  • साझा करना: डिज़ाइन टीम के बीच कंप्यूटर पर डिज़ाइन को आसानी से साझा किया जा सकता है।

4. Benefits of CAD (CAD के लाभ)

CAD के उपयोग के लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सटीकता में वृद्धि: डिज़ाइन में कम गलतियाँ होती हैं।
  • समय की बचत: डिजाइन परिवर्तन और संशोधन बहुत जल्दी किए जा सकते हैं।
  • संसाधनों की बचत: CAD के द्वारा डिज़ाइन किए गए मॉडल को आसानी से प्रिंट या अन्य रूप में साझा किया जा सकता है, जिससे सामग्री की बचत होती है।
  • प्रोडक्शन को आसानी से अनुकूलित किया जा सकता है: CAD डिज़ाइन का उपयोग उत्पाद की उत्पादन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।

5. Computer Configuration for CAD Applications (CAD अनुप्रयोगों के लिए कंप्यूटर कॉन्फ़िगरेशन)

CAD के लिए कंप्यूटर सिस्टम की कॉन्फ़िगरेशन में मुख्य रूप से निम्नलिखित घटक होते हैं:

  • प्रोसेसर: तेज़ और शक्तिशाली प्रोसेसर (जैसे Intel Core i7 या i9) आवश्यक है ताकि डिज़ाइन और सिमुलेशन तेज़ी से किए जा सकें।
  • RAM: अधिक RAM (कम से कम 16GB या उससे अधिक) की आवश्यकता होती है ताकि बड़े और जटिल डिज़ाइन को हैंडल किया जा सके।
  • ग्राफिक्स कार्ड: CAD कार्यों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफिक्स कार्ड की आवश्यकता होती है, जैसे NVIDIA Quadro या AMD FirePro।
  • हार्ड डिस्क: SSD (Solid State Drive) बेहतर होता है क्योंकि यह तेजी से डेटा को पढ़ने और लिखने में मदद करता है।

6. Design Workstation (डिजाइन वर्कस्टेशन)

डिज़ाइन वर्कस्टेशन एक कंप्यूटर सिस्टम होता है जो विशेष रूप से CAD कार्यों के लिए तैयार किया जाता है। इसमें उच्च गुणवत्ता के प्रोसेसर, ग्राफिक्स, और बड़ी मात्रा में रैम होती है, जिससे डिज़ाइन और सिमुलेशन कार्यों में अधिक गति और सटीकता मिलती है।

  • उदाहरण: एक CAD वर्कस्टेशन में तेज़ प्रोसेसर, बड़ी डिस्प्ले स्क्रीन, और उच्च रेज़ोल्यूशन के ग्राफिक्स कार्ड होते हैं।

7. Graphic Terminal (ग्राफिक टर्मिनल)

ग्राफिक टर्मिनल वह उपकरण होता है जो डिज़ाइन और मॉडल को कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है। इसमें एक इनपुट डिवाइस (जैसे की माउस या ट्रैकबॉल) और आउटपुट डिवाइस (स्क्रीन) होता है।

  • कार्य: ग्राफिक टर्मिनल CAD सॉफ़्टवेयर से जुड़ा होता है और यूज़र को डिज़ाइन को ग्राफिकल रूप में देखने की सुविधा प्रदान करता है।

8. CAD Software: System Software and Application Software (CAD सॉफ़्टवेयर: सिस्टम सॉफ़्टवेयर और एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर)

  • System Software (सिस्टम सॉफ़्टवेयर): यह सॉफ़्टवेयर कंप्यूटर के हार्डवेयर और अन्य सॉफ़्टवेयर को नियंत्रित करता है, जैसे कि ऑपरेटिंग सिस्टम (Windows, Linux)।
  • Application Software (एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर): यह CAD सॉफ़्टवेयर है जो डिज़ाइन कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे AutoCAD, SolidWorks, CATIA, और Creo।

9. CAD Database and Structure (CAD डेटाबेस और संरचना)

CAD डेटाबेस वह सिस्टम है जिसमें डिज़ाइन से संबंधित सभी जानकारी (जैसे आकार, सामग्री, रंग, संरचना आदि) स्टोर की जाती है। इस डेटाबेस की संरचना यह सुनिश्चित करती है कि डिज़ाइन डेटा आसानी से खोजा और उपयोग किया जा सके।

  • डेटाबेस संरचना: इसमें टेबल्स, रेकॉर्ड्स और फ़ील्ड्स होते हैं जो डिज़ाइन डेटा को व्यवस्थित करते हैं।

Geometric Modeling (ज्यामिति मॉडलिंग)


1. 3D-Wire Frame Modeling (3D-वायर फ्रेम मॉडलिंग)

3D-वायर फ्रेम मॉडलिंग में केवल पार्ट्स की रेखाएँ और किनारे (edges) दिखाए जाते हैं, इसमें कोई ठोस क्षेत्र नहीं होता। यह एक प्रकार का 3D मॉडल होता है जिसमें केवल संरचनात्मक रूप से महत्वपूर्ण रेखाएँ होती हैं।

  • उदाहरण: एक कार के शरीर का केवल बाहरी ढांचा दिखाने वाला मॉडल।

2. Wire Frame Entities and Their Definitions (वायर फ्रेम संस्थाएँ और उनकी परिभाषाएँ)

वायर फ्रेम में प्रमुख संस्थाएँ (entities) होती हैं:

  • Point (बिंदु): एक विशिष्ट स्थान।
  • Line (रेखा): दो बिंदुओं के बीच का रास्ता।
  • Curve (वक्र): एक रेखा जो सीधे नहीं होती, बल्कि घुमावदार होती है।
  • Edge (किनारा): एक वक्र या रेखा, जो दो सतहों को जोड़ती है।

3. Interpolation and Approximation of Curves (वक्रों का इंटरपोलेशन और अनुमानीकरण)

  • Interpolation: यह प्रक्रिया है जिसमें कुछ बिंदुओं के बीच वक्र बनाए जाते हैं, ताकि सभी बिंदु मॉडल में शामिल हों।
  • Approximation: इसमें बिंदुओं के आसपास एक वक्र बनाया जाता है, जो सबसे अच्छा फिट होता है, लेकिन सभी बिंदुओं से नहीं गुजरता।

4. Parametric and Non-Parametric Representation of Curves (वक्रों का पारामीट्रिक और गैर-पारामीट्रिक प्रतिनिधित्व)

  • Parametric Representation (पारामीट्रिक प्रतिनिधित्व): इसमें वक्र को एक पैरामीटर के आधार पर दर्शाया जाता है, जैसे कि समय या कोण।
  • Non-Parametric Representation (गैर-पारामीट्रिक प्रतिनिधित्व): इसमें वक्र केवल बिंदुओं के माध्यम से दर्शाया जाता है, बिना किसी विशिष्ट पैरामीटर के।

5. Curve Fitting Techniques (वक्र फिटिंग तकनीक)

वक्र फिटिंग वह प्रक्रिया है जिसमें उपलब्ध डेटा बिंदुओं के आधार पर एक उपयुक्त वक्र तैयार किया जाता है। इसके लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है:

  • Least Squares Method: इसमें वक्र को इस प्रकार फिट किया जाता है कि बिंदुओं और वक्र के बीच का अंतर न्यूनतम हो।
  • Spline Fitting: इसमें वक्र को छोटे हिस्सों में बांटकर फिट किया जाता है, जिससे अधिक सटीकता मिलती है।

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UNIT-II: SURFACE MODELING (सतह मॉडलिंग)

सतह मॉडलिंग CAD (Computer-Aided Design) में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की जटिल सतहों (surfaces) और 3D रूपों (shapes) को डिज़ाइन करने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से एंटरप्राइजों में वस्त्र डिजाइन, ऑटोमोबाइल निर्माण, और आर्किटेक्ट डिजाइन में उपयोगी है।


1. Algebraic and Geometric Form (एल्जेब्रिक और ज्यामितीय रूप)

  • Algebraic Form: यह वह रूप है जिसमें सतहों को एल्जेब्रिक समीकरणों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक सर्कल या किसी अन्य कर्व की गणना इसके समीकरण से की जाती है।
    • उदाहरण: f(x,y,z)=0, जहाँ f एक एल्जेब्रिक फंक्शन है।
  • Geometric Form: ज्यामितीय रूप में, सतहों को उनके आकार, आकार की दिशा, और स्थान से व्यक्त किया जाता है, बिना किसी विशेष गणितीय समीकरण के। यह दृष्टिकोण सतह की संरचना के अधिक स्पष्ट और दृश्य रूप से सही विवरण पर आधारित होता है।

2. Parametric Space of Surface (सतह का पैरामीट्रिक अंतरिक्ष)

  • Parametric Space: यह एक गणितीय तरीका है जिसके द्वारा हम सतह के किसी बिंदु की स्थिति को दो पैरामीटरों (जैसे और v) के आधार पर व्यक्त करते हैं।
  • Parametric Equation of Surface: एक सतह को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: P(u,v)=(x(u,v),y(u,v),z(u,v))P(u, v) = (x(u, v), y(u, v), z(u, v)) यहाँ uu और vv पैरामीटर होते हैं जो सतह के विभिन्न बिंदुओं को नियंत्रित करते हैं।

3. Blending Functions (ब्लेंडिंग फंक्शन्स)

  • ब्लेंडिंग फंक्शन्स का उपयोग सतहों को जोड़ने और मिक्स करने के लिए किया जाता है, ताकि एक चिकनी और निरंतर सतह उत्पन्न की जा सके।
  • यह विशेष रूप से तब उपयोगी है जब हम एक से अधिक सतहों को जोड़ते हैं, जैसे कि बीज़ियर सतहों (Bezier surfaces) या बी-स्प्लाइन (B-Spline) सतहों में।

4. Parametrization of Surface Patch (सतह पैच का पैरामीट्रीकरण)

  • Surface Patch एक छोटी सी सतह होती है जो एक बड़े 3D मॉडल का हिस्सा होती है। यह सतह किसी विशेष आकार को व्यक्त करने के लिए पैरामीट्रिक समीकरणों के द्वारा परिभाषित की जाती है।
  • Parametrization से तात्पर्य है कि सतह पैच के प्रत्येक बिंदु को uu और vv के द्वारा व्यक्त किया जाता है, जो सतह को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करता है।

5. Subdividing (उपविभाजन)

  • Subdividing एक तकनीक है जिसका उपयोग जटिल सतहों को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करने के लिए किया जाता है, जिससे उन्हें डिज़ाइन करना और नियंत्रित करना आसान हो जाता है।
  • यह तकनीक बी-स्प्लाइन और बीज़ियर सतहों के लिए उपयोगी है, जहाँ सतह को छोटे पैचेस में तोड़ा जाता है ताकि अधिक सटीक नियंत्रण और बेहतर फिटिंग हो सके।

6. Cylindrical Surface (सिलेंड्रिकल सतह)

  • Cylindrical Surface एक सतह है जो एक रेखा (generatrix) के चारों ओर घूमने से बनती है। इसे एक वृत्तीय मार्ग (circular path) पर एक रेखा घुमाकर उत्पन्न किया जाता है।
  • गणितीय रूप में इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: x=rcos(u),y=rsin(u),z=vx = r \cdot \cos(u), \quad y = r \cdot \sin(u), \quad z = v यहाँ rr सिलेंडर का त्रिज्या (radius), uu और vv पैरामीटर हैं।

7. Ruled Surface (रूल्ड सतह)

  • Ruled Surface एक प्रकार की सतह है जो दो रेखाओं (generatrices) के बीच एक सतत मार्ग द्वारा बनाई जाती है। उदाहरण के रूप में, एक ढलान वाली छत को दो रेखाओं द्वारा जोड़ा जा सकता है।
  • इसे गणितीय रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: P(u,v)=(1v)P1(u)+vP2(u)P(u, v) = (1 - v) \cdot P_1(u) + v \cdot P_2(u) जहाँ P1P_1 और P2P_2 दो रेखाएँ हैं, और vv पैरामीटर है जो इन रेखाओं के बीच के बिंदु को नियंत्रित करता है।

8. Surface of Revolution (क्रांति की सतह)

  • Surface of Revolution वह सतह होती है जो किसी रेखा को एक निश्चित अक्ष के चारों ओर घुमा कर बनती है। उदाहरण के लिए, एक सर्कल को एक धुरी के चारों ओर घुमाने से एक गोलाकार सतह बनती है।
  • इसे गणितीय रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: x=f(v)cos(u),y=f(v)sin(u),z=vx = f(v) \cdot \cos(u), \quad y = f(v) \cdot \sin(u), \quad z = v जहाँ f(v)f(v) एक फलन है जो सतह के आकार को नियंत्रित करता है।

9. Spherical Surface (गोलाकार सतह)

  • Spherical Surface वह सतह होती है जो एक केंद्र से समान दूरी पर स्थित होती है। इसे स्फेरिकल समन्वय प्रणाली में व्यक्त किया जा सकता है।
  • इसे गणितीय रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: x=rsin(θ)cos(ϕ),y=rsin(θ)sin(ϕ),z=rcos(θ)x = r \cdot \sin(\theta) \cdot \cos(\phi), \quad y = r \cdot \sin(\theta) \cdot \sin(\phi), \quad z = r \cdot \cos(\theta) जहाँ rr त्रिज्या, θ\theta और ϕ\phi कोण होते हैं।

10. Composite Surface (संयोजन सतह)

  • Composite Surface उन सतहों का समूह है जिन्हें एक साथ मिलाकर एक बड़ी और जटिल सतह बनाई जाती है। यह एक प्रकार की सतह होती है जो कई सरल सतहों के जोड़ से बनती है।
  • इसमें अक्सर बीज़ियर या बी-स्प्लाइन सतहों का उपयोग किया जाता है।

11. Bezier Surface (बीज़ियर सतह)

  • Bezier Surface एक प्रकार की सतह होती है जो बीज़ियर कर्व्स के सिद्धांत का उपयोग करती है। यह 3D डिज़ाइन में सतह बनाने के लिए बहुत लोकप्रिय है।
  • गणितीय रूप में यह एक पैरामीट्रिक सतह होती है जो कर्व्स और पॉइंट्स के संयोजन से बनती है।
  • बीज़ियर सतह को व्यक्त करने के लिए एक निर्धारित रूपरेखा होती है, जैसे: P(u,v)=i=0nj=0mBi,j(u,v)Pi,jP(u, v) = \sum_{i=0}^{n} \sum_{j=0}^{m} B_{i, j}(u, v) \cdot P_{i, j} जहाँ Bi,j(u,v)B_{i, j}(u, v) बीज़ियर बुनियादी फ़ंक्शन्स होते हैं, और Pi,jP_{i, j} नियंत्रण बिंदु होते हैं।

12. Solid Modeling (ठोस मॉडलिंग)

ठोस मॉडलिंग 3D डिज़ाइन में उपयोग की जाने वाली एक तकनीक है जिसमें वस्तु के भौतिक गुणों और आकार का पूरा विवरण होता है। यह CAD में डिजाइन किए गए मॉडल की पूर्णता और कार्यक्षमता को दर्शाता है।

12.1 Definition of Cell Composition and Spatial Occupancy Enumeration (कोशिका संरचना और स्थानिक अधिभोग गणना की परिभाषा)

  • Cell Composition: यह वस्तु के अंदर की संरचना का विवरण है, जो यह बताता है कि वस्तु किस प्रकार के खंडों से बनी है।
  • Spatial Occupancy Enumeration: यह एक तकनीक है, जिससे हम किसी 3D वस्तु में किस स्थान पर कितनी सामग्री है, यह निर्धारित कर सकते हैं।

12.2 Sweep Representation (स्वीप प्रतिनिधित्व)

  • Sweep Representation में एक 2D आकार (cross-section) को एक निश्चित मार्ग के साथ घुमाया जाता है या खींचा जाता है ताकि एक 3D वस्तु उत्पन्न की जा सके।

12.3 Constructive Solid Geometry (CSG) (संरचनात्मक ठोस ज्यामिति)

  • CSG ठोस मॉडलिंग की एक तकनीक है, जिसमें ठोस वस्तुओं को मूल जियोमेट्रिक आकारों (जैसे कि सिलेंडर, बॉक्स, शंकु) से जोड़कर बनाया जाता है। इसमें विभिन्न ऑपरेशंस (जोड़ना, निकालना, काटना) शामिल होते हैं।

12.4 Boundary Representation (B-Rep) (बाउंड्री प्रतिनिधित्व)

  • B-Rep ठोस वस्तु के बाहरी सतह को परिभाषित करता है। इसमें सतहों और किनारों का एक नेटवर्क होता है, जो वस्तु के आकार और रूप को दर्शाता है।

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UNIT-III: NC CONTROL PRODUCTION SYSTEMS (NC नियंत्रण उत्पादन प्रणाली)


1. Numerical Control (संख्यात्मक नियंत्रण)

Numerical Control (NC) एक स्वचालन तकनीक है जो मशीन टूल्स को नियंत्रित करने के लिए संख्याओं और संकेतों का उपयोग करती है। यह तकनीक मैन्युअल ऑपरेटर की जरूरत को खत्म कर देती है और मशीनों को निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार काम करने की अनुमति देती है।

  • NC सिस्टम मशीनों को कंप्यूटर या अन्य नियंत्रण उपकरणों के माध्यम से निर्देशों के अनुसार नियंत्रित करने में सक्षम होता है।
  • यह प्रणाली कंप्यूटर के द्वारा निर्देशित होकर कार्य करती है, जो कि ड्रॉइंग या डिज़ाइन के आधार पर कटिंग, ड्रिलिंग, मोल्डिंग आदि के आदेश देती है।

2. Elements of NC System (NC प्रणाली के तत्व)

एक NC सिस्टम के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं:

  • Input Device (इनपुट डिवाइस): यह वह उपकरण है जिसके द्वारा मैन्युअल या ऑटोमैटिक तरीके से NC प्रोग्राम को मशीन में डाला जाता है। उदाहरण के रूप में, पंच कार्ड, टेप रीडर आदि।

  • Controller (नियंत्रक): यह वह प्रणाली है जो निर्देशों को समझने और उन्हें मशीन टूल्स तक पहुंचाने का कार्य करती है। इसे CNC (Computer Numerical Control) भी कहा जाता है, जब इसमें कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है।

  • Machine Tool (मशीन टूल): मशीन टूल वह उपकरण है जो प्रोग्राम के अनुसार भौतिक कार्य (जैसे काटाई, ड्रिलिंग, मिलिंग) करता है।

  • Feedback System (प्रतिपुष्टि प्रणाली): यह सिस्टम मशीन के प्रदर्शन की निगरानी करता है और आवश्यकतानुसार नियंत्रण प्रणाली को जानकारी भेजता है। यह प्रणाली मशीन के सटीकता को सुनिश्चित करने में मदद करती है।


3. NC Part Programming (NC पार्ट प्रोग्रामिंग)

NC पार्ट प्रोग्रामिंग वह प्रक्रिया है जिसमें एक विशिष्ट कार्य या संचालन (जैसे मिलिंग, ड्रिलिंग) को पूरा करने के लिए मशीन टूल को नियंत्रित करने के लिए आदेश दिए जाते हैं। इसमें निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं:

  • Instructions (निर्देश): यह उन आदेशों का सेट है जो मशीन को कार्य करने के लिए देते हैं। इन निर्देशों में गियर स्पीड, फीड रेट, और अन्य मापदंड होते हैं।

  • Codes (कोड): NC प्रोग्राम में विशेष कोड (जैसे G-Codes, M-Codes) होते हैं जो मशीन को विभिन्न कार्यों को करने का आदेश देते हैं।

    • G-Codes: यह मशीन के मूवमेंट और कार्य को नियंत्रित करते हैं (जैसे G01 - रैखिक मूवमेंट, G02 - घुमाव आदि)।
    • M-Codes: यह मशीन के कार्यों को नियंत्रित करते हैं (जैसे M03 - स्पिंडल की घूर्णन दिशा, M05 - स्पिंडल को बंद करना)।

4. Methods of NC Part Programming (NC पार्ट प्रोग्रामिंग के तरीके)

NC पार्ट प्रोग्रामिंग के दो प्रमुख तरीके हैं:

1. Manual Part Programming (मैन्युअल पार्ट प्रोग्रामिंग)

- मैन्युअल पार्ट प्रोग्रामिंग में, ऑपरेटर को NC प्रोग्राम लिखने के लिए गहरे तकनीकी ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से मानव द्वारा की जाती है और इसमें निर्देशों का हाथ से लिखना शामिल है। - इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं: - डिजाइन तैयार करना - मशीन के लिए उचित कोड बनाना - प्रोग्राम को मशीन पर अपलोड करना - परीक्षण और निरीक्षण **चरण**: 1. **Design and Process Planning (डिजाइन और प्रक्रिया योजना)**: डिज़ाइन तैयार करना और यह तय करना कि कौन सी प्रक्रिया की आवश्यकता है। 2. **Write the NC Code (NC कोड लिखना)**: ग-कोड और M-कोड लिखना। 3. **Input to Machine (मशीन में इनपुट देना)**: कोड को मशीन में डालना और परीक्षण करना।

2. Computer Assisted Part Programming (कंप्यूटर सहायक पार्ट प्रोग्रामिंग)

- कंप्यूटर सहायक प्रोग्रामिंग (CAPP) में, प्रोग्राम को स्वचालित रूप से एक कंप्यूटर द्वारा विकसित किया जाता है। इसमें CAD/CAM सॉफ़्टवेयर का उपयोग होता है जो डिज़ाइन और प्रक्रियाओं को समझकर NC प्रोग्राम जनरेट करता है। - **Advantages**: - यह तेज़ है, जिससे समय की बचत होती है। - मानव त्रुटियाँ कम होती हैं। - बड़े और जटिल प्रोग्रामिंग कार्यों को आसानी से किया जा सकता है। **उदाहरण**: यदि CAD सॉफ़्टवेयर में एक पाटर्न डिज़ाइन किया गया है, तो CAPP सॉफ़्टवेयर उस डिज़ाइन से NC कोड जनरेट करेगा।

5. Post Processor (पोस्ट प्रोसेसर)

  • Post Processor एक ऐसा सॉफ़्टवेयर है जो कंप्यूटर से उत्पन्न NC प्रोग्राम को विशेष मशीन के लिए अनुकूलित करता है। यह प्रक्रिया CAPP और CAD/CAM सॉफ़्टवेयर द्वारा उत्पन्न कोड को मशीन के विशिष्ट प्रकार और मॉडल के अनुसार रूपांतरित करने में मदद करती है।
  • कार्य: यह सॉफ़्टवेयर मैन्युअल रूप से लिखे गए कोड को प्रोसेस करने के बजाय स्वचालित रूप से मशीन के लिए उपयुक्त बनाता है।

6. Computerized Part Program (कंप्यूटराइज्ड पार्ट प्रोग्राम)

  • Computerized Part Program वह प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न किया जाता है। इसे आम तौर पर CAD/CAM सॉफ़्टवेयर के माध्यम से तैयार किया जाता है।
  • इसमें निम्नलिखित लाभ होते हैं:
    • सटीकता: कंप्यूटर द्वारा तैयार किए गए प्रोग्राम मैन्युअल प्रोग्रामिंग की तुलना में अधिक सटीक होते हैं।
    • समय की बचत: इसमें अधिक समय बचता है क्योंकि यह स्वचालित रूप से तैयार हो जाता है।
    • लचीलापन: इसमें किसी भी प्रकार के परिवर्तन को जल्दी से लागू किया जा सकता है।

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UNIT-IV: GROUP TECHNOLOGY (समूह प्रौद्योगिकी)

Group Technology (GT) एक प्रौद्योगिकी है जो उत्पादन प्रणाली में दक्षता बढ़ाने के लिए काम आती है। इसमें समान प्रकार के उत्पादों को एकत्र किया जाता है और उनके निर्माण की प्रक्रिया को सरल और अधिक कुशल बनाने के लिए उनका विश्लेषण किया जाता है। इसे अक्सर "Part Families" के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जहाँ उत्पादों को उनके समान गुणों और निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर समूहित किया जाता है।


1. Part Families (पार्ट परिवार)

  • Part Families का मतलब है उन भागों का समूह जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते होते हैं, विशेष रूप से उनके आकार, निर्माण प्रक्रिया या डिजाइन में समानताएँ होती हैं।
  • उदाहरण: मान लीजिए कि एक फैक्ट्री में कई प्रकार के ब्रैकेट्स बनते हैं, जिनमें आकार और निर्माण प्रक्रिया के संदर्भ में समानताएँ हैं। इन ब्रैकेट्स को एक "part family" में वर्गीकृत किया जा सकता है।

लाभ:

  • समान कार्यों के लिए समान उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
  • उत्पादन प्रक्रिया में दक्षता बढ़ती है।
  • सेटअप समय और लागत में कमी आती है।

2. Parts Classification and Coding (पार्ट्स वर्गीकरण और कोडिंग)

  • Parts Classification एक प्रक्रिया है जिसमें सभी उत्पादन भागों को उनके आकार, रूप, कार्य, और निर्माण प्रक्रिया के आधार पर विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।
  • Parts Coding में उन वर्गीकृत भागों को पहचानने के लिए एक कोड सिस्टम का उपयोग किया जाता है। यह कोड प्रत्येक भाग की विशिष्ट पहचान देता है।
    • कोड संरचना: यह सामान्यत: एक संख्या या अक्षरों का संयोजन होता है, जो प्रत्येक भाग के वर्गीकरण, आकार, और प्रक्रिया को दर्शाता है।
    • उदाहरण: एक कोड "B23-45" का मतलब हो सकता है कि यह एक ब्रैकेट है (B), यह समूह 23 में आता है, और आकार 45 मिमी है।

3. Production Analysis (उत्पादन विश्लेषण)

  • Production Analysis का उद्देश्य उत्पादन प्रक्रिया को समझना और इसमें सुधार लाना है। यह यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कौन सी प्रक्रियाएँ अधिक समय ले रही हैं, कहां लागत अधिक है, और गुणवत्ता में क्या कमी हो रही है।
  • इसमें विभिन्न work-in-progress (WIP), machine utilization, process time आदि का विश्लेषण किया जाता है ताकि उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि की जा सके।

उत्पादन विश्लेषण के लाभ:

  • दक्षता में सुधार होता है।
  • उत्पादन लागत में कमी आती है।
  • समय की बचत होती है।

4. Machine Cell Design (मशीन सेल डिज़ाइन)

  • Machine Cell Design का मतलब है मशीनों को इस प्रकार से व्यवस्थित करना कि वे समान प्रकार के उत्पादों को उत्पादन के लिए एक साथ काम करें। इसे Cellular Manufacturing भी कहा जाता है।
  • इस डिज़ाइन में मशीनों, उपकरणों और श्रमिकों को इस प्रकार से व्यवस्थित किया जाता है कि वे एक ही प्रकार के उत्पादों पर काम करें और एक-दूसरे के पास हों।

लाभ:

  • प्रक्रिया समय कम होता है क्योंकि समान प्रक्रियाओं वाले उत्पाद एक ही स्थान पर बनते हैं।
  • सुविधा होती है क्योंकि कर्मचारी एक ही प्रकार के कार्यों पर काम करते हैं।
  • लागत में कमी होती है और मशीनों की उपयुक्तता में सुधार होता है।

5. Computer Aided Process Planning (CAPP) (कंप्यूटर सहायता प्राप्त प्रक्रिया योजना)

CAPP एक प्रणाली है जो कंप्यूटर का उपयोग करके उत्पादन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करती है। यह प्रक्रिया योजना का स्वचालन करती है, जिससे दक्षता और उत्पादकता में सुधार होता है। CAPP को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

5.1 Retrieval Type (प्राप्ति प्रकार)

  • Retrieval Type CAPP में, प्रक्रिया योजनाओं का पहले से डेटाबेस में संग्रहण किया जाता है, और जब किसी नए उत्पाद की आवश्यकता होती है, तो पूर्व-निर्धारित प्रक्रिया योजना का चयन किया जाता है।
  • इस प्रकार की CAPP में पार्ट फैमिली आधारित डेटाबेस का उपयोग किया जाता है। जब कोई नया उत्पाद तैयार किया जाता है, तो इस डेटाबेस से सबसे उपयुक्त प्रक्रिया को चुना जाता है।

5.2 Generative Type (जनरेटिव प्रकार)

  • Generative Type CAPP में, कंप्यूटर स्वचालित रूप से नई प्रक्रिया योजनाओं का निर्माण करता है। यह सिस्टम उत्पाद के डिज़ाइन और विशिष्टताओं के आधार पर खुद प्रक्रिया निर्धारित करता है।
  • यह अधिक जटिल और लचीला होता है क्योंकि इसे प्रत्येक उत्पाद के लिए नई प्रक्रिया तैयार करने की क्षमता होती है।

6. Machinability Data Systems (मशीनबिलिटी डेटा सिस्टम)

  • Machinability Data Systems का उद्देश्य उन आंकड़ों का संग्रहण करना है जो यह बताते हैं कि किसी विशेष सामग्री को किसी विशेष प्रक्रिया में कितनी आसानी से मशीन किया जा सकता है।
  • इस प्रणाली में विभिन्न सामग्रियों, जैसे स्टील, एल्यूमिनियम, या प्लास्टिक के लिए उपयुक्त मशीनिंग पैरामीटर (जैसे काटने की गति, फीड दर, और कटिंग टूल्स का चयन) को दर्ज किया जाता है।

लाभ:

  • उत्पादकता में वृद्धि।
  • समय और लागत की बचत।
  • मशीनों की जीवनकाल में वृद्धि।

7. MRP (Material Requirements Planning) and its Benefits (मैटेरियल रिक्वायरमेंट प्लानिंग और इसके लाभ)

MRP (Material Requirements Planning) एक प्रणाली है जो यह सुनिश्चित करती है कि उत्पादन के लिए आवश्यक सभी सामग्री समय पर उपलब्ध हो। यह सिस्टम उत्पादन योजना, स्टॉक स्तर, और आपूर्ति श्रृंखला के डेटा का उपयोग करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पादन में कोई देरी नहीं हो।

MRP के लाभ:

  • स्टॉक लागत में कमी: MRP के माध्यम से, केवल आवश्यक सामग्री की खरीदारी की जाती है, जिससे अधिक स्टॉक का भंडारण नहीं होता।
  • समय पर सामग्री की उपलब्धता: MRP सुनिश्चित करता है कि सामग्री समय पर उपलब्ध हो, जिससे उत्पादन प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आती।
  • उत्पादन में लचीलापन: MRP के द्वारा, उत्पादन प्रणाली लचीली हो जाती है और बदलती मांग के अनुसार समायोजित हो सकती है।

सारांश:

Group Technology (GT) का उद्देश्य उत्पादन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और दक्ष बनाना है। इसमें भागों का वर्गीकरण, भाग परिवार, मशीन सेल डिज़ाइन, और प्रक्रिया योजना शामिल होती है। इसके अलावा, MRP और CAPP जैसे तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके प्रक्रिया को और अधिक कुशल और प्रभावी बनाया जा सकता है। Machinability Data Systems से मशीनिंग को बेहतर बनाया जा सकता है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया की गति और गुणवत्ता में सुधार होता है।


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UNIT-V: FLEXIBLE MANUFACTURING SYSTEM (एफ.एम.एस)

Flexible Manufacturing System (FMS) एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है जो उत्पादन की प्रक्रिया को लचीला, स्वचालित, और अधिक कुशल बनाती है। यह तकनीक विभिन्न प्रकार के उत्पादों का उत्पादन एक ही प्रणाली से बिना किसी बड़े बदलाव के करती है। एफ.एम.एस. में स्वचालित मशीनों, रोबोट्स, कंप्यूटर सिस्टम, और अन्य स्वचालन उपकरणों का उपयोग होता है, जिससे उत्पादन प्रक्रियाओं में अधिक लचीलापन और कम डाउनटाइम होता है।


1. FMS Equipment (एफ.एम.एस. उपकरण)

एफ.एम.एस. में विभिन्न प्रकार के उपकरण होते हैं जो उत्पादन को स्वचालित और लचीला बनाते हैं। ये उपकरण निम्नलिखित होते हैं:

  • Automated Material Handling System (स्वचालित सामग्री हैंडलिंग प्रणाली): यह सिस्टम कच्चे माल को मशीनों से कार्य क्षेत्रों तक पहुंचाता है और तैयार उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है।

  • Machine Tools (मशीन टूल्स): ये उपकरण वस्त्र, मोल्डिंग, मिलिंग, ड्रिलिंग आदि कार्यों को स्वचालित रूप से करते हैं।

  • Robots (रोबोट): रोबोट का उपयोग पैकिंग, लोडिंग, और अनलोडिंग के कार्यों के लिए किया जाता है। वे उत्पादन प्रक्रिया को तेज और अधिक सटीक बनाते हैं।

  • Computer Control (कंप्यूटर नियंत्रण): FMS सिस्टम के संचालन को कंप्यूटर नियंत्रित करता है, जिससे मशीनों को सही तरीके से संचालित किया जा सकता है।

  • Tool Changers (टूल चेंजर्स): ये उपकरण टूल्स को बदलने में मदद करते हैं, जिससे उत्पादन समय में कमी आती है और लचीलापन बढ़ता है।


2. Layouts (लेआउट्स)

एफ.एम.एस. के लेआउट का उद्देश्य उत्पादन प्रक्रिया को अधिकतम दक्षता के साथ व्यवस्थित करना है। विभिन्न प्रकार के लेआउट होते हैं:

  • Product Layout (उत्पाद लेआउट): इसमें सभी मशीनों को इस प्रकार से व्यवस्थित किया जाता है कि वे एक विशिष्ट उत्पाद के निर्माण के लिए क्रम में हों।

  • Process Layout (प्रोसेस लेआउट): इसमें मशीनों को उनके कार्य के प्रकार के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है। जैसे कि एक क्षेत्र में सभी ड्रिलिंग मशीनें, एक अन्य में मिलिंग मशीनें होती हैं।

  • Cellular Layout (सेलुलर लेआउट): इसमें समान प्रकार के उत्पादों को बनाने वाली मशीनों को एक साथ रखा जाता है, ताकि उत्पादों की विनिर्माण प्रक्रिया सरल और कुशल हो।

  • Hybrid Layout (हाइब्रिड लेआउट): इसमें उत्पाद और प्रक्रिया दोनों का मिश्रण होता है। यह विभिन्न उत्पादों के लिए उपयुक्त होता है, जिन्हें विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पादन किया जाता है।


3. Analysis Methods and Benefits (विश्लेषण विधियाँ और लाभ)

एफ.एम.एस. की कार्यकुशलता और प्रभावशीलता को समझने के लिए विभिन्न विश्लेषण विधियों का उपयोग किया जाता है। ये विधियाँ उत्पादन, लागत, और अन्य मापदंडों की निगरानी करने में मदद करती हैं। कुछ प्रमुख विधियाँ हैं:

  • Simulation (सिमुलेशन): सिमुलेशन के माध्यम से एफ.एम.एस. सिस्टम की कार्यप्रणाली को विभिन्न परिस्थितियों के तहत मापने की कोशिश की जाती है। इससे यह देखा जा सकता है कि सिस्टम विभिन्न कार्यों के साथ कैसे प्रदर्शन करता है।

  • Queuing Theory (क्यूइंग थ्योरी): यह विधि कामकाजी मशीनों के बीच ट्रैफिक और टाइमिंग के मुद्दों का विश्लेषण करती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि उत्पादों की आपूर्ति बिना किसी रुकावट के हो।

  • Optimization (ऑप्टिमाइजेशन): इसका उद्देश्य एफ.एम.एस. सिस्टम के सभी घटकों के कार्यों को इस तरह से समायोजित करना है कि यह अधिकतम उत्पादन और न्यूनतम लागत प्राप्त कर सके।

लाभ:

  • उत्पादन प्रक्रिया में लचीलापन बढ़ता है।
  • लागत में कमी आती है।
  • न्यूनतम डाउनटाइम होता है।
  • उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

4. Computer Aided Quality Control (कंप्यूटर सहायता प्राप्त गुणवत्ता नियंत्रण)

Computer Aided Quality Control (CAQC) में कंप्यूटर का उपयोग करके गुणवत्ता को नियंत्रित किया जाता है। इसमें गुणवत्ता डेटा को इकट्ठा करना, विश्लेषण करना और सुधार करना शामिल है।

लाभ:

  • अधिक सटीक गुणवत्ता निगरानी।
  • वास्तविक समय में डेटा का विश्लेषण।
  • उत्पादन प्रक्रिया में सुधार।

5. Automated Inspection (स्वचालित निरीक्षण)

स्वचालित निरीक्षण में उत्पादों की जांच करने के लिए स्वचालित प्रणाली का उपयोग किया जाता है। स्वचालित निरीक्षण के विभिन्न प्रकार हैं:

5.1 Off-line Inspection (ऑफ़लाइन निरीक्षण)

  • ऑफलाइन निरीक्षण में उत्पादों को जांचने के लिए विशिष्ट निरीक्षण स्टेशन पर ले जाया जाता है। यह निरीक्षण सिस्टम से स्वतंत्र रूप से काम करता है और अन्य मशीनों से बाहर किया जाता है।

5.2 On-line Inspection (ऑनलाइन निरीक्षण)

  • ऑनलाइन निरीक्षण में उत्पाद की गुणवत्ता को उत्पादन प्रक्रिया के दौरान ही माप लिया जाता है। यह स्वचालित रूप से किया जाता है और इसमें समय की बचत होती है।

5.3 Contact Inspection (संपर्क निरीक्षण)

  • संपर्क निरीक्षण में इंस्पेक्शन डिवाइस या सेंसर उत्पाद के साथ सीधे संपर्क में आते हैं। यह आकार, दूरी और अन्य मापदंडों की सटीकता जांचने में मदद करता है।

5.4 Non-contact Inspection (गैर संपर्क निरीक्षण)

  • गैर संपर्क निरीक्षण में सेंसर या कैमरा का उपयोग किया जाता है, जो उत्पाद के साथ शारीरिक संपर्क में नहीं आते। यह लेजर, इन्फ्रारेड, या अन्य तकनीकों का उपयोग करता है।

6. Coordinate Measuring Machines (कोऑर्डिनेट मापने वाली मशीनें)

Coordinate Measuring Machines (CMM) वह उपकरण हैं जो उत्पाद की 3D मापदंडों को सटीकता से मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं। CMM का उपयोग उत्पाद की ज्यामिति, आकार, और अन्य विशेषताओं की जांच करने के लिए किया जाता है।

प्रकार:

  • Manual CMM: इसमें माप को मैन्युअल रूप से किया जाता है।
  • Automated CMM: इसमें माप और निरीक्षण स्वचालित रूप से होते हैं।

7. Machine Vision (मशीन विजन)

Machine Vision एक तकनीक है जिसमें कैमरे और अन्य इन्पुट उपकरणों का उपयोग करके उत्पादों की स्थिति और गुणवत्ता का निरीक्षण किया जाता है। यह तकनीक इंसान की दृष्टि को कम्प्यूटर द्वारा अनुकरण करती है और स्वचालित निरीक्षण प्रणाली का हिस्सा होती है।

लाभ:

  • गुणवत्ता निरीक्षण में सटीकता।
  • अधिक उत्पादन दर।
  • कम मानव त्रुटियाँ।

8. CIM System and Benefits (CIM सिस्टम और इसके लाभ)

CIM (Computer Integrated Manufacturing) एक संपूर्ण प्रणाली है जो उत्पादन प्रक्रिया, स्वचालन, और सूचना प्रणाली को एकीकृत करती है। इसमें कंप्यूटर का उपयोग करके मशीनों, रोबोट्स, और अन्य उपकरणों को नियंत्रित किया जाता है।

CIM के लाभ:

  • उत्पादन में लचीलापन: यह विभिन्न प्रकार के उत्पादों को बिना अधिक बदलाव के उत्पादन करने में सक्षम बनाता है।
  • कुशल संसाधन प्रबंधन: यह मशीनों, श्रमिकों और अन्य संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करता है।
  • समय और लागत की बचत: इसे स्थापित करने से उत्पादन प्रक्रिया अधिक तेज़ और सस्ती हो जाती है।

सारांश:

Flexible Manufacturing System (FMS) एक अत्याधुनिक और लचीला उत्पादन प्रणाली है जो विभिन्न प्रकार के उत्पादों के उत्पादन के लिए सक्षम है। इसमें FMS उपकरण, लेआउट डिज़ाइन, स्वचालित निरीक्षण, कंप्यूटर सहायता प्राप्त गुणवत्ता नियंत्रण, और CIM जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य उत्पादन प्रक्रिया में अधिक लचीलापन, दक्षता, और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।



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