ME 50052 (IR&A) all units notes in Hindi

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Course Code : ME 50052 (Same as in MA 50052)
Course Title : INDUSTRIAL ROBOTICS & AUTOMATION

UNIT-I: FUNDAMENTALS OF ROBOTICS

रोबोटिक्स एक ऐसा क्षेत्र है जो रोबोटों के डिज़ाइन, निर्माण, संचालन और उपयोग से संबंधित है। रोबोटों का उद्देश्य मानव कार्यों को स्वचालित रूप से करना होता है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया, दक्षता और सुरक्षा में सुधार हो सके।


1. Introduction (परिचय)

रोबोटिक्स विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो रोबोटों के निर्माण और उनके नियंत्रण के तरीके पर आधारित है। रोबोटों का मुख्य उद्देश्य स्वचालित रूप से काम करना, मानवीय कार्यों को आसान बनाना, और उत्पादन प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाना होता है।

रोबोट विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो विभिन्न कार्यों के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं जैसे कि निर्माण, निरीक्षण, रक्षा, चिकित्सा, और अनुसंधान।


2. Definition (परिभाषा)

रोबोट एक स्वचालित यांत्रिक मशीन है जो पूर्व-निर्धारित कार्यों को स्वचालित रूप से करने के लिए डिजाइन की जाती है। यह मशीन विभिन्न सेंसरों, एक्यूटेटरों, और प्रोग्रामिंग के माध्यम से कार्य करती है।

रोबोट की परिभाषा:

"एक रोबोट एक स्वचालित, पुनरावृत्ति योग्य मशीन है, जिसे किसी कार्य को नियंत्रित करने, निर्देश देने और करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।"


3. Robot Anatomy (Parts) and its Working (रोबोट की संरचना और इसका कार्य)

रोबोट की संरचना में विभिन्न भाग होते हैं जो मिलकर उसे कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। प्रत्येक भाग की एक विशिष्ट भूमिका होती है:

  • Manipulator (मैनिपुलेटर):
    यह रोबोट का वह हिस्सा है जो उसके कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होता है। यह मैनिपुलेटर आमतौर पर एक आर्म की तरह दिखता है और इसमें जोड़ों और लिंक्स होते हैं जो इसे गति करने में मदद करते हैं।

  • End Effectors (एंड इफेक्टर्स):
    यह रोबोट के हाथ की तरह कार्य करते हैं और मैनिपुलेटर के अंत में स्थित होते हैं। इनका उद्देश्य विशिष्ट कार्यों को करना जैसे कि पकड़ना, छूना, जोड़ना आदि। उदाहरण: ग्रिपर, वैक्यूम सक्शन पैड, वेल्डिंग हथियार, आदि।

  • Sensors (सेंसर):
    रोबोट में विभिन्न प्रकार के सेंसर होते हैं, जो उसे अपने पर्यावरण और कार्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इनमें टेम्परेचर सेंसर, प्रॉक्सिमिटी सेंसर, टच सेंसर, कैमरा आदि शामिल हैं।

  • Actuators (ऐक्चुएटर्स):
    ये वह उपकरण होते हैं जो रोबोट को गति प्रदान करते हैं। ऐक्चुएटर्स मोटर, हाइड्रोलिक्स, और एयर प्रेशर के रूप में हो सकते हैं।

  • Controller (कंट्रोलर):
    यह रोबोट का "मस्तिष्क" होता है, जो रोबोट के कार्यों को नियंत्रित और निर्देशित करता है। यह प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर के माध्यम से रोबोट को नियंत्रित करता है।


4. Robot Components (रोबोट के घटक)

  • Manipulator (मैनिपुलेटर):
    यह रोबोट का वह हिस्सा है जो वस्तु को पकड़ने या किसी कार्य को करने के लिए उपयोग किया जाता है। मैनिपुलेटर में लिंक्स और जोड़ों की संरचना होती है।

  • End Effectors (एंड इफेक्टर्स):
    ये वो उपकरण होते हैं जो मैनिपुलेटर के अंत में स्थित होते हैं और जो वास्तविक कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, ग्रिपर्स, वेल्डिंग इलेक्ट्रोड, और पेंट स्प्रेयर आदि।


5. Construction of Links (लिंक्स का निर्माण)

लिंक एक कड़ी होती है जो जोड़ों के बीच होती है और रोबोट के आर्म को बनाती है। ये लिंक्स धातु, प्लास्टिक, या अन्य मजबूत सामग्री से बने होते हैं, ताकि वे रोबोट के कार्यों के दौरान उच्च दबाव और तनाव को सहन कर सकें।

लिंक्स के प्रकार:

  • Rigid Links: जो कि मजबूत और कठोर होते हैं, जैसे धातु के लिंक।
  • Flexible Links: जो लचीले होते हैं, लेकिन रोबोट की गति को प्रभावित करते हैं।

6. Types of Joints (जॉइंट्स के प्रकार)

रोबोट में विभिन्न प्रकार के जोड़ों का उपयोग किया जाता है, जो रोबोट के अंगों को एक दूसरे से जोड़ते हैं और उसे गति प्रदान करते हैं। कुछ प्रमुख प्रकार के जोड़े निम्नलिखित हैं:

  • Revolute Joint (घूर्णन जोड़ी):
    यह जोड़ी दो लिंक्स को घूर्णन (rotational) गति देती है। उदाहरण: रोबोट के हाथ का घूर्णन।

  • Prismatic Joint (पारस्परिक जोड़ी):
    यह जोड़ी दो लिंक्स को रैखिक (linear) गति देती है। उदाहरण: रोबोट का हथियार जो किसी वस्तु को उठाता है।

  • Spherical Joint (गोलाकार जोड़ी):
    यह जोड़ी लिंक्स को 3D दिशा में घूर्णन (rotation) करने की अनुमति देती है।


7. Classification of Robots (रोबोटों का वर्गीकरण)

रोबोटों का वर्गीकरण उनके आकार, कार्य, और संचालन की शैली के आधार पर किया जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार के रोबोट निम्नलिखित हैं:

  • Articulated Robots (आर्टिकुलेटेड रोबोट्स):
    ये रोबोट मैनिपुलेटर के रूप में एक आर्म और जोड़ों से बने होते हैं, और ये अधिकांश औद्योगिक कार्यों के लिए उपयोगी होते हैं।

  • SCARA Robots (SCARA रोबोट्स):
    SCARA (Selective Compliance Assembly Robot Arm) रोबोट आमतौर पर एक क्षैतिज आर्म होते हैं, जो वर्टिकल और होरिजेंटल दिशा में काम करते हैं। इनका उपयोग असेंबली कार्यों के लिए किया जाता है।

  • Cartesian Robots (कार्टेशियन रोबोट्स):
    ये रोबोट तीन अक्षों (X, Y, Z) पर रैखिक गति के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं और आमतौर पर पिक्सेल ग्रिड, मशीनिंग, या पैकेजिंग के लिए उपयुक्त होते हैं।

  • Cylindrical Robots (सिलिंड्रिकल रोबोट्स):
    ये रोबोट एक सिलिंड्रिकल संरचना में होते हैं, जिनमें एक रोटेटिंग आर्म और एक लिफ्टिंग टूल होता है। ये आमतौर पर 2D और 3D पैठ बनाने के लिए उपयोगी होते हैं।

  • Polar Robots (पोलर रोबोट्स):
    ये रोबोट एक आर्म के साथ होते हैं जो पोलर निर्देशांक के रूप में कार्य करते हैं। यह आमतौर पर पेंटिंग या वेल्डिंग के लिए उपयुक्त होते हैं।


8. Structural Characteristics of Robots (रोबोट की संरचनात्मक विशेषताएँ)

रोबोट की संरचना के कुछ महत्वपूर्ण गुण होते हैं जो उनके कार्य को प्रभावित करते हैं:

  • Mechanical Rigidity (यांत्रिक कठोरता):
    यह गुण रोबोट के फ्रेम की मजबूती को दर्शाता है। यांत्रिक कठोरता उच्च होती है, तो रोबोट अधिक सटीकता से कार्य करेगा। यदि कठोरता कम है, तो रोबोट में अधिक डिस्टोर्शन हो सकता है, जिससे नियंत्रण की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

  • Effects of Structure on Control (संरचना का नियंत्रण पर प्रभाव):
    रोबोट की संरचना का उसके नियंत्रण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि संरचना मजबूत है, तो रोबोट की गति और सटीकता बेहतर होती है।


9. Work Envelope and Work Volume (वर्क एनवेलप और वर्क वॉल्यूम)

Work Envelope एक तीन-आयामी क्षेत्र है जिसमें रोबोट अपना कार्य कर सकता है। यह क्षेत्र उस स्थान को दर्शाता है जहां रोबोट अपने सभी जोड़ों और लिंक्स के साथ वस्तु को पकड़ सकता है या काम कर सकता है।
Work Volume वह स्थान है, जो रोबोट के आंदोलन क्षेत्र को सीमित करता है और यह रोबोट के आकार और गति पर निर्भर करता है।


10. Comparison of Robot Work Volumes (रोबोट वर्क वॉल्यूम का तुलना)

रोबोट के कार्य वॉल्यूम की तुलना करते समय विभिन्न प्रकार के रोबोटों के कार्यक्षेत्र को देखा जाता है। उदाहरण के लिए:

  • Articulated Robots का कार्य वॉल्यूम सामान्यतः अधिक होता है क्योंकि उनके पास कई जोड़ों और लिंक्स होते हैं।
  • SCARA Robots का कार्य वॉल्यूम सीमित होता है क्योंकि उनके पास दो-आयामी (2D) आर्म होते हैं।

11. Advantages and Disadvantages of Robots (रोबोट के फायदे और नुकसान)

Advantages (फायदे):

  • उच्च सटीकता: रोबोट मानव त्रुटियों से मुक्त होते हैं और उच्च सटीकता से कार्य करते हैं।
  • काम की गति: रोबोट बिना थके लंबे समय तक काम कर सकते हैं।
  • खतरनाक कार्यों में उपयोग: रोबोट खतरनाक कार्यों को करने में सक्षम होते हैं, जैसे कि रेडिएशन क्षेत्रों में काम करना।
  • कुशल उत्पादन: रोबोट्स उत्पादन प्रक्रिया को स्वचालित करके गति और गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

Disadvantages (नुकसान):

  • उच्च प्रारंभिक लागत: रोबोट्स की स्थापना की लागत अधिक होती है।
  • मरम्मत और रखरखाव: रोबोट्स को समय-समय पर मेंटेनेंस और मरम्मत की आवश्यकता होती है।
  • लचीलापन की कमी: कुछ रोबोट्स केवल विशिष्ट कार्यों को ही कर सकते हैं, जबकि मनुष्यों की तुलना में उनकी लचीलापन सीमित होती है।

सारांश:

रोबोटिक्स एक उन्नत प्रौद्योगिकी है, जो स्वचालित यांत्रिक मशीनों का निर्माण और नियंत्रण करती है। रोबोटों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है और इनके पास उच्च सटीकता, गति, और दक्षता होती है। इनकी संरचना में मैनिपुलेटर, एंड इफेक्टर्स, और अन्य घटक शामिल होते हैं जो इसे कार्य करने में सक्षम बनाते हैं।


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UNIT-II: ROBOTIC DRIVE SYSTEM AND CONTROLLER

रोबोट ड्राइव सिस्टम और कंट्रोलर रोबोट के नियंत्रण और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ड्राइव सिस्टम रोबोट के विभिन्न हिस्सों को गति देने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि कंट्रोलर इन ड्राइव सिस्टमों को नियंत्रित करने के लिए प्रोग्रामिंग और सिग्नल प्रोसेसिंग करते हैं।


1. Actuators (ऐक्चुएटर्स)

ऐक्चुएटर्स वह उपकरण होते हैं जो रोबोट को गति प्रदान करते हैं। ये रोबोट के जोड़ों और लिंक्स को नियंत्रित करते हैं। रोबोट के ऐक्चुएटर्स का मुख्य कार्य रैखिक (linear) या घूर्णन (rotary) गति उत्पन्न करना होता है। ऐक्चुएटर्स की प्रमुख श्रेणियाँ निम्नलिखित हैं:

  • Hydraulic Actuators (हाइड्रोलिक ऐक्चुएटर्स):
    यह ऐक्चुएटर्स उच्च दबाव वाली तरल (तरल पंप और वाल्व) का उपयोग करते हैं। ये आमतौर पर भारी-भरकम कार्यों के लिए उपयोग होते हैं, जैसे कि निर्माण या खनन कार्यों में।

  • Pneumatic Actuators (न्यूमेटिक ऐक्चुएटर्स):
    यह ऐक्चुएटर्स वायु दबाव का उपयोग करते हैं और हल्के कार्यों में अधिक उपयोग होते हैं। ये काफी तेज होते हैं, लेकिन इनका पावर आउटपुट हाइड्रोलिक ऐक्चुएटर्स से कम होता है।

  • Electrical Actuators (इलेक्ट्रिकल ऐक्चुएटर्स):
    ये ऐक्चुएटर्स मोटरों (AC/DC) का उपयोग करते हैं। ये सबसे सामान्य और सटीक ऐक्चुएटर्स होते हैं जो विभिन्न प्रकार के कार्यों में उपयोग किए जाते हैं। ये छोटे और नियंत्रित होते हैं।


2. Linear Actuator (लिनियर ऐक्चुएटर)

लिनियर ऐक्चुएटर रैखिक (linear) गति उत्पन्न करते हैं। इसका मतलब है कि इनका कार्य गति को एक दिशा में (स्ट्रेट लाइन) बढ़ाना है। ये ऐक्चुएटर्स विभिन्न रोबोटिक्स कार्यों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि ग्रिपिंग और लिफ्टिंग।

उदाहरण: पिस्टन-आधारित सिस्टम, हाइड्रोलिक या न्यूमेटिक सिलेंडर।


3. Rotary Drives (रोटरी ड्राइव)

रोटरी ड्राइव ऐक्चुएटर्स घूर्णन गति (rotational motion) उत्पन्न करते हैं। ये ड्राइव सिस्टम मैनिपुलेटर की गति और आर्म को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होते हैं। ये मोटर्स का उपयोग करते हैं, जैसे AC या DC मोटर्स, जो वस्तु को घुमाने या किसी अन्य गतिविधि में सहायता करते हैं।

उदाहरण: AC सर्वो मोटर, DC मोटर, स्टेपर मोटर।


4. AC Servo Motor (AC सर्वो मोटर)

AC सर्वो मोटर एक प्रकार की इलेक्ट्रिक मोटर होती है जिसका उपयोग रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में बहुत व्यापक रूप से किया जाता है। ये मोटर्स एक बंद लूप नियंत्रण प्रणाली का हिस्सा होती हैं, जो गति, स्थान और टॉर्क को नियंत्रित करती है। इनका उपयोग उच्च सटीकता और गति के लिए किया जाता है।

विशेषताएँ:

  • उच्च गति और सटीकता।
  • स्थिर टॉर्क।
  • बंद लूप नियंत्रण प्रणाली।

5. DC Servo Motor (DC सर्वो मोटर)

DC सर्वो मोटर भी एक इलेक्ट्रिक मोटर होती है जो विशेष रूप से उच्च गति और सटीक नियंत्रण के लिए डिज़ाइन की जाती है। यह बंद लूप नियंत्रण प्रणाली का हिस्सा होती है और गति, स्थान और टॉर्क को नियंत्रित करती है।

विशेषताएँ:

  • रैखिक नियंत्रण।
  • उच्च सटीकता।
  • सटीक स्थानिक नियंत्रण के लिए आदर्श।

6. Stepper Motors (स्टेपर मोटर्स)

स्टेपर मोटर एक प्रकार की इलेक्ट्रिक मोटर होती है जो छोटे-छोटे चरणों (steps) में घुमती है। इन मोटरों का उपयोग रोबोटिक्स में सटीक और नियंत्रित गति के लिए किया जाता है। यह मोटर घूर्णन को नियंत्रित करने के लिए एक अनुक्रमिक विद्युत सिग्नल का उपयोग करती है।

विशेषताएँ:

  • सटीक नियंत्रण।
  • घूर्णन को नियंत्रित करना आसान।
  • उच्च टॉर्क और गति नियंत्रण।

7. Conversion between Linear and Rotary Motion (रैखिक और घूर्णन गति के बीच रूपांतरण)

कभी-कभी हमें रैखिक और घूर्णन गति के बीच रूपांतरण की आवश्यकता होती है। यह रूपांतरण कुछ तरीकों से किया जाता है, जैसे:

  • Screw Mechanism (स्क्रू मैकेनिज्म):
    एक स्क्रू (screw) का उपयोग रैखिक और घूर्णन गति के बीच रूपांतरण के लिए किया जाता है। घूर्णन गति से स्क्रू को घुमाने पर यह रैखिक गति उत्पन्न करता है।

  • Rack and Pinion (रैक और पिनियन):
    यह एक सामान्य यांत्रिक यंत्र होता है, जिसमें रैक (एक रैखिक संरचना) और पिनियन (एक गोलाकार गियर) होते हैं। जब पिनियन घूर्णन करता है, तो यह रैक को रैखिक दिशा में चलता है।


8. Feedback Devices (फीडबैक डिवाइस)

फीडबैक डिवाइस रोबोट के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये यह सुनिश्चित करते हैं कि रोबोट अपने लक्ष्य के अनुसार कार्य कर रहा है। ये डिवाइस रोबोट को उसकी स्थिति, गति या दिशा के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

प्रमुख प्रकार के फीडबैक डिवाइस:

  • Potentiometers (पोटेंशियोमीटर):
    पोटेंशियोमीटर एक संवेदक है जो एक स्थिर वोल्टेज डिवाइस की स्थिति को मापने के लिए उपयोग होता है। इसका उपयोग रोबोट की स्थिति को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

  • Optical Encoders (ऑप्टिकल एन्कोडर्स):
    ऑप्टिकल एन्कोडर्स में एक रोटेटिंग डिस्क और सेंसर होते हैं, जो घूर्णन गति की जानकारी प्रदान करते हैं। ये उच्च सटीकता के साथ कार्य करते हैं और पोजीशन और गति का फीडबैक देते हैं।

  • DC Tachometers (DC टैकिमीटर):
    DC टैकिमीटर का उपयोग गति मापने के लिए किया जाता है। यह एक घूर्णन गति के परिवर्तन की दर को मापता है और इसे नियंत्रक तक फीडबैक के रूप में भेजता है।


9. Robot Controller (रोबोट कंट्रोलर)

रोबोट कंट्रोलर वह सिस्टम होता है जो रोबोट के सभी भागों को नियंत्रित करता है। यह मोटरों, सेंसरों और अन्य उपकरणों के संचालन को नियंत्रित करता है। कंट्रोलर का मुख्य कार्य रोबोट के कार्यों के लिए आवश्यक आदेशों को भेजना और उसे नियंत्रित करना होता है।

प्रकार:

  • Centralized Controller: एक मुख्य कंट्रोलर जो सभी कार्यों को नियंत्रित करता है।
  • Distributed Controller: इसमें कई कंट्रोलर होते हैं जो अलग-अलग कार्यों को नियंत्रित करते हैं, लेकिन वे आपस में जुड़े होते हैं।

10. Controller Programming (कंट्रोलर प्रोग्रामिंग)

कंट्रोलर प्रोग्रामिंग वह प्रक्रिया होती है जिसमें रोबोट को कार्य करने के लिए आदेश दिए जाते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के प्रोग्रामिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है:

  • Teach Pendant Programming (टीच पेंडेंट प्रोग्रामिंग):
    इसमें ऑपरेटर रोबोट को निर्देशित करता है, और रोबोट की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है। इसे बाद में दोहराया जा सकता है।

  • Offline Programming (ऑफलाइन प्रोग्रामिंग):
    इसमें कंट्रोलर का प्रोग्राम पहले से तैयार किया जाता है और फिर इसे रोबोट पर लोड किया जाता है।


सारांश:

रोबोट के ड्राइव सिस्टम और कंट्रोलर वह महत्वपूर्ण घटक हैं जो रोबोट के संचालन को नियंत्रित करते हैं। ऐक्चुएटर्स विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे हाइड्रोलिक, न्यूमेटिक, और इलेक्ट्रिकल, जो विभिन्न प्रकार की गति उत्पन्न करते हैं। रोबोट के कंट्रोलर की भूमिका उसे नियंत्रित करने और आवश्यक कार्य करने के लिए सही आदेश भेजने की होती है।


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UNIT-III: SENSORS

Introduction to Sensors in Robotics

सेंसर वह डिवाइस होते हैं जो वातावरण से जानकारी प्राप्त करते हैं और उसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स में परिवर्तित करते हैं। रोबोटिक्स में, सेंसर रोबोट को अपनी स्थिति, गति, और उसके आसपास के पर्यावरण के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं। विभिन्न प्रकार के सेंसर रोबोट को विभिन्न कार्यों को सही तरीके से और सटीकता से करने में सक्षम बनाते हैं।


1. Requirements of a Sensor Used in Robotics (रोबोटिक्स में उपयोग होने वाले सेंसर की आवश्यकताएँ)

रोबोटिक्स में सेंसर का उपयोग रोबोट को उसकी कार्यक्षमता और सटीकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। सेंसर का चयन करते समय निम्नलिखित आवश्यकताएँ ध्यान में रखी जाती हैं:

  • High Accuracy (उच्च सटीकता): सेंसर को उच्च सटीकता के साथ काम करना चाहिए ताकि रोबोट के संचालन में कोई गलती न हो।
  • Real-Time Response (रियल-टाइम प्रतिक्रिया): सेंसर को तत्काल प्रतिक्रिया देने की क्षमता होनी चाहिए ताकि रोबोट तुरंत वातावरण में बदलाव का पता लगा सके।
  • Durability (स्थायित्व): सेंसर को कठोर वातावरण में भी लंबे समय तक कार्य करने के लिए मजबूत और टिकाऊ होना चाहिए।
  • Compact Size (संक्षिप्त आकार): सेंसर का आकार छोटा होना चाहिए ताकि रोबोट के डिजाइन में आसानी से समाहित किया जा सके।
  • Compatibility (संगतता): सेंसर का रोबोट के अन्य हिस्सों और कंट्रोल सिस्टम के साथ संगत होना चाहिए।

2. Proximity Sensing (प्रोक्सिमिटी सेंसिंग)

प्रोक्सिमिटी सेंसिंग वह प्रक्रिया होती है जिसमें सेंसर किसी वस्तु के पास आने पर प्रतिक्रिया करते हैं। यह सेंसर वस्तु के पास आने पर एक संकेत भेजता है, जिससे रोबोट उस वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।

प्रमुख प्रकार:

  • Capacitive Proximity Sensor (कैपेसिटिव प्रोक्सिमिटी सेंसर): यह सेंसर वस्तु के पास आने पर उसकी विद्युतीय क्षमता में बदलाव का पता लगाता है।
  • Inductive Proximity Sensor (इंडक्टिव प्रोक्सिमिटी सेंसर): यह सेंसर धातु वस्तुओं का पता लगाता है और विद्युत इंडक्शन का उपयोग करता है।
  • Ultrasonic Proximity Sensor (अल्ट्रासोनिक प्रोक्सिमिटी सेंसर): यह सेंसर ध्वनि की तरंगों का उपयोग करके वस्तु की निकटता का पता लगाता है।

उपयोग:

  • वस्तुओं के स्थान का पता लगाना।
  • रोबोट के आंदोलनों को नियंत्रित करना।

3. Force and Torque Sensing (फोर्स और टॉर्क सेंसिंग)

  • Force Sensing (फोर्स सेंसिंग):
    यह सेंसर किसी वस्तु पर लागू होने वाली बल (force) को मापने के लिए उपयोग होते हैं। यह रोबोट को किसी वस्तु पर दबाव का पता लगाने में मदद करता है।

  • Torque Sensing (टॉर्क सेंसिंग):
    यह सेंसर घूर्णन (rotational) बल (torque) को मापते हैं। ये रोबोट के हाथों या बाहों के घूर्णन को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी होते हैं, जैसे कि कलाई का मोड़, ग्रिपिंग फोर्स का निर्धारण आदि।

उपयोग:

  • रोबोट आर्म के द्वारा वस्तु उठाने या पकड़ने के दौरान दबाव या बल की जानकारी।
  • सूक्ष्म कार्यों को ठीक से करने के लिए बल और टॉर्क का मापन।

4. Introduction to Machine Vision (मशीन विजन का परिचय)

मशीन विजन, रोबोटिक्स में एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो रोबोट को उसकी आँखों की तरह कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है। इसमें कैमरों, सेंसरों और सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके रोबोट अपने आसपास के दृश्य को पहचानता और प्रोसेस करता है।


5. Robot Vision System (रोबोट विजन सिस्टम)

रोबोट विजन सिस्टम रोबोट को दृश्य जानकारी प्राप्त करने और उसे प्रोसेस करने की क्षमता देता है। यह प्रणाली इमेज डेटा को स्कैन और डिजिटाइज करती है, जिससे रोबोट वस्तुओं और उनके स्थान का सटीक पता लगा सकता है।

मुख्य कार्य:

  • Scanning and Digitizing Image Data (स्कैनिंग और डिजिटाइजिंग इमेज डेटा):
    रोबोट की दृष्टि प्रणाली कैमरों का उपयोग करके इमेज डेटा स्कैन करती है और उसे डिजिटल फॉर्मेट में बदल देती है, ताकि प्रोसेसिंग और विश्लेषण किया जा सके।

  • Image Processing and Analysis (इमेज प्रोसेसिंग और विश्लेषण):
    डिजिटली प्रोसेस की गई इमेज को मशीन विजन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से विश्लेषित किया जाता है। इससे रोबोट वस्तुओं की पहचान, आकार, स्थिति आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।


6. Cameras (कैमरे)

कैमरा रोबोट विजन सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। इनका कार्य इमेज डेटा को कैप्चर करना होता है, जिसे फिर प्रोसेस किया जाता है।

  • Acquisition of Images (इमेज डेटा का अधिग्रहण):
    कैमरे के माध्यम से इमेज डेटा प्राप्त किया जाता है, जो रोबोट की दृष्टि प्रणाली के लिए इनपुट के रूप में कार्य करता है।

  • Types of Cameras (कैमरों के प्रकार):

    • CCD Cameras (CCD कैमरे): ये उच्च गुणवत्ता वाली इमेजिंग प्रदान करते हैं और रोबोटिक्स में उपयोग के लिए आदर्श होते हैं।
    • CMOS Cameras (CMOS कैमरे): ये सस्ते होते हैं और ऊर्जा की खपत कम करते हैं, लेकिन CCD कैमरे से कम गुणवत्ता के होते हैं।

7. Videocon Camera (विडियोकॉन कैमरा)

विडियोकॉन कैमरा एक प्रकार का कैमरा होता है जो वीडियो डेटा रिकॉर्ड करता है। इसके काम करने के सिद्धांत में रौशनी को इन्फ्रारेड (IR) और दृश्य रेंज में कैप्चर करना शामिल होता है। यह कैमरा रोबोट के विजन सिस्टम में इमेज डेटा को कैप्चर करता है।

कार्य सिद्धांत:

  • यह कैमरा दृश्य रौशनी का उपयोग करके इमेज उत्पन्न करता है।
  • विद्युत संकेतों को वीडियो सिग्नल में परिवर्तित करता है।

8. Applications of Robot Vision System (रोबोट विजन सिस्टम के अनुप्रयोग)

रोबोट विजन सिस्टम विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होता है। इसके मुख्य अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:

  • Inspection (निरीक्षण):
    रोबोट विजन सिस्टम का उपयोग वस्तुओं के निरीक्षण के लिए किया जाता है, जैसे कि निर्माण उद्योग में उत्पादों की गुणवत्ता जांचने के लिए।

  • Identification (पहचान):
    यह प्रणाली वस्तुओं, उनके आकार, प्रकार और अन्य गुणों की पहचान करने के लिए उपयोगी होती है।

  • Navigation (नेविगेशन):
    रोबोट विजन सिस्टम का उपयोग रोबोट को किसी वातावरण में दिशा तय करने में मदद करने के लिए किया जाता है।

  • Serving (सेवा करना):
    रोबोट विजन सिस्टम का उपयोग सेवा उद्योग में रोबोट को वस्तुओं को पहचानने और ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है।


सारांश:

सेंसर और मशीन विजन सिस्टम रोबोट की कार्यक्षमता में वृद्धि करते हैं। सेंसर रोबोट को अपनी स्थिति और आसपास के वातावरण के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं, जबकि मशीन विजन सिस्टम रोबोट को दृश्य जानकारी प्राप्त करने और उसे प्रोसेस करने की क्षमता प्रदान करता है। रोबोट विजन सिस्टम का उपयोग निरीक्षण, पहचान, नेविगेशन, और सेवा प्रदान करने जैसे कार्यों में किया जाता है।


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UNIT-IV: ROBOT KINEMATICS AND ROBOT PROGRAMMING

इस यूनिट में रोबोट काइनेमैटिक्स और रोबोट प्रोग्रामिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। काइनेमैटिक्स एक शाखा है जो गति और स्थान (position) के अध्ययन से संबंधित है, जबकि रोबोट प्रोग्रामिंग रोबोट के कार्यों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तकनीकों और भाषाओं का उपयोग करती है।


1. Robot Kinematics (रोबोट काइनेमैटिक्स)

रोबोट काइनेमैटिक्स में रोबोट के विभिन्न हिस्सों (लिंक्स और जोइंट्स) की गति, दिशा और स्थान का अध्ययन किया जाता है। इसमें गति के बारे में गणना की जाती है, जैसे कि रोबोट के हाथ का एक निश्चित स्थान या गति पर पहुंचने के लिए क्या जरूरी है। काइनेमैटिक्स दो मुख्य श्रेणियों में बांटी जा सकती है: फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स और इनवर्स काइनेमैटिक्स

2. Forward Kinematics (फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स)

फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स में हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि अगर हम रोबोट के जोइंट्स की स्थिति (angles) जानते हैं, तो रोबोट का टूल (end effector) कहाँ होगा। इसमें हम जोइंट्स और लिंक्स की जानकारी से रोबोट के अंतिम बिंदु (end effector) की स्थिति और ओरिएंटेशन का अनुमान लगाते हैं।

उदाहरण:

  • यदि रोबोट के आर्म का पहला जोइंट 45 डिग्री पर है और दूसरा जोइंट 30 डिग्री पर है, तो फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स इन जोइंट्स की स्थितियों को देखकर यह निर्धारित करता है कि रोबोट का आर्म और टूल कहाँ स्थित होगा।

3. Inverse Kinematics (इनवर्स काइनेमैटिक्स)

इनवर्स काइनेमैटिक्स में हम एक उलटी प्रक्रिया अपनाते हैं। यानी, हम यह जानते हैं कि हमें टूल (end effector) को किसी विशेष स्थान (position) पर लाना है, तो हमें जोइंट्स की स्थिति (angles) कैसे निर्धारित करनी चाहिए। यह अधिक चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि एक स्थान पर पहुंचने के लिए विभिन्न जोइंट्स के कई संयोजन हो सकते हैं।

उदाहरण:

  • यदि रोबोट का टूल किसी विशेष स्थान पर जाना है, तो इनवर्स काइनेमैटिक्स हमें यह बताता है कि हमें प्रत्येक जोइंट की स्थिति कितनी होगी, ताकि रोबोट का टूल उस स्थान पर पहुंच सके।

फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स और इनवर्स काइनेमैटिक्स के बीच अंतर:

  • फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स: जोइंट्स की स्थिति से टूल की स्थिति निकालना।
  • इनवर्स काइनेमैटिक्स: टूल की स्थिति से जोइंट्स की स्थिति निकालना।

4. Forward Kinematics and Reverse Kinematics of Manipulators with Two Degrees of Freedom (दो डिग्री ऑफ फ्रीडम वाले मैनिपुलेटर्स की फॉरवर्ड और इनवर्स काइनेमैटिक्स)

  • Two Degrees of Freedom (DOF):
    जब किसी मैनिपुलेटर (robot arm) के पास दो स्वतंत्रता डिग्री होती हैं, तो इसका मतलब है कि इसमें दो जोइंट्स होते हैं जो रोबोट के कार्य क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं। इन मैनिपुलेटरों में फॉरवर्ड और इनवर्स काइनेमैटिक्स का अध्ययन करना आसान होता है क्योंकि इसमें सीमित डिग्री होती है।

  • 2D (दो आयामी) फॉरवर्ड काइनेमैटिक्स:
    इसमें दो जोइंट्स होते हैं, जिनकी स्थिति से हम टूल के स्थान का अनुमान लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, दो लिंक्स के द्वारा बनाए गए ट्राएंगल की सहायता से टूल की स्थिति निर्धारित की जा सकती है।

  • 2D (दो आयामी) इनवर्स काइनेमैटिक्स:
    इसमें हम टूल की स्थिति से जोइंट्स के कोणों की गणना करते हैं, ताकि टूल उसी स्थान पर पहुंचे। इस प्रक्रिया में विभिन्न जोइंट्स के लिए कई संभावित समाधान हो सकते हैं, जिन्हें ठीक से गणना करना होता है।


5. Deviations and Problems (विचलन और समस्याएँ)

रोबोट काइनेमैटिक्स में विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं जैसे:

  • Singularity (सिंगुलैरिटी):
    जब रोबोट किसी विशिष्ट स्थान पर पहुँचता है, तो उसकी गति की दिशा बदल सकती है, जिससे उसे ठीक से नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।

  • Multiple Solutions (कई समाधान):
    कुछ मामलों में इनवर्स काइनेमैटिक्स के कई समाधान हो सकते हैं, जिससे यह निर्णय करना मुश्किल हो सकता है कि कौन सा सही है।

  • Accuracy Issues (सटीकता से संबंधित समस्याएँ):
    गणना में त्रुटियाँ या सीमित गणना क्षमता के कारण काइनेमैटिक्स में सटीकता की कमी हो सकती है।


6. Robot Programming (रोबोट प्रोग्रामिंग)

रोबोट प्रोग्रामिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम रोबोट को कार्य करने के लिए निर्देशित करते हैं। यह विभिन्न प्रकार की प्रोग्रामिंग विधियों का उपयोग करती है। निम्नलिखित में कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग तकनीकें हैं:


7. Teach Pendant Programming (टीच पेंडेंट प्रोग्रामिंग)

टीच पेंडेंट प्रोग्रामिंग में, ऑपरेटर एक कंट्रोल डिवाइस (टीच पेंडेंट) का उपयोग करके रोबोट के हाथ को मैन्युअली गाइड करता है। ऑपरेटर रोबोट के आंदोलनों को रिकॉर्ड करता है, और फिर उसे स्वतः दोहराने के लिए प्रोग्राम कर देता है।

प्रक्रिया:

  1. ऑपरेटर रोबोट के आर्म को इच्छित स्थानों पर ले जाता है।
  2. टीच पेंडेंट उस डेटा को रिकॉर्ड करता है।
  3. बाद में, प्रोग्राम रोबोट को उसी रास्ते पर कार्य करने के लिए निर्देशित करता है।

8. Lead Through Programming (लीड थ्रू प्रोग्रामिंग)

लीड थ्रू प्रोग्रामिंग में, ऑपरेटर रोबोट के आंदोलन को निर्देशित करता है, और यह डेटा रोबोट के कंट्रोल सिस्टम में दर्ज किया जाता है। यह प्रोग्रामिंग टीच पेंडेंट के समान होती है, लेकिन इसमें किसी भी जटिल प्रोग्रामिंग को आवश्यकता नहीं होती है।


9. Robot Programming Languages (रोबोट प्रोग्रामिंग भाषाएँ)

रोबोट प्रोग्रामिंग के लिए विभिन्न प्रकार की भाषाएँ और तकनीकें होती हैं। कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग भाषाएँ हैं:

  • VAL Programming (VAL प्रोग्रामिंग):
    यह एक सामान्य रोबोट प्रोग्रामिंग भाषा है जो विशेष रूप से वैक्यूम और मैनिपुलेटर रोबोट के लिए डिज़ाइन की गई है। यह रोबोट के कार्यों को आसानी से निर्देशित करने के लिए उपयोग की जाती है।

10. Motion Commands (मूवमेंट कमांड्स)

रोबोट को कार्य करने के लिए, हम मूवमेंट कमांड्स का उपयोग करते हैं जो रोबोट को निर्देशित करते हैं कि उसे कहाँ और कैसे चलना है। इन कमांड्स में सामान्यत: निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  • Move (मूव): रोबोट को एक निर्दिष्ट स्थान पर जाना।
  • Linear Move (लिनियर मूव): रोबोट को एक सीधी रेखा में चलाने के लिए।
  • Joint Move (जॉइंट मूव): रोबोट के जोइंट्स को नियंत्रित करते हुए मूवमेंट करना।

11. Sensor Commands (सेंसर कमांड्स)

सेंसर कमांड्स रोबोट को सेंसर डेटा का उपयोग करने के लिए निर्देशित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, एक रोबोट को किसी वस्तु के पास जाने के लिए निर्देशित करना, जब तक सेंसर उसे नहीं पहचानता।


12. End Effector Commands (एंड इफेक्टर्स कमांड्स)

एंड इफेक्टर्स कमांड्स रोबोट के अंतर्गत काम करने वाले उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए होते हैं, जैसे कि ग्रिपर्स, वेल्डिंग टूल्स, या पैलेटिंग उपकरण।


13. Simple Programs (साधारण प्रोग्राम्स)

साधारण प्रोग्राम्स में रोबोट के आधारभूत कार्यों को किया जाता है, जैसे कि एक वस्तु को उठाना और रखना, एक निश्चित मार्ग पर चलना, या किसी स्थान पर विश्राम करना।

उदाहरण:

  • रोबोट को एक बटन दबाने के लिए प्रोग्राम करना।
  • एक वस्तु को उठाकर निर्धारित स्थान पर रखना।

सारांश:

रोबोट काइनेमैटिक्स में फॉरवर्ड और इनवर्स काइनेमैटिक्स का अध्ययन किया जाता है, जो रोबोट के आंदोलनों को सटीक रूप से नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, रोबोट प्रोग्रामिंग में विभिन्न प्रकार की प्रोग्रामिंग विधियाँ जैसे कि टीच पेंडेंट, लीad थ्रू प्रोग्रामिंग और VAL प्रोग्रामिंग का उपयोग किया जाता है। इन विधियों के माध्यम से हम रोबोट के कार्यों को नियंत्रित कर सकते हैं।


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UNIT-V: AUTOMATION

ऑटोमेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत किसी काम को बिना मानव हस्तक्षेप के स्वचालित तरीके से किया जाता है। इसका उद्देश्य कार्यों को अधिक कुशलता, सटीकता और गति के साथ पूरा करना है। इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरणों, तकनीकों और नियंत्रण प्रणालियों का उपयोग किया जाता है, जो कार्यों को स्वचालित रूप से नियंत्रित और संचालित करते हैं।

इस यूनिट में हम ऑटोमेशन के बुनियादी तत्व, उन्नत ऑटोमेशन कार्य, और औद्योगिक अनुप्रयोगों पर ध्यान देंगे।


1. Basic Elements of Automated System (स्वचालित प्रणाली के बुनियादी तत्व)

स्वचालित प्रणाली में कुछ मुख्य तत्व होते हैं जो मिलकर सिस्टम को संचालित करते हैं। ये तत्व निम्नलिखित हैं:

  1. Sensors (सेंसर):
    सेंसर स्वचालित प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वातावरण से डेटा प्राप्त करते हैं, जैसे कि गति, तापमान, दबाव आदि। इन डेटा का उपयोग स्वचालित नियंत्रण प्रणाली द्वारा निर्णय लेने के लिए किया जाता है।

  2. Actuators (एक्चुएटर्स):
    एक्चुएटर्स उन उपकरणों को कहा जाता है जो सेंसर द्वारा दिए गए संकेतों के आधार पर कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, मोटर, वाल्व, या अन्य यांत्रिक प्रणालियाँ जो अपने कार्य को करते हैं, जब सेंसर से संकेत प्राप्त होता है।

  3. Controller (नियंत्रक):
    नियंत्रक वह तत्व है जो सेंसर से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करता है और उपयुक्त प्रतिक्रिया भेजता है। यह निर्णय लेता है कि सिस्टम को कौन सा कार्य करना चाहिए। उदाहरण के लिए, PLC (Programmable Logic Controller) या DCS (Distributed Control System)।

  4. Communication System (संचार प्रणाली):
    संचार प्रणाली स्वचालित उपकरणों के बीच डेटा के आदान-प्रदान के लिए उपयोग की जाती है। यह स्वचालित प्रणाली के विभिन्न भागों को आपस में जोड़े रखती है।


2. Advanced Automation Functions (उन्नत ऑटोमेशन कार्य)

स्वचालन के उन्नत कार्यों में जटिल तकनीकी प्रक्रियाएं और कार्य शामिल होते हैं, जो स्वचालित प्रणाली को अधिक प्रभावी और स्मार्ट बनाती हैं। ये कार्य निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • Process Control (प्रोसेस नियंत्रण):
    प्रोसेस नियंत्रण स्वचालित प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कार्य है, जहाँ विभिन्न मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए, तापमान, दबाव, या अन्य उत्पादन प्रक्रियाओं का स्वचालित नियंत्रण।

  • Error Detection and Correction (त्रुटि का पता लगाना और सुधारना):
    स्वचालित प्रणाली में त्रुटियों का पता लगाना और उन्हें ठीक करना एक उन्नत कार्य है। यह सिस्टम को बिना रुकावट के चलाने में मदद करता है।

  • Predictive Maintenance (पूर्वानुमान रखरखाव):
    यह एक उन्नत स्वचालन कार्य है, जिसमें सिस्टम के प्रदर्शन की निगरानी की जाती है और भविष्य में संभावित खराबी का अनुमान लगाकर रखरखाव किया जाता है।

  • Adaptive Control Systems (अनुकूली नियंत्रण प्रणाली):
    इन प्रणालियों में ऑटोमेशन सिस्टम अपने आप को बदलते पर्यावरण के अनुसार अनुकूलित कर लेता है। ये प्रणालियाँ सिस्टम को अपने ऑपरेशन को स्वचालित रूप से नियंत्रित करने में सक्षम बनाती हैं।


3. Levels of Automation (ऑटोमेशन के स्तर)

ऑटोमेशन के विभिन्न स्तर होते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि सिस्टम कितना स्वचालित है। निम्नलिखित हैं ऑटोमेशन के सामान्य स्तर:

  1. Manual Operation (मैन्युअल ऑपरेशन):
    इस स्तर पर, कार्यों को पूरी तरह से मानव द्वारा नियंत्रित किया जाता है। स्वचालित प्रणाली का उपयोग नहीं होता।

  2. Assisted Operation (सहायता प्राप्त ऑपरेशन):
    इस स्तर पर, कुछ कार्यों को स्वचालित किया जाता है, लेकिन प्रमुख कार्य मानव द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक मशीन का संचालन, लेकिन कुछ कदमों में मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

  3. Partial Automation (आंशिक स्वचालन):
    इस स्तर पर, कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को स्वचालित किया जाता है, लेकिन कुछ कार्यों के लिए अभी भी मानव नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

  4. Full Automation (पूर्ण स्वचालन):
    इस स्तर पर, सभी कार्य पूरी तरह से स्वचालित होते हैं। किसी भी प्रकार के मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती।


4. Industrial Applications (औद्योगिक अनुप्रयोग)

औद्योगिक स्वचालन में रोबोट्स और अन्य स्वचालित उपकरणों का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक अनुप्रयोगों में रोबोट्स का उपयोग किया जाता है:


a) Application of Robots in Machining (मशीनिंग में रोबोट्स का उपयोग)

रोबोट्स का उपयोग मशीनिंग प्रक्रिया में सटीकता और गति बढ़ाने के लिए किया जाता है। मशीनिंग में रोबोट्स निम्नलिखित कार्यों में सहायता करते हैं:

  • Precision Machining (सटीक मशीनिंग):
    रोबोट्स का उपयोग उच्च सटीकता वाली मशीनिंग प्रक्रियाओं में किया जाता है, जैसे कि काटने, पीसने, या ड्रिलिंग। रोबोट्स को पहले से निर्धारित गतिक्रम में सेट किया जा सकता है, जिससे सटीकता में वृद्धि होती है।

  • Automated Material Handling (स्वचालित सामग्री हैंडलिंग):
    रोबोट्स को स्वचालित रूप से सामग्री को स्थानांतरित करने के लिए सेट किया जा सकता है। इससे उत्पादन गति में वृद्धि होती है और मानव श्रम की आवश्यकता घटती है।


b) Application of Robots in Welding (वेल्डिंग में रोबोट्स का उपयोग)

वेल्डिंग में रोबोट्स का उपयोग मुख्य रूप से उच्च गति और उच्च गुणवत्ता वाले वेल्ड्स बनाने के लिए किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:

  • Spot Welding (स्पॉट वेल्डिंग):
    इस प्रक्रिया में, रोबोट्स को स्वचालित रूप से सामग्री को एक साथ जोड़ने के लिए वेल्डिंग के स्थान पर भेजा जाता है।

  • Arc Welding (आर्क वेल्डिंग):
    आर्क वेल्डिंग में रोबोट्स को बहुत सटीकता के साथ उपयोग किया जाता है ताकि वेल्डिंग की गुणवत्ता उच्च हो।


c) Application of Robots in Assembly (असेंबली में रोबोट्स का उपयोग)

रोबोट्स का उपयोग विभिन्न असेंबली कार्यों में किया जाता है, जैसे:

  • Part Placement (भागों का स्थान निर्धारण):
    रोबोट्स स्वचालित रूप से असेंबली लाइन पर घटकों को सही जगह पर रखते हैं।

  • Screw Insertion (स्क्रू लगाना):
    रोबोट्स स्वचालित रूप से स्क्रू को इन्सर्ट करने का कार्य करते हैं, जिससे असेंबली प्रक्रिया में गति और सटीकता आती है।


d) Application of Robots in Material Handling (सामग्री हैंडलिंग में रोबोट्स का उपयोग)

सामग्री हैंडलिंग में रोबोट्स का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। कुछ प्रमुख कार्य हैं:

  • Palletizing (पैलेटाइजिंग):
    रोबोट्स को सामग्री को पैलेट पर रखने के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे बड़े पैमाने पर सामग्री को व्यवस्थित किया जा सकता है।

  • Sorting and Packaging (छंटाई और पैकेजिंग):
    रोबोट्स का उपयोग सामग्री को छांटने और पैकेजिंग में किया जाता है, जिससे उत्पादों की पैकिंग अधिक तेज़ और सटीक हो जाती है।


सारांश:

ऑटोमेशन के बुनियादी तत्वों में सेंसर, एक्चुएटर्स, नियंत्रक और संचार प्रणाली शामिल हैं। उन्नत ऑटोमेशन कार्यों में प्रोसेस नियंत्रण, त्रुटि का पता लगाना, और पूर्वानुमान रखरखाव शामिल होते हैं। औद्योगिक अनुप्रयोगों में रोबोट्स का उपयोग मशीनिंग, वेल्डिंग, असेंबली, और सामग्री हैंडलिंग जैसे कार्यों में किया जाता है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया की सटीकता और गति में वृद्धि होती है।

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1 Comments

  1. Many useful and notes bahut help hui 💕💕💕👌1000%rating

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