Unit 5 Industrial Engineering & Management Notes in hindi

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5. Financial Management (वित्तीय प्रबंधन)

वित्तीय प्रबंधन का उद्देश्य कंपनी के संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना और यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय निर्णय कंपनी के लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करें। इसमें विभिन्न तत्वों जैसे पूंजी, लागत, लाभ, और वित्तीय रणनीतियों को शामिल किया जाता है।


5.1 Fixed and Working Capital (स्थिर और संचालन पूंजी)

  1. Fixed Capital (स्थिर पूंजी):

    • स्थिर पूंजी वह पूंजी होती है जो लंबी अवधि के लिए निवेशित होती है, जैसे कि भूमि, भवन, मशीनरी, और उपकरण। यह पूंजी किसी व्यवसाय की संरचना का हिस्सा होती है और इसकी आवश्यकता दीर्घकालिक होती है।
  2. Working Capital (संचालन पूंजी):

    • संचालन पूंजी वह पूंजी होती है जो दैनिक संचालन के लिए आवश्यक होती है। यह सामान्यत: वर्त्तमान परिसंपत्तियों (जैसे नकद, खाता प्राप्तियां, और स्टॉक) और वर्तमान दायित्वों (जैसे उधारी) के बीच का अंतर होती है। यह व्यापार की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग की जाती है।

5.2 Resources of Capital (पूंजी के स्रोत)

पूंजी के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित होते हैं:

  1. Equity Capital (इक्विटी पूंजी):

    • यह पूंजी कंपनी के शेयरधारकों से प्राप्त होती है और इसका उपयोग कंपनी के विस्तार और संचालन के लिए किया जाता है।
  2. Debt Capital (ऋण पूंजी):

    • यह पूंजी कंपनी द्वारा उधार ली जाती है, जैसे कि बैंकों से लोन, या डिबेंचरों के माध्यम से।
  3. Internal Sources (आंतरिक स्रोत):

    • इन स्रोतों से प्राप्त पूंजी कंपनी के अपने संसाधनों से होती है, जैसे कि आंतरिक मुनाफा और परिसंपत्तियों का बेचना।

5.3 Shares: Preference and Equity Shares (शेयर: प्रेफरेंस और इक्विटी शेयर)

  1. Preference Shares (प्रेफरेंस शेयर):

    • ये शेयर धारकों को एक निश्चित ब्याज दर पर लाभांश मिलता है, और उन्हें लाभांश वितरण में प्राथमिकता प्राप्त होती है। इन शेयरों के धारक सामान्य शेयरधारकों की तुलना में पहले लाभांश प्राप्त करते हैं।
  2. Equity Shares (इक्विटी शेयर):

    • ये शेयर सामान्य रूप से कंपनी में हिस्सेदारी को दर्शाते हैं। इन शेयरधारकों को कंपनी के लाभ का एक हिस्सा मिलता है, लेकिन इन्हें लाभांश वितरण में प्रेफरेंस शेयरधारकों के मुकाबले बाद में प्राथमिकता मिलती है।

5.4 Debentures (डिबेंचर्स)

Debenture वह साधन होते हैं, जिनके माध्यम से कंपनियां निवेशकों से ऋण प्राप्त करती हैं। यह निवेशकों को ब्याज भुगतान के रूप में लाभ प्रदान करते हैं और इसे विशेष रूप से लंबे समय के लिए जारी किया जाता है।

5.4.1 Types of Debentures (डिबेंचर के प्रकार)

  1. Convertible Debentures (रूपांतरणीय डिबेंचर):

    • ये डिबेंचर कुछ निश्चित समय के बाद कंपनी के शेयरों में बदले जा सकते हैं।
  2. Non-Convertible Debentures (गैर-रूपांतरणीय डिबेंचर):

    • ये डिबेंचर रूपांतरण योग्य नहीं होते और उन्हें केवल ब्याज के रूप में भुगतान किया जाता है।
  3. Secured Debentures (सुरक्षित डिबेंचर):

    • ये डिबेंचर किसी संपत्ति के खिलाफ सुरक्षा के रूप में जारी किए जाते हैं। यदि कंपनी ऋण चुकता करने में विफल रहती है, तो यह संपत्ति जप्त की जा सकती है।
  4. Unsecured Debentures (असुरक्षित डिबेंचर):

    • ये डिबेंचर बिना किसी संपत्ति के सुरक्षा के जारी किए जाते हैं। इनमें अधिक जोखिम होता है, लेकिन ब्याज दर भी अधिक होती है।

5.5 Public Deposits (जन सार्वजनिक जमा)

Public Deposits वे पूंजी होते हैं जो कंपनियां अपने पास से उधार लेकर सीधे जनता से प्राप्त करती हैं। इन जमाों के लिए सामान्यत: कंपनियां उच्च ब्याज दर देती हैं।


5.6 Factory Costing (कारखाना लागत निर्धारण)

Factory Costing का उद्देश्य उत्पादन से जुड़ी कुल लागत की सही गणना करना है। इसमें निम्नलिखित प्रकार की लागतें शामिल हैं:

  1. Direct Cost (प्रत्यक्ष लागत):

    • वह लागत जो सीधे उत्पाद बनाने में जुड़ी होती है, जैसे कच्चा माल और श्रमिकों की मजदूरी।
  2. Indirect Cost (अप्रत्यक्ष लागत):

    • वह लागत जो उत्पादन से जुड़े होते हुए भी सीधे उत्पाद से संबंधित नहीं होती, जैसे प्रशासनिक खर्चे और बिजली की लागत।
  3. Factory Overhead (कारखाना ओवरहेड):

    • यह अप्रत्यक्ष लागत होती है जो उत्पादन प्रक्रिया से संबंधित होती है, जैसे फैक्ट्री के रख-रखाव के खर्चे।
  4. Selling Price of a Product (उत्पाद की विक्रय कीमत):

    • यह वह मूल्य होता है जिस पर उत्पाद को बाजार में बेचा जाता है। यह मूल्य लागत और मुनाफे को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
  5. Profit (लाभ):

    • यह वह राशि होती है जो कुल आय और कुल लागत के बीच अंतर के रूप में प्राप्त होती है।

5.7 Numerical Problems (सांख्यिकीय समस्याएं)

सांख्यिकीय समस्याएं उन गणनाओं से संबंधित होती हैं जो फैक्ट्री लागत, डिबेंचर और शेयर, लाभ, आदि के विभिन्न पहलुओं से संबंधित होती हैं।


5.8 Depreciation; Causes (ह्रास; कारण)

Depreciation (ह्रास) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी संपत्ति के मूल्य में समय के साथ कमी आती है। यह मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से होता है:

  1. Wear and Tear (घिसावट और टूट-फूट): समय के साथ मशीनों और उपकरणों का उपयोग होने के कारण उनका मूल्य कम हो जाता है।
  2. Obsolescence (पुराना होना): नई तकनीकी प्रगति के कारण पुरानी मशीनों का मूल्य कम हो जाता है।
  3. Accidents (दुर्घटनाएँ): दुर्घटनाओं के कारण संपत्ति का मूल्य घट जाता है।

5.9 Methods (विधियाँ)

  1. Straight Line Method (सीधी रेखा विधि):

    • इस विधि में हर वर्ष एक ही राशि ह्रास के रूप में मान ली जाती है।
    • ह्रास = (मूल्य - अवशिष्ट मूल्य) / जीवनकाल
  2. Sinking Fund Method (सिंकिंग फंड विधि):

    • इस विधि में एक निर्धारित राशि को नियमित रूप से एक फंड में जमा किया जाता है ताकि संपत्ति के अंत में उसकी पूरी कीमत की भरपाई की जा सके।
  3. Percentage on Diminishing Value Method (घटते मूल्य पर प्रतिशत विधि):

    • इस विधि में ह्रास की दर को प्रत्येक वर्ष घटते मूल्य पर लागू किया जाता है, जिससे प्रत्येक वर्ष का ह्रास कम होता जाता है।

5.10 Numerical Problems (सांख्यिकीय समस्याएं)

यहां पर विभिन्न ह्रास विधियों के आधार पर सांख्यिकीय समस्याएं हल की जाती हैं।


5.11 Material Management (सामग्री प्रबंधन)

Material Management का उद्देश्य उत्पादन प्रक्रिया में आवश्यक सामग्री का सही समय पर सही मात्रा में उपलब्ध होना सुनिश्चित करना है।

5.11.1 Objectives of Good Stock Control System (अच्छे स्टॉक नियंत्रण प्रणाली के उद्देश्य)

  1. Cost Control (लागत नियंत्रण): सामग्री की अधिकता और कमी से बचने के लिए लागत को नियंत्रित करना।
  2. Availability of Materials (सामग्री की उपलब्धता): उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध होनी चाहिए।

5.11.2 ABC Analysis of Inventory (इन्वेंट्री का ABC विश्लेषण)

यह विधि सामग्री के भंडार को तीन श्रेणियों A, B, और C में वर्गीकृत करती है:

  1. A: उच्च मूल्य वाली, कम मात्रा वाली सामग्री।
  2. B: मध्यम मूल्य और मात्रा वाली सामग्री।
  3. C: कम मूल्य वाली, अधिक मात्रा वाली सामग्री।

5.11.3 Procurement and Consumption Cycle (खरीदी और खपत चक्र)

यह चक्र उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसमें सामग्री की खरीदारी, भंडारण और खपत होती है।

5.11.4 Minimum Stock, Lead Time, Reorder Level (न्यूनतम स्टॉक, लीड टाइम, पुनः आदेश स्तर)

  • Minimum Stock (न्यूनतम स्टॉक): वह स्टॉक जो हमेशा एक सुरक्षित स्तर पर रखना आवश्यक होता है।
  • Lead Time (लीड टाइम): वह समय जिसमें सामग्री की आपूर्ति होती है।
  • Reorder Level (पुनः आदेश स्तर): वह स्टॉक स्तर जिस पर पुनः सामग्री का आदेश दिया जाता है।

5.11.5 Economic Order Quantity (EOQ) Problems (आर्थिक आदेश मात्रा समस्याएं)

EOQ वह मात्रा होती है जो कंपनियों के लिए सबसे किफायती होती है, जिससे स्टॉक की लागत और आदेश लागत का संतुलन बन सके।

5.11.6 Supply Chain (आपूर्ति श्रृंखला)

Supply Chain उन सभी प्रक्रियाओं का समूह है जो कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पाद के ग्राहक तक पहुँचने तक होती हैं। यह संचालन, वितरण, और कच्चे माल की आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए संगठित होती है।

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