2. ESTIMATION AND COSTING notes in hindi

 

2. ESTIMATION AND COSTING (अनुमान और लागत निर्धारण)

अनुमान और लागत निर्धारण किसी भी निर्माण या इंजीनियरिंग परियोजना के महत्वपूर्ण भाग होते हैं। ये परियोजना की योजना बनाने, बजट बनाने और यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि परियोजना वित्तीय सीमा के भीतर रहे जबकि गुणवत्ता को बनाए रखा जाए।


2.1 विभिन्न प्रकार के अनुमान का अर्थ और उद्देश्य

  1. 2.1.1 रफ अनुमान (Rough Estimate):

    • अर्थ: रफ अनुमान एक त्वरित और अनुमानित गणना है, जिसमें परियोजना की कुल लागत का अनुमान लगाया जाता है। यह तब किया जाता है जब परियोजना के सभी विवरण उपलब्ध नहीं होते। यह सामान्य रूप से उपलब्ध माप, डेटा और अनुभव के आधार पर किया जाता है।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य परियोजना की बजट की सामान्य जानकारी प्राप्त करना, यह तय करना कि परियोजना वित्तीय रूप से संभव है या नहीं और प्रारंभिक संसाधनों को आवंटित करना।
    • उदाहरण: अगर कोई व्यक्ति एक घर बनाने की योजना बना रहा है, तो रफ अनुमान में सामग्री, श्रम और परमिट की लागत शामिल होगी, भले ही डिजाइन अंतिम रूप से तय नहीं हुआ हो।
  2. 2.1.2 विस्तृत अनुमान (Detailed Estimate):

    • अर्थ: विस्तृत अनुमान एक अधिक सटीक और पूर्ण गणना है जिसमें परियोजना के सभी घटकों का विवरण होता है। इसमें प्रत्येक कार्य की सूची, सामग्री की मात्राएँ, श्रम लागत और अन्य व्यय शामिल होते हैं।
    • उद्देश्य: इसे सटीक बजट बनाने, संसाधनों का आवंटन करने और निविदा या बिडिंग के आधार के रूप में उपयोग किया जाता है। यह परियोजना की प्रगति के दौरान वास्तविक लागतों को ट्रैक करने में मदद करता है।
    • उदाहरण: एक निर्माण परियोजना का विस्तृत अनुमान, जिसमें खुदाई, नींव, दीवारों, छत, विद्युत प्रणालियों और अन्य कार्यों की लागत शामिल होगी।
  3. 2.1.3 पूरक अनुमान (Supplementary Estimate):

    • अर्थ: पूरक अनुमान वह अतिरिक्त अनुमान है जो तब तैयार किया जाता है जब प्रारंभिक अनुमान में बदलाव या कार्य क्षेत्र में विस्तार होता है। यह अप्रत्याशित परिवर्तनों, परिवर्धन या संशोधनों के कारण होता है।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य वास्तविक समय में हुए परिवर्तनों के आधार पर प्रारंभिक बजट को समायोजित करना और परियोजना को वित्तीय नियंत्रण में रखना है।
    • उदाहरण: अगर परियोजना के दौरान नई कार्यों या अप्रत्याशित मरम्मतों की आवश्यकता होती है, तो पूरक अनुमान तैयार किया जाएगा ताकि अतिरिक्त लागत को कवर किया जा सके।
  4. 2.1.4 वार्षिक रखरखाव अनुमान (Annual Maintenance Estimate):

    • अर्थ: वार्षिक रखरखाव अनुमान एक वर्ष के लिए पहले से पूर्ण परियोजना के रखरखाव का बजट है। इसमें मरम्मत, प्रतिस्थापन, सफाई और सेवा जैसी चीजें शामिल होती हैं।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य परियोजना के दीर्घकालिक संचालन लागतों को प्रबंधित करना है, जैसे भवन, मशीनरी या इंफ्रास्ट्रक्चर का रखरखाव सुनिश्चित करना।
    • उदाहरण: एक फैक्ट्री के रखरखाव का अनुमान, जिसमें उपकरणों की सेवा, कर्मचारी वेतन, और उपभोक्ताओं के लिए खपत शामिल होगी।
  5. 2.1.5 संशोधित अनुमान (Revised Estimate):

    • अर्थ: संशोधित अनुमान वह अद्यतन संस्करण है जो जब वास्तविक लागत में बदलाव या कार्य में परिवर्तन के कारण प्रारंभिक अनुमान में बदलाव किया जाता है।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य वास्तविक प्रगति और वास्तविक लागतों के आधार पर वित्तीय योजना को फिर से संरेखित करना और यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना में बदलाव के बावजूद बजट के भीतर रहे।
    • उदाहरण: अगर कच्चे माल की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो संशोधित अनुमान इन बढ़ी हुई लागतों को दिखाएगा।

2.2 अनुमान तैयार करते समय विचार करने योग्य बातें

  1. 2.2.1 विस्तृत अनुमान:

    • विस्तृत अनुमान तैयार करते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहिए:
      • परियोजना का क्षेत्र (Scope of Work): कार्य का क्षेत्र स्पष्ट रूप से परिभाषित करें ताकि सभी कार्यों और आवश्यकताओं का ख्याल रखा जा सके।
      • सामग्री की लागत (Material Costs): आवश्यक सामग्री की लागत की गणना करें, जिसमें मात्रा, गुणवत्ता और परिवहन शामिल हैं।
      • श्रम लागत (Labor Costs): श्रमिकों की मजदूरी या वेतन को शामिल करें, जिसमें विभिन्न कौशल और कार्य घंटों का विचार करें।
      • अप्रत्यक्ष लागत (Overheads): प्रशासनिक खर्चों, उपकरण किराए, और उपयोगिता लागतों जैसी अप्रत्यक्ष लागतें शामिल करें।
      • आकस्मिकता (Contingencies): अप्रत्याशित लागतों को कवर करने के लिए आकस्मिक निधि का समावेश करें।
      • परियोजना की अवधि (Duration of the Project): लंबी परियोजनाओं में महंगाई, श्रम दरों और सामग्री कीमतों के कारण उच्च लागतें हो सकती हैं।
  2. 2.2.2 कार्य की आर्थिक निष्पादन:

    • कार्य को आर्थिक रूप से निष्पादित करना मतलब बिना गुणवत्ता से समझौता किए कम से कम लागत में परियोजना को पूरा करना। इसे प्राप्त किया जा सकता है:
      • संसाधनों का प्रभावी उपयोग (Efficient use of resources): सामग्री का प्रभावी उपयोग, अपव्यय कम करना, और श्रम की तैनाती को अनुकूलित करना।
      • परियोजना योजना (Project Planning): समयबद्धता और व्यवधानों से बचने के लिए उचित योजना बनाना, ताकि अतिरिक्त लागतें न हों।
      • सस्ती सामग्री और विधियों का चयन (Choosing cost-effective materials and methods): गुणवत्ता और लागत के बीच सबसे अच्छा संतुलन प्राप्त करने के लिए सामग्री और निर्माण विधियों का चयन करना।
      • निरंतर निगरानी (Continuous Monitoring): परियोजना की प्रगति के साथ नियमित निगरानी और अद्यतन अनुमान करना ताकि लागत से अधिक न हो।

2.3 निविदाएँ और उद्धरण

  1. 2.3.1 निविदा के प्रकार (Types of Tender):

    • ओपन टेंडर (Open Tender): इस प्रकार की निविदा सभी के लिए खुली होती है और यह सबसे प्रतिस्पर्धी होती है। इसका उपयोग सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए किया जाता है और इसमें सभी इच्छुक पक्षों को बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
    • सीमित निविदा (Limited Tender): केवल एक चयनित समूह को निविदा में भाग लेने का निमंत्रण दिया जाता है। यह सामान्यत: विशिष्ट परियोजनाओं या गोपनीयता बनाए रखने के लिए होता है।
    • संपर्क निविदा (Negotiated Tender): ग्राहक एक चयनित ठेकेदार से सीधे बातचीत करता है, इसका उपयोग तब होता है जब केवल एक ठेकेदार परियोजना के लिए उपयुक्त होता है।
  2. 2.3.2 निविदा सूचना (Tender Notice):

    • निविदा सूचना एक सार्वजनिक घोषणा है जो ठेकेदारों या आपूर्तिकर्ताओं को परियोजना के लिए बोली लगाने के लिए आमंत्रित करती है। इसमें कार्य, आवश्यक योग्यताएँ और बोली प्रस्तुत करने की समय सीमा के बारे में विवरण होता है।
  3. 2.3.3 निविदा दस्तावेज़ तैयार करना (Preparation of Tender Document):

    • निविदा दस्तावेज़ में परियोजना के बारे में सभी आवश्यक जानकारी होती है, जैसे:
      • परियोजना का विवरण
      • कार्य का क्षेत्र
      • शर्तें और स्थितियाँ
      • बोली प्रस्तुत करने की समय सीमा
      • तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन मानदंड
  4. 2.3.4 निविदा खोलने की विधि (Method of Opening of Tender):

    • निविदाएँ आमतौर पर एक सार्वजनिक सत्र में खोली जाती हैं जहाँ सभी प्रस्तुत बोलीयों की समीक्षा और खोलने की प्रक्रिया की जाती है। यह चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
  5. 2.3.5 उद्धरण (Quotation):

    • उद्धरण एक दस्तावेज़ है जो आपूर्तिकर्ता या ठेकेदार द्वारा परियोजना के लिए सामग्री, सेवाओं या श्रम की कीमतों को प्रदर्शित करता है।
  6. 2.3.6 उद्धरण प्रारूप (Quotation Format):

    • उद्धरण प्रारूप में सामान्यत: शामिल होता है:
      • आपूर्तिकर्ता/ठेकेदार का विवरण (नाम, पता, और संपर्क जानकारी)
      • सेवाओं/सामग्री का विवरण
      • मात्रा और यूनिट कीमत
      • कुल मूल्य
      • डिलीवरी की शर्तें और समय
  7. 2.3.7 निविदा और उद्धरण के बीच अंतर (Comparison Between Tender and Quotation):

    • निविदा: यह एक औपचारिक प्रक्रिया है जो बड़े परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाती है और इसमें कई निविदादाताओं की आवश्यकता होती है।
    • उद्धरण: यह एक सरल और कम औपचारिक प्रक्रिया है, जो सामान्यत: छोटे कार्यों या जब विशिष्ट आपूर्तिकर्ता के साथ काम किया जा रहा हो, तब उपयोग की जाती है।

2.4 तुलना वक्तव्य (Comparative Statement)

  1. 2.4.1 तुलना वक्तव्य का प्रारूप (Format of Comparative Statement):

    • तुलना वक्तव्य का उपयोग विभिन्न निविदाओं की तुलना करने के लिए किया जाता है। यह मूल्यांकन में मदद करता है कि कौन सी बोली सबसे अच्छा मूल्य प्रदान करती है।
  2. 2.4.2 आदेश प्रारूप (Order Format):

    • आदेश प्रारूप एक दस्तावेज़ है जिसे आपूर्तिकर्ता या ठेकेदार को आदेश देने के लिए जारी किया जाता है। इसमें सामग्रियों या सेवाओं का विवरण, मात्रा, मूल्य, डिलीवरी की शर्तें और भुगतान की शर्तें शामिल होती हैं।
  3. 2.4.3 खरीद आदेश की प्रस्तुति (Placing of Purchasing Order):

    • खरीद आदेश एक औपचारिक अनुरोध होता है जो आपूर्तिकर्ता को सामग्रियाँ या सेवाएँ प्रदान करने के लिए भेजा जाता है।

2.5 कार्यों के निष्पादन के सिद्धांत (Principles of Execution of Works)

  1. 2.5.1 कार्य की योजना, आयोजन और पूरा करना (Planning, Organizing, and Completion of Work):

    • योजना: परियोजना को पूरा करने के लिए विस्तृत रोडमैप विकसित करना जिसमें समयसीमा, संसाधन आवंटन और बजट शामिल होते हैं।
    • आयोजन: यह सुनिश्चित करना कि सभी संसाधन (सामग्री, श्रम, उपकरण) कार्य को सही तरीके से निष्पादित करने के लिए उपलब्ध हों।
    • पूरा करना: कार्य को निर्धारित सीमा, गुणवत्ता मानकों और बजट के भीतर पूरा करना।
  2. 2.5.2 कार्य का बिलिंग (Billing of Work):

    • कार्य बिलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कार्य पूर्ण होने के बाद एक चालान जारी किया जाता है। यह आमतौर पर कार्य के समाप्त चरणों के आधार पर प्रगति भुगतान के रूप में किया जाता है।

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