3. गैर-इलेक्ट्रिक मात्राओं की माप
गैर-इलेक्ट्रिक मात्राओं जैसे तापमान, दबाव, गति, कंपन और प्रवाह की माप विभिन्न औद्योगिक और प्रयोगात्मक अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण है। प्रत्येक प्रकार की माप के लिए विभिन्न उपकरण और सिद्धांत उपयोग किए जाते हैं, जो गैर-इलेक्ट्रिक मात्राओं को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर सकते हैं, ताकि उन्हें आसानी से प्रोसेस और विश्लेषण किया जा सके।
3.1 तापमान माप
तापमान मापना औद्योगिक प्रक्रियाओं, HVAC प्रणालियों और वैज्ञानिक प्रयोगों में महत्वपूर्ण है। तापमान मापने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे RTD, थर्मिस्टर्स और थर्मोकपल्स।
3.1.1 RTD (रेसिस्टेंस टेम्परेचर डिटेक्टर)
- निर्माण: RTD एक रेसिस्टिव तत्व होता है, जो प्रायः प्लेटिनम से बना होता है। यह तत्व सामान्यतः एक पतली तार या एक फिल्म के रूप में होता है और इसे सिरेमिक या कांच के आधार पर रखा जाता है।
- कार्य सिद्धांत: RTDs इस सिद्धांत पर काम करते हैं कि कुछ धातुओं (जैसे प्लेटिनम) का प्रतिरोध तापमान के साथ रैखिक रूप से बढ़ता है। RTD अपने प्रतिरोध में तापमान के साथ परिवर्तन करता है, और यह परिवर्तन मापकर तापमान प्राप्त किया जाता है।
- तकनीकी विनिर्देश:
- सटीकता: उच्च सटीकता, सामान्यतः ±0.1°C से ±0.5°C तक।
- तापमान सीमा: सामान्य RTDs की तापमान सीमा -200°C से 850°C तक होती है।
- प्रतिरोध: प्लेटिनम RTDs के लिए सामान्यतः 0°C पर 100 ओम होता है।
- आवेदन: RTDs का उपयोग उन उद्योगों में किया जाता है, जैसे रासायनिक प्रसंस्करण, तेल और गैस, HVAC, और खाद्य प्रसंस्करण, जहाँ सटीक तापमान मापना महत्वपूर्ण होता है।
3.1.2 थर्मिस्टर्स
- निर्माण: थर्मिस्टर एक प्रकार का रेसिस्टोर है, जिसका प्रतिरोध तापमान के साथ महत्वपूर्ण रूप से बदलता है। यह सिरामिक सामग्री से बना होता है जो तापमान परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होती है।
- कार्य सिद्धांत: थर्मिस्टर का प्रतिरोध NTC (नेगेटिव टेम्परेचर कोएफिशियेंट) थर्मिस्टर के लिए तापमान में वृद्धि के साथ घटता है या PTC (पॉजिटिव टेम्परेचर कोएफिशियेंट) थर्मिस्टर के लिए बढ़ता है।
- तकनीकी विनिर्देश:
- सटीकता: सामान्यतः ±0.5°C से ±2°C तक।
- तापमान सीमा: सामान्यतः -50°C से 150°C तक।
- प्रतिरोध: थर्मिस्टर का प्रतिरोध कई ओम से लेकर कई मेगा ओम तक हो सकता है, यह प्रकार और तापमान पर निर्भर करता है।
- आवेदन: थर्मिस्टर का उपयोग घरेलू उपकरणों (जैसे थर्मोस्टैट्स), ऑटोमोटिव तापमान संवेदकों और बैटरी प्रबंधन प्रणालियों में किया जाता है।
3.1.3 थर्मोकपल
- निर्माण: थर्मोकपल दो असमान धातु की तारों से बना होता है (जैसे तांबा और लोहे या निकल और क्रोमियम)। दोनों तारों के एक छोर पर जोड़ होता है।
- कार्य सिद्धांत: जब दोनों धातुओं का जोड़ गर्म या ठंडा होता है, तो एक वोल्टेज उत्पन्न होता है (सीबेग प्रभाव)। यह वोल्टेज तापमान अंतर के समानुपाती होता है।
- तकनीकी विनिर्देश:
- सटीकता: प्रकार के आधार पर भिन्न होती है; सामान्य सीमा ±1°C से ±5°C तक होती है।
- तापमान सीमा: सामान्यतः -200°C से 2500°C तक होती है, जो धातु जोड़ के प्रकार पर निर्भर करता है।
- वोल्टेज आउटपुट: आउटपुट वोल्टेज सामान्यतः माइक्रोवोल्ट्स में होता है, जो तापमान परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होता है।
- आवेदन: थर्मोकपल्स का उपयोग उच्च तापमान अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे भट्ठी, इंजन और धातु प्रसंस्करण में।
3.2 दबाव माप
दबाव माप विभिन्न उद्योगों जैसे तेल और गैस, रासायनिक प्रसंस्करण और निर्माण में महत्वपूर्ण है। दबाव मापने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे बौर्डन ट्यूब, बेलोव और स्ट्रैन गेज।
3.2.1 बौर्डन ट्यूब
- निर्माण: बौर्डन ट्यूब एक खोखला, घुमावदार ट्यूब होता है, जो सामान्यतः धातु से बना होता है। इसमें एक सिरे को सील किया जाता है और दूसरे सिरे को दबाव स्रोत से जोड़ा जाता है।
- कार्य सिद्धांत: जब दबाव लागू होता है, तो बौर्डन ट्यूब सीधा या विकृत होने की प्रवृत्ति रखता है, और यह यांत्रिक विकृति एक सूचक या डायल तक स्थानांतरित हो जाती है, जो दबाव को सूचित करती है।
- आवेदन: सामान्यतः गैस या तरल दबाव मापने के लिए यांत्रिक दबाव गेज में उपयोग किया जाता है।
3.2.2 बेलोव डाइफ्रैग्म
- निर्माण: बेलोव एक लचीला, ऐकॉर्डियन जैसा ढांचा होता है, जबकि डाइफ्रैग्म एक पतला, लचीला झिल्ली होती है।
- कार्य सिद्धांत: जब बेलोव या डाइफ्रैग्म पर दबाव लागू होता है, तो यह फैलता या विकृत होता है। इस विकृति को मापकर दबाव सूचित किया जाता है।
- आवेदन: दबाव ट्रांसमीटरों, मैनोमीटरों और अन्य दबाव मापने वाले उपकरणों में उपयोग किया जाता है, जहाँ सटीकता के लिए लचीलापन आवश्यक होता है।
3.2.3 स्ट्रैन गेज
- निर्माण: स्ट्रैन गेज एक छोटा विद्युत रेसिस्टोर होता है, जिसका प्रतिरोध उस पर यांत्रिक तनाव लगने पर बदल जाता है।
- कार्य सिद्धांत: जब गेज विकृत होता है (दबाव के कारण तनाव), उसका प्रतिरोध बदलता है। यह परिवर्तन विकृति की मात्रा के अनुपाती होता है और इसे विद्युत रूप से मापा जा सकता है।
- आवेदन: दबाव संवेदकों, लोड कोशिकाओं और अन्य उपकरणों में उपयोग किया जाता है, जहाँ तनाव या दबाव-संवेदनशील विकृति का सटीक माप आवश्यक होता है।
3.3 गति माप
गति मापना मोटरों, टरबाइनों और अन्य मशीनरी में महत्वपूर्ण होता है। गति मापने के लिए विभिन्न प्रकार के टैकोमीटर और सेंसरों का उपयोग किया जाता है।
3.3.1 संपर्क प्रकार और संपर्क रहित प्रकार - DC टैकोमीटर
- संपर्क टैकोमीटर: एक संपर्क टैकोमीटर घूर्णन वस्तु के साथ भौतिक संपर्क का उपयोग करता है (आमतौर पर एक प्रोब या व्हील के माध्यम से) ताकि इसकी गति मापी जा सके।
- संपर्क रहित टैकोमीटर: एक संपर्क रहित टैकोमीटर घूर्णन वस्तु की गति को बिना वस्तु के संपर्क में आए मापता है, जैसे कि अवरक्त प्रकाश या लेजर तकनीक का उपयोग करके।
- कार्य सिद्धांत: दोनों प्रकार गति को मापते हैं, लेकिन संपर्क टैकोमीटर घर्षण या भौतिक जुड़ाव पर निर्भर होते हैं, जबकि संपर्क रहित प्रकार ऑप्टिकल संवेदकों या चुंबकों का उपयोग करते हैं।
- आवेदन: मोटरों, पंखों और टरबाइनों में गति की निगरानी के लिए उपयोग किए जाते हैं।
3.3.2 फोटोइलेक्ट्रिक टैकोमीटर
- निर्माण: एक फोटोइलेक्ट्रिक टैकोमीटर में एक प्रकाश स्रोत (जैसे LED) और एक फोटोडेटेक्टर होता है। यह घूर्णन वस्तु से प्रकाश के परावर्तित होने या अवरोध का उपयोग करके गति मापता है।
- कार्य सिद्धांत: घूर्णन वस्तु, जो एक परावर्तक या अपारदर्शी पैच से चिह्नित होती है, प्रकाश किरण से गुजरती है, जिससे अवरोध या परावर्तन होता है। इन अवरोधों की दर गति से संबंधित होती है।
- आवेदन: मोटरों, औद्योगिक मशीनरी और अनुसंधान अनुप्रयोगों में जहाँ उच्च सटीकता की आवश्यकता होती है।
3.3.3 टूटे हुए रोटर टैकोमीटर जनरेटर
- निर्माण: एक टूटे हुए रोटर टैकोमीटर में एक रोटर होता है, जिसमें कई दांत या स्लॉट होते हैं। एक चुंबकीय क्षेत्र या ऑप्टिकल सेंसर प्रत्येक दांत के गुजरने का पता लगाता है।
- कार्य सिद्धांत: जनरेटर रोटर की गति के समानुपाती एक आवृत्ति उत्पन्न करता है। जितने अधिक दांत या स्लॉट होते हैं, उतने अधिक पल्स उत्पन्न होते हैं, जो गति की सटीक माप में मदद करते हैं।
- आवेदन: टरबाइन, मोटर और इंजन में गति निगरानी के लिए उपयोग किया जाता है।
3.3.4 मैग्नेटिक पिकअप
- निर्माण: एक मैग्नेटिक पिकअप में एक तार का कॉइल और एक चुंबकीय कोर होता है। इसे एक घूर्णन धातु वस्तु के पास रखा जाता है।
- कार्य सिद्धांत: जैसे-जैसे धातु वस्तु घूर्णन करती है, यह चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन उत्पन्न करती है, जो विद्युत संकेत उत्पन्न करती है। संकेत की आवृत्ति घूर्णन गति के समानुपाती होती है।
- आवेदन: ऑटोमोटिव अनुप्रयोगों में इंजन घटकों की गति मापने के लिए सामान्यतः उपयोग किया जाता है।
3.3.5 स्ट्रोबोस्कोप
- निर्माण: एक स्ट्रोबोस्कोप में एक फ्लैशिंग लाइट स्रोत और एक सिंक्रोनाइजेशन तंत्र होता है।
- कार्य सिद्धांत: स्ट्रोबोस्कोप लाइट को एक आवृत्ति पर फ्लैश करता है, जो घूर्णन वस्तु की गति से मेल खाती है। फ्लैश आवृत्ति को समायोजित करके, घूर्णन वस्तु को या तो ठहरता हुआ या धीमी गति में देखा जा सकता है, जिससे इसकी गति निर्धारित की जा सकती है।
- आवेदन: घूर्णन मशीनरी का दृश्य निरीक्षण करने के लिए या छोटे मोटरों और गतिमान भागों की गति मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
3.4 वाइब्रेशन मापना (एक्सेलेरोमीटर द्वारा)
कंपन मापना मशीनरी और संरचनात्मक अखंडता का निदान करने में महत्वपूर्ण होता है। एक्सेलेरोमीटर इस उद्देश्य के लिए सबसे सामान्य उपकरण होते हैं।
3.4.1 LVDT एक्सेलेरोमीटर
- निर्माण: LVDT (लीनियर वैरिएबल डिफरेन्शियल ट्रांसफॉर्मर) एक्सेलेरोमीटर में एक मूविंग कोर और एक कॉइल संरचना होती है, और कोर की गति LVDT द्वारा मापी जाती है।
- कार्य सिद्धांत: जब एक्सेलेरोमीटर उस वस्तु से जुड़ा होता है जिसमें त्वरण होता है, तो कोर चलता है। इस गति से प्रेरित इंडक्टेंस में परिवर्तन होता है, और LVDT इसे विद्युत संकेत में परिवर्तित करता है।
- आवेदन: औद्योगिक अनुप्रयोगों में कंपन, त्वरण और झटके मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
3.4.2 पियेजोइलेक्ट्रिक प्रकार
- निर्माण: एक पियेजोइलेक्ट्रिक एक्सेलेरोमीटर में क्रिस्टल (जैसे क्वार्ट्ज) होते हैं, जो यांत्रिक तनाव के संपर्क में आने पर विद्युत चार्ज उत्पन्न करते हैं।
- कार्य सिद्धांत: जब एक्सेलेरोमीटर में कंपन या त्वरण उत्पन्न होती है, तो पियेजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल विकृत होते हैं, जिससे उत्पन्न होने वाला चार्ज त्वरण के समानुपाती होता है।
- आवेदन: औद्योगिक अनुप्रयोगों में मशीनरी कंपन की निगरानी और दोषों का पता लगाने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
3.5 प्रवाह मापना
प्रवाह मापना जल उपचार, तेल और गैस, और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योगों में आवश्यक है। प्रवाह मापने के लिए विभिन्न तकनीकियों का उपयोग किया जाता है।
3.5.1 इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लोमीटर
- निर्माण: एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लोमीटर चुंबकीय क्षेत्र और इलेक्ट्रोड का उपयोग करके विद्युत प्रवाहकीय तरल पदार्थों के प्रवाह को मापता है।
- कार्य सिद्धांत: जब प्रवाहकीय तरल चुंबकीय क्षेत्र से गुजरता है, तो एक वोल्टेज प्रेरित होता है (फाराडे की धारा विधि के अनुसार)। यह वोल्टेज इलेक्ट्रोड द्वारा मापा जाता है और प्रवाह दर निर्धारित की जाती है।
- आवेदन: जल, सलरी और रसायनों के प्रवाह को मापने के लिए उपयोग किया जाता है, जहां तरल प्रवाहकीय होता है।
3.5.2 टर्बाइन फ्लो मीटर
- निर्माण: एक टर्बाइन फ्लो मीटर में एक रोटर या टर्बाइन पहिया होता है, जो प्रवाह पथ में स्थित होता है। तरल प्रवाह से रोटर घूर्णित होता है।
- कार्य सिद्धांत: टर्बाइन की घूर्णन गति प्रवाह दर के समानुपाती होती है। रोटर की गति को विद्युत संकेत में परिवर्तित किया जाता है, जो प्रवाह दर को सूचित करता है।
- आवेदन: तेल, गैस, और जल उद्योगों में स्वच्छ तरल और गैसों के प्रवाह मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
3.5.3 कर्टीस फ्लो मीटर
- निर्माण: कर्टीस फ्लो मीटर में एक नोजल के पास स्थित पंखे होते हैं।
- कार्य सिद्धांत: जब प्रवाह नोजल से होकर गुजरता है, तो यह पंखे घूर्णित होते हैं, और इस घूर्णन गति को विद्युत संकेत में परिवर्तित किया जाता है।
- आवेदन: गैसों और तरल पदार्थों के प्रवाह मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
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