Introduction to Refrigeration (Unit-I) Notes in Hindi

 

रेफ्रिजरेशन का परिचय (Unit-I)

रेफ्रिजरेशन की परिभाषा

रेफ्रिजरेशन वह प्रक्रिया है जिसमें किसी स्थान, पदार्थ या प्रणाली से गर्मी हटाकर उसका तापमान उसके परिवेश से कम किया जाता है। इसे मुख्य रूप से भोजन संरक्षण, एयर कंडीशनिंग और औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है।

रेफ्रिजरेटिंग इफेक्ट और रेफ्रिजरेशन की इकाई

  • रेफ्रिजरेटिंग इफेक्ट: किसी स्थान या पदार्थ से निकाली गई ऊष्मा की मात्रा, जिससे ठंडा किया जाता है।

  • रेफ्रिजरेशन की इकाई:

    • 1 टन रेफ्रिजरेशन (TR): वह ऊष्मा जो 1 टन (2000 पाउंड या 907 किग्रा) पानी को 24 घंटे में बर्फ में बदलने के लिए आवश्यक होती है।

    • 1 TR = 3.5 kW = 210 kJ/min

प्रदर्शन गुणांक (Coefficient of Performance - COP)

COP किसी रेफ्रिजरेशन प्रणाली की दक्षता को दर्शाता है और इसे निम्नलिखित सूत्र से निकाला जाता है:

COP=रेफ्रिजरेटिंग इफेक्टकार्य इनपुटCOP = \frac{\text{रेफ्रिजरेटिंग इफेक्ट}}{\text{कार्य इनपुट}}

COP जितना अधिक होगा, सिस्टम उतना ही अधिक कुशल होगा।


रेफ्रिजरेशन के प्रकार

  1. बर्फ रेफ्रिजरेशन: प्राकृतिक या कृत्रिम बर्फ का उपयोग ठंडा करने के लिए किया जाता है (प्राचीन समय में उपयोग किया जाता था)।

  2. ड्राई आइस रेफ्रिजरेशन: ठोस CO₂ (ड्राई आइस) का उपयोग किया जाता है, जो -78.5°C पर सीधे गैस में बदलकर ऊष्मा को अवशोषित करता है।

  3. स्टीम जेट रेफ्रिजरेशन: भाप इंजेक्टर का उपयोग करके वैक्यूम बनाया जाता है और पानी को तेजी से वाष्पित कर ठंडा किया जाता है।

  4. थ्रॉटलिंग रेफ्रिजरेशन: उच्च-दबाव वाली गैसों के विस्तार द्वारा तापमान को कम किया जाता है (जूल-थॉमसन प्रभाव)।

  5. लिक्विड नाइट्रोजन रेफ्रिजरेशन: लिक्विड नाइट्रोजन (-196°C) का उपयोग मेडिकल और औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।


कार्नोट रेफ्रिजरेशन साइकल (केवल परिचय)

  • यह एक आदर्श (Ideal) रेफ्रिजरेशन चक्र है, जो अधिकतम दक्षता प्रदान करता है।

  • इसमें चार पलटने योग्य (Reversible) प्रक्रियाएँ होती हैं:

    1. समतापीय ऊष्मा अवशोषण (निम्न तापमान पर)

    2. एडियाबेटिक संपीड़न (Adiabatic Compression)

    3. समतापीय ऊष्मा निष्कासन (उच्च तापमान पर)

    4. एडियाबेटिक प्रसार (Adiabatic Expansion)

  • यह एक आदर्श मॉडल है, जिसे वास्तविक प्रणालियों की तुलना के लिए उपयोग किया जाता है।


वायु रेफ्रिजरेशन – बेल-कोलमैन चक्र

  • इसे रिवर्स ब्रेटन चक्र भी कहा जाता है, जो मुख्य रूप से विमानों के एयर कंडीशनिंग में उपयोग किया जाता है।

  • इस प्रणाली में कार्यशील द्रव (Working Fluid) के रूप में वायु का उपयोग किया जाता है।

  • इस चक्र में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ होती हैं:

    1. संपीड़न (Compression) – वायु का तापमान और दबाव बढ़ता है।

    2. शीतलन (Cooling) – गर्मी का निष्कासन किया जाता है।

    3. प्रसार (Expansion) – तापमान और दबाव कम किया जाता है।

    4. ऊष्मा अवशोषण (Heat Absorption) – वायु परिवेश से ऊष्मा अवशोषित करता है।

वायु रेफ्रिजरेशन के लाभ और हानि

लाभ:

  • हल्का और सरल (मुख्य रूप से विमानों के लिए उपयुक्त)।

  • इसमें कोई अवस्था परिवर्तन (Phase Change) नहीं होता, जिससे सिस्टम सरल बनता है।

हानि:

  • वाष्प संपीड़न प्रणाली (Vapor Compression System) की तुलना में कम दक्षता

  • इसमें बड़े संपीड़न और प्रसार उपकरणों की आवश्यकता होती है।


सरल संख्यात्मक समस्याएँ (Simple Problems)

इस टॉपिक में मुख्य रूप से COP, रेफ्रिजरेटिंग इफेक्ट और कार्य इनपुट की गणना से संबंधित समस्याएँ हल की जाती हैं।

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