ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग
UNIT-I: ऑटोमोबाइल का परिचय
ऑटोमोबाइल एक स्व-चालित वाहन होता है जो परिवहन के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें विभिन्न यांत्रिक और विद्युत घटक होते हैं जो मिलकर वाहन को गति प्रदान करते हैं और इसके सुचारू संचालन को सुनिश्चित करते हैं।
1.1 ऑटोमोबाइल का वर्गीकरण
ऑटोमोबाइल को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
(a) ईंधन के प्रकार के आधार पर
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पेट्रोल वाहन – पेट्रोल इंजन से चलते हैं (जैसे कार, बाइक)।
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डीजल वाहन – डीजल इंजन का उपयोग करते हैं (जैसे ट्रक, बस)।
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इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) – बैटरी से चलते हैं (जैसे टेस्ला, इलेक्ट्रिक स्कूटर)।
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हाइब्रिड वाहन – पेट्रोल/डीजल और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों का उपयोग करते हैं (जैसे टोयोटा प्रिअस)।
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CNG/LPG वाहन – संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) या तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) पर चलते हैं।
(b) उद्देश्य के आधार पर
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यात्री वाहन – व्यक्तिगत परिवहन के लिए (जैसे कार, बस, SUV)।
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व्यावसायिक वाहन – माल और यात्रियों के व्यावसायिक परिवहन के लिए (जैसे ट्रक, वैन, टैक्सी)।
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दो-पहिया और तीन-पहिया वाहन – बाइक, स्कूटर, ऑटो-रिक्शा।
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विशेष उद्देश्य वाहन – एंबुलेंस, फायर ट्रक, सैन्य वाहन।
(c) ड्राइव कॉन्फ़िगरेशन के आधार पर
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फ्रंट-व्हील ड्राइव (FWD) – शक्ति केवल आगे के पहियों को दी जाती है।
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रियर-व्हील ड्राइव (RWD) – शक्ति केवल पीछे के पहियों को दी जाती है।
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ऑल-व्हील ड्राइव (AWD) या फोर-व्हील ड्राइव (4WD) – शक्ति सभी चार पहियों को दी जाती है।
1.2 चेसिस और बॉडी
(a) चेसिस (Chassis)
चेसिस वाहन की मुख्य संरचना होती है, जो इंजन, ट्रांसमिशन, पहिए और सस्पेंशन जैसी प्रमुख इकाइयों को जोड़ती और सहारा देती है।
चेसिस फ्रेम के प्रकार
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लैडर फ्रेम – ट्रकों और SUV में उपयोग किया जाता है, मजबूत लेकिन भारी होता है।
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मोनोकोक फ्रेम – आधुनिक कारों में उपयोग किया जाता है, हल्का और सुरक्षित होता है।
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बैकबोन फ्रेम – कुछ स्पोर्ट्स कारों में उपयोग किया जाता है, जिसमें केंद्रीय ट्यूबलर संरचना होती है।
(b) बॉडी (Body)
वाहन की बॉडी चेसिस पर लगाई जाती है और यह सुरक्षा, वायुगतिकीय (Aerodynamics) और सौंदर्यशास्त्र प्रदान करती है।
कार बॉडी के प्रकार
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सेडान – चार दरवाजों वाली कार जिसमें अलग ट्रंक होता है (जैसे होंडा सिटी)।
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हैचबैक – छोटी कार जिसमें पीछे दरवाजा होता है (जैसे मारुति स्विफ्ट)।
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SUV (स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन) – बड़ी, ऊँची ग्राउंड क्लीयरेंस वाली कार (जैसे टोयोटा फॉर्च्यूनर)।
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कन्वर्टिबल – एक कार जिसमें छत हटाने योग्य होती है (जैसे मर्सिडीज-बेंज कैब्रियोलेट)।
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कूपे – दो-दरवाजों वाली स्पोर्टी कार (जैसे BMW M4)।
1.3 वाहन के प्रमुख घटक
(a) पावर यूनिट (इंजन)
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इंजन ईंधन को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
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इंजन के प्रकार: पेट्रोल, डीजल, इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड।
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कॉन्फ़िगरेशन: इनलाइन, वी-टाइप, बॉक्सर।
(b) ट्रांसमिशन सिस्टम (Transmission System)
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इंजन से पहियों तक शक्ति पहुँचाता है।
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प्रकार: मैन्युअल, ऑटोमैटिक, CVT (कंटीन्यूअस वेरिएबल ट्रांसमिशन)।
(c) सस्पेंशन सिस्टम
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झटकों को अवशोषित करता है और आरामदायक सवारी सुनिश्चित करता है।
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प्रकार: स्वतंत्र और गैर-स्वतंत्र सस्पेंशन।
(d) ब्रेकिंग सिस्टम
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वाहन को धीमा या रोकने के लिए उपयोग किया जाता है।
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प्रकार: ड्रम ब्रेक, डिस्क ब्रेक, ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम)।
(e) स्टीयरिंग सिस्टम
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वाहन की दिशा को नियंत्रित करता है।
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प्रकार: मैन्युअल स्टीयरिंग, पावर स्टीयरिंग।
(f) विद्युत प्रणाली (Electrical System)
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इसमें बैटरी, अल्टरनेटर, लाइट्स, सेंसर और ECU (इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट) शामिल होते हैं।
(g) ईंधन प्रणाली (Fuel System)
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ईंधन को संग्रहित और इंजन तक पहुँचाने का कार्य करता है।
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घटक: फ्यूल टैंक, फ्यूल पंप, कार्बोरेटर (पेट्रोल इंजन के लिए), फ्यूल इंजेक्टर।
1.4 पारंपरिक वाहन का लेआउट (फ्रंट इंजन रियर-व्हील ड्राइव लेआउट)
फ्रंट-इंजन रियर-व्हील ड्राइव (FR) लेआउट ट्रकों और स्पोर्ट्स कारों में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
विशेषताएँ
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इंजन सामने स्थित होता है।
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शक्ति ड्राइवशाफ्ट के माध्यम से पीछे के पहियों को दी जाती है।
फायदे
✔️ वजन का अच्छा संतुलन होता है।
✔️ भारी भार के लिए बेहतर ट्रैक्शन।
✔️ बेहतर हैंडलिंग और संतुलन।
नुकसान
❌ अतिरिक्त घटकों (ड्राइवशाफ्ट, डिफरेंशियल) के कारण भारी होता है।
❌ फ्रंट-व्हील ड्राइव (FWD) की तुलना में कम ईंधन दक्षता।
1.5 वाहन के आयाम (Vehicle Dimensions)
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कुल लंबाई – सामने के बम्पर से पीछे के बम्पर तक की दूरी।
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कुल चौड़ाई – सबसे चौड़ा भाग, जिसमें साइड मिरर भी शामिल होते हैं।
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कुल ऊँचाई – जमीन से वाहन की छत तक की ऊँचाई।
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व्हीलबेस – सामने और पीछे के पहियों के बीच की दूरी।
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ट्रैक चौड़ाई – बाएँ और दाएँ पहियों के बीच की दूरी।
1.6 न्यूनतम ग्राउंड क्लीयरेंस (Minimum Ground Clearance)
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यह वाहन के सबसे निचले भाग और सड़क के बीच की दूरी होती है।
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उच्च ग्राउंड क्लीयरेंस SUV और ऑफ-रोड वाहनों के लिए उपयुक्त होती है।
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कम ग्राउंड क्लीयरेंस स्पोर्ट्स कारों में स्थिरता और वायुगतिकी में सुधार करता है।
1.7 न्यूनतम टर्निंग रेडियस (Minimum Turning Radius)
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यह वाहन के द्वारा लिया जाने वाला सबसे छोटा गोलाकार मोड़ होता है।
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कम टर्निंग रेडियस से शहर में ड्राइविंग और पार्किंग आसान होती है।
निष्कर्ष
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ऑटोमोबाइल विभिन्न ईंधन, उद्देश्य और ड्राइव कॉन्फ़िगरेशन के आधार पर वर्गीकृत होते हैं।
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चेसिस और बॉडी वाहन की संरचना और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
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वाहन के आयाम, ग्राउंड क्लीयरेंस और टर्निंग रेडियस प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।
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