UNIT 3: Wind Energy in Hindi

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यूनिट 3: पवन ऊर्जा (Wind Energy)

पवन ऊर्जा एक महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो हवा की गति का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करती है। इस यूनिट में हम पवन ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं को समझेंगे, जिसमें पवन डेटा और ऊर्जा अनुमान, पवन ऊर्जा प्रणालियों के प्रकार, प्रदर्शन मूल्यांकन, पवन टर्बाइन जनरेटर के विवरण, स्थल चयन और सुरक्षा और पर्यावरणीय पहलू शामिल हैं।


3.1 पवन डेटा और ऊर्जा अनुमान (Wind Data and Energy Estimation)

पवन ऊर्जा का प्रभावी उपयोग करने के लिए पवन के गुणों और उसकी ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता को समझना आवश्यक है। पवन डेटा में पवन की गति, दिशा और उसकी निरंतरता शामिल होती है।

  • पवन गति: यह पवन ऊर्जा उत्पन्न करने में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। पवन टर्बाइन को बिजली उत्पन्न करने के लिए एक न्यूनतम पवन गति की आवश्यकता होती है। पवन टर्बाइन द्वारा उत्पन्न ऊर्जा पवन गति के घनफल (cube) के समानुपाती होती है (अर्थात PV3P \propto V^3), इसका मतलब है कि पवन गति में थोड़ी वृद्धि भी बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है।

  • पवन डेटा संग्रहण: पवन गति और दिशा को मापने के लिए निम्नलिखित यंत्रों का उपयोग किया जाता है:

    • एनेमोमीटर (Anemometer): पवन गति मापने के लिए।
    • पवन वायन (Wind Vane): पवन की दिशा मापने के लिए।
  • ऊर्जा अनुमान:

    • पवन ऊर्जा का अनुमान पवन शक्ति घनत्व (wind power density) से लगाया जाता है, जो इस प्रकार है: P=12ρAv3P = \frac{1}{2} \rho A v^3 जहाँ:
      • PP = शक्ति (वॉट्स में)
      • ρ\rho = वायु घनत्व (सामान्य रूप से समुद्र स्तर पर 1.225 किलोग्राम/मी³)
      • AA = टर्बाइन ब्लेड द्वारा साफ़ किया गया क्षेत्र (मी²)
      • vv = पवन की गति (मी/सेकंड)
  • क्षमता गुणांक (Capacity Factor): यह पवन टर्बाइन द्वारा उत्पन्न वास्तविक ऊर्जा और पूर्ण क्षमता पर उत्पन्न ऊर्जा के अनुपात के रूप में मापा जाता है। उच्च क्षमता गुणांक टर्बाइन के अच्छे प्रदर्शन और उच्च ऊर्जा उत्पादन को दिखाता है।


3.2 पवन ऊर्जा प्रणालियों के प्रकार (Types of Wind Energy Systems)

पवन ऊर्जा प्रणालियाँ दो मुख्य प्रकारों में विभाजित की जा सकती हैं, जो उनकी कार्यप्रणाली और आकार पर निर्भर करते हैं:

  • ऑनशोर पवन ऊर्जा प्रणालियाँ:

    • ये भूमि पर स्थापित की जाती हैं, सामान्यत: ग्रामीण या तटीय क्षेत्रों में जहां पवन गति अधिक और निरंतर होती है।
    • आमतौर पर बड़े टर्बाइन (1-3 मेगावाट या अधिक क्षमता वाले) बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • ऑफशोर पवन ऊर्जा प्रणालियाँ:

    • ये पानी के निकायों, विशेष रूप से समुद्र में स्थापित की जाती हैं, जहाँ पवन गति अधिक स्थिर होती है।
    • ऑफशोर पवन फार्मों में आमतौर पर बड़े और महंगे टर्बाइन होते हैं क्योंकि इनकी स्थापना और रखरखाव के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है।
  • क्षैतिज अक्ष पवन टर्बाइन (Horizontal Axis Wind Turbines - HAWTs):

    • ये पवन टर्बाइन सबसे सामान्य होते हैं, जिसमें ब्लेड क्षैतिज अक्ष के चारों ओर घूूमते हैं (जैसे पंखा या प्रोपेलर)।
    • ये बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन के लिए होते हैं और खुले क्षेत्रों या ऑफशोर पर स्थापित किए जाते हैं।
  • लंबवत अक्ष पवन टर्बाइन (Vertical Axis Wind Turbines - VAWTs):

    • इन टर्बाइनों में लंबवत अक्ष होता है। ये कम सामान्य होते हैं लेकिन रखरखाव में सरल होते हैं और शहरी क्षेत्रों में उपयोग किए जा सकते हैं।
    • ये किसी भी दिशा से आने वाली पवन को पकड़ सकते हैं, जिससे यह अनियमित पवन दिशा वाले स्थानों के लिए उपयुक्त होते हैं।

3.3 प्रदर्शन; स्थल चयन (Performance; Site Selection)

पवन ऊर्जा प्रणाली का प्रदर्शन कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें पवन गति, पवन की निरंतरता, और टर्बाइन की दक्षता शामिल है।

  • प्रदर्शन कारक:

    • पवन गति: उच्च पवन गति अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होती है। सामान्यत: पवन गति 5 मी/सेकंड से 25 मी/सेकंड के बीच आदर्श मानी जाती है।
    • टर्बाइन दक्षता: यह टर्बाइन के डिजाइन और स्थापना स्थल की स्थितियों (जैसे पवन अशांति, वायु घनत्व) पर निर्भर करती है।
    • क्षमता गुणांक: यह प्रणाली की दक्षता को मापने का एक तरीका है। उच्च क्षमता गुणांक उच्च प्रदर्शन को दर्शाता है।
  • स्थल चयन:

    • पवन संसाधन: पवन ऊर्जा प्रणालियों के लिए आदर्श स्थल वे होते हैं जहां पवन लगातार और तेज़ हो। ये तटीय क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्रों और खुले मैदान हो सकते हैं।
    • भूमि उपलब्धता: ऑनशोर पवन फार्मों के लिए बड़ी भूमि की आवश्यकता होती है, जबकि ऑफशोर पवन फार्मों के लिए जल क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
    • पारिस्थितिकीय और सामाजिक विचार: स्थल चयन के दौरान स्थानीय वन्यजीवों, शोर प्रदूषण और समुदाय की स्वीकृति पर भी ध्यान देना पड़ता है।

3.4 पवन टर्बाइन जनरेटर का विवरण (Details of Wind Turbine Generator)

पवन टर्बाइन पवन की गति को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने के बाद उसे बिजली में बदलने के लिए जनरेटर का उपयोग करता है। एक सामान्य पवन टर्बाइन में कई प्रमुख घटक होते हैं:

  • ब्लेड्स: ये बड़े ब्लेड होते हैं जो पवन की ऊर्जा को पकड़ते हैं और रोटर को घुमाने के लिए प्रेरित करते हैं। ब्लेड का डिज़ाइन और सामग्री टर्बाइन की दक्षता को प्रभावित करती है।

  • रोटर: रोटर पवन टर्बाइन का वह हिस्सा है जिसमें ब्लेड होते हैं। यह पवन की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है।

  • नेसेल: यह टर्बाइन के शीर्ष पर स्थित संरचना है जिसमें गियरबॉक्स, जनरेटर और अन्य यांत्रिक घटक होते हैं।

  • गियरबॉक्स: यह रोटर के घुमाव के वेग को बढ़ाता है ताकि जनरेटर अधिक दक्षता से काम कर सके।

  • जनरेटर: यह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। यह एक मोटर की तरह काम करता है, लेकिन इसके उलट दिशा में।

  • टावर: टावर वह ऊँचा ढांचा है जो नेसेल और रोटर को समर्थन देता है। यह टर्बाइन को उच्च पवन गति वाली ऊँचाई तक पहुँचाने के लिए डिज़ाइन किया गया होता है।

  • नियंत्रण प्रणाली: आधुनिक पवन टर्बाइन में नियंत्रण प्रणाली होती है जो ब्लेड की पिच को समायोजित करती है, पवन गति की निगरानी करती है और प्रदर्शन को अधिकतम करने के लिए ऑप्टिमाइज़ करती है।

आरेख: एक पवन टर्बाइन का संरचनात्मक आरेख जिसमें मुख्य घटक (ब्लेड, रोटर, गियरबॉक्स, जनरेटर, टावर) दिखाए गए हों।


3.5 सुरक्षा और पर्यावरणीय पहलू (Safety and Environmental Aspects)

पवन ऊर्जा को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है, लेकिन इसके साथ कुछ सुरक्षा और पर्यावरणीय विचार भी जुड़ी होती हैं।

  • सुरक्षा पहलू:

    • कार्यकर्ता सुरक्षा: पवन टर्बाइन की स्थापना और रखरखाव बड़े ऊँचाई पर किया जाता है, इसलिए सुरक्षा मानकों का पालन करना आवश्यक होता है।
    • टर्बाइन विफलता: हालांकि यह दुर्लभ है, टर्बाइन ब्लेड विफल हो सकते हैं। सुरक्षा तंत्र जैसे ब्लेड पिच नियंत्रण और आपातकालीन ब्रेकिंग सिस्टम इन समस्याओं से बचाव करते हैं।
    • बिजली सुरक्षा: पवन टर्बाइन से उत्पन्न बिजली उच्च वोल्टेज में होती है, इसलिए विद्युत सुरक्षा मानकों का पालन करना आवश्यक है।
  • पर्यावरणीय पहलू:

    • पक्षी और चमगादड़ मृत्यू: पवन टर्बाइन, विशेष रूप से बड़े टर्बाइन, पक्षियों और चमगादड़ों के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं। इसके लिए साइट चयन और टर्बाइन डिज़ाइन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
    • शोर प्रदूषण: पवन टर्बाइन शोर उत्पन्न करते हैं, जो आसपास के निवासियों और वन्यजीवों के लिए परेशान हो सकता है। शोर में कमी के लिए नई तकनीकें और उचित स्थल चयन किया जाता है।
    • दृश्य प्रभाव: पवन फार्म भूमि या तटीय क्षेत्रों में स्थापित किए जाते हैं, जिनसे दृश्य प्रभाव हो सकता है। इस कारण से सार्वजनिक परामर्श और सावधानीपूर्वक योजना बनानी पड़ती है।

उदाहरण: पवन फार्मों को पक्षियों के मार्गों से दूर स्थापित करने के लिए किए गए अध्ययन, ताकि पक्षी मृत्यू से बच सकें।


निष्कर्ष

पवन ऊर्जा एक महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ता हुआ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन डेटा को समझकर, सही स्थल का चयन करके और टर्बाइन के प्रदर्शन को अनुकूलित करके पवन ऊर्जा का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, सुरक्षा मानकों और पर्यावरणीय प्रभावों का ध्यान रखना भी जरूरी है ताकि हम पवन ऊर्जा का पूरा लाभ उठा सकें।

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