UNIT 5: अन्य गुणवत्ता आश्वासन (Other Quality Assurance)

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UNIT 5: अन्य गुणवत्ता आश्वासन (Other Quality Assurance)

इस यूनिट में हम सॉफ़्टवेयर गुणवत्ता आश्वासन (QA) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानेंगे। इनमें गुणवत्ता और दोष प्रबंधन, गुणवत्ता उपकरण, परिवर्तन प्रबंधन, और संस्करण नियंत्रण शामिल हैं। ये सभी प्रक्रियाएँ सॉफ़्टवेयर विकास जीवनचक्र (SDLC) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले सॉफ़्टवेयर की डिलीवरी सुनिश्चित की जा सके।


5.1 गुणवत्ता और दोष प्रबंधन - कोड समीक्षा (Quality and Defect Management - Code Reviews)

गुणवत्ता प्रबंधन सॉफ़्टवेयर विकास में यह सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है कि सॉफ़्टवेयर प्रोडक्ट उच्च गुणवत्ता का हो। दोष प्रबंधन का उद्देश्य यह है कि सॉफ़्टवेयर में पाए गए दोषों को ठीक किया जाए। कोड समीक्षा एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें कोड की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सहकर्मी (peer) द्वारा कोड की जाँच की जाती है।

कोड समीक्षा (Code Review):

कोड समीक्षा एक प्रक्रिया है जिसमें एक या एक से अधिक डेवलपर्स द्वारा लिखा गया कोड अन्य डेवलपर्स या टीम के सदस्य द्वारा समीक्षा किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य कोड की गुणवत्ता, बग्स, और संभावित सुधारों की पहचान करना है।

कोड समीक्षा के लाभ:

  • कुशलता में सुधार: सहकर्मी समीक्षाओं से कोड की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • दोषों की शीघ्र पहचान: कोड में पाए जाने वाले दोषों को जल्दी ही पहचाना जा सकता है।
  • ज्ञान साझा करना: डेवलपर्स के बीच अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान होता है।

कोड समीक्षा की प्रक्रिया:

  1. कोड को रिव्यू के लिए तैयार करें।
  2. रिव्यूअर कोड का अवलोकन करता है और उसमें सुधार के सुझाव देता है।
  3. यदि कोई दोष या बग मिलता है, तो उसे सही किया जाता है।
  4. रिव्यू के बाद, कोड को मुख्य कोडबेस में मर्ज किया जाता है।

उदाहरण:

  • मान लीजिए, एक डेवलपर ने एक फ़ंक्शन लिखा जो किसी यूज़र को लॉगिन करता है। दूसरे डेवलपर ने कोड की समीक्षा की और पाया कि वह फ़ंक्शन SQL इन्जेक्शन के लिए संवेदनशील हो सकता है। तो, उसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से सुधारने के लिए सलाह दी जाती है।

5.2 गुणवत्ता उपकरण (Quality Tools)

गुणवत्ता आश्वासन के लिए कई उपकरण उपलब्ध हैं जो परीक्षण, स्वचालन, निगरानी और प्रबंधन में मदद करते हैं। ये उपकरण सॉफ़्टवेयर गुणवत्ता प्रक्रिया को सुसंगत, सटीक, और तेज बनाते हैं।

प्रमुख गुणवत्ता उपकरण:

  1. JIRA: यह एक लोकप्रिय बग ट्रैकिंग और परियोजना प्रबंधन उपकरण है। JIRA का उपयोग टीमों द्वारा बग्स, स्टोरीज, और टास्क को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

    • उदाहरण: JIRA का उपयोग करके एक डेवलपर बग को रिपोर्ट करता है और एक टेस्टिंग टीम उसे ट्रैक करके ठीक करती है।
  2. SonarQube: यह एक कोड गुणवत्ता निगरानी उपकरण है, जो कोड में बग्स, सुरक्षा दोष, और गुणवत्ता समस्याओं की पहचान करता है।

    • उदाहरण: SonarQube की मदद से आप कोड की समीक्षा कर सकते हैं और देख सकते हैं कि कौन सा कोड खराब है या ऑप्टिमाइजेशन की आवश्यकता है।
  3. Jenkins: यह एक ऑटोमेशन सर्वर है जिसका उपयोग निरंतर इंटीग्रेशन (CI) और निरंतर डिलीवरी (CD) के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य कोड चेंजेस को लगातार टेस्ट और डिप्लॉय करना है।

    • उदाहरण: Jenkins का उपयोग करके परीक्षण स्क्रिप्ट्स को स्वचालित रूप से चलाया जा सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर कोड चेंज के बाद सॉफ़्टवेयर गुणवत्ता बनी रहे।
  4. TestNG / JUnit: ये परीक्षण फ्रेमवर्क हैं जो टेस्ट केसों को व्यवस्थित करने और स्वचालित परीक्षणों को चलाने में मदद करते हैं।

    • उदाहरण: TestNG का उपयोग करके आप अपनी टेस्ट स्क्रिप्ट्स को स्वचालित रूप से चलाकर परीक्षण परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
  5. LoadRunner: यह एक प्रदर्शन परीक्षण उपकरण है जिसका उपयोग उच्च ट्रैफिक स्थिति में सॉफ़्टवेयर के प्रदर्शन को मापने के लिए किया जाता है।

    • उदाहरण: LoadRunner का उपयोग करके आप यह देख सकते हैं कि आपकी वेबसाइट कितनी संख्या में उपयोगकर्ताओं को संभाल सकती है।

5.3 परिवर्तन प्रबंधन (Change Management)

परिवर्तन प्रबंधन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी सॉफ़्टवेयर परियोजना के भीतर किए गए बदलावों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन और निगरानी की जाती है। यह बदलाव विकास, डिज़ाइन, टेस्टिंग, या किसी अन्य चरण से संबंधित हो सकता है।

परिवर्तन प्रबंधन की प्रक्रिया:

  1. बदलाव का अनुरोध: किसी भी बदलाव के लिए एक आधिकारिक अनुरोध किया जाता है, जिसे Change Request कहा जाता है।
  2. मूल्यांकन: यह मूल्यांकन किया जाता है कि बदलाव परियोजना के लक्ष्यों, समय सीमा, और बजट पर क्या प्रभाव डालेगा।
  3. अनुमोदन और प्राथमिकता: अनुमोदन के बाद, बदलाव को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाता है।
  4. प्रभाव और निगरानी: बदलाव के बाद, यह सुनिश्चित किया जाता है कि परिवर्तन का प्रभाव सभी संबंधित हिस्सों पर ठीक से लागू हुआ है।
  5. बदलाव का मूल्यांकन: अंत में, यह मूल्यांकन किया जाता है कि किया गया बदलाव अपेक्षित परिणामों को प्राप्त करता है या नहीं।

उदाहरण:

  • यदि किसी सॉफ़्टवेयर में एक नया फीचर जोड़ने की आवश्यकता है, तो एक परिवर्तन अनुरोध प्रस्तुत किया जाएगा, जो विकास टीम द्वारा समीक्षा और अनुमोदन के बाद कार्यान्वित किया जाएगा।

5.4 संस्करण नियंत्रण (Version Control)

संस्करण नियंत्रण (Version Control) वह प्रक्रिया है जिसका उपयोग कोड और दस्तावेजों के विभिन्न संस्करणों को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। यह एक प्रणाली है जो यह ट्रैक करती है कि किसने क्या बदलाव किया है और कब किया है।

संस्करण नियंत्रण के प्रकार:

  1. स्थानीय संस्करण नियंत्रण (Local Version Control): इस पद्धति में, उपयोगकर्ता अपने स्थानीय सिस्टम पर कोड के विभिन्न संस्करणों को संभालता है। उदाहरण के लिए, RCS (Revision Control System)

  2. केंद्रीय संस्करण नियंत्रण (Centralized Version Control): इस पद्धति में, कोड का एक केंद्रीय भंडारण स्थल होता है। उपयोगकर्ता अपने काम को उसी केंद्रीय भंडारण से अपडेट और प्राप्त करते हैं। उदाहरण: CVS (Concurrent Versions System) और Subversion (SVN)

  3. वितरित संस्करण नियंत्रण (Distributed Version Control): इसमें हर उपयोगकर्ता के पास पूरी कोडबेस की एक पूर्ण प्रति होती है, जिससे वे स्थानीय रूप से भी काम कर सकते हैं और बाद में केंद्रीय रिपोजिटरी में परिवर्तनों को मर्ज कर सकते हैं। उदाहरण: Git और Mercurial

Git का उपयोग:

  • Git सबसे लोकप्रिय संस्करण नियंत्रण प्रणाली है जो वितरित संस्करण नियंत्रण पर आधारित है।
  • GitHub और GitLab जैसी सेवाएँ Git रिपोजिटरी को ऑनलाइन होस्ट करने के लिए उपयोग की जाती हैं।

Git का उदाहरण:

  • Git init: एक नया Git रिपोजिटरी बनाना।
  • Git add: फाइलों को स्टेज करना।
  • Git commit: परिवर्तनों को स्थानीय रिपोजिटरी में सहेजना।
  • Git push: परिवर्तनों को केंद्रीय रिपोजिटरी में भेजना।
  • Git pull: केंद्रीय रिपोजिटरी से परिवर्तनों को प्राप्त करना।

सारांश:

  1. गुणवत्ता और दोष प्रबंधन: कोड समीक्षा एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिससे कोड की गुणवत्ता को बढ़ाया जाता है और दोषों की पहचान की जाती है।
  2. गुणवत्ता उपकरण: विभिन्न उपकरणों जैसे JIRA, SonarQube, Jenkins आदि का उपयोग सॉफ़्टवेयर गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
  3. परिवर्तन प्रबंधन: यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सभी बदलाव सही ढंग से प्रबंधित और लागू किए जाएं।
  4. संस्करण नियंत्रण: संस्करण नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि सॉफ़्टवेयर कोड के सभी संस्करण सही तरीके से ट्रैक किए जाएं, ताकि टीम के सदस्य एक साथ काम कर सकें।

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