UNIT 1: ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

 

1.1 ऑपरेटिंग सिस्टम का अवलोकन (Overview of Operating System)

ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) एक ऐसा सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ता (User) और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच एक मध्यस्थ की तरह कार्य करता है। यह विभिन्न संसाधनों जैसे CPU, मेमोरी, फाइल्स और इनपुट/आउटपुट डिवाइसेज़ को मैनेज करता है।

🔹 ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य:

  • प्रोसेस मैनेजमेंट: एक से अधिक प्रोग्राम्स को एक साथ रन करने की क्षमता देता है।

  • मेमोरी मैनेजमेंट: RAM का कुशलता से इस्तेमाल।

  • फाइल सिस्टम मैनेजमेंट: डाटा को व्यवस्थित रूप से स्टोर और एक्सेस करने की सुविधा।

  • डिवाइस मैनेजमेंट: प्रिंटर, माउस, कीबोर्ड जैसे डिवाइस से इंटरफेस।

  • यूज़र इंटरफेस: GUI या CLI के ज़रिए यूज़र से इंटरएक्ट करना।

🔹 OS के प्रकार:

  • Single User OS – DOS

  • Multi User OS – UNIX, Linux

  • Real-time OS – RTOS (मशीनों, रोबोटिक्स में)

  • Embedded OS – माइक्रोकंट्रोलर में


1.2 मूल अवधारणाएं (Basic Concepts)

1. Process:

एक रन हो रहा प्रोग्राम। इसमें कोड, डेटा, और प्रोसेसर टाइम होता है। प्रत्येक प्रोसेस का एक यूनिक ID होता है।

2. Thread:

प्रोसेस का हल्का वजन वाला उपभाग। मल्टीथ्रेडिंग के माध्यम से एक ही प्रोसेस के अंदर कई कार्य एक साथ हो सकते हैं।

3. Multitasking:

एक समय में कई प्रोग्राम्स को रन कर पाना। उदाहरण: एक साथ म्यूजिक चलाना, ब्राउज़र खोलना और डॉक्युमेंट एडिट करना।

4. Multiprogramming:

RAM में एक समय में कई प्रोग्राम्स को लोड रखना ताकि CPU फालतू न बैठे।

5. Time Sharing:

CPU का समय कई यूज़र्स के बीच बाँटना जिससे सबको responsive environment मिले।


1.3 UNIX/LINUX आर्किटेक्चर (UNIX/Linux Architecture)

UNIX/Linux ऑपरेटिंग सिस्टम की संरचना 4 परतों में होती है:

🔹 1. Hardware (हार्डवेयर):

सभी भौतिक घटक - CPU, RAM, हार्ड डिस्क, आदि।

🔹 2. Kernel (कर्नल):

OS का कोर हिस्सा जो सभी रिसोर्स को मैनेज करता है, जैसे प्रोसेस, मेमोरी और डिवाइस।

🔹 3. Shell (शेल):

यह एक कमांड लाइन इंटरफेस है, जो यूज़र से कमांड लेकर कर्नल को पास करता है।

🔹 4. System Utilities (सिस्टम प्रोग्राम्स):

फ़ाइल मैनेजर, एडिटर्स, कंपाइलर्स आदि – जो यूज़र को कार्य करने में सहायता करते हैं।


1.4 कर्नल (Kernel)

कर्नल OS का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संवाद करवाता है।

🔹 मुख्य कार्य:

  • प्रोसेस कंट्रोल: कौन-सा प्रोसेस कब चलेगा?

  • मेमोरी कंट्रोल: कितनी RAM किसे दी जाए?

  • डिवाइस कंट्रोल: प्रिंटर, माउस आदि का प्रबंधन।

  • सिस्टम कॉल मैनेजमेंट: एप्लिकेशन और OS के बीच इंटरफेस।

🔹 कर्नल के प्रकार:

  1. Monolithic Kernel: सभी सर्विस एक ही में (जैसे Linux)

  2. Micro Kernel: केवल बेसिक सर्विस होती हैं (जैसे Minix)


1.5 सेवाएं और सिस्टम कॉल (Services and System Calls)

Services (सेवाएं):

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाएं, जैसे:

  • फाइल मैनेजमेंट

  • प्रोग्राम एक्जीक्यूशन

  • इनपुट/आउटपुट हैंडलिंग

  • एरर डिटेक्शन

  • सिक्योरिटी और अकाउंटिंग

System Calls (सिस्टम कॉल):

जब कोई एप्लिकेशन कर्नल से कोई सेवा चाहता है, तब वह सिस्टम कॉल के माध्यम से संपर्क करता है।

🛠️ System Call के उदाहरण:

  • open() — फाइल खोलना

  • read() — फाइल पढ़ना

  • write() — फाइल में लिखना

  • close() — फाइल बंद करना


1.6 सिस्टम प्रोग्राम्स (System Programs)

System Programs वो एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर होते हैं जो यूज़र को OS का इस्तेमाल करने लायक बनाते हैं।

🔹 प्रमुख सिस्टम प्रोग्राम्स:

  • File Management Commands: ls, cp, mv, rm

  • Text Editors: vi, nano

  • Compilers/Linkers: gcc, make

  • Utility Programs: बैकअप, वायरस स्कैनर

  • Command Line Interface (CLI): जहाँ हम कमांड्स टाइप करते हैं

Post a Comment

0 Comments