IoT Notes in Hindi, Rajasthan Polytechnic 5th Sem Iot Chapter 2 notes in hindi

 हैलो दोस्तों, स्वागत है आप सभी का Rajasthan Polytechnic BTER ब्लॉग पर । आज आपको इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से Rajasthan Polytechnic 5th Sem के IoT किताब के अध्याय 2 के notes हिन्दी में उपलब्ध करवाने की  कोशिश कि है । आशा है आपकी इन Notes  से आने वाले exams में मदद होगी । 

अध्याय 2: IoT नेटवर्किंग का मूल, संचार प्रोटोकॉल और सेंसर नेटवर्क

2.1 IoT नेटवर्किंग का मूल (Basics of IoT Networking)

IoT नेटवर्किंग का परिचय: IoT नेटवर्किंग वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से IoT डिवाइस एक-दूसरे से और केंद्रीय प्रणाली (जैसे कि क्लाउड) से संचार करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य डेटा का संग्रह, प्रसंस्करण, और आदान-प्रदान करना है ताकि विभिन्न उपकरण और सिस्टम एकीकृत रूप से काम कर सकें।

IoT नेटवर्क की परतें (Layers of IoT Network):

  1. सेंसिंग लेयर (Sensing Layer):

    • यह परत सेंसर और एक्टुएटर डिवाइसों से बनी होती है जो भौतिक वातावरण से डेटा एकत्र करते हैं।
    • यह डेटा इकट्ठा करके प्रोसेसिंग यूनिट या गेटवे को भेजता है।
  2. नेटवर्क लेयर (Network Layer):

    • यह परत सेंसिंग लेयर से प्राप्त डेटा को एकत्रित करती है और उसे IoT प्लेटफॉर्म या क्लाउड सर्वर तक पहुँचाने का काम करती है।
    • इस परत में विभिन्न नेटवर्किंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है जैसे Wi-Fi, ब्लूटूथ, Zigbee आदि।
  3. प्रोसेसिंग लेयर (Processing Layer):

    • यह परत प्राप्त डेटा को संसाधित (Process) करती है और आवश्यक कार्यों के लिए विश्लेषण (Analysis) करती है।
    • प्रोसेसिंग लेयर में क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग होता है।
  4. एप्लिकेशन लेयर (Application Layer):

    • यह परत उपयोगकर्ताओं को उनके द्वारा आवश्यक सेवाएँ प्रदान करती है।
    • उदाहरण के लिए, स्मार्ट होम्स में तापमान नियंत्रण या स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली में हृदय दर की निगरानी।

नेटवर्किंग तकनीकें (Networking Technologies):

  1. Wi-Fi:

    • यह एक लोकप्रिय तकनीक है जो तेज डेटा ट्रांसफर और लंबी रेंज प्रदान करती है।
    • इसका उपयोग स्मार्ट होम डिवाइसों और औद्योगिक IoT में किया जाता है।
  2. ब्लूटूथ (Bluetooth):

    • यह कम दूरी पर डेटा ट्रांसफर के लिए उपयुक्त है।
    • इसका उपयोग वियरेबल्स, स्वास्थ्य उपकरणों और स्मार्टफोन से कनेक्टेड डिवाइसों में किया जाता है।
  3. जिग्बी (Zigbee):

    • यह कम पावर और कम डेटा ट्रांसफर वाली नेटवर्किंग तकनीक है, जो छोटे पैमाने पर उपयोग के लिए उपयुक्त है।
    • इसका उपयोग स्मार्ट होम डिवाइसों और औद्योगिक ऑटोमेशन में किया जाता है।
  4. लोराWAN (LoRaWAN):

    • यह लंबी दूरी पर कम पावर डेटा संचार के लिए डिज़ाइन की गई तकनीक है।
    • इसका उपयोग स्मार्ट सिटी और कृषि निगरानी जैसे अनुप्रयोगों में किया जाता है।

नेटवर्किंग की चुनौतियाँ:

  1. सुरक्षा और गोपनीयता (Security and Privacy):
    • विभिन्न डिवाइसों का एक-दूसरे से जुड़ा होना साइबर हमलों का खतरा बढ़ा देता है।
  2. इंटरऑपरेबिलिटी (Interoperability):
    • विभिन्न निर्माताओं के डिवाइस एक-दूसरे के साथ संगत नहीं होते, जिससे डेटा ट्रांसफर में कठिनाई हो सकती है।
  3. स्केलेबिलिटी (Scalability):
    • अधिक डिवाइस जोड़ने से नेटवर्क की क्षमता और प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।

2.2 संचार प्रोटोकॉल (Communication Protocols)

परिभाषा: संचार प्रोटोकॉल वे नियम और मानक हैं जिनके माध्यम से IoT डिवाइस एक-दूसरे से और केंद्रीय प्रणाली से डेटा का आदान-प्रदान करते हैं। ये प्रोटोकॉल यह निर्धारित करते हैं कि डेटा कैसे प्रारूपित, भेजा और प्राप्त किया जाए।

मुख्य संचार प्रोटोकॉल:

  1. MQTT (Message Queuing Telemetry Transport):

    • यह एक हल्का प्रोटोकॉल है जिसे मशीन-टू-मशीन (M2M) संचार और IoT अनुप्रयोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • यह “पब्लिश/सब्सक्राइब” मॉडल पर आधारित है, जिसमें डिवाइस और सर्वर के बीच डेटा का आदान-प्रदान होता है।
    • यह कम बैंडविड्थ और अनियमित नेटवर्क कनेक्टिविटी वाले वातावरण के लिए उपयुक्त है।
  2. CoAP (Constrained Application Protocol):

    • यह एक हल्का प्रोटोकॉल है जो संसाधन-संवेदनशील उपकरणों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • यह “रेस्टफुल” (RESTful) वेब सेवाओं के समान कार्य करता है और HTTP के समान कार्य करता है लेकिन कम बैंडविड्थ की आवश्यकता होती है।
    • यह विशेष रूप से छोटे और संसाधन-संवेदनशील IoT डिवाइसों के लिए उपयुक्त है।
  3. HTTP/HTTPS:

    • यह वेब पर डेटा ट्रांसफर के लिए सबसे आम प्रोटोकॉल है।
    • इसका उपयोग वेब-आधारित IoT अनुप्रयोगों में किया जाता है, जहाँ डिवाइसों को सीधे वेब सर्वर से जोड़ना होता है।
    • HTTPS, HTTP का सुरक्षित संस्करण है, जो डेटा एन्क्रिप्शन के साथ आता है।
  4. XMPP (Extensible Messaging and Presence Protocol):

    • यह एक ओपन-स्टैंडर्ड मैसेजिंग प्रोटोकॉल है, जो IoT उपकरणों के बीच रीयल-टाइम संचार के लिए उपयोग किया जाता है।
    • यह प्रोटोकॉल चैट एप्लिकेशन और संदेश सेवा में भी उपयोग होता है।
  5. AMQP (Advanced Message Queuing Protocol):

    • यह एक मैसेजिंग प्रोटोकॉल है जो यह सुनिश्चित करता है कि डेटा संचारण के दौरान सुरक्षित और विश्वसनीय रहे।
    • यह वित्तीय सेवाओं और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त है।

संचार प्रोटोकॉल चुनने के मानदंड:

  1. डेटा की दर (Data Rate): प्रोटोकॉल को भेजे जाने वाले डेटा की मात्रा के अनुसार चुना जाना चाहिए।
  2. ऊर्जा की खपत (Energy Consumption): यदि उपकरण बैटरी-चालित हैं, तो ऊर्जा कुशल प्रोटोकॉल चुनना चाहिए।
  3. विलंबता (Latency): ऐसे अनुप्रयोगों के लिए जिनमें त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, निम्न विलंबता वाला प्रोटोकॉल आवश्यक है।
  4. सुरक्षा (Security): डेटा की गोपनीयता और अखंडता बनाए रखने के लिए प्रोटोकॉल की सुरक्षा आवश्यक है।

2.3 सेंसर नेटवर्क (Sensor Networks)

परिभाषा: सेंसर नेटवर्क एक प्रकार का वायरलेस नेटवर्क है, जिसमें कई सेंसर एक-दूसरे से और केंद्रीय प्रणाली से जुड़े होते हैं। यह नेटवर्क भौतिक वातावरण से डेटा एकत्र करता है और उसे प्रोसेसिंग यूनिट या गेटवे को भेजता है।

सेंसर नेटवर्क की विशेषताएँ:

  1. स्व-व्यवस्थित (Self-Organizing): यह नेटवर्क स्वचालित रूप से खुद को व्यवस्थित और पुन: व्यवस्थित कर सकते हैं।
  2. विकेन्द्रीकृत (Decentralized): इनमें प्रत्येक सेंसर डेटा एकत्र कर सकता है और सीधे केंद्रीय प्रणाली को भेज सकता है।
  3. ऊर्जा-कुशल (Energy-Efficient): अधिकांश सेंसर बैटरी से संचालित होते हैं, इसलिए ऊर्जा दक्षता महत्वपूर्ण है।
  4. विविध प्रकार के सेंसर (Diverse Types of Sensors): तापमान, नमी, प्रकाश, गति, आदि जैसे विभिन्न प्रकार के सेंसर नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं।

सेंसर नेटवर्क के घटक (Components of Sensor Network):

  1. सेंसर नोड्स (Sensor Nodes): ये छोटे, ऊर्जा-कुशल उपकरण होते हैं जो भौतिक वातावरण से डेटा एकत्र करते हैं।
  2. संचार प्रणाली (Communication System): यह सेंसर नोड्स को एक-दूसरे और गेटवे से जोड़ता है।
  3. गेटवे (Gateway): यह सेंसर नोड्स से डेटा एकत्र करता है और इसे क्लाउड या प्रोसेसिंग यूनिट को भेजता है।
  4. डेटा प्रोसेसिंग यूनिट (Data Processing Unit): यह डेटा को संसाधित और विश्लेषित करता है और उपयोगी जानकारी में परिवर्तित करता है।

सेंसर नेटवर्क के अनुप्रयोग:

  1. पर्यावरण निगरानी (Environmental Monitoring): वायु गुणवत्ता, जल स्तर, मिट्टी की नमी, और तापमान की निगरानी के लिए।
  2. स्मार्ट सिटी (Smart City): ट्रैफिक निगरानी, स्मार्ट स्ट्रीट लाइटिंग, और कचरा प्रबंधन में।
  3. औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation): उत्पादन प्रक्रिया की निगरानी और स्वचालन में।
  4. स्वास्थ्य देखभाल (Healthcare): रोगियों के स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए।

सेंसर नेटवर्क की चुनौतियाँ:

  1. ऊर्जा प्रबंधन (Energy Management): सीमित ऊर्जा स्रोतों के कारण, ऊर्जा को कुशलता से प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण है।
  2. सुरक्षा (Security): सेंसर नेटवर्क को साइबर हमलों और डेटा चोरी से सुरक्षित रखना आवश्यक है।
  3. वास्तविक समय डेटा प्रोसेसिंग (Real-Time Data Processing): सभी डेटा को वास्तविक समय में प्रोसेस करना कठिन हो सकता है।

इन बिन्दुओं के आधार पर, IoT नेटवर्किंग, संचार प्रोटोकॉल, और सेंसर नेटवर्क को समझना महत्वपूर्ण है ताकि हम IoT आधारित प्रणाली को सही ढंग से डिज़ाइन और कार्यान्वित कर सकें। इससे स्वचालन, डेटा विश्लेषण, और विभिन्न अनुप्रयोगों में सुधार संभव होगा।

इन बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए, IoT के क्षेत्र में सेंसिंग और एक्टुएशन के महत्व को समझना आवश्यक है। इनका सही उपयोग करने से हम विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में स्वचालन, दक्षता और सुरक्षा में सुधार कर सकते हैं।

यह Notes Rajasthan Polytechnic के Syllabus के अनुसार है । 

अगर आपको और किसी विषय के Notes चाहिए हो तो Comment में लिख कर बताए । 

धन्यवाद 

गरिमा कंवर 

Post a Comment

0 Comments