3. वित्तीय अनुमान और प्रक्षिप्तियां

Subject - Project Management (62001)
Branch - Common for all Branches (CS,CE,ME,EE)
Semester - 6th Semester

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3. वित्तीय अनुमान और प्रक्षिप्तियां 💰📊

वित्तीय अनुमान और प्रक्षिप्तियां पूंजी बजट प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये प्रोजेक्ट के वित्तीय पहलुओं जैसे लागत, वित्तपोषण, लाभप्रदता, और नकदी प्रवाह पर प्रकाश डालती हैं। ये प्रक्षिप्तियां प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता और उसके अपेक्षित वित्तीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद करती हैं। आइए प्रत्येक पहलू को विस्तार से समझते हैं।


3.1. प्रोजेक्ट की लागत 💵

लागत अनुमान वह प्रक्रिया है, जिसमें यह निर्धारित किया जाता है कि एक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कुल खर्च क्या होगा। इसमें परियोजना से जुड़ी सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागतों का आकलन किया जाता है।

  • प्रत्यक्ष लागत: ये लागतें सीधे प्रोजेक्ट से जुड़ी होती हैं, जैसे कच्चा माल, श्रम, उपकरण आदि।

    • उदाहरण: एक निर्माण इकाई के लिए, प्रत्यक्ष लागतों में उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री, श्रमिकों की वेतन, और मशीनरी की लागत शामिल होगी।
  • अप्रत्यक्ष लागत: ये ओवरहेड लागतें होती हैं, जैसे किराया, उपयोगिता, प्रशासनिक खर्चे और अन्य लागतें जो सीधे उत्पादन से जुड़ी नहीं होती हैं।

    • उदाहरण: ऑफिस का किराया, बिजली, और सामान्य प्रशासनिक कर्मचारियों की वेतन।

लागत अनुमान प्रोजेक्ट के लिए बजट बनाने में मदद करता है और वित्तीय प्रक्षिप्तियों के लिए एक आधार प्रदान करता है।


3.2. वित्तपोषण के साधन 💳

जब बात आती है प्रोजेक्ट के वित्तपोषण की, तो कई विकल्प उपलब्ध होते हैं। वित्तपोषण के सही तरीके का चयन प्रोजेक्ट के प्रकार, आकार और कंपनी की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है।

  1. इक्विटी वित्तपोषण 📈:

    • इसमें कंपनी के शेयरों को निवेशकों को बेचकर धन जुटाया जाता है। निवेशक इसके बदले में कंपनी में हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं।
    • उदाहरण: एक स्टार्टअप जो एंजल निवेशकों या वेंचर कैपिटलिस्टों को अपने शेयर जारी करके पूंजी जुटाता है।
  2. ऋण वित्तपोषण 💳:

    • इसमें पैसे उधार लेकर उन्हें ब्याज सहित चुकाना होता है। सामान्य स्रोतों में बैंक से लोन, बॉंड्स या अन्य वित्तीय संस्थाएं शामिल हैं।
    • उदाहरण: एक कंपनी जो अपने विस्तार के लिए बैंक से ऋण लेती है।
  3. आंतरिक वित्तपोषण 💡:

    • इसमें कंपनी अपने ही फंड्स, जैसे संचित आय, का उपयोग करती है।
    • उदाहरण: एक कंपनी जो पिछले वर्षों के लाभ से नए ब्रांच खोलने के लिए फंड्स का उपयोग करती है।
  4. हाइब्रिड वित्तपोषण 💼:

    • यह ऋण और इक्विटी वित्तपोषण का संयोजन है, जो किसी एक स्रोत पर निर्भर रहने से जुड़े जोखिम को कम करता है।
    • उदाहरण: एक कंपनी जो प्रोजेक्ट के लिए लागत का एक हिस्सा ऋण से और बाकी हिस्सा शेयर जारी करके जुटाती है।

वित्तपोषण के सही तरीके का चयन प्रोजेक्ट की वित्तीय स्थिति और भविष्य में विकास के लिए महत्वपूर्ण है।


3.3. बिक्री और उत्पादन का अनुमान - उत्पादन की लागत 📉🔧

बिक्री अनुमान: ये प्रक्षिप्तियां हैं कि कंपनी को अपने उत्पादों या सेवाओं की बिक्री से एक निश्चित समयावधि में कितनी आय प्राप्त होने की संभावना है।

  • उदाहरण: एक कंपनी अनुमान करती है कि वह पहले वर्ष में ₹500 प्रति उत्पाद की कीमत पर 50,000 यूनिट बेचेगी, जिससे ₹25,000,000 की आय प्राप्त होगी।

उत्पादन लागत: यह कुल लागत है, जो वस्त्रों या सेवाओं के उत्पादन में लगती है। इसमें कच्चे माल, श्रम, ओवरहेड्स और निर्माण खर्च शामिल होते हैं।

  • उदाहरण: एक कंपनी अनुमान करती है कि प्रत्येक उत्पाद की उत्पादन लागत ₹200 है, तो 50,000 यूनिट बनाने में कुल ₹10,000,000 की लागत आएगी।

बिक्री राजस्व और उत्पादन लागत के बीच अंतर कंपनी को सकल लाभ का अनुमान देने में मदद करता है।


3.4. कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और उसका वित्तपोषण 💼💵

कार्यशील पूंजी वह धनराशि है, जो व्यवसाय की दैनिक संचालन गतिविधियों को चलाने के लिए आवश्यक होती है। यह वर्तमान संपत्तियों (जैसे, इन्वेंट्री और प्राप्तियाँ) और वर्तमान देनदारियों (जैसे, देनदारियाँ और ऋण) के बीच का अंतर होता है।

  • सूत्र: कार्यशील पूंजी=वर्तमान संपत्तियाँवर्तमान देनदारियाँ\text{कार्यशील पूंजी} = \text{वर्तमान संपत्तियाँ} - \text{वर्तमान देनदारियाँ}

कार्यशील पूंजी की आवश्यकता व्यवसाय के प्रकार और उसके संचालन चक्र पर निर्भर करती है। इसका उपयोग कच्चे माल खरीदने, कर्मचारियों को वेतन देने, या शॉर्ट-टर्म खर्चों को पूरा करने में किया जाता है।

कार्यशील पूंजी का वित्तपोषण: कार्यशील पूंजी को निम्नलिखित तरीकों से वित्तपोषित किया जा सकता है:

  1. शॉर्ट-टर्म लोन: शॉर्ट-टर्म ऑपरेशनल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पैसे उधार लेना।

    • उदाहरण: एक कंपनी अपने अगले तिमाही के लिए ₹2,00,000 का बैंक ऋण लेती है।
  2. व्यापार क्रेडिट: आपूर्तिकर्ताओं से क्रेडिट प्राप्त करना, जहां कंपनी बाद में भुगतान करती है।

    • उदाहरण: एक कंपनी 60 दिन में भुगतान करने के लिए इन्वेंट्री पर क्रेडिट प्राप्त करती है।
  3. आंतरिक धन: कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए संचित लाभ का उपयोग।

    • उदाहरण: कंपनी अपनी पिछली आय से शॉर्ट-टर्म खर्चों को कवर करने के लिए धन का उपयोग करती है।

कार्यशील पूंजी का सही प्रबंधन यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी के पास पर्याप्त तरलता है और वह अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकती है।


3.5. लाभप्रदता प्रक्षिप्तियां, नकदी प्रवाह विवरण और बैलेंस शीट 📈📑

लाभप्रदता प्रक्षिप्तियां: यह उन लाभों का अनुमान है, जो कंपनी अपने प्रोजेक्ट से प्राप्त करने की उम्मीद करती है। यह आमतौर पर निवेश पर लाभ (ROI), शुद्ध लाभ, और अन्य लाभप्रदता अनुपातों द्वारा मूल्यांकित किया जाता है।

  1. शुद्ध लाभ: यह कुल लाभ है जो सभी खर्चों, करों और लागतों को घटाने के बाद प्राप्त होता है।

    • सूत्र: शुद्ध लाभ=कुल आयकुल खर्च\text{शुद्ध लाभ} = \text{कुल आय} - \text{कुल खर्च}
    • उदाहरण: एक कंपनी ₹5,00,000 का शुद्ध लाभ प्राप्त करने की उम्मीद करती है, सभी खर्चों और करों को घटाने के बाद।
  2. निवेश पर लाभ (ROI): यह एक लाभप्रदता अनुपात है, जो एक विशेष निवेश से प्राप्त लाभ को मापता है।

    • सूत्र: ROI=शुद्ध लाभनिवेश×100\text{ROI} = \frac{\text{शुद्ध लाभ}}{\text{निवेश}} \times 100
    • उदाहरण: यदि कंपनी ₹1,00,000 का निवेश करती है और ₹25,000 का लाभ प्राप्त करती है, तो ROI = (25,000 / 1,00,000) * 100 = 25% होगा।

नकदी प्रवाह विवरण: नकदी प्रवाह विवरण एक कंपनी के भीतर नकदी के आगमन और निकासी को ट्रैक करता है। यह कंपनी की तरलता स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग किया जाता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कंपनी अपनी शॉर्ट-टर्म प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकती है।

  • संचालन गतिविधियाँ: मुख्य व्यापार गतिविधियों से नकदी का आगमन और निकासी।
  • निवेश गतिविधियाँ: संपत्तियों में निवेश से संबंधित नकदी प्रवाह, जैसे उपकरण खरीदना या संपत्ति बेचना।
  • वित्तपोषण गतिविधियाँ: ऋण लेने, चुकाने या शेयर जारी करने से नकदी प्रवाह।

बैलेंस शीट: बैलेंस शीट एक कंपनी की वित्तीय स्थिति का एक स्नैपशॉट प्रदान करती है। यह कंपनी की सभी संपत्तियों, देनदारियों और इक्विटी को सूचीबद्ध करती है।

  • संपत्तियाँ: जो कंपनी के पास है (नकद, इन्वेंट्री, संपत्ति)।
  • देनदारियाँ: जो कंपनी को चुकानी है (ऋण, उधारी)।
  • इक्विटी: व्यापार का मालिकाना हिस्सा (संपत्तियाँ - देनदारियाँ)।

3.6. ब्रेकइवन विश्लेषण ⚖️

ब्रेकइवन विश्लेषण यह पहचानने में मदद करता है कि प्रोजेक्ट या व्यवसाय उस स्तर पर कब पहुंचेगा, जहां उसकी कुल लागतें कवर हो जाएंगी और न तो लाभ होगा न ही हानि। यह वह बिंदु है जहाँ कुल आय = कुल लागत होती है।

  • सूत्र:

    ब्रेकइवन प्वाइंट=स्थिर लागतेंप्रति यूनिट बिक्री मूल्यप्रति यूनिट परिवर्तनीय लागत\text{ब्रेकइवन प्वाइंट} = \frac{\text{स्थिर लागतें}}{\text{प्रति यूनिट बिक्री मूल्य} - \text{प्रति यूनिट परिवर्तनीय लागत}}
  • उदाहरण: यदि एक कंपनी की स्थिर लागत ₹2,00,000 है, और उत्पाद की बिक्री कीमत ₹500 प्रति यूनिट और परिवर्तनीय लागत ₹300 प्रति यूनिट है, तो ब्रेकइवन प्वाइंट होगा:

    ब्रेकइवन प्वाइंट=2,00,000500300=1,000 यूनिट्स\text{ब्रेकइवन प्वाइंट} = \frac{2,00,000}{500 - 300} = 1,000 \text{ यूनिट्स}

    इसका मतलब है कि कंपनी को 1,000 यूनिट्स बेचने की आवश्यकता है ताकि वह अपनी सभी लागतों को कवर कर सके।

ब्रेकइवन विश्लेषण निर्णय लेने, मूल्य निर्धारण और प्रोजेक्ट में शामिल जोखिम का मूल्यांकन करने में मदद करता है। यह यह समझने के लिए महत्वपूर्ण है कि एक कंपनी को लाभकारी बनने के लिए कितनी बिक्री करनी होगी।


सारांश 📑

  • प्रोजेक्ट की लागत: प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी लागतों का अनुमान।
  • वित्तपोषण के साधन: यह निर्धारित करना कि प्रोजेक्ट को इक्विटी, ऋण या आंतरिक संसाधनों से वित्तपोषित किया जाएगा।
  • बिक्री और उत्पादन का अनुमान: भविष्य की बिक्री का अनुमान लगाना और उत्पादन की लागत का हिसाब लगाना।
  • कार्यशील पूंजी की आवश्यकता: दैनिक संचालन के लिए आवश्यक धनराशि का निर्धारण और उसे वित्तपोषित करना।
  • लाभप्रदता और वित्तीय विवरण: नकदी प्रवाह और बैलेंस शीट जैसे वित्तीय विवरणों के माध्यम से लाभप्रदता का मूल्यांकन।
  • ब्रेकइवन विश्लेषण: यह पहचानना कि कंपनी को लागत कवर करने और लाभकारी बनने के लिए कितनी बिक्री करनी होगी।

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