4. पूंजी बजटिंग की बुनियादी तकनीकें

Subject - Project Management (62001)
Branch - Common for all Branches (CS,CE,ME,EE)
Semester - 6th Semester

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4. पूंजी बजटिंग की बुनियादी तकनीकें 💼📊

पूंजी बजटिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी कंपनी के दीर्घकालिक निवेशों की योजना और प्रबंधन किया जाता है। कई तकनीकों का उपयोग परियोजनाओं और निवेश के अवसरों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है ताकि उनकी वित्तीय संभावनाओं और अपेक्षित रिटर्न का निर्धारण किया जा सके। ये तकनीकें व्यवसायों को यह निर्णय लेने में मदद करती हैं कि कहां अपना पूंजी निवेश करना है। आइए इन तकनीकों को विस्तार से समझें।


4.1. नॉन-डिस्काउंटिंग और डिस्काउंटिंग विधियाँ 📉📈

नॉन-डिस्काउंटिंग विधियाँ: ये विधियाँ पैसों के समय मूल्य को नहीं मानतीं, यानी भविष्य में प्राप्त धन और आज प्राप्त धन के बीच के मूल्य अंतर को नहीं ध्यान में रखतीं।

  • उदाहरण: Pay-back period, जिसमें केवल यह देखा जाता है कि प्रारंभिक निवेश को कितने समय में वसूल किया जाएगा, बिना भविष्य के नकद प्रवाहों के मूल्य को ध्यान में रखे।

डिस्काउंटिंग विधियाँ: ये विधियाँ पैसों के समय मूल्य को ध्यान में रखतीं हैं, यानी भविष्य में मिलने वाले नकद प्रवाहों को वर्तमान मूल्य पर समायोजित किया जाता है। मूलभूत सिद्धांत यह है कि आज का एक डॉलर भविष्य के एक डॉलर से अधिक मूल्यवान होता है।

  • उदाहरण: Net Present Value (NPV) और Internal Rate of Return (IRR) दोनों डिस्काउंटिंग विधियाँ हैं जो पैसे के समय मूल्य को ध्यान में रखतीं हैं।

4.2. Pay-Back Period ⏳💸

Pay-Back Period वह समय होता है जिसमें एक परियोजना अपने प्रारंभिक निवेश को उसके नेट कैश फ्लो से वसूल कर लेती है। यह एक सरल विधि है, जो यह मूल्यांकित करती है कि निवेश कितने समय में वापस मिल जाएगा।

  • सूत्र:

    Payback Period=Initial InvestmentAnnual Cash Inflow\text{Payback Period} = \frac{\text{Initial Investment}}{\text{Annual Cash Inflow}}
  • उदाहरण: यदि एक परियोजना के लिए ₹100,000 का निवेश किया गया है और यह ₹25,000 का वार्षिक नकद प्रवाह उत्पन्न करती है, तो Payback Period होगा:

    100,00025,000=4वर्ष\frac{100,000}{25,000} = 4 \, \text{वर्ष}

    तो, निवेश को वसूल करने में 4 वर्ष लगेंगे।

  • सीमाएँ: Pay-back period भविष्य के नकद प्रवाहों को ध्यान में नहीं रखता और पैसे के समय मूल्य को नजरअंदाज करता है।


4.3. Accounting Rate of Return (ARR) 📊💹

Accounting Rate of Return (ARR) एक विधि है जो निवेश पर लाभ का मूल्यांकन करती है, जो लेखांकन लाभ (कैश फ्लो के बजाय) पर आधारित होता है। यह औसत वार्षिक लाभ को प्रारंभिक निवेश से तुलना करता है।

  • सूत्र:

    ARR=Average Annual ProfitInitial Investment×100\text{ARR} = \frac{\text{Average Annual Profit}}{\text{Initial Investment}} \times 100
  • उदाहरण: यदि एक परियोजना ₹100,000 के निवेश पर ₹20,000 का औसत वार्षिक लाभ उत्पन्न करती है, तो ARR होगा:

    20,000100,000×100=20%\frac{20,000}{100,000} \times 100 = 20\%

    इसका मतलब है कि परियोजना की उम्मीद की जाने वाली वार्षिक रिटर्न 20% है।

  • सीमाएँ: ARR पैसे के समय मूल्य को नजरअंदाज करता है और कैश फ्लो के बजाय लेखांकन लाभ का उपयोग करता है।


4.4. Net Present Value (NPV) 💰📉

Net Present Value (NPV) एक डिस्काउंटिंग विधि है जो परियोजना के भविष्य के नकद प्रवाहों के वर्तमान मूल्य को प्रारंभिक निवेश से घटाकर उसकी वित्तीय संभावना को मूल्यांकित करती है। यह पैसे के समय मूल्य को ध्यान में रखती है।

  • सूत्र:

    NPV=Ct(1+r)tC0\text{NPV} = \sum \frac{C_t}{(1 + r)^t} - C_0

    जहाँ:

    • CtC_t = समय tt पर नकद प्रवाह
    • rr = डिस्काउंट दर
    • C0C_0 = प्रारंभिक निवेश
  • उदाहरण: यदि एक परियोजना का प्रारंभिक निवेश ₹100,000 है, और अगले 3 वर्षों के लिए ₹40,000 का वार्षिक नकद प्रवाह अपेक्षित है, और डिस्काउंट दर 10% है, तो प्रत्येक नकद प्रवाह का वर्तमान मूल्य निकालने के बाद प्रारंभिक निवेश से घटाकर NPV प्राप्त की जाती है।

  • व्याख्या: यदि NPV सकारात्मक है, तो परियोजना वित्तीय रूप से सक्षम है और इसे अपनाया जाना चाहिए। यदि NPV नकारात्मक है, तो परियोजना को अस्वीकार किया जाना चाहिए।


4.5. Benefit-Cost Ratio (BCR) 🏆📊

Benefit-Cost Ratio (BCR) एक अनुपात है जो लाभों के वर्तमान मूल्य को लागतों के वर्तमान मूल्य से तुलना करता है। यह परियोजना के लाभ और लागत का मूल्यांकन करने में मदद करता है।

  • सूत्र:

    BCR=Present Value of BenefitsPresent Value of Costs\text{BCR} = \frac{\text{Present Value of Benefits}}{\text{Present Value of Costs}}
  • उदाहरण: यदि लाभों का वर्तमान मूल्य ₹150,000 और लागतों का वर्तमान मूल्य ₹100,000 है, तो BCR होगा:

    150,000100,000=1.5\frac{150,000}{100,000} = 1.5

    एक BCR जो 1 से अधिक हो, यह दर्शाता है कि परियोजना के लाभ उसके लागतों से अधिक हैं।

  • व्याख्या: BCR > 1 यह सुझाव देता है कि परियोजना लाभकारी है, जबकि BCR < 1 यह संकेत करता है कि परियोजना लागत के मुकाबले पर्याप्त लाभ नहीं उत्पन्न करेगी।


4.6. Internal Rate of Return (IRR) 📊💹

Internal Rate of Return (IRR) वह डिस्काउंट दर है, जो परियोजना के सभी नकद प्रवाहों के NPV को शून्य बना देती है। यह परियोजना की रिटर्न दर का प्रतिनिधित्व करती है।

  • सूत्र: IRR वह डिस्काउंट दर है, जो निम्नलिखित को पूरा करती है:

    NPV=0\text{NPV} = 0
  • उदाहरण: यदि किसी परियोजना के नकद प्रवाहों को समायोजित करने पर NPV शून्य हो जाती है, तो वही IRR है। यदि IRR आवश्यक रिटर्न दर से अधिक है, तो परियोजना वित्तीय रूप से लाभकारी है।

  • व्याख्या: IRR यदि आवश्यक रिटर्न दर से अधिक हो, तो परियोजना एक अच्छा निवेश है क्योंकि यह पूंजी की लागत से अधिक रिटर्न उत्पन्न करेगी।


4.7. परियोजना जोखिम (Project Risk) ⚠️📉

परियोजना जोखिम वह अनिश्चितता है जो परियोजना के अपेक्षित परिणामों के बारे में होती है। इसमें वित्तीय, संचालनात्मक या तकनीकी उद्देश्यों को पूरा करने में विफलता का खतरा शामिल होता है।

  • जोखिम के प्रकार:
    1. वित्तीय जोखिम: ऐसा जोखिम कि परियोजना अपने खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त राजस्व नहीं उत्पन्न करेगी।
    2. संचालनात्मक जोखिम: ऐसा जोखिम कि परियोजना को कुशलतापूर्वक लागू नहीं किया जा सकेगा।
    3. बाजार जोखिम: ऐसा जोखिम कि उत्पाद या सेवा के लिए माँग नहीं पैदा होगी।
    4. तकनीकी जोखिम: ऐसा जोखिम कि तकनीकी चुनौतियाँ या विफलताएँ आएंगी।

जोखिम विश्लेषण किया जाता है ताकि विभिन्न जोखिमों की संभावना और उनके प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके।


4.8. सामाजिक लागत-लाभ विश्लेषण और आर्थिक रेट ऑफ रिटर्न 🌍💵

सामाजिक लागत-लाभ विश्लेषण (SCBA) एक परियोजना के समग्र सामाजिक कल्याण प्रभावों का मूल्यांकन करता है, जिसमें सीधे और अप्रत्यक्ष दोनों ही लागतों और लाभों को ध्यान में रखा जाता है। यह परियोजना के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों को भी ध्यान में रखता है।

  • आर्थिक रेट ऑफ रिटर्न (ERR) IRR के समान होता है लेकिन यह परियोजना के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को ध्यान में रखता है।

  • उदाहरण: एक सरकारी परियोजना जो नवीकरणीय ऊर्जा पर केंद्रित है, इसमें उच्च सामाजिक लाभ (पर्यावरण सुधार) हो सकते हैं, लेकिन सीधे वित्तीय रिटर्न कम हो सकते हैं। SCBA और ERR इन गैर-वित्तीय पहलुओं का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं।


4.9. परियोजनाओं का गैर-वित्तीय न्यायसंगतकरण 🤝🌱

सभी परियोजनाओं को केवल वित्तीय मीट्रिकों से सही नहीं ठहराया जा सकता। गैर-वित्तीय न्यायसंगतकरण में उन परियोजनाओं के व्यापक प्रभावों का विचार किया जाता है जिन्हें आसानी से धनात्मक रूप में नहीं मापा जा सकता है।

  • उदाहरण:
    1. पर्यावरणीय प्रभाव: एक परियोजना जो प्रदूषण को कम करती है, वह तुरंत वित्तीय लाभ उत्पन्न नहीं कर सकती है, लेकिन इसके पर्यावरणीय लाभ बड़े हो सकते हैं।
    2. सामाजिक प्रभाव: ऐसी परियोजनाएँ जो सार्वजनिक स्वास्थ्य या शिक्षा को बेहतर बनाती हैं, वे वित्तीय रूप से लाभकारी नहीं हो सकतीं, लेकिन इसके व्यापक सामाजिक लाभ हो सकते हैं।
    3. ब्रांड छवि: एक परियोजना जो कंपनी की ब्रांड प्रतिष्ठा को बढ़ाती है, वह सीधे वित्तीय लाभ उत्पन्न नहीं कर सकती है, लेकिन ग्राहक की वफादारी और दीर्घकालिक वृद्धि में सुधार हो सकता है।

सारांश 📑

  • नॉन-डिस्काउंटिंग बनाम डिस्काउंटिंग विधियाँ: नॉन-डिस्काउंटिंग विधियाँ (जैसे Pay-back period) समय मूल्य को नजरअंदाज करती हैं, जबकि डिस्काउंटिंग विधियाँ (जैसे NPV, IRR) उसे ध्यान में रखती हैं।
  • Pay-Back Period: प्रारंभिक निवेश को वसूल करने में लगने वाला समय।
  • ARR: लेखांकन लाभ के आधार पर रिटर्न।
  • NPV: भविष्य के नकद प्रवाहों का वर्तमान मूल्य माइनस प्रारंभिक निवेश।
  • BCR: लाभ-लागत अनुपात परियोजना की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करता है।
  • IRR: वह डिस्काउंट दर जो NPV को शून्य बना देती है।
  • परियोजना जोखिम: परियोजना के परिणामों की अनिश्चितता।
  • सामाजिक लागत-लाभ विश्लेषण और ERR: व्यापक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन।
  • गैर-वित्तीय न्यायसंगतकरण: परियोजनाओं का मूल्यांकन जो गैर-वित्तीय लाभ उत्पन्न करती हैं।

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