यहां पर Fluid Mechanics के Unit 2: Fluid Flow के विषय में विस्तृत हिंदी में नोट्स दिए गए हैं, जो आपके एग्जाम की तैयारी के लिए मददगार होंगे। इसमें Fluid Flow के प्रकार, Continuity equation, Bernoulli’s theorem, और अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक्स शामिल हैं।
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2. Fluid Flow (तरल प्रवाह)
Fluid flow का अध्ययन तरल पदार्थों के गतिशीलता, उनके प्रवाह और इसके विभिन्न प्रकारों को समझने के लिए किया जाता है। यह इंजीनियरिंग और हाइड्रोलिक प्रणाली में बहुत महत्वपूर्ण है।
2.1 Types of Fluid Flows (तरल प्रवाह के प्रकार)
Steady Flow (स्थिर प्रवाह):
- जब किसी बिंदु पर तरल का वेग समय के साथ बदलता नहीं है, तो उसे स्थिर प्रवाह कहा जाता है।
- उदाहरण: यदि एक नदी में पानी की गति समय के साथ समान रहती है, तो यह स्थिर प्रवाह कहलाता है।
Unsteady Flow (अस्थिर प्रवाह):
- जब तरल का वेग किसी बिंदु पर समय के साथ बदलता है, तो उसे अस्थिर प्रवाह कहा जाता है।
- उदाहरण: फ्लश टैंक से पानी का बहाव एक अस्थिर प्रवाह हो सकता है।
Laminar Flow (परत प्रवाह):
- जब तरल के कण एक दूसरे के ऊपर-नीचे रैखिक तरीके से चलते हैं, तो इसे लैमिनार फ्लो कहा जाता है।
- इसका उदाहरण हाइड्रोलिक फ्लो या किसी पाइप के अंदर पानी का प्रवाह हो सकता है, जब प्रवाह की गति बहुत धीमी हो।
Turbulent Flow (चंचल प्रवाह):
- जब तरल के कण असममित गति से चलते हैं और प्रवाह के भीतर घुमावदार धाराएँ बनती हैं, तो उसे चंचल प्रवाह कहते हैं।
- इसका उदाहरण तेज़ गति से बहता पानी, जैसे नदी का तेज बहाव हो सकता है।
Viscous Flow (चिकनाई प्रवाह):
- जब तरल में अत्यधिक घनत्व और उच्च आंतरिक प्रतिरोध (चिकनाई) होता है, तो उसे चिकनाई प्रवाह कहते हैं।
- इसमें, कणों के बीच अधिक घर्षण होता है।
Incompressible Flow (असंपीडनशील प्रवाह):
- ऐसे प्रवाह को असंपीडनशील प्रवाह कहते हैं, जिसमें तरल का घनत्व स्थिर रहता है, जैसे जल का प्रवाह।
2.2 Continuity Equation (सततता समीकरण)
- Continuity Equation का आधार Mass Conservation (द्रव्यमान का संरक्षण) है।
- यह बताता है कि किसी पाइपलाइन में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक फ्लूइड का प्रवाह स्थिर रहता है, बशर्ते तरल का घनत्व अपरिवर्तित रहे।
समीकरण:
जहाँ:
- = पाइप के विभिन्न बिंदुओं पर क्रॉस-सेक्शनल एरिया
- = पाइप के विभिन्न बिंदुओं पर फ्लूइड की गति
यह समीकरण यह सुनिश्चित करता है कि किसी पाइपलाइन में यदि एरिया घटता है तो गति बढ़ेगी और यदि एरिया बढ़ता है तो गति घटेगी।
2.3 Bernoulli’s Theorem (बर्नौली का सिद्धांत)
- Bernoulli’s Theorem एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो तरल के प्रवाह की गति, दाब और ऊँचाई के बीच संबंध को बताता है। इसका उपयोग तरल प्रवाह के विश्लेषण में किया जाता है।
सिद्धांत के अनुसार:
जहाँ:
- = दाब (Pressure)
- = तरल का घनत्व (Density)
- = प्रवाह की गति (Velocity)
- = गुरुत्वाकर्षण (Gravitational constant)
- = ऊँचाई (Height)
इस सिद्धांत का मतलब है कि किसी पाइप में तरल का दाब, गति और ऊँचाई का योग स्थिर रहता है। इसका उपयोग पाइपलाइन डिज़ाइन में किया जाता है, खासतौर पर जब हम यह समझना चाहते हैं कि प्रवाह में दाब के परिवर्तन के साथ गति और ऊँचाई कैसे बदलती है।
2.4 Principle of Operation of Venturimeter (वेंटुरीमीटर के संचालन का सिद्धांत)
- Venturimeter एक उपकरण है जो पाइप में प्रवाह की दर को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें पाइप के भीतर एक संकीर्ण और चौड़ा क्षेत्र होता है।
- प्रारंभिक स्थिति में, संकीर्ण क्षेत्र में गति अधिक होती है और दाब कम होता है, जबकि चौड़े क्षेत्र में गति कम होती है और दाब अधिक होता है।
- Bernoulli’s Theorem का उपयोग करके, हम संकीर्ण और चौड़े क्षेत्र में दाब का अंतर ज्ञात करके प्रवाह की दर का अनुमान लगा सकते हैं।
2.5 Orifice Meter (ऑरिफ़िस मीटर)
- Orifice Meter वह उपकरण है जो पाइप के एक छोटे छेद (ऑरिफ़िस) के माध्यम से प्रवाह की दर मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- इसके अंदर एक प्लेट होती है जिसमें एक छोटे से छेद (ऑरिफ़िस) के रूप में एक अवरोध होता है।
- जब तरल छेद से गुजरता है, तो उसकी गति बढ़ जाती है और दाब में गिरावट आती है। इस दाब के अंतर का उपयोग करके प्रवाह दर का अनुमान किया जाता है।
2.6 Pitot Tube (पिटोट ट्यूब)
- Pitot Tube का उपयोग फ्लूइड के प्रवाह की गति को मापने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से हवा की गति को मापने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि हवाई जहाजों में।
- यह एक ट्यूब होती है जो प्रवाह की दिशा में स्थित होती है। पिटोट ट्यूब में दो पोर्ट होते हैं:
- Stagnation Port (जो हवा के वेग को पूरी तरह से रोकता है) और
- Static Port (जो केवल स्टेटिक दाब को मापता है)।
2.7 Numerical Problems (सांख्यिकीय समस्याएँ)
यहां कुछ समस्याओं का उदाहरण दिया गया है:
समस्या 1: एक पाइप में जल प्रवाह की गति 4 m/s है और पाइप का व्यास 0.5 मीटर है। यदि पाइप के दूसरे हिस्से का व्यास 0.25 मीटर है, तो उस हिस्से में जल की गति क्या होगी?
समाधान:
जहाँ:
- ,
इसलिए,
2.8 Minor and Major Losses in Pipes, Hydraulic Gradient and Total Gradient Line (पाइपों में प्रमुख और गौण हानियाँ, हाइड्रॉलिक ग्रेडिएंट और कुल ग्रेडिएंट रेखा)
Major Losses: ये उन हानियों को कहते हैं जो पाइप की लंबाई में होने वाले प्रवाह के कारण उत्पन्न होती हैं, जैसे कि खींचने या घर्षण के कारण। इसे Darcy-Weisbach equation से मापा जाता है।
जहाँ = फ्रीशन फैक्टर, = पाइप की लंबाई, = पाइप का व्यास, = गति, = गुरुत्वाकर्षण।
Minor Losses: ये हानियाँ पाइपलाइन में आने वाले मोड़ों, वाल्व्स, टे या अन्य कनेक्शन्स के कारण होती हैं।
Hydraulic Gradient Line (HGL): यह रेखा उस बिंदु पर दाब और ऊँचाई का योग दिखाती है।
Total Gradient Line (TGL): यह हाइड्रोलिक ग्रेडिएंट और वेग का योग है। यह फ्लो लाइन का सम्पूर्ण ऊँचाई और दाब को दर्शाता है।
2.9 Numerical Problems to Estimate Major and Minor Losses (प्रमुख और गौण हानियों का अनुमान लगाने के लिए सांख्यिकीय समस्याएँ)
समस्या: एक पाइप के अंदर जल का प्रवाह 3 m/s है और पाइप का व्यास 0.1 मीटर है। पाइप की लंबाई 200 मीटर है। यदि फ्रिक्शन फैक्टर 0.02 है, तो प्रमुख हानि का अनुमान लगाएँ।
समाधान:
इसलिए, प्रमुख हानि है।
सारांश:
- Fluid Flow के प्रकारों में स्थिर, अस्थिर, लैमिनार, चंचल, असंपीडनशील प्रवाह शामिल हैं।
- Continuity equation और Bernoulli’s theorem जैसे सिद्धांत तरल प्रवाह के विश्लेषण में महत्वपूर्ण हैं।
- Venturimeter, Orifice meter, और Pitot tube जैसे यंत्र प्रवाह की माप के लिए उपयोगी हैं।
- Major और Minor losses का अनुमान लगाने के लिए दाब, गति, और पाइप की लंबाई का उपयोग किया जाता है।
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