Unit 5 of ME 3003 (Mechanical/Automobile Engineering) in Hindi

 यहां पर Fluid Mechanics & Hydraulic Machinery के Unit 5: Centrifugal Pumps के विषय में हिंदी में विस्तृत नोट्स दिए गए हैं। इस यूनिट में Centrifugal Pumps और Reciprocating Pumps के सिद्धांत, कार्य, और उनके उपयोग के बारे में जानकारी दी गई है, साथ ही Slip, Cavitation, और Separation के बारे में भी बताया गया है।

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5. Centrifugal Pumps (सेंट्रीफ्यूगल पंप्स)

सेंट्रीफ्यूगल पंप एक प्रकार का पंप होता है जो घूर्णन (rotary) गति का उपयोग करके तरल पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करता है। यह पंप kinetic energy का उपयोग करके तरल पदार्थ को प्रवाहित करता है और इसके बाद यह ऊर्जा pressure energy में परिवर्तित होती है।

5.1 Principle, Working, and Applications of Centrifugal Pump (सेंट्रीफ्यूगल पंप का सिद्धांत, कार्य और उपयोग)

सिद्धांत:

  • सेंट्रीफ्यूगल पंप में एक घूर्णनशील व्हील (impeller) होता है, जो पंप के अंदर तरल पदार्थ को खींचता है और उसे गति प्रदान करता है।
  • जब impeller घुमता है, तो तरल पदार्थ को centrifugal force के कारण बाहर की ओर बलित किया जाता है, जिससे तरल पदार्थ की गति बढ़ती है।
  • इस प्रक्रिया में तरल पदार्थ की kinetic energy उत्पन्न होती है, जो बाद में pressure energy में बदल जाती है।

कार्य:

  1. सामान्य प्रक्रिया: जब पंप का impeller घुमता है, तो वह तरल को पंप के केंद्र से बाहर की दिशा में खींचता है।
  2. इनलेट से आउटलेट: तरल पंप के inlet (आधार) से प्रवेश करता है और outlet (निकासी) पर निकलता है, जिससे तरल का दबाव और वेग बढ़ता है।
  3. केंद्रीय बल: पंप का impeller केंद्र से बाहर की ओर तरल को बलित करता है, जिससे तरल का दबाव बढ़ता है।

निर्माण:

  • Impeller: जो घूर्णनशील घटक है।
  • Casing: यह वह संरचना है जो पंप के चारों ओर होती है और जो तरल के प्रवाह को नियंत्रित करती है।
  • Suction Eye: यह पंप का वह भाग है जहाँ से तरल पदार्थ अंदर आता है।

उपयोग:

  • Industrial Applications: सेंट्रीफ्यूगल पंपों का उपयोग उद्योगों में तरल पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि जल आपूर्ति, जल उपचार, और ऊर्जा उत्पादन उद्योग।
  • Water Supply: जल आपूर्ति प्रणालियों में पानी को ऊंचे स्थानों तक पहुंचाने के लिए।
  • Fire Fighting: आग बुझाने के लिए पानी की उच्च दर से आपूर्ति।

काम और दक्षता का सूत्र:

  • Work Done (W):

    W=m˙(v22v12)/2W = \dot{m} \cdot (v_2^2 - v_1^2) / 2

    जहाँ:

    • m˙\dot{m} = द्रव्यमान प्रवाह दर
    • v1v_1 और v2v_2 = इनलेट और आउटलेट पर तरल का वेग
  • Efficiency (η):

    η=Power OutputPower Input×100\eta = \frac{\text{Power Output}}{\text{Power Input}} \times 100

5.2 Numericals on Calculations of Overall Efficiency and Power Required to Drive Pumps (कुल दक्षता और पंप चलाने के लिए आवश्यक शक्ति पर संख्यात्मक समस्याएँ)

समस्या 1: एक सेंट्रीफ्यूगल पंप में 2 m³/s की प्रवाह दर है। पंप का कुल कार्य 120 kW है। यदि पंप की कुल दक्षता 75% है, तो पंप को चलाने के लिए आवश्यक शक्ति कितनी होगी?

समाधान:

  • Work Done (W) = 120 kW
  • Efficiency (η) = 75% = 0.75
  • पंप को चलाने के लिए आवश्यक शक्ति का सूत्र: Pinput=WηP_{\text{input}} = \frac{W}{\eta} Pinput=1200.75=160kWP_{\text{input}} = \frac{120}{0.75} = 160 \, \text{kW}

इसलिए, पंप को चलाने के लिए आवश्यक शक्ति Pinput=160kWP_{\text{input}} = 160 \, \text{kW} है।


5.3 Reciprocating Pumps (रिसिप्रोकेटिंग पंप्स)

रिसिप्रोकेटिंग पंप एक प्रकार का पंप होता है जिसमें एक piston या plunger आगे-पीछे (reciprocating) गति करता है, और यह तरल पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करता है।

कार्य सिद्धांत:

  1. पंप का piston एक cylinder के अंदर गति करता है।
  2. जब piston आगे बढ़ता है, तो पंप के suction valve से तरल अंदर आता है और जब piston पीछे खींचता है, तो यह तरल को discharge valve के माध्यम से बाहर भेजता है।
  3. यह positive displacement पंप है, क्योंकि हर stroke में एक निश्चित मात्रा में तरल स्थानांतरित होती है।

उपयोग:

  • Water Supply: निचले दबाव वाले क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति।
  • High Pressure Systems: जहां पर उच्च दबाव की आवश्यकता होती है, जैसे कि boiler feed water में।

5.3.1 Working Principle and Applications of Reciprocating Pumps (रिसिप्रोकेटिंग पंप का कार्य सिद्धांत और उपयोग)

कार्य सिद्धांत:

  1. रिसिप्रोकेटिंग पंप में एक piston या plunger एक cylinder में forward और backward गति करता है।
  2. Suction Stroke में, पिस्टन cylinder के अंदर खींचता है, जिससे inlet valve खुलता है और तरल अंदर आता है।
  3. Discharge Stroke में, पिस्टन cylinder से बाहर निकलता है, जिससे outlet valve खुलता है और तरल बाहर निकलता है।

उपयोग:

  • High Pressure: जहां उच्च दबाव की आवश्यकता होती है।
  • Metering Pumps: जहां नियमित रूप से छोटी मात्रा में तरल पदार्थ की आपूर्ति की जाती है, जैसे रसायन आपूर्ति में।

5.4 Concept of Slip (स्लिप का सिद्धांत)

Slip पंप की वह स्थिति है जब पंप द्वारा स्थानांतरित किए गए तरल की मात्रा और पंप की थ्योरी (ideal) क्षमता के बीच अंतर होता है।

Slip को negative और positive के रूप में व्यक्त किया जा सकता है:

  • Positive Slip: जब पंप द्वारा स्थानांतरित की गई तरल की मात्रा थ्योरी से कम होती है।
  • Negative Slip: जब पंप द्वारा स्थानांतरित की गई तरल की मात्रा थ्योरी से अधिक होती है।

स्लिप की गणना:

Slip=Theoretical DischargeActual DischargeTheoretical Discharge×100\text{Slip} = \frac{\text{Theoretical Discharge} - \text{Actual Discharge}}{\text{Theoretical Discharge}} \times 100

5.5 Cavitation and Separation (कैविटेशन और पृथक्करण)

कैविटेशन एक प्रक्रिया है जिसमें तरल पदार्थ में दबाव इतना घट जाता है कि तरल बुब्बुलों के रूप में उबालने लगता है, और फिर ये बुब्बुले फट जाते हैं। यह पंप की efficiency को प्रभावित करता है और पंप के भागों में erosion का कारण बनता है।

कैविटेशन के कारण:

  1. पंप के inlet pressure का अत्यधिक कम होना।
  2. अत्यधिक suction velocity

कैविटेशन के परिणाम:

  • पंप के अंदर दबाव में अचानक परिवर्तन के कारण separation हो सकती है, जिससे पंप के कार्य में कमी आती है।
  • Noise और vibration उत्पन्न होती है।

कैविटेशन से बचाव:

  • पंप के suction pressure को बढ़ाना।
  • पंप के operating speed को नियंत्रित करना।

सारांश:

  1. Centrifugal Pump घूर्णन गति से तरल को उच्च वेग और दबाव में परिवर्तित करता है।
  2. Reciprocating Pump सकारात्मक विस्थापन पंप होता है जो पिस्टन के द्वारा तरल को स्थानांतरित करता है।
  3. Slip पंप की क्षमता और वास्तविक प्रवाह के बीच अंतर को दर्शाता है।
  4. Cavitation पंप के अंदर तरल में दबाव कम होने के कारण उत्पन्न होती है, जो पंप की कार्यकुशलता को प्रभावित करती है।

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