यूनिट 5: परियोजना प्रशासन (Project Administration)

 Hey Welcome to BTER Rajasthan Polytechnic.

1. Join Groups for PDF's & Regular Updates
Join the community of Civil Engineering students at BTER Polytechnic and stay updated:


2. Help & Donations 💖

If you find our resources helpful and wish to support our initiative, your donation will help us continue improving and providing valuable study material.

  • UPI ID: garimakanwarchauhan@oksbi
  • QR Code

💰 Your support matters! Every contribution helps us reach more students and provide better resources! 🙏


3. Notes Website

  • Official Notes WebsiteVisit Notes Website 📝
    This website provides all study materials, notes, and important updates for Civil Engineering students.

4. Important Links

Explore the following links for additional resources and exam preparation:



यूनिट 5: परियोजना प्रशासन (Project Administration)

परियोजना प्रशासन का उद्देश्य किसी परियोजना के सभी पहलुओं को व्यवस्थित और नियंत्रित तरीके से चलाना होता है। यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना निर्धारित समय सीमा, बजट और गुणवत्ता मानकों के अनुसार पूरी हो। परियोजना प्रशासन में कई तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो परियोजना के सही मार्गदर्शन के लिए आवश्यक होते हैं।


5.1 प्रगति भुगतान (Progress Payments)

प्रगति भुगतान वह भुगतान होते हैं जो परियोजना के निर्माण के दौरान, विभिन्न कार्यों के पूरा होने पर किया जाता है। यह भुगतान केवल परियोजना के चरणों के पूरा होने के आधार पर होते हैं, और इससे निर्माण के वित्तीय नियंत्रण को बनाए रखने में मदद मिलती है।

उदाहरण:
यदि किसी निर्माण परियोजना में निर्माण के विभिन्न चरण होते हैं, जैसे- नींव का काम, दीवारों का निर्माण, और छत का निर्माण, तो प्रत्येक चरण के पूरा होने पर प्रगति भुगतान किया जाता है।


5.2 व्यय योजना (Expenditure Planning)

व्यय योजना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें यह तय किया जाता है कि परियोजना के विभिन्न हिस्सों के लिए कितना बजट आवंटित किया जाएगा। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि परियोजना के विभिन्न कार्यों के लिए वित्तीय संसाधनों का सही तरीके से उपयोग हो।

उदाहरण:
अगर एक निर्माण परियोजना के लिए कुल 10 लाख रुपये का बजट निर्धारित है, तो व्यय योजना में यह तय किया जाएगा कि प्रत्येक कार्य (जैसे कच्चा माल, श्रमिकों का वेतन, उपकरण आदि) के लिए कितने पैसे आवंटित होंगे।


5.3 परियोजना अनुसूची और नेटवर्क योजना (Project Scheduling and Network Planning)

परियोजना अनुसूची वह समय सारणी होती है, जिसमें यह बताया जाता है कि परियोजना के विभिन्न कार्यों को किस समय सीमा में पूरा किया जाएगा। नेटवर्क योजना में यह दिखाया जाता है कि विभिन्न कार्यों के बीच संबंध और निर्भरता क्या हैं। यह समय-निर्धारण और कार्यों के बीच तालमेल बनाए रखने में मदद करता है।

उदाहरण:
मान लीजिए एक निर्माण परियोजना में, कार्य 1: नींव बनाना, कार्य 2: दीवार बनाना, कार्य 3: छत डालना। इन कार्यों को एक नेटवर्क योजना में दिखाया जाएगा, जहां कार्य 2 का आरंभ कार्य 1 के पूरा होने के बाद होगा।


5.4 क्रिटिकल पाथ विधि (Critical Path Method - CPM)

क्रिटिकल पाथ विधि (CPM) एक परियोजना प्रबंधन तकनीक है, जिसका उद्देश्य किसी परियोजना के कार्यों के सबसे लंबे और महत्वपूर्ण रास्ते (Critical Path) को पहचानना है। यह वह मार्ग होता है, जिस पर किसी भी कार्य की देरी होने से पूरी परियोजना की समाप्ति में देरी हो सकती है।

विधि:

  • CPM में सभी कार्यों के लिए समय सीमा निर्धारित की जाती है।
  • यह किसी भी परियोजना के लिए महत्वपूर्ण कार्यों और उनकी समयसीमा को चिह्नित करता है।

उदाहरण:
अगर किसी निर्माण परियोजना में नींव बनाना, दीवारें बनाना और छत डालना शामिल है, तो CPM यह बताएगा कि इन कार्यों में से कौन सा कार्य सबसे अधिक समय लेता है और किस कार्य में देरी होने पर परियोजना की समाप्ति में देरी हो सकती है।


5.5 भुगतान और भौतिक प्रगति की अनुसूची (Schedule of Payments and Physical Progress)

भौतिक प्रगति की अनुसूची में यह निर्धारित किया जाता है कि परियोजना के विभिन्न हिस्सों का कितना कार्य पूरा हुआ है, और भुगतान उसी के अनुसार किया जाता है। यह प्रगति भुगतान से जुड़ा होता है, जो कार्य की वास्तविक स्थिति के आधार पर तय किया जाता है।

उदाहरण:
यदि किसी निर्माण परियोजना का 50% काम पूरा हो चुका है, तो भुगतान भी 50% के हिसाब से किया जाएगा।


5.6 समय-लागत व्यापार (Time-Cost Trade-Off)

समय-लागत व्यापार का मतलब है, परियोजना के समय को घटाने या बढ़ाने के दौरान होने वाले लागत के बदलाव का विश्लेषण। अगर हम किसी कार्य को जल्दी पूरा करना चाहते हैं, तो इसकी लागत बढ़ सकती है, और यदि हम समय बढ़ाते हैं तो लागत घट सकती है।

उदाहरण:
मान लीजिए किसी निर्माण परियोजना का काम 6 महीने में पूरा होना है, लेकिन अगर इसे 4 महीने में पूरा करना है, तो अतिरिक्त श्रमिकों और मशीनों की आवश्यकता होगी, जिससे लागत बढ़ेगी।


5.7 PERT के सिद्धांत और उपयोग (Concepts and Uses of PERT)

PERT (Program Evaluation and Review Technique) एक परियोजना प्रबंधन तकनीक है, जिसका उपयोग किसी परियोजना के कार्यों की योजना बनाने और निगरानी करने के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के लिए उपयोगी है। PERT तकनीक में समय की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए कार्यों के लिए तीन अनुमानित समय (Optimistic, Pessimistic, और Most Likely) दिए जाते हैं।

उदाहरण:
मान लीजिए किसी कार्य को पूरा करने के लिए तीन अनुमान दिए जाते हैं:

  • Optimistic Time (O) = 5 दिन
  • Pessimistic Time (P) = 12 दिन
  • Most Likely Time (M) = 8 दिन

PERT में इन तीनों समयों का औसत लिया जाता है, और इस तरह परियोजना के समय का बेहतर अनुमान प्राप्त किया जाता है।


5.8 समय के अनुसार लागत (Cost as a Function of Time)

समय के अनुसार लागत यह दर्शाती है कि परियोजना की लागत समय के साथ कैसे बदलती है। यह विश्लेषण यह बताता है कि जब परियोजना में देरी होती है, तो अतिरिक्त लागत किस रूप में आ सकती है, जैसे- अतिरिक्त श्रमिक, उपकरण, और प्रबंधन की लागत।

उदाहरण:
अगर निर्माण कार्य में देरी होती है तो परियोजना की कुल लागत में बढ़ोतरी हो सकती है, जैसे श्रमिकों को अतिरिक्त वेतन देना, उपकरणों का किराया बढ़ना आदि।


5.9 परियोजना मूल्यांकन और समीक्षा तकनीक (Project Evaluation and Review Techniques - PERT)

PERT का मुख्य उद्देश्य परियोजना की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन करना और यह देखना है कि परियोजना अपने निर्धारित लक्ष्यों को समय पर पूरा कर पा रही है या नहीं। PERT का उपयोग विशेष रूप से जटिल परियोजनाओं में किया जाता है, जिनमें समय की अनिश्चितता होती है।


5.10 लागत तंत्र (Cost Mechanisms)

लागत तंत्र वह प्रणाली है, जिसके द्वारा परियोजना के विभिन्न कार्यों की लागत को निर्धारित और नियंत्रित किया जाता है। इसमें लागत के विभिन्न पहलुओं जैसे कच्चे माल, श्रम, उपकरण और प्रबंधन की लागत को ध्यान में रखा जाता है।


5.11 न्यूनतम लागत अवधि का निर्धारण (Determination of Least Cost Duration)

न्यूनतम लागत अवधि वह अवधि होती है, जिसमें परियोजना को सबसे कम लागत पर पूरा किया जा सकता है। इसका उद्देश्य परियोजना की लागत को कम करना और समय का सबसे प्रभावी उपयोग करना है।


5.12 परियोजना के बाद मूल्यांकन (Post Project Evaluation)

परियोजना के बाद मूल्यांकन वह प्रक्रिया है, जिसमें यह निर्धारित किया जाता है कि परियोजना ने अपनी सभी लक्ष्यों को पूरा किया है या नहीं। इसमें परियोजना की सफलता, विफलता, और उससे प्राप्त अनुभवों का मूल्यांकन किया जाता है।

उदाहरण:
एक निर्माण परियोजना के बाद यह मूल्यांकन किया जाता है कि क्या समयसीमा, बजट और गुणवत्ता के सभी मानक पूरे हुए थे, और अगर नहीं तो कारण क्या थे।


5.13 विभिन्न परियोजना प्रबंधन सॉफ़्टवेयर का परिचय (Introduction to Various Project Management Softwares)

विभिन्न परियोजना प्रबंधन सॉफ़्टवेयर का उपयोग परियोजना की योजना, निगरानी और नियंत्रण के लिए किया जाता है। इन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से परियोजना की प्रगति, बजट, समय और संसाधनों का ट्रैकिंग किया जा सकता है। प्रमुख सॉफ़्टवेयर में MS Project, Primavera, Trello, Asana, Basecamp आदि शामिल हैं।

उदाहरण:
यदि किसी कंपनी को एक बड़ी परियोजना का प्रबंधन करना है, तो वे MS Project का उपयोग कर सकते हैं, जिसमें सभी कार्यों का आयोजन और निगरानी की जाती है।


निष्कर्ष (Conclusion)

परियोजना प्रशासन का उद्देश्य परियोजना के सभी कार्यों को समय पर और बजट में रखते हुए पूरा करना होता है। इसके लिए विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे- CPM, PERT, समय-लागत व्यापार, और नेटवर्क योजना। इन विधियों की मदद से परियोजना प्रबंधक अपने कार्यों को सही दिशा में चला सकते हैं और परियोजना की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं।

📢 🔔 Download PDF & Join Study Groups:
📥 WhatsApp Group: Join Now
📥 Telegram Channel: Join Now
📺 Watch Lecture on YouTube: BTER Polytechnic Classes
📍 Stay connected for more study materials! 🚀

Thank You for Visiting!

We wish you all the best for your studies. Keep learning, and don't hesitate to reach out for help! 📚✨

Post a Comment

0 Comments