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यूनिट 4: पूंजी बजटिंग में बुनियादी तकनीक (Basic Techniques in Capital Budgeting)
पूंजी बजटिंग निर्णय लेने के लिए विभिन्न वित्तीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इन तकनीकों की मदद से यह तय किया जाता है कि किसी परियोजना में निवेश करना लाभकारी होगा या नहीं। यह तकनीकें निवेश के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लाभ और जोखिम का मूल्यांकन करती हैं।
4.1 गैर-छूट और छूट विधियाँ (Non-Discounting and Discounting Methods)
गैर-छूट विधियाँ (Non-Discounting Methods): ये विधियाँ उन परियोजनाओं का मूल्यांकन करती हैं, जिनमें भविष्य के नकद प्रवाह (cash flows) को किसी निश्चित दर से छूट (discount) नहीं किया जाता। इन विधियों में सामान्य रूप से सरल गणनाएँ की जाती हैं।
छूट विधियाँ (Discounting Methods): इन विधियों में भविष्य के नकद प्रवाह को वर्तमान मूल्य पर लाने के लिए एक छूट दर (discount rate) का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य यह है कि भविष्य के लाभों का आज के मानक के हिसाब से मूल्यांकन किया जाए, क्योंकि पैसे का समय के साथ मूल्य घटता है।
4.2 पे-बैक अवधि (Pay-back Period)
पे-बैक अवधि एक सरल और सामान्य तरीका है जिससे यह पता चलता है कि एक परियोजना को शुरू करने के बाद निवेशक को अपना निवेश कब वापस मिलेगा। यह अवधि यह बताती है कि कितने वर्षों में एक प्रोजेक्ट द्वारा अर्जित नकद प्रवाह से प्रारंभिक लागत की वसूली हो जाएगी।
विधि:
उदाहरण:
यदि एक परियोजना में 1,00,000 रुपये का निवेश किया गया है और सालाना नकद प्रवाह 20,000 रुपये है, तो पे-बैक अवधि होगी:
यह मतलब है कि निवेशक को अपना निवेश 5 साल में वापस मिल जाएगा।
4.3 लेखांकन दर वापसी (Accounting Rate of Return)
लेखांकन दर वापसी (ARR) एक ऐसी विधि है जिसमें परियोजना से होने वाले औसत लाभ का अनुमान लगाया जाता है। यह निवेश पर होने वाली लाभ की दर को निर्धारित करती है।
विधि:
उदाहरण:
यदि एक परियोजना का औसत वार्षिक लाभ 20,000 रुपये है और प्रारंभिक निवेश 1,00,000 रुपये है, तो ARR होगी:
यह विधि सरल होती है, लेकिन इसमें समय के महत्व को ध्यान में नहीं रखा जाता।
4.4 शुद्ध वर्तमान मूल्य (Net Present Value - NPV)
NPV एक ऐसी विधि है जिसमें भविष्य के नकद प्रवाह को छूट दर से वर्तमान मूल्य पर लाया जाता है, और उससे प्रारंभिक निवेश की राशि को घटा दिया जाता है। यदि NPV सकारात्मक होती है, तो यह परियोजना लाभकारी मानी जाती है।
विधि:
जहां:
- = t वर्ष के दौरान नकद प्रवाह
- = छूट दर (Discount Rate)
- = समय की अवधि
- = प्रारंभिक निवेश
उदाहरण:
यदि एक परियोजना में प्रारंभिक निवेश 1,00,000 रुपये है, और आने वाले 3 वर्षों में प्रत्येक वर्ष 40,000 रुपये का नकद प्रवाह हो, और छूट दर 10% हो, तो NPV का गणना इस प्रकार होगी:
NPV को सकारात्मक प्राप्त करना यह दर्शाता है कि यह परियोजना लाभकारी है।
4.5 लाभ-लागत अनुपात (Benefit-Cost Ratio - BCR)
BCR यह दिखाता है कि किसी परियोजना के लाभ की तुलना में लागत कितनी है। यदि BCR 1 से अधिक है, तो परियोजना को लाभकारी माना जाता है।
विधि:
उदाहरण:
यदि एक परियोजना से कुल लाभ 2,00,000 रुपये है और कुल लागत 1,50,000 रुपये है, तो BCR होगा:
यह दिखाता है कि परियोजना लाभकारी है।
4.6 आंतरिक दर वापसी (Internal Rate of Return - IRR)
IRR वह छूट दर है जिस पर परियोजना का NPV शून्य होता है। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि परियोजना में निवेश करने पर वह कितनी दर से लाभ दे सकती है।
विधि:
IRR उस छूट दर (r) को प्राप्त करना होता है, जब:
इसका मतलब है कि सभी नकद प्रवाह की वर्तमान मूल्य निवेश के बराबर हो।
उदाहरण:
यदि एक परियोजना का प्रारंभिक निवेश 1,00,000 रुपये है, और भविष्य के नकद प्रवाह 40,000 रुपये हर वर्ष हैं, तो IRR वह छूट दर होगी, जिस पर NPV 0 हो।
4.7 परियोजना जोखिम (Project Risk)
परियोजना जोखिम वह संभावना है कि कोई परियोजना अपेक्षित परिणाम नहीं देगी। जोखिम को विभिन्न कारकों के आधार पर मापा जा सकता है जैसे बाजार परिवर्तन, तकनीकी परिवर्तन, आर्थिक वातावरण आदि। जोखिम को कम करने के लिए कंपनियाँ विभिन्न जोखिम प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करती हैं।
उदाहरण:
एक नई तकनीक के आधार पर चलने वाली परियोजना को तकनीकी जोखिम हो सकता है, जैसे- तकनीकी ब失败, या बाजार में प्रतिस्पर्धी उत्पादों के आने का खतरा।
4.8 सामाजिक लागत लाभ विश्लेषण और आर्थिक दर वापसी (Social Cost Benefit Analysis and Economic Rate of Return)
सामाजिक लागत लाभ विश्लेषण (SCBA) किसी परियोजना के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करता है। इसमें परियोजना के समाज पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को भी शामिल किया जाता है।
आर्थिक दर वापसी (ERR) वह दर होती है जिस पर समाज को पूरी परियोजना के लाभ और लागत के आधार पर लाभ होता है। इसे आमतौर पर सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाता है।
4.9 परियोजनाओं का गैर-वित्तीय औचित्य (Non-financial Justification of Projects)
कुछ परियोजनाओं का गैर-वित्तीय औचित्य भी होता है, जो सीधे वित्तीय लाभ से जुड़ा नहीं होता। इनमें सामाजिक लाभ, पर्यावरणीय प्रभाव, और कार्यस्थल में सुधार जैसे कारक शामिल हो सकते हैं।
उदाहरण:
यदि एक कंपनी पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी परियोजना में निवेश करती है, तो इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय लाभ हो सकता है, न कि वित्तीय लाभ।
निष्कर्ष (Conclusion)
पूंजी बजटिंग में बुनियादी तकनीकों का उद्देश्य यह समझना है कि कोई परियोजना निवेश के लिए उपयुक्त है या नहीं। ये तकनीकें निवेश के फैसले को अधिक वैज्ञानिक और सुसंगत बनाने में मदद करती हैं, जिससे कंपनियाँ या संगठन सही निर्णय ले सकते हैं और अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं।
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