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Subject - AUTOMOBILE ENGINEERING ME 40041
Branch - Mechanical Engineering
Semester - 4th Semester
UNIT-V: पहिए और टायर (Wheels and Tyres)
वाहन में पहिए (Wheels) और टायर (Tyres) बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये वाहन को स्थिरता, पकड़ (traction), और संतुलन प्रदान करते हैं। सही तरीके से रखरखाव किए गए पहिए और टायर न केवल सुरक्षा को बढ़ाते हैं बल्कि ईंधन दक्षता और आरामदायक ड्राइविंग अनुभव भी प्रदान करते हैं।
5.1 पहिए (Wheels)
पहिए की आवश्यकताएँ (Requirements of a Wheel)
एक अच्छे पहिए में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:
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मजबूत और टिकाऊ होना चाहिए ताकि यह वाहन के भार को सह सके।
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हल्का (Lightweight) होना चाहिए जिससे वाहन का प्रदर्शन और ईंधन दक्षता बेहतर हो।
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संतुलित (Balanced) होना चाहिए ताकि वाहन में कंपन (vibration) न हो और ड्राइविंग स्मूथ हो।
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हीट डिसिपेशन (Heat Dissipation) अच्छा हो ताकि ब्रेकिंग सिस्टम ज़्यादा गर्म न हो।
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जंगरोधी (Corrosion-resistant) होना चाहिए जिससे यह लंबे समय तक टिक सके।
पहियों के प्रकार (Types of Wheels)
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प्रेस्ड स्टील डिस्क व्हील (Pressed Steel Disc Wheels)
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यह स्टील शीट को दबाकर और वेल्डिंग करके बनाए जाते हैं।
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ये मजबूत, टिकाऊ और कम लागत वाले होते हैं।
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अधिकतर कारों और व्यावसायिक वाहनों (commercial vehicles) में उपयोग किए जाते हैं।
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वायर व्हील (Wire Wheels)
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इसमें स्टील के तार (spokes) होते हैं जो रिम और हब को जोड़ते हैं।
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ये हल्के और स्टाइलिश होते हैं।
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अधिकतर पुरानी कारों (vintage cars) और स्पोर्ट्स कारों में देखे जाते हैं।
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लाइट एलॉय कास्ट व्हील (Light Alloy Cast Wheels / Alloy Wheels)
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ये एलुमिनियम (Aluminium) या मैग्नीशियम (Magnesium) मिश्रधातु से बनाए जाते हैं।
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यह स्टील पहियों की तुलना में हल्के और मजबूत होते हैं, जिससे वाहन का प्रदर्शन बेहतर होता है।
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अधिकतर आधुनिक कारों और हाई-परफॉर्मेंस वाहनों में उपयोग किए जाते हैं।
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5.2 टायर (Tyres)
टायर के प्रकार (Types of Tyres)
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ट्यूब वाले टायर (Tubed Tyres)
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इसमें टायर के अंदर एक इनर ट्यूब होती है जिसमें हवा भरी जाती है।
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अगर टायर पंचर हो जाए तो हवा तेजी से निकलती है, जिससे अचानक टायर फट सकता है।
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उपयोग: पुरानी कारों, साइकिलों और भारी वाहनों (trucks, buses) में।
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ट्यूबलेस टायर (Tubeless Tyres)
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इसमें कोई इनर ट्यूब नहीं होती, बल्कि हवा सीधे टायर और रिम के बीच सील होती है।
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अगर पंचर हो जाए तो हवा धीरे-धीरे निकलती है, जिससे यह ज़्यादा सुरक्षित और टिकाऊ होता है।
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उपयोग: आधुनिक कारों और मोटरसाइकिलों में।
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क्रॉस प्लाई टायर (Cross Ply Tyres / Bias Ply Tyres)
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इसमें फैब्रिक की परतें तिरछे (diagonally) रखी जाती हैं और एक-दूसरे को ओवरलैप करती हैं।
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यह मजबूत होता है और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर अच्छा प्रदर्शन करता है, लेकिन तेज गति पर ज़्यादा गर्मी उत्पन्न करता है।
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उपयोग: ट्रकों, बसों और ऑफ-रोड वाहनों में।
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रेडियल प्लाई टायर (Radial Ply Tyres)
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इसमें फैब्रिक की परतें सीधी (90° पर) रखी जाती हैं, जिससे टायर में ज़्यादा लचीलापन आता है।
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यह बेहतर पकड़ (grip), लंबी लाइफ और ईंधन दक्षता प्रदान करता है।
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उपयोग: आधुनिक कारों और हाई-परफॉर्मेंस वाहनों में।
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5.3 टायर स्पेसिफिकेशन (Tyre Specifications)
टायर पर एक कोड लिखा होता है, जैसे "195/60 R15 88H", जो निम्नलिखित जानकारी देता है:
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195 → टायर की चौड़ाई (mm में)।
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60 → एस्पेक्ट रेशियो (Aspect Ratio), यानी टायर की ऊँचाई और चौड़ाई का अनुपात।
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R → रेडियल टायर।
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15 → व्हील का व्यास (इंच में)।
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88 → लोड इंडेक्स (टायर कितना भार सह सकता है)।
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H → स्पीड रेटिंग (टायर की अधिकतम सुरक्षित गति)।
5.4 टायर का रखरखाव (Tyre Maintenance)
टायर की लाइफ और प्रदर्शन बढ़ाने के लिए सही रखरखाव जरूरी है:
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नियमित रूप से टायर प्रेशर (हवा का दबाव) जांचें → कम हवा से ईंधन की खपत बढ़ती है, और ज़्यादा हवा से टायर असमान रूप से घिस सकता है।
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ट्रेड डेप्थ (Tread Depth) जांचें → टायर का कम से कम 1.6 mm का ट्रेड रहना चाहिए ताकि पकड़ बनी रहे।
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टायर को समय-समय पर घुमाएँ (Tyre Rotation) → जिससे सभी टायर समान रूप से घिसें।
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व्हील अलाइनमेंट और बैलेंसिंग (Wheel Alignment & Balancing) कराएँ → जिससे टायर असमान रूप से घिसने से बचें और वाहन में कंपन न हो।
5.5 टायर की समस्याएँ और मरम्मत (Tyre Troubles and Repairs)
आम टायर समस्याएँ (Common Tyre Issues)
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अल्प-वायु दाब (Under-inflation) → टायर जल्दी गर्म होता है, किनारे से जल्दी घिसता है, और ईंधन खपत बढ़ जाती है।
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अधिक-वायु दाब (Over-inflation) → टायर की पकड़ (traction) कम हो जाती है, और केंद्र भाग जल्दी घिसता है।
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व्हील मिसअलाइनमेंट (Wheel Misalignment) → टायर असमान रूप से घिसता है और वाहन को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।
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पंचर और कट (Punctures and Cuts) → हवा निकल सकती है और टायर को मरम्मत या बदलने की जरूरत हो सकती है।
टायर की मरम्मत (Tyre Repairs)
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पंचर मरम्मत (Puncture Repair) → छोटे पंचर को रबर प्लग या पैच से ठीक किया जा सकता है।
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साइडवॉल डैमेज (Sidewall Damage) → यदि टायर के किनारे कट गए हों, तो उसे बदलना आवश्यक होता है।
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ट्रेड अत्यधिक घिस जाए (Tread Wear Beyond Limit) → यदि ट्रेड गहराई बहुत कम हो जाए तो टायर को बदल देना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
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पहिए मजबूत, हल्के और संतुलित होने चाहिए।
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टायर विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे ट्यूब, ट्यूबलेस, क्रॉस प्लाई और रेडियल प्लाई।
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टायर का रखरखाव करने से उनकी उम्र बढ़ती है और वाहन की सुरक्षा बनी रहती है।
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आम समस्याओं जैसे कम हवा, पंचर, और असमान घिसाव से बचने के लिए नियमित निरीक्षण जरूरी है।
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