🔷 4.1 बिल्डिंग सैनिटेशन (Building Sanitation)
✅ 4.1.1 स्वच्छता की आवश्यकता (Necessity of Sanitation)
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स्वच्छता एक स्वस्थ जीवन की नींव है।
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साफ़-सफाई से बीमारियों पर नियंत्रण होता है।
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गंदगी से मच्छर, मक्खी, बदबू और संक्रमण फैलता है।
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घर, स्कूल, ऑफिस, अस्पताल में स्वच्छता अनिवार्य है।
✅ 4.1.2 घरेलू सीवेज के उपचार की आवश्यकता
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घरेलू उपयोग के बाद पानी (स्नान, धोना, टॉयलेट आदि) गंदा हो जाता है।
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यह पानी सीधे नदी/झील में छोड़ा जाए तो प्रदूषण और बीमारियाँ फैलती हैं।
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इसलिए इसका उपचार (treatment) आवश्यक होता है।
✅ 4.1.3 परिभाषाएँ (Definitions)
🔹 4.1.3.1 सीवेज (Sewage):
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घरेलू, औद्योगिक और वर्षा जल मिलाकर जो गंदा पानी बहता है, उसे सीवेज कहते हैं।
🔹 4.1.3.2 सलेज (Sullage):
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केवल रसोई, बाथरूम, कपड़े धोने से निकला पानी जो मलमूत्र से मुक्त होता है।
🔹 4.1.3.3 सीवेज के प्रकार (Types of Sewage):
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घरेलू सीवेज – घरों से
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औद्योगिक सीवेज – फैक्ट्रियों से
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वर्षा जल (storm water) – बारिश का पानी
✅ 4.1.4 बिल्डिंग सैनिटेशन से संबंधित शब्द
🔹 4.1.4.1 वॉटर पाइप:
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पीने के पानी को भवन में पहुंचाने वाली पाइप।
🔹 4.1.4.2 वर्षा जल पाइप (Rain Water Pipe):
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छत का वर्षा जल नीचे जमीन तक पहुँचाने वाली पाइप।
🔹 4.1.4.3 अन्य पाइप्स:
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सॉयल पाइप: मलमूत्र (toilet) का पानी ले जाती है।
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सलेज पाइप: किचन/बाथरूम से निकला साफ पानी ले जाती है।
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वेंट पाइप: गैस और बदबू को बाहर निकालती है।
✅ 4.1.5 बिल्डिंग सैनिटरी फिटिंग्स
🔹 4.1.5.1 वॉटर क्लोसेट (WC – टॉयलेट सीट्स)
1. इंडियन टाइप (Indian Type):
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स्क्वैट करने वाली सीट (ज़मीन पर बैठने वाली)।
2. यूरोपियन टाइप (European Type):
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चेयर जैसी सीट, आरामदायक लेकिन अधिक पानी की खपत।
🔹 4.1.5.2 फ्लशिंग सिस्टर्न:
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वॉटर क्लोसेट को फ्लश करने के लिए टंकी।
🔹 4.1.5.3 वॉश बेसिन:
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हाथ-मुंह धोने के लिए।
🔹 4.1.5.4 सिंक (Sinks):
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बर्तन धोने के लिए – किचन में लगाया जाता है।
🔹 4.1.5.5 यूरिनल (Urinals):
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पुरुषों के लिए पेशाब करने की फिटिंग – आमतौर पर दीवार पर।
✅ 4.1.5.6 ट्रैप्स (Traps)
1. प्रकार (Types of Traps):
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P-trap, S-trap, Q-trap, Floor trap, Gully trap, Intercepting trap
2. अच्छे ट्रैप की विशेषताएँ:
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बदबू रोकता है
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पानी की सील होती है
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सफाई में आसान
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टिकाऊ और जंग प्रतिरोधक
✅ 4.1.5.7 प्लम्बिंग के सिस्टम (Plumbing Systems)
🔹 1. वन पाइप सिस्टम (One Pipe System):
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सारा सीवेज एक ही पाइप से निकलता है।
🔹 2. टू पाइप सिस्टम (Two Pipe System):
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मल और सलेज के लिए अलग-अलग पाइप्स।
🔹 3. सिंगल स्टैक सिस्टम:
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एक ही पाइप में सब जुड़ा होता है लेकिन अच्छी वेंटिंग होती है।
🔹 4. सिस्टम का चुनाव (Choice of System):
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बिल्डिंग की ऊँचाई, लागत और रखरखाव के आधार पर।
🔹 5. निरीक्षण और जंक्शन चेम्बर (Inspection & Junction Chambers):
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पाइप लाइन की जांच, सफाई और मरम्मत के लिए बनाए जाते हैं।
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आकार: वर्गाकार या आयताकार
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स्थान: मोड़ या पाइप के जोड़ पर
🔷 4.2 सीवरेज सिस्टम और सीवर उपकरण (Sewerage System & Appurtenances)
✅ 4.2.1 सीवर के प्रकार (Types of Sewers)
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घरेलू सीवर: घरों से मलजल निकालता है
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औद्योगिक सीवर: फैक्ट्री से
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स्टॉर्म सीवर: बारिश का पानी
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कॉम्बाइंड सीवर: सभी का मिश्रण
✅ 4.2.2 सीवरेज के सिस्टम (Systems of Sewerage)
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ग्रेविटी सिस्टम – ढाल के सहारे पानी बहता है।
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पंपिंग सिस्टम – मोटर से पानी खींचा जाता है।
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कॉम्बाइंड सिस्टम – बारिश और मलजल एक ही में।
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सेपरेट सिस्टम – अलग-अलग पाइपों में।
✅ 4.2.3 सेल्फ-क्लीनिंग वेलोसिटी और नॉन-स्कॉरिंग वेलोसिटी
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Self-cleaning velocity: कम से कम इतनी स्पीड कि पाइप में कचरा न जमे।
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Non-scouring velocity: ज़्यादा स्पीड जिससे पाइप को नुकसान न हो।
✅ 4.2.4 सीवर्स का बिछाना, परीक्षण और रखरखाव
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बिछाना: ढाल सही होना चाहिए, लीक न हो।
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परीक्षण: पानी या धुआँ भरकर लीक चेक करते हैं।
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रखरखाव: समय-समय पर सफाई, ब्लॉकेज हटाना।
✅ 4.2.5 मैनहोल और ड्रॉप
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मैनहोल (Manhole): इंसान द्वारा पाइप लाइन की सफाई के लिए रास्ता
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ड्रॉप मैनहोल: जहाँ ऊँचाई में फर्क हो, वहाँ सीवेज को नीचे गिराने के लिए।
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