यूनिट 3 – जल का परिवहन और वितरण (Conveyance and Distribution of Water)

🔷 3.1 जल का परिवहन (Conveyance)

जल परिवहन वह प्रक्रिया है जिसमें जल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है, जैसे जल स्रोत से जल वितरण नेटवर्क तक।

3.1.1 जल परिवहन के लिए प्रयुक्त पाइपों के प्रकार (Types of Pipes used for Conveyance of Water):

जल परिवहन के लिए विभिन्न प्रकार के पाइप्स का उपयोग किया जाता है:

  1. मैनगनीज स्टील पाइप (Manganese Steel Pipes): इनका उपयोग उच्च दबाव वाले जल आपूर्ति प्रणालियों में किया जाता है।

  2. गैल्वनाइज्ड आयरन पाइप (Galvanized Iron Pipes): ये पाइप्स सामान्य जल आपूर्ति के लिए प्रयोग होते हैं।

  3. सीमेंट पाइप (Cement Pipes): ये हल्के दबाव में इस्तेमाल होते हैं और इनकी लंबी उम्र होती है।

  4. पॉलीथिन पाइप (Polyethylene Pipes): इनका उपयोग हल्के दबाव वाली जल आपूर्ति में होता है और ये जंग से बचते हैं।

  5. सीस पाइप (Cast Iron Pipes): यह मजबूत और विश्वसनीय होते हैं, हालांकि इनका वजन ज्यादा होता है।

3.1.2 पाइप सामग्री का चयन (Choice of Pipe Material):

पाइप सामग्री का चयन विभिन्न पहलुओं पर निर्भर करता है:

  • जल का तापमान: गर्म पानी के लिए अलग पाइप्स और ठंडे पानी के लिए अलग पाइप्स।

  • पाइप की लागत: कुछ पाइप्स महंगे होते हैं जबकि कुछ सस्ते होते हैं।

  • लंबी उम्र और जंग का विरोध: कुछ पाइप्स लंबे समय तक चलते हैं और जंग से मुक्त रहते हैं, जैसे PVC और पॉलीथिन पाइप्स।

  • प्रयोजन: पाइप का चुनाव इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसे किस प्रकार के जल नेटवर्क में इस्तेमाल किया जाएगा (नहर, पाइपलाइन, आदि)।

3.1.3 पाइप के जोड़ों और वाल्व्स के प्रकार (Types of Joints & Types of Valves):

1. पाइप जोड़ों के प्रकार (Types of Pipe Joints):

  • मोटे जोड़ों (Flanged Joints): दो पाइप्स को जोड़ने के लिए प्रयोग होते हैं।

  • स्क्रू जोड़े (Screw Joints): पाइप्स को एक दूसरे से जोड़ने के लिए ये जोड़े उपयोग होते हैं।

  • बेल-एंड जोड़े (Bell-End Joints): पाइप्स के छोर पर बेल जैसी संरचना होती है जो दूसरे पाइप से जुड़ती है।

2. वाल्व्स के प्रकार (Types of Valves):

  • गेट वाल्व (Gate Valve): ये वाल्व पाइपलाइन के प्रवाह को पूरी तरह से बंद या खोला जा सकता है।

  • बॉल वाल्व (Ball Valve): इसका उपयोग दबाव नियंत्रण के लिए किया जाता है।

  • चेक वाल्व (Check Valve): यह जल के एक दिशा में प्रवाह को सुनिश्चित करता है और उल्टी दिशा में पानी को नहीं जाने देता।

प्रयोग, स्थान और कार्य:

  • वाल्व्स का प्रयोग जल आपूर्ति प्रणाली में जल के प्रवाह को नियंत्रित करने, रोकने, या खोलने के लिए किया जाता है।

  • ये मुख्य रूप से पाइपलाइन के विभिन्न हिस्सों पर स्थित होते हैं ताकि जल आपूर्ति के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके।


🔷 3.2 जल का वितरण (Distribution of Water)

जल वितरण वह प्रक्रिया है जिसमें जल को जलाशयों से उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है। यह जल नेटवर्क के विभिन्न हिस्सों का कार्य है, जैसे पाइपलाइनों और जलाशयों का निर्माण।

3.2.1 जल वितरण विधियाँ (Methods of Distribution of Water):

3.2.1.1 गुरुत्वाकर्षण विधि (Gravity Method):

  • जल का वितरण गुरुत्वाकर्षण द्वारा किया जाता है।

  • यह विधि तब इस्तेमाल होती है जब जलाशय ऊंचाई पर स्थित हो और जल को नीचे की ओर प्रवाहित करना हो।

  • इस विधि में पंपिंग की आवश्यकता नहीं होती है।

3.2.1.2 पंपिंग विधि (Pumping Method):

  • जल को उच्च दबाव में पाइपलाइन द्वारा पंप किया जाता है।

  • यह विधि तब उपयोग होती है जब जलाशय और उपभोक्ता के बीच ऊंचाई का अंतर होता है।

  • जल को पंप करने के लिए पंपों का इस्तेमाल किया जाता है।

3.2.1.3 संयुक्त प्रणाली (Combined System):

  • यह विधि दोनों पंपिंग और गुरुत्वाकर्षण विधियों का संयोजन है।

  • इसमें जल को पंप किया जाता है और फिर गुरुत्वाकर्षण के द्वारा जल वितरित किया जाता है।

3.2.1.4 सेवा जलाशय (Service Reservoirs):

  • इनका उद्देश्य जल का भंडारण करना होता है ताकि उपयोगकर्ताओं को लगातार जल आपूर्ति की जा सके।

  • कार्य: जलाशय को पानी जमा करने, दबाव बनाए रखने और जल आपूर्ति के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए रखा जाता है।

  • प्रकार:

    • ओपन सेवा जलाशय (Open Service Reservoir): यह खुले स्थान में स्थित होता है।

    • क्लोज्ड सेवा जलाशय (Closed Service Reservoir): यह संरक्षित और सुरक्षित जलाशय होते हैं।

3.2.1.5 जल वितरण के लेआउट (Layouts of Distribution of Water):

3.2.1.5.1 डेड एंड सिस्टम (Dead End System):

  • इसमें पाइपलाइनों के अंत में पानी पहुँचता है और उसके बाद यह समाप्त हो जाता है।

  • फायदा: सरल और सस्ता।

  • नुकसान: जल का पुनः प्रवाह नहीं हो सकता, जिससे पानी ठहर सकता है और गंदा हो सकता है।

3.2.1.5.2 ग्रिड आयरन सिस्टम (Grid Iron System):

  • यह एक प्रकार का नेटवर्क है जिसमें पाइप्स एक दूसरे से जुड़े होते हैं, जिससे जल का प्रवाह किसी भी दिशा से हो सकता है।

  • फायदा: जल आपूर्ति में लचीलापन।

  • नुकसान: अधिक खर्च और जटिल डिजाइन।

3.2.1.5.3 वृत्ताकार प्रणाली (Circular System):

  • इस प्रणाली में पाइपलाइनों को गोलाकार तरीके से रखा जाता है, जिससे जल का प्रवाह एक दिशा से होता है और वह वापस लौटता है।

  • फायदा: जल आपूर्ति का प्रभावी तरीका।

  • नुकसान: निर्माण में उच्च लागत।

3.2.1.5.4 किरण प्रणाली (Radial System):

  • यह प्रणाली एक केंद्र से जल वितरण के लिए डिजाइन की जाती है, जैसे धारा के रेडियस के चारों ओर जल वितरण।

  • फायदा: जल आपूर्ति में अधिक नियंत्रण।

  • नुकसान: यदि केंद्र में समस्या होती है तो पूरे क्षेत्र में जल आपूर्ति में समस्या हो सकती है।

3.2.1.5.5 इन प्रणालियों की उपयुक्तता, लाभ और हानियाँ (Suitability, Advantages and Disadvantages):

  • डेड एंड सिस्टम: सस्ता, लेकिन जल गुणवत्ता में समस्या आ सकती है।

  • ग्रिड आयरन सिस्टम: लचीला, लेकिन महंगा और जटिल।

  • वृत्ताकार प्रणाली: प्रभावी जल वितरण, लेकिन महंगा।

  • किरण प्रणाली: अच्छा नियंत्रण, लेकिन केंद्रीकरण में समस्या हो सकती है।


✅ निष्कर्ष:

इस अध्याय में आपने जल परिवहन और वितरण की प्रक्रियाओं के बारे में जाना:

  • पाइप सामग्री का चयन, पाइप के जोड़ों और वाल्व्स की जानकारी

  • जल वितरण की विभिन्न विधियाँ और उनके लाभ-हानियाँ

  • जल वितरण के लिए विभिन्न लेआउट


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