2. वोल्टेज और करंट मापना ( EE 3003)

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2. वोल्टेज और करंट मापना

2.1 एनालॉग मीटर: निर्माण, कार्य, प्रमुख विशेषताएँ, लाभ और हानियाँ

एनालॉग मीटर में विशेष रूप से PMMC (Permanent Magnet Moving Coil) और PMMI (Permanent Magnet Moving Iron) प्रकार के मीटर होते हैं, जो वोल्टेज और करंट को मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं।


2.1.1 परमानेंट मैग्नेट मूविंग कॉइल (PMMC) मीटर
  • निर्माण:

    • इसमें एक स्थायी चुंबक (Permanent Magnet) और एक मूविंग कॉइल (Moving Coil) होते हैं।
    • कॉइल एक स्पूल में लिपटा होता है और यह स्थायी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र में घुमता है।
    • मीटर का निगमन डायल (Dial) होता है, जो रीडिंग दिखाता है, और स्प्रिंग की मदद से कॉइल को स्थिर किया जाता है।
    • सर्किट में एक रीसिस्टेंस भी होता है, जो मीटर के लोड को नियंत्रित करता है।
  • कार्य:

    • जब DC करंट मीटर में प्रवेश करता है, तो वह कॉइल में एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जिससे कॉइल को घुमाव मिलता है।
    • कॉइल की घूर्णन गति को स्प्रिंग द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और एक निडल (Pointer) द्वारा डायल पर रीडिंग दिखायी जाती है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:

    • DC के लिए उपयुक्त: PMMC मीटर केवल DC करंट और वोल्टेज माप सकते हैं।
    • सटीक माप: यह मीटर सटीक और स्थिर माप प्रदान करते हैं।
    • साधारण डिज़ाइन: इसका डिज़ाइन सरल होता है, जिससे इनका निर्माण आसान होता है।
  • लाभ:

    • उच्च सटीकता: यह मीटर उच्च सटीकता के साथ काम करते हैं।
    • न्यूनतम त्रुटियाँ: इन मीटरों में आयतन और अन्य त्रुटियाँ कम होती हैं।
  • हानियाँ:

    • DC ही माप सकते हैं: यह मीटर केवल DC के लिए काम करते हैं, AC के लिए नहीं।
    • कम रेंज: यह मीटर उच्च करंट और वोल्टेज के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

2.1.2 परमानेंट मैग्नेट मूविंग आयरन (PMMI) मीटर
  • निर्माण:

    • PMMI मीटर में एक स्थायी चुंबक और एक मूविंग आयरन (Moving Iron) होते हैं।
    • आयरन डिस्क चुंबकीय क्षेत्र में आकर घूर्णन करती है।
    • मीटर में एक निडल (Pointer) और डायल होता है, जो रीडिंग को दर्शाता है।
  • कार्य:

    • जब AC करंट प्रवाहित होता है, तो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जिससे मूविंग आयरन घूर्णन करती है।
    • घूर्णन की गति मीटर पर निडल को घुमाती है, जिससे वोल्टेज और करंट के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:

    • AC के लिए उपयुक्त: PMMI मीटर AC करंट मापने के लिए उपयुक्त होते हैं।
    • साधारण कार्य सिद्धांत: इसका कार्य सिद्धांत आसान और सस्ता होता है।
    • कृषि और उद्योगों में उपयोग: इसे उद्योगों और कृषि क्षेत्रों में अधिक उपयोग किया जाता है।
  • लाभ:

    • AC और DC दोनों के लिए उपयोगी: PMMI मीटर दोनों DC और AC के लिए उपयुक्त होते हैं।
    • आसान निर्माण: इसका निर्माण आसान और सस्ता होता है।
    • विभिन्न रेंज में उपयोग: यह मीटर विभिन्न रेंज में उपलब्ध होते हैं, और इनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
  • हानियाँ:

    • कम सटीकता: PMMI मीटर की सटीकता PMMC मीटर की तुलना में कम होती है।
    • कैलिब्रेशन की आवश्यकता: इन मीटरों को नियमित रूप से कैलिब्रेट करने की आवश्यकता होती है।

2.2 DC अमीटर: बेसिक, मल्टी-रेंज, यूनिवर्सल शंट

  • DC अमीटर: यह मीटर DC करंट मापने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
    • बेसिक DC अमीटर: यह केवल एक निश्चित रेंज में काम करता है, और इसकी रेंज को बदलने के लिए शंट रेसिस्टेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
    • मल्टी-रेंज DC अमीटर: यह मीटर एक ही मीटर से कई रेंज में करंट मापने के लिए उपयुक्त होता है। इसमें मल्टीपल शंट होते हैं, जो अलग-अलग रेंज के लिए रेसिस्टेंस की मात्रा बदलते हैं।
    • यूनिवर्सल शंट: यह शंट रेसिस्टेंस की एक ऐसी प्रणाली है, जो मीटर की रेंज को बहुत ज्यादा बढ़ा सकती है। इसे खास तौर पर DC अमीटर में उपयोग किया जाता है।

2.3 DC वोल्टमीटर: बेसिक, मल्टी-रेंज, लोडिंग इफेक्ट और सेंसिटिविटी का अवधारणा

  • DC वोल्टमीटर: यह मीटर DC वोल्टेज मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

    • बेसिक DC वोल्टमीटर: यह मीटर एक निश्चित रेंज में वोल्टेज मापता है।
    • मल्टी-रेंज DC वोल्टमीटर: इस मीटर में मल्टीपल रेंज होती हैं, जिससे यह अलग-अलग वोल्टेज की रीडिंग दे सकता है।
  • लोडिंग इफेक्ट:

    • लोडिंग इफेक्ट तब होता है जब मीटर द्वारा मापे गए वोल्टेज में कुछ परिवर्तन आता है, क्योंकि मीटर का आंतरिक प्रतिरोध लोड के साथ जुड़ता है।
    • अगर मीटर का प्रतिरोध कम होता है, तो वोल्टेज का माप कम हो सकता है। इसके लिए उच्च इम्पेडेंस वोल्टमीटर का उपयोग किया जाता है।
  • सेंसिटिविटी:

    • सेंसिटिविटी का मतलब है कि वोल्टमीटर कितना छोटे वोल्टेज में सटीक माप दे सकता है। उच्च सेंसिटिविटी वाले वोल्टमीटर कम वोल्टेज के माप में अधिक सटीक होते हैं।

2.4 AC वोल्टमीटर: रेक्टिफायर प्रकार (हाफ वेव और फुल वेव)

  • AC वोल्टमीटर AC वोल्टेज मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
    • रेक्टिफायर प्रकार वोल्टमीटर:
      • हाफ वेव रेक्टिफायर: यह केवल आधे AC साइन वेव को पाते हुए एक दिशा में वोल्टेज को मापता है। इसमें नॉन-लिनियर रीडिंग हो सकती हैं।
      • फुल वेव रेक्टिफायर: यह दोनों आधे वेव को उपयोग में लाते हुए AC साइन वेव को पूरी तरह से रेक्टिफाई करता है। इससे अधिक सटीक और स्थिर रीडिंग मिलती है।
    • रेक्टिफायर वोल्टमीटर में डायोड्स का उपयोग किया जाता है जो AC को DC में बदल देते हैं, जिससे मीटर आसानी से वोल्टेज को माप सके।

2.5 CT और PT: निर्माण, कार्य और आवेदन

  • CT (करंट ट्रांसफॉर्मर):
    • निर्माण: CT में एक प्राइमरी कोइल और सेकेंडरी कोइल होते हैं। प्राइमरी कोइल को मुख्य लोड से जोड़ा जाता है, जबकि सेकेंडरी कोइल को मीटर से जोड़ा जाता है।
    • कार्य: CT उच्च करंट को लो करंट में बदलता है, जिससे करंट मापने वाले उपकरणों (जैसे वाट मीटर) को करंट का सही मान प्राप्त हो सके।
    • आवेदन: CT का उपयोग विभिन्न प्रकार के करंट मापने के लिए किया जाता है, जैसे उच्च करंट लोड की माप, सिस्टम निगरानी, आदि।
  • PT (पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर):
    • निर्माण: PT भी एक ट्रांसफॉर्मर होता है जिसमें प्राइमरी कोइल और सेकेंडरी कोइल होते हैं, लेकिन इसका कार्य वोल्टेज को मापना होता है।
    • कार्य: PT उच्च वोल्टेज को लो वोल्टेज में बदलता है, जिससे वोल्टेज मापने वाले उपकरणों (जैसे वोल्टमीटर) को सही रीडिंग मिल सके।
    • आवेदन: PT का उपयोग उच्च वोल्टेज लोड के माप में किया जाता है, जैसे पावर ट्रांसफॉर्मर और वोल्टेज निगरानी में।

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