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Course Code CE 3005 (Same as CC /CV3005) Course Title Concrete Technology
💥💥UNIT 1💥💥
1. Cement, Aggregates and Water - Detailed Notes in Hindi
1.1 OPC और PPC के भौतिक गुण (Physical Properties of OPC and PPC)
OPC (Ordinary Portland Cement) और PPC (Portland Pozzolana Cement) दोनों ही प्रकार के सीमेंट होते हैं, जिनके भौतिक गुण निम्नलिखित होते हैं:
फिनेस (Fineness):
- यह सीमेंट के कणों के आकार को दर्शाता है। इसका निर्धारण Blaine air permeability परीक्षण द्वारा किया जाता है। अधिक फिनेस वाले सीमेंट की संरचना मजबूत होती है।
मानक सुसंगति (Standard Consistency):
- यह वह जल की मात्रा है जो सीमेंट के साथ मिलाकर उसे उपयोग करने योग्य मानक सुसंगति में लाती है। इसे सामान्य तौर पर Vicat apparatus से मापा जाता है।
सेटिंग टाइम (Setting Time):
- प्रारंभिक सेटिंग टाइम (Initial Setting Time): यह वह समय है जब सीमेंट मिश्रण से ताजगी गायब होने लगती है। सामान्यतः इसे 30 मिनट से कम होना चाहिए।
- अंतिम सेटिंग टाइम (Final Setting Time): यह वह समय है जब सीमेंट पूरी तरह से कठोर हो जाता है। सामान्यतः इसे 600 मिनट से अधिक नहीं होना चाहिए।
साउंडनेस (Soundness):
- सीमेंट के साउंडनेस से तात्पर्य है कि वह अपनी उपयोगिता के बाद भड़कने या फैलने से मुक्त हो। इसे Le-Chatelier apparatus द्वारा मापा जाता है।
संपीड़न शक्ति (Compressive Strength):
- यह सीमेंट की ताकत को दर्शाता है, अर्थात, कितने दबाव को यह सहन कर सकता है। यह आमतौर पर 3, 7 और 28 दिन की उम्र में मापी जाती है।
1.2 OPC के विभिन्न ग्रेड और संबंधित BIS कोड्स
- OPC के ग्रेड:
- OPC के तीन मुख्य ग्रेड होते हैं:
- 33 ग्रेड: 33 N/mm² तक की संपीड़न शक्ति।
- 43 ग्रेड: 43 N/mm² तक की संपीड़न शक्ति।
- 53 ग्रेड: 53 N/mm² तक की संपीड़न शक्ति।
- BIS कोड:
- 33 ग्रेड के लिए IS 269,
- 43 ग्रेड के लिए IS 8112,
- 53 ग्रेड के लिए IS 12269।
- OPC के तीन मुख्य ग्रेड होते हैं:
1.3 सीमेंट का परीक्षण (Testing of Cement)
सीमेंट के निम्नलिखित प्रयोगशाला परीक्षण किए जाते हैं:
फिनेस:
- यह परीक्षण सटीकता से यह मापता है कि सीमेंट के कणों का आकार कितना महीन है।
मानक सुसंगति:
- यह परीक्षण सीमेंट और पानी के मिश्रण में आवश्यक पानी की मात्रा की पहचान करता है, जिससे यह निर्धारित होता है कि मिश्रण कितने समय तक कार्य योग्य रहेगा।
सेटिंग टाइम:
- इसे Vicat apparatus से मापा जाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि सीमेंट का सेटिंग समय मानक के अनुरूप हो।
साउंडनेस:
- यह परीक्षण सीमेंट के विस्तार और सिकुड़न को मापता है। यह सुनिश्चित करता है कि सीमेंट का उपयोग बिना किसी समस्या के किया जा सकता है।
संपीड़न शक्ति:
- इसे सीमेंट के दबाव सहन क्षमता को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। यह सीमेंट के ग्रेड के आधार पर निर्धारित होता है।
1.4 सीमेंट का भंडारण और भंडारण के प्रभाव
सीमेंट का भंडारण:
- सीमेंट को सूखी और हवादार जगह पर रखना चाहिए।
- इसे बारिश या नमी से बचाना चाहिए क्योंकि नमी से सीमेंट में सूजन आ सकती है, जिससे इसकी ताकत कम हो जाती है।
भंडारण के प्रभाव:
- अगर सीमेंट को लंबे समय तक सही तरीके से भंडारित नहीं किया जाता है, तो उसकी फिनेस और संपीड़न शक्ति में कमी आ सकती है।
1.5 BIS विनिर्देश और विभिन्न प्रकार के सीमेंट के क्षेत्रीय उपयोग
BIS विनिर्देश:
- रैपिड हार्डनिंग सीमेंट:
- यह सीमेंट जल्दी सेट होता है और जल्दी ताकत प्राप्त करता है।
- उपयोग: सड़क निर्माण, भारी उद्योग आदि।
- लो हीट सीमेंट:
- यह कम तापमान पर जमता है और कम गर्मी उत्पन्न करता है।
- उपयोग: बड़े ठोस संरचनाओं में जैसे बांध, जलाशय आदि।
- पोर्टलैंड पॉजोलाना सीमेंट:
- यह सीमेंट सल्फेट प्रतिरोधी और कम तापमान में मजबूत होता है।
- उपयोग: समुद्र के किनारे, क्षारीय जल में निर्माण कार्य में।
- सल्फेट रेसिस्टेंट सीमेंट:
- यह सल्फेट के प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
- उपयोग: जोन के क्षेत्र, जहां पानी में सल्फेट की मात्रा अधिक हो।
- ब्लास्ट फर्नेस स्लैग सीमेंट:
- यह धातु उद्योग से प्राप्त एक प्रकार का सीमेंट होता है, जो पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित होता है।
- हाई अल्युमिना सीमेंट:
- उच्च तापमान और रासायनिक हमले से सुरक्षा प्रदान करता है।
- व्हाइट सीमेंट:
- यह एक सुंदर सफेद रंग का सीमेंट होता है, जो विशेष सजावटी कार्यों में उपयोग होता है।
1.6 Aggregates: अच्छे एग्रीगेट्स की आवश्यकताएँ
- अच्छे एग्रीगेट्स के गुण:
- मजबूत और टिकाऊ होना चाहिए।
- साफ और रासायनिक अशुद्धियों से मुक्त होना चाहिए।
- एकरूप आकार और आकार में समानता होनी चाहिए।
1.7 Fine Aggregates: गुण, आकार, विशिष्ट गुरुत्वाकर्षण
Fine Aggregates (संधारण सामग्री) के गुण:
- आकार:
- सामान्यत: इसे 4.75 मिमी से छोटे कणों के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- विशिष्ट गुरुत्वाकर्षण:
- इसका मान 2.6 से 2.8 के बीच होता है।
- बल्क घनत्व:
- सामान्यत: 1.5 से 1.7 g/cm³ के बीच होता है।
- जल अवशोषण:
- यह निर्धारित करता है कि एग्रीगेट कितना पानी अवशोषित कर सकता है।
- फिनेस मापांक और ग्रेडिंग ज़ोन:
- यह निर्धारित करता है कि रेत किस ज़ोन (जोन I, II, III, IV) में आता है।
1.8 क्रशड सैंड (Crushed Sand)
क्रशड सैंड एक कृत्रिम रूप से उत्पन्न रेत है, जो कंक्रीट निर्माण के लिए उपयोगी होता है। यह सामान्यत: रॉक या पत्थर को क्रश करके प्राप्त किया जाता है और इसकी विशेषताएँ सामान्य रेत से अलग होती हैं।
1.9 Coarse Aggregates: गुण, आकार, शारीरिक संरचना
Coarse Aggregates (कोर्स एग्रीगेट्स) के गुण:
आकार:
- 4.75 मिमी से बड़े कण।
आकार और आकार की समानता:
- इसके कणों का आकार कोणीय या गोलाकार हो सकता है।
जल अवशोषण:
- कोर्स एग्रीगेट्स की जल अवशोषण क्षमता 0.5% से 2% तक हो सकती है।
विशिष्ट गुरुत्वाकर्षण:
- सामान्यत: 2.6 से 2.8 के बीच।
क्रशिंग मान, प्रभाव मान, और घर्षण मान:
- क्रशिंग मान, प्रभाव मान और घर्षण मान को मापने के लिए परीक्षण किए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एग्रीगेट्स कंक्रीट के लिए उपयुक्त हैं।
1.10 पानी: पानी की गुणवत्ता, मिश्रण में पानी में अशुद्धियाँ
पानी की गुणवत्ता:
- पानी को साफ और शुद्ध होना चाहिए, इसमें किसी भी प्रकार की अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिए। पानी में घुले हुए रासायनिक तत्व सीमेंट के गुणों को प्रभावित कर सकते हैं।
पानी में अशुद्धियाँ:
- पानी में उपस्थित विभिन्न अशुद्धियाँ जैसे कि सल्फेट, कार्बोनेट, क्लोराइड आदि मिश्रण में सीमेंट की ताकत को कमजोर कर सकती हैं।
IS 456 के अनुसार पानी की गुणवत्ता:
- पानी में किसी भी प्रकार की हानिकारक अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिए, जो सीमेंट के गुणों को प्रभावित करती हैं।
💥💥UNIT 2💥💥
2. Concrete - Detailed Notes in Hindi
2.1 कंक्रीट: कंक्रीट के विभिन्न ग्रेड, IS 456 के प्रावधान (Different Grades of Concrete, Provisions of IS 456)
कंक्रीट के विभिन्न ग्रेड निम्नलिखित होते हैं:
कंक्रीट के ग्रेड:
- M10: 10 N/mm²
- M15: 15 N/mm²
- M20: 20 N/mm² (यह सबसे सामान्य उपयोग में आने वाला ग्रेड है)
- M25: 25 N/mm²
- M30, M35, M40: ये उच्च गुणवत्ता वाले कंक्रीट के ग्रेड होते हैं, जिनका इस्तेमाल विशेष संरचनाओं में किया जाता है।
IS 456 के प्रावधान:
- IS 456: 2000 भारतीय मानक कंक्रीट के डिजाइन, निर्माण, और रख-रखाव के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- इसमें कंक्रीट की मिक्सिंग, कास्टिंग, कंप्रेशन टेस्ट, और कंक्रीट के आयामों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- विभिन्न जोखिम स्थितियों (जैसे समुद्री वातावरण, औद्योगिक क्षेत्रों आदि) के लिए विभिन्न कंक्रीट ग्रेड का चयन किया जाता है।
2.2 डफ अब्राहम वाटर-सीमेंट अनुपात (w/c) कानून, w/c अनुपात का महत्व
w/c अनुपात (Water-Cement Ratio):
- यह सीमेंट और पानी के अनुपात को दर्शाता है, जो कंक्रीट के निर्माण के लिए आवश्यक होता है। इसका निर्धारण कंक्रीट के दृढ़ता और ताकत को प्रभावित करता है।
w/c अनुपात का महत्व:
- कम w/c अनुपात से कंक्रीट की संपीड़न शक्ति और घनता बढ़ती है।
- अधिक w/c अनुपात से कंक्रीट में अधिक जल अवशोषण होता है, जो ताकत को कम करता है।
विभिन्न ग्रेड के लिए w/c अनुपात का चयन:
- M20 के लिए w/c अनुपात लगभग 0.5 होता है।
- M25 के लिए w/c अनुपात लगभग 0.45 होता है।
- अन्य उच्च-ग्रेड कंक्रीट के लिए w/c अनुपात कम रखा जाता है, ताकि अधिक ताकत प्राप्त की जा सके।
विभिन्न जोखिम स्थितियों के लिए अधिकतम w/c अनुपात:
- सामान्य वातावरण: w/c अनुपात 0.5 से कम होना चाहिए।
- औद्योगिक वातावरण: w/c अनुपात 0.4 से कम होना चाहिए।
- समुद्री वातावरण: w/c अनुपात 0.45 से कम होना चाहिए।
2.3 ताजे कंक्रीट के गुण (Properties of Fresh Concrete)
वर्कबिलिटी (Workability):
- वर्कबिलिटी कंक्रीट की वह विशेषता है, जिससे कंक्रीट को आसानी से मिश्रण, ढालने और संयोजन करने की क्षमता मिलती है। उच्च वर्कबिलिटी कंक्रीट को ढालने और आकार देने में सहायक होती है, लेकिन अधिक पानी के उपयोग से कंक्रीट की ताकत में कमी आ सकती है।
वर्कबिलिटी पर प्रभाव डालने वाले कारक:
- सीमेंट की मात्रा: अधिक सीमेंट की मात्रा से कंक्रीट की वर्कबिलिटी बढ़ती है।
- पानी का अनुपात: अधिक पानी का अनुपात कंक्रीट की वर्कबिलिटी को बढ़ाता है।
- एग्रीगेट्स: रेत और ग्रैनुलर एग्रीगेट्स की गुणवत्ताएँ और आकार वर्कबिलिटी को प्रभावित करते हैं।
- एडमिक्स (Admixtures): सुपरप्लास्टिसाइजर्स का उपयोग वर्कबिलिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है।
2.4 कंक्रीट की वर्कबिलिटी का निर्धारण
स्लम्प कनेक (Slump Cone Test):
- यह कंक्रीट की वर्कबिलिटी का मापने के लिए एक सामान्य परीक्षण है। इसमें एक कंक्रीट मिश्रण को एक संकुचित बेलनाकार उपकरण में भरा जाता है और फिर उसे उठाया जाता है। कंक्रीट का घटित होना (स्लम्प) वर्कबिलिटी का सूचक होता है।
कंप्रेशन फैक्टर (Compaction Factor Test):
- यह परीक्षण कंक्रीट के मिश्रण की कंप्रेशन क्षमता को मापता है, जिससे उसकी वर्कबिलिटी का अनुमान लगाया जाता है। इसमें कंक्रीट को एक शंकु में भरकर उसकी समग्रता मापी जाती है।
वी-बी (Vee-Bee Consistometer Test):
- यह परीक्षण कंक्रीट की वर्कबिलिटी को मापने के लिए किया जाता है। इसमें कंक्रीट को एक निर्धारित समय में विशिष्ट गति से कम्पेक्ट किया जाता है, और फिर उसके बदलाव का समय मापा जाता है।
2.5 विभिन्न प्रकार के कंक्रीट कार्यों के लिए वर्कबिलिटी की आवश्यकता
- साधारण कंक्रीट:
- स्लम्प वैल्यू 50 से 100 मिमी के बीच होना चाहिए।
- शोरूम कंक्रीट (High Workability):
- यह विशेष रूप से उन स्थानों के लिए उपयोगी है जहां कंक्रीट को ढालने में कठिनाई होती है, जैसे घने reinforcement वाले स्थानों में।
- कंक्रीट स्लैब्स या फाउंडेशन:
- इन कार्यों में वर्कबिलिटी मान 100 मिमी से 150 मिमी तक होता है, ताकि कंक्रीट का उचित मिश्रण हो सके।
2.6 सेग्रेगेशन, ब्लीडिंग और उनके रोकथाम उपाय
सेग्रेगेशन (Segregation):
- सेग्रेगेशन तब होता है जब कंक्रीट के घटक (जैसे सीमेंट, पानी, और एग्रीगेट्स) एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। यह कंक्रीट की ताकत को घटा सकता है।
रोकथाम:
- कंक्रीट को सही अनुपात में मिलाना चाहिए।
- कम पानी का अनुपात रखें।
- कंक्रीट को अधिक समय तक न रखें।
ब्लीडिंग (Bleeding):
- ब्लीडिंग कंक्रीट के पानी का सतह पर आना और उसकी सामग्री से अलग होना होता है।
रोकथाम:
- सही प्रकार के एग्रीगेट्स का चयन करें।
- कंक्रीट में एडमिक्स का प्रयोग करें।
2.7 कठोर कंक्रीट के गुण (Properties of Hardened Concrete)
ताकत (Strength):
- कठोर कंक्रीट की ताकत मुख्य रूप से उसकी संपीड़न शक्ति पर निर्भर करती है। यह ताकत कंक्रीट के ग्रेड, पानी-सीमेंट अनुपात और मिश्रण के अनुपात पर निर्भर करती है।
स्थायित्व (Durability):
- स्थायित्व से तात्पर्य है कि कंक्रीट कितने समय तक अपनी ताकत और गुणवत्ता बनाए रख सकता है। यह पानी, ठंढ, रासायनिक आक्रमण और अन्य बाहरी प्रभावों से सुरक्षा पर निर्भर करता है।
अवरोध्यता (Impermeability):
- कठोर कंक्रीट का अवरोध्यता मतलब कंक्रीट के माध्यम से जल या अन्य तरल पदार्थों का प्रवाह न होना। यह कंक्रीट की गुणवत्ता और उसकी स्थायित्व को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष: कंक्रीट के गुण और उसकी स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए सही मिश्रण, वर्कबिलिटी, पानी-सीमेंट अनुपात, और उचित परीक्षणों का पालन करना आवश्यक है।
💥💥UNIT 3💥💥
3. Concrete Mix Design and Testing of Concrete - Detailed Notes in Hindi
3.1 कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन: उद्देश्य, डिज़ाइन के तरीक़े (Concrete Mix Design: Objectives, Methods of Mix Design)
कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन (Concrete Mix Design):
- कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन का उद्देश्य ऐसे मिश्रण का चयन करना है जो प्रोजेक्ट की आवश्यकताओं के अनुसार सही ताकत, कार्यक्षमता और टिकाऊपन प्रदान करता है।
- यह सीमेंट, पानी, एग्रीगेट्स और अन्य सामग्री का सही अनुपात तय करने का एक वैज्ञानिक तरीका है।
कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन के उद्देश्य:
- कंक्रीट की ताकत: यह सुनिश्चित करना कि कंक्रीट का मिश्रण संरचनात्मक उद्देश्य के लिए पर्याप्त मजबूत हो।
- वर्कबिलिटी: मिश्रण को आसानी से कार्य करने योग्य बनाना।
- स्थायित्व: कंक्रीट की उम्र बढ़ाने के लिए उसके अवरोधन और पर्यावरणीय प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करना।
- सामग्री का सही उपयोग: सही अनुपात में सीमेंट, पानी और एग्रीगेट्स का चयन।
कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन के तरीक़े (Methods of Mix Design):
- मानक रूपरेखा विधि (Standard Mix Method): यह विधि आमतौर पर साधारण कंक्रीट के लिए उपयोग की जाती है, जिसमें सामान्य अनुपात का पालन किया जाता है।
- निर्माण कार्य के लिए डिज़ाइन विधि (Design Mix Method): इस विधि में विशिष्ट डिजाइन मापदंडों के आधार पर मिश्रण का चयन किया जाता है, जैसे कि IS 10262 और IS 456 के अनुसार।
- स्पेक्ट्रम विधि (Marsh Method): इस विधि में कंक्रीट के विभिन्न गुणों का माप लिया जाता है और उन्हें मिक्स डिज़ाइन में समाहित किया जाता है।
3.2 IS 10262 के अनुसार मिश्रण डिज़ाइन (Study of Mix Design as per IS 10262)
IS 10262 के अनुसार कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन के प्रक्रियात्मक कदम निम्नलिखित होते हैं:
कंक्रीट का प्रकार और ग्रेड का चयन:
- कंक्रीट का ग्रेड और डिजाइन उद्देश्य (जैसे सामान्य, उच्च ताकत, हल्का कंक्रीट) पहले ही निर्धारित किया जाता है।
सामग्री की विशेषताएँ:
- सीमेंट, एग्रीगेट्स और पानी की गुणवत्ता को निर्धारित करना।
- इन सामग्रियों के मापदंड जैसे कि विशिष्ट गुरुत्वाकर्षण, पानी-सीमेंट अनुपात, और एग्रीगेट का आकार निर्धारित करना।
वाटर-सीमेंट अनुपात (w/c):
- सीमेंट और पानी का अनुपात कंक्रीट की ताकत और कार्यक्षमता पर प्रभाव डालता है। IS 456 और IS 10262 के अनुसार, पानी-सीमेंट अनुपात को उपयुक्त रूप से चुना जाता है।
सीमेंट की मात्रा का निर्धारण:
- सीमेंट की सही मात्रा का चयन ताकत, स्थायित्व, और कार्यक्षमता के आधार पर किया जाता है।
एग्रीगेट्स का चयन:
- एग्रीगेट्स का आकार और प्रकार भी ताकत और स्थायित्व पर असर डालते हैं। IS 383 के अनुसार, उपयुक्त सैंड और कोर्स एग्रीगेट्स का चयन किया जाता है।
मिश्रण का अनुपात (Mix Proportioning):
- अब, सीमेंट, पानी और एग्रीगेट्स के अनुपात को निर्धारित किया जाता है। यह मिश्रण डिज़ाइन के मापदंडों के आधार पर किया जाता है।
प्रयोगशाला परीक्षण:
- डिज़ाइन किए गए मिश्रण का परीक्षण किया जाता है, जैसे कि संपीड़न परीक्षण और वर्कबिलिटी परीक्षण, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिज़ाइन किए गए मिश्रण में आवश्यक गुण हों।
3.3 कंक्रीट का परीक्षण (Testing of Concrete)
- संपीड़न शक्ति का निर्धारण (Determination of Compressive Strength):
- संपीड़न शक्ति, कंक्रीट की ताकत को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण गुण है। इसे क्यूब्स (cube) का परीक्षण करके मापा जाता है। कंक्रीट के क्यूब्स को विभिन्न उम्र में (जैसे 7 दिन, 28 दिन) दबाव के नीचे रखा जाता है और यह देखा जाता है कि क्यूब कितनी ताकत से टूटता है।
- कंक्रीट क्यूब परीक्षण:
- कंक्रीट क्यूब्स का आकार सामान्यतः 150 मिमी x 150 मिमी x 150 मिमी होता है।
- परीक्षण के लिए क्यूब्स को 7, 14, और 28 दिनों के बाद दबाव परीक्षण के लिए रखा जाता है।
- परीक्षण परिणामों की व्याख्या (Interpretation and Co-relation of Test Results):
- क्यूब परीक्षण से प्राप्त संपीड़न शक्ति के परिणामों को डिजाइन मापदंडों और कंक्रीट के ग्रेड से संबंधित किया जाता है।
- यदि परीक्षण परिणाम अपेक्षाओं के अनुसार नहीं होते, तो कंक्रीट मिश्रण या निर्माण प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता हो सकती है।
3.4 कंक्रीट का गैर-파्रण परीक्षण (Non-Destructive Testing of Concrete)
गैर-파्रण परीक्षण (NDT) कंक्रीट की स्थिति को बिना उसे नुकसान पहुँचाए मापने के लिए किया जाता है। दो प्रमुख परीक्षण निम्नलिखित हैं:
- रिबाउंड हैमर परीक्षण (Rebound Hammer Test):
कार्य प्रणाली: रिबाउंड हैमर परीक्षण में एक हैमर को कंक्रीट की सतह पर दबाया जाता है और इसके पीछे की रिबाउंड इंडेक्स (rebound index) मापी जाती है, जो कंक्रीट की सतह की कठोरता को दर्शाती है।
प्रभावित करने वाले कारक:
- कंक्रीट की सतह की उम्र, तापमान, और नमी की स्थिति रिबाउंड इंडेक्स को प्रभावित कर सकती हैं।
- सतह का प्रकार और तैयारी (जैसे शांति और समतलता) भी परीक्षण परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
- अल्ट्रासोनिक पल्स वेग परीक्षण (Ultrasonic Pulse Velocity Test):
कार्य प्रणाली: इस परीक्षण में उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगें कंक्रीट में प्रवाहित की जाती हैं, और पल्स के गति को माप कर कंक्रीट की घनता और गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है।
IS 13311 (भाग 1 और 2): यह परीक्षण IS 13311 के अनुसार किया जाता है, जिसमें विभिन्न कंक्रीट की संरचनाओं की जांच की जाती है।
महत्व:
- अल्ट्रासोनिक परीक्षण का उपयोग कंक्रीट की कठोरता, संरचनात्मक दोषों (जैसे क्रैक्स या voids) का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- NDT परीक्षणों का महत्व:
- कम नुकसान: ये परीक्षण कंक्रीट को बिना नुकसान पहुँचाए उसके गुणों का मूल्यांकन करते हैं।
- जल्दी परिणाम: ये परीक्षण जल्दी होते हैं, जिससे साइट पर समय की बचत होती है।
- सुरक्षा: यह परीक्षण संरचनाओं की सुरक्षा का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं, जिससे निर्माण कार्य में किसी प्रकार के जोखिम का पता चल सके।
निष्कर्ष: कंक्रीट मिश्रण डिज़ाइन और परीक्षण प्रक्रिया कंक्रीट के गुण और इसकी स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। सही मिश्रण और परीक्षण विधियाँ संरचनात्मक गुणवत्ता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
💥💥UNIT 4💥💥
4. Quality Control of Concrete - Detailed Notes in Hindi
4.1 कंक्रीट संचालन: बैचिंग, मिक्सिंग, परिवहन, प्लेसिंग, कम्पैक्शन, क्यूरिंग और फिनिशिंग
बैचिंग (Batching):
- बैचिंग का मतलब कंक्रीट मिश्रण में सीमेंट, पानी और एग्रीगेट्स को सही अनुपात में मापकर मिलाना होता है।
- बैचिंग वॉल्यूम (Volume) या वेट (Weight) द्वारा किया जा सकता है। वेट बैचिंग अधिक सटीक माप प्रदान करती है।
मिक्सिंग (Mixing):
- कंक्रीट के घटकों को अच्छी तरह से मिश्रित करना आवश्यक है, ताकि सभी सामग्री समान रूप से वितरित हो।
- मिक्सिंग मैन्युअली या मिक्सर मशीन द्वारा की जा सकती है।
- ड्रम मिक्सर और रीवॉल्विंग मिक्सर सामान्य रूप से उपयोग किए जाते हैं।
परिवहन (Transportation):
- कंक्रीट को स्थानांतरित करते समय इसे ज्यादा समय तक नहीं छोड़ा जाता, ताकि इसका सेटिंग समय न बढ़ जाए।
- परिवहन के लिए ट्रक मिक्सर, वाटर टैंकर और बील ट्रांसपोर्ट सिस्टम का उपयोग किया जाता है।
प्लेसिंग (Placing):
- कंक्रीट को सही तरीके से और सही स्थान पर रखना आवश्यक होता है ताकि उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हो। प्लेसिंग के दौरान कंक्रीट को डालते समय ध्यान रखना चाहिए कि इसमें कोई वायु की गड़बड़ी न हो।
कम्पैक्शन (Compaction):
- कम्पैक्शन से कंक्रीट में हवा के बुलबुले बाहर निकल जाते हैं और घनता बढ़ती है, जिससे कंक्रीट की ताकत बढ़ती है।
- वाइब्रेटर्स का इस्तेमाल कम्पैक्शन के लिए किया जाता है।
क्यूरिंग (Curing):
- क्यूरिंग कंक्रीट के ठोस होने के बाद उसे नमी प्रदान करने की प्रक्रिया है, ताकि वह समुचित ताकत प्राप्त कर सके।
- क्यूरिंग के तरीके में पानी डालना, प्लास्टिक फिल्म का उपयोग करना या स्टीमिंग शामिल होते हैं।
फिनिशिंग (Finishing):
- फिनिशिंग से तात्पर्य है कंक्रीट की सतह को चिकना करना और इसे आकर्षक बनाना।
- इसमें ट्रॉवेलिंग, फिनिशिंग मशीन और तूलिका का उपयोग किया जाता है।
4.2 कंक्रीट के लिए फॉर्मवर्क: बीम, स्लैब, कॉलम के लिए विभिन्न प्रकार के फॉर्मवर्क, फॉर्मवर्क के लिए प्रयुक्त सामग्री
- फॉर्मवर्क (Formwork):
- यह कंक्रीट को आकार देने के लिए अस्थायी संरचना होती है।
- फॉर्मवर्क का मुख्य उद्देश्य कंक्रीट को एक निश्चित आकार और आकार में स्थिर करना है।
- प्रकार (Types):
- बीम और कॉलम फॉर्मवर्क: ये आमतौर पर लकड़ी, स्टील या एल्यूमिनियम के होते हैं। कॉलम फॉर्मवर्क में अक्सर ट्यूब या पैनल सिस्टम का उपयोग होता है।
- स्लैब फॉर्मवर्क: स्लैब के लिए शहतीर का उपयोग किया जाता है जो कि लकड़ी या स्टील से बनी होती है।
- फॉर्मवर्क के लिए सामग्री (Materials used for Formwork):
- लकड़ी: यह सामान्यत: सस्ती और आसान सामग्री होती है।
- स्टील: स्टील का फॉर्मवर्क मजबूत और टिकाऊ होता है, लेकिन महंगा होता है।
- एल्यूमिनियम: हल्का और मजबूत फॉर्मवर्क, लेकिन महंगा होता है।
4.3 अच्छे फॉर्मवर्क की आवश्यकताएँ (Requirement of Good Formwork)
- सटीकता: फॉर्मवर्क को सटीक रूप से डिजाइन और इंस्टॉल किया जाना चाहिए ताकि कंक्रीट का आकार सही हो।
- मजबूती: फॉर्मवर्क को मजबूत होना चाहिए ताकि यह कंक्रीट के वजन और दबाव को सहन कर सके।
- पुनः उपयोगिता: अच्छे फॉर्मवर्क को कई बार उपयोग में लाया जा सकता है, इस तरह यह लागत को कम करता है।
- सामग्री का चयन: फॉर्मवर्क के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री किफायती और टिकाऊ होनी चाहिए।
4.4 IS 456 के अनुसार फॉर्मवर्क हटाने का समय (Stripping Time for Removal of Formworks per IS 456)
- फॉर्मवर्क को हटाने का समय (Stripping Time):
- बीम और कॉलम: 16-24 घंटे के भीतर फॉर्मवर्क को हटा लिया जाना चाहिए। हालांकि, अधिक सटीक समय मौसम और कंक्रीट के प्रकार पर निर्भर करता है।
- स्लैब: 7 दिन बाद स्लैब के फॉर्मवर्क को हटाया जा सकता है।
- ध्यान रखने वाली बातें:
- कंक्रीट को पूरी तरह से मजबूत होने के लिए समय देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बहुत जल्दी फॉर्मवर्क हटाने से कंक्रीट को नुकसान हो सकता है।
4.5 जलरोधन: जलरोधन का महत्व और आवश्यकता (Waterproofing: Importance and Need of Waterproofing)
जलरोधन का महत्व:
- कंक्रीट संरचनाओं में जलरोधन आवश्यक है ताकि पानी की स्थिति से संरचनात्मक नुकसान न हो।
- जलरोधन से कंक्रीट की स्थायित्व बढ़ती है, खासकर उन स्थानों पर जहां बारिश या नमी का प्रभाव अधिक होता है।
जलरोधन की आवश्यकता:
- यह कंक्रीट के छिद्रों को बंद करता है और पानी को प्रवेश करने से रोकता है।
- जलरोधन से सॉल्ट, कार्बन डाइऑक्साइड, और अन्य रासायनिक एजेंट्स की आक्रामकता को कम किया जाता है, जिससे कंक्रीट की उम्र बढ़ती है।
4.6 जलरोधन के तरीके और जलरोधन के लिए प्रयुक्त सामग्री (Methods of Waterproofing and Materials Used for Waterproofing)
- जलरोधन के तरीके (Methods of Waterproofing):
- केंट्रीस (Cementitious Waterproofing): इसमें जलरोधक सीमेंट मिश्रण का उपयोग किया जाता है, जो कंक्रीट की सतह पर लगाया जाता है।
- लिक्विड एम्ब्रेटिक (Liquid Membrane Waterproofing): यह एक लेयर के रूप में कंक्रीट की सतह पर लगाया जाता है, जो पानी से पूरी तरह बचाता है।
- केमिकल वाटरप्रूफिंग: इसमें जलरोधक रसायन का उपयोग किया जाता है, जो कंक्रीट के भीतर पानी को प्रवेश करने से रोकता है।
- जलरोधन के लिए प्रयुक्त सामग्री:
- अधारित यौगिक: बारीक सीमेंट, जलरोधक पिगमेंट, रेजिन, और एस्थीलेटिक कोटिंग्स।
- पॉलीयुरेथेन: यह जलरोधक प्रणाली के रूप में प्रचलित है।
- सिलिकॉन रेजिन: इसका उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले जलरोधन के लिए किया जाता है।
4.7 कंक्रीट निर्माण में जोड़: जोड़ के प्रकार, पुराने और नए कंक्रीट को जोड़ने के तरीके
कंक्रीट जोड़ (Joints in Concrete Construction):
- कंट्रैक्शन जोइंट्स: यह जोइंट्स कंक्रीट में तनाव को कम करने के लिए बनाए जाते हैं और ये कंक्रीट के संकुचन को नियंत्रित करते हैं।
- एक्सपैंशन जोइंट्स: कंक्रीट के फैलाव को संभालने के लिए बनाए जाते हैं।
- शिफ्टिंग जोइंट्स: इनका उपयोग कंक्रीट के प्रकार के मुताबिक किया जाता है, खासकर यदि जमीन में हलचल हो।
पुराने और नए कंक्रीट को जोड़ने के तरीके:
- पुराने कंक्रीट के साथ नया कंक्रीट जोड़ते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि दोनों कंक्रीट की सतहें अच्छी तरह से जुड़ी हुई हों। इसके लिए बॉन्डिंग एजेंट्स का उपयोग किया जा सकता है।
4.8 जल बैरियर (Water Bars)
- जल बैरियर:
- जल बैरियर एक विशेष सामग्री होती है जिसका उपयोग कंक्रीट संरचनाओं में पानी को रोकने के लिए किया जाता है।
- यह विशेष रूप से बड़े जलाशयों, डेम्स, और सुरंगों में उपयोग होता है, जहां पानी का दबाव अधिक होता है।
4.9 जोड़ भरने के लिए प्रयुक्त सामग्री (Materials Used for Filling Joints)
- प्रयुक्त सामग्री:
- एपॉक्सी रेजिन: मजबूत और टिकाऊ सामग्री के रूप में जोड़ों को भरने के लिए।
- पॉलीयुरेथेन सीलेंट: यह एक लचीला सीलेंट है जो जोड़ भरने में इस्तेमाल होता है।
- बिटुमेन: गहरे जोड़ों को भरने के लिए अक्सर उपयोग होता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां नमी होती है।
निष्कर्ष: कंक्रीट की गुणवत्ता नियंत्रण में बैचिंग, मिक्सिंग, प्लेसिंग, कम्पैक्शन, क्यूरिंग, और फिनिशिंग महत्वपूर्ण चरण हैं। साथ ही, जलरोधन, फॉर्मवर्क, जोड़, और जल बैरियर्स की समझ से संरचनाओं की स्थायित्व और सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।
💥💥UNIT 5💥💥
5. Chemical Admixture, Special Concrete and Extreme Weather Concreting - Detailed Notes in Hindi
5.1 कंक्रीट में ऐडमिक्सचर (Admixtures in Concrete): उद्देश्य, गुण और विभिन्न प्रकार के ऐडमिक्सचर का अनुप्रयोग
अधिकार (Purpose of Admixtures):
- ऐडमिक्सचर वह रासायनिक पदार्थ होते हैं जो कंक्रीट के मिश्रण में उसकी गुणात्मकता, कार्यक्षमता और प्रदर्शन में सुधार करने के लिए डाले जाते हैं।
- इनका उद्देश्य कंक्रीट की कार्यकुशलता, सेटिंग समय, ताकत, स्थायित्व, और अन्य विशेष गुणों में सुधार करना होता है।
प्रकार (Types of Admixtures):
- त्वरण ऐडमिक्सचर (Accelerating Admixtures):
- यह ऐडमिक्सचर कंक्रीट की सेटिंग और ठोस होने की गति को बढ़ाते हैं।
- यह ठंडी जलवायु में विशेष रूप से उपयोगी होते हैं।
- उदाहरण: कैल्शियम नाइट्रेट और कैल्शियम क्लोराइड।
- विलंबित ऐडमिक्सचर (Retarding Admixtures):
- यह ऐडमिक्सचर कंक्रीट की सेटिंग समय को बढ़ाते हैं, जिससे गर्मी में कार्य करना आसान होता है।
- यह बड़ी परियोजनाओं और गर्म मौसम में उपयोग किए जाते हैं।
- उदाहरण: शर्करा, ग्लिसरीन।
- जल घटाने वाला ऐडमिक्सचर (Water Reducing Admixtures):
- यह ऐडमिक्सचर कंक्रीट के मिश्रण में जल की आवश्यकता को कम कर देते हैं, जिससे कंक्रीट की ताकत और घनता बढ़ती है।
- उदाहरण: लिग्नो-सल्फ़ोनेट्स, सल्फ़ोनाटेड नैफ्थलिन।
- हवा समाविष्ट करने वाला ऐडमिक्सचर (Air Entraining Admixtures):
- यह ऐडमिक्सचर कंक्रीट में सूक्ष्म वायु बुलबुले बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जो कंक्रीट की जमीनी कठोरता और स्थायित्व को बढ़ाते हैं।
- यह ठंडी जलवायु में कंक्रीट के लिए खास रूप से उपयोगी हैं।
- उदाहरण: सफेद फॉस्फेट, स्टीयरिक एसिड।
- सुपर प्लास्टिकाइज़र (Super Plasticizers):
- यह ऐडमिक्सचर कंक्रीट में पानी की मात्रा को घटाए बिना इसकी कार्यकुशलता और फ्लोएबिलिटी को बढ़ाते हैं।
- यह उच्च प्रदर्शन वाले कंक्रीट के लिए उपयुक्त होते हैं।
- उदाहरण: पॉलीकार्बोक्सिलेट एथर।
- त्वरण ऐडमिक्सचर (Accelerating Admixtures):
5.2 विशेष कंक्रीट: विभिन्न प्रकार के विशेष कंक्रीट के गुण, लाभ और सीमाएँ
रेडी मिक्स कंक्रीट (Ready Mix Concrete):
- गुण (Properties): तैयार मिश्रण जो निर्माण स्थल पर सीधा पहुंचाया जाता है। यह उच्च गुणवत्ता और समानता प्रदान करता है।
- लाभ (Advantages):
- समय की बचत और गुणवत्ता की स्थिरता।
- माप और मिश्रण में सटीकता।
- श्रमिकों की आवश्यकता में कमी।
- सीमाएँ (Limitations):
- ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ जाती है।
- मिश्रण का काम केवल सीमित समय तक किया जा सकता है।
फाइबर प्रबलित कंक्रीट (Fibre Reinforced Concrete):
- गुण (Properties): कंक्रीट में फाइबर डाले जाते हैं ताकि उसकी ताकत और लचीलापन बढ़ सके।
- लाभ (Advantages):
- कंक्रीट में संकुचन और क्रैकिंग की प्रवृत्ति कम होती है।
- उच्च गुणवत्ता और ताकत प्राप्त होती है।
- सीमाएँ (Limitations):
- कंक्रीट की कीमत बढ़ जाती है।
- मिश्रण प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
उच्च प्रदर्शन कंक्रीट (High Performance Concrete):
- गुण (Properties): उच्च ताकत, लंबी उम्र और स्थायित्व प्रदान करता है।
- लाभ (Advantages):
- उच्च ताकत और धीरज।
- प्रतिकूल वातावरण के प्रभाव को सहन करता है।
- सीमाएँ (Limitations):
- मिश्रण में जटिलता और उच्च लागत।
स्व-संपीड़ित कंक्रीट (Self-Compacting Concrete):
- गुण (Properties): यह कंक्रीट बिना किसी बाहरी बल के खुद ही संपीड़ित हो जाता है और कठिन क्षेत्रों में आसानी से पहुँच सकता है।
- लाभ (Advantages):
- समय की बचत और श्रम लागत में कमी।
- बेहतर गुणवत्ता और कार्यकुशलता।
- सीमाएँ (Limitations):
- उच्च लागत और विशेष ऐडमिक्सचर की आवश्यकता।
लाइटवेट कंक्रीट (Lightweight Concrete):
- गुण (Properties): यह सामान्य कंक्रीट से हल्का होता है और इसका घनत्व कम होता है।
- लाभ (Advantages):
- परिवहन और निर्माण में आसानी।
- थर्मल इंसुलेशन गुण होते हैं।
- सीमाएँ (Limitations):
- इसके लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है।
- सामान्य कंक्रीट की तुलना में इसकी ताकत कम होती है।
5.3 ठंडी मौसम में कंक्रीट निर्माण (Cold Weather Concreting): ठंडी मौसम में कंक्रीट पर प्रभाव, ठंडी मौसम में कंक्रीट निर्माण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ
ठंडी मौसम का कंक्रीट पर प्रभाव (Effect of Cold Weather on Concrete):
- ठंडे मौसम में कंक्रीट का सेटिंग समय बढ़ जाता है।
- कंक्रीट में पर्याप्त ताकत उत्पन्न नहीं हो पाती और यह ठोस होने में देर लग सकती है।
- पानी के जमने से कंक्रीट के अंदर दरारें आ सकती हैं।
सावधानियाँ (Precautions in Cold Weather):
- कंक्रीट मिश्रण में हीटर का उपयोग करें या मिश्रण को गर्म करें।
- कंक्रीट की सतह को तौलिया या इन्सुलेटिंग कवर से ढककर रखें।
- जमे हुए पानी का उपयोग कंक्रीट मिश्रण में न करें।
5.4 गर्म मौसम में कंक्रीट निर्माण (Hot Weather Concreting): गर्म मौसम में कंक्रीट पर प्रभाव, गर्म मौसम में कंक्रीट निर्माण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ
- गर्म मौसम का कंक्रीट पर प्रभाव (Effect of Hot Weather on Concrete):
- गर्म मौसम में कंक्रीट का सेटिंग समय बहुत जल्दी होता है, जिससे कंक्रीट की ताकत सही से विकसित नहीं हो पाती।
- कंक्रीट में पानी की वाष्पीकरण दर अधिक होती है, जिससे सूखा और दरारें आ सकती हैं।
- सावधानियाँ (Precautions in Hot Weather):
- कंक्रीट मिश्रण में अधिक पानी न डालें।
- कंक्रीट को छायादार जगह पर रखें और उसकी क्यूरिंग ठीक से करें।
- कंक्रीट को जल्दी से जल्दी डालें और इसे ठंडा करने के उपाय करें।
- पानी की अधिकता से बचने के लिए अधिक रेटेड ऐडमिक्सचर का उपयोग करें।
निष्कर्ष: विभिन्न मौसमों और परिस्थिति में कंक्रीट की गुणवत्तायुक्त निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए ऐडमिक्सचर का सही उपयोग और विशेष कंक्रीट के प्रकारों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। ठंडे और गर्म मौसम में विशेष सावधानियाँ कंक्रीट की स्थायित्व और शक्ति को बढ़ा सकती हैं।
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