2. SINGLE-PHASE INDUCTION MOTORS in hindi

 

2. सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर्स:

2.1 डबल फील्ड रिवॉल्विंग थ्योरी:

डबल फील्ड रिवॉल्विंग थ्योरी यह बताती है कि सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर कैसे काम करती है। इस थ्योरी के अनुसार, जब एक सिंगल-फेज करंट स्टेटर की विंडिंग्स में दिया जाता है, तो यह दो समान और विपरीत दिशा में घूमते हुए चुंबकीय क्षेत्रों का निर्माण करता है। एक क्षेत्र करंट की दिशा में घूमता है और दूसरा विपरीत दिशा में घूमता है।

ये दोनों क्षेत्रों मिलकर एक घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं, जो रोटर में प्रेरित करंट उत्पन्न करता है, और इससे रोटर घुमने लगता है। हालांकि, क्योंकि सिंगल-फेज करंट एक निरंतर घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए मोटर को स्टार्ट करने के लिए सहायक तंत्र जैसे कैपेसिटर या अतिरिक्त विंडिंग्स का उपयोग किया जाता है।

2.2 इन मोटर्स को स्वयं-स्टार्ट बनाने का सिद्धांत:

सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर्स स्वचालित रूप से स्टार्ट नहीं होतीं क्योंकि सिंगल-फेज आपूर्ति घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर सकती। इन मोटरों को स्वयं-स्टार्ट बनाने के लिए विभिन्न तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं:

  • स्प्लिट-फेज मोटर: इन मोटरों में दो विंडिंग्स (मुख्य और सहायक) होती हैं, जिन्हें इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वे एक चरण अंतर उत्पन्न करें, जिससे एक घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र बन सके।
  • कैपेसिटर मोटर: इनमें दो विंडिंग्स के बीच एक कैपेसिटर का उपयोग किया जाता है, जो चरण अंतर उत्पन्न करता है और स्टार्टिंग टॉर्क प्रदान करता है।
  • शेडेड-पोल मोटर: इन मोटरों में एक शेडेड कॉइल का उपयोग किया जाता है, जो स्टेटर में घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में मदद करता है, जिससे मोटर स्टार्ट हो जाती है।

इन तंत्रों के उपयोग से मोटर को प्रारंभिक टॉर्क प्राप्त होता है और यह स्टार्ट हो जाती है।

2.3 निम्नलिखित मोटरों की संरचना, कार्य और टॉर्क-गति विशेषताएँ:

  • 2.3.1 रेसिस्टेंस स्टार्ट इंडक्शन रन:

    • संरचना: इस मोटर में मुख्य विंडिंग और एक सहायक विंडिंग होती है, जिसमें सहायक विंडिंग के साथ एक रेसिस्टेंस जोड़ा जाता है। रेसिस्टेंस का उपयोग सहायक विंडिंग में करंट को कम करने और चरण अंतर उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, जिससे घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र बन सके।
    • कार्य: मोटर रेसिस्टेंस द्वारा सहायक विंडिंग के साथ स्टार्ट होती है। एक बार मोटर एक निश्चित गति तक पहुँच जाती है, रेसिस्टेंस को हटा दिया जाता है और मोटर मुख्य विंडिंग पर चलने लगती है।
    • टॉर्क-गति विशेषताएँ: इस मोटर का प्रारंभिक टॉर्क कम होता है और दौड़ते समय टॉर्क मध्यम होता है। इसकी गति-टॉर्क विशेषताएँ सामान्य इंडक्शन मोटर जैसी होती हैं, लेकिन प्रारंभिक टॉर्क सीमित होता है।
  • 2.3.2 कैपेसिटर स्टार्ट इंडक्शन रन:

    • संरचना: यह मोटर रेसिस्टेंस स्टार्ट मोटर की तरह होती है, लेकिन इसमें सहायक विंडिंग के साथ रेसिस्टेंस के स्थान पर एक कैपेसिटर जोड़ा जाता है। कैपेसिटर चरण अंतर उत्पन्न करने में मदद करता है।
    • कार्य: कैपेसिटर स्टार्टिंग टॉर्क उत्पन्न करने में मदद करता है, जिससे उच्च प्रारंभिक टॉर्क प्राप्त होता है। एक बार मोटर एक निश्चित गति तक पहुँच जाती है, एक सेंटीफुगल स्विच कैपेसिटर को हटा देता है और मोटर मुख्य विंडिंग पर चलने लगती है।
    • टॉर्क-गति विशेषताएँ: इस मोटर में रेसिस्टेंस स्टार्ट मोटर की तुलना में उच्च प्रारंभिक टॉर्क होता है और यह लोड कंडीशन में बेहतर प्रदर्शन करती है।
  • 2.3.3 कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन:

    • संरचना: इस मोटर में दो कैपेसिटर होते हैं: एक स्टार्टिंग (कैपेसिटर स्टार्ट) और दूसरा रनिंग (कैपेसिटर रन)। दोनों कैपेसिटर सहायक विंडिंग के साथ जोड़े जाते हैं।
    • कार्य: स्टार्टिंग कैपेसिटर मोटर को स्टार्ट करने के लिए उच्च प्रारंभिक टॉर्क उत्पन्न करता है, जबकि रनिंग कैपेसिटर पूरी कार्यशील स्थिति में मोटर की दक्षता और पावर फैक्टर को सुधारता है।
    • टॉर्क-गति विशेषताएँ: इस मोटर में उच्च प्रारंभिक टॉर्क और उच्च कार्यशील दक्षता होती है। इसकी गति-टॉर्क विशेषताएँ तीन-फेज मोटर के समान होती हैं, लेकिन प्रारंभिक करंट कम होता है।

2.3 परिचय:

  • 2.3.4 शेडेड पोल मोटर:

    • संरचना और कार्य: शेडेड पोल मोटर में स्टेटर में शेडेड पोल होते हैं (पोल का एक हिस्सा एक कॉपर कॉइल से लिपटा होता है)। ये शेडेड पोल एक कमजोर घुमंतू चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं, जो मोटर को स्टार्ट करने के लिए पर्याप्त होता है।
    • उपयोग: शेडेड पोल मोटर का उपयोग सामान्यत: छोटे उपकरणों जैसे पंखे और छोटे पंपों में किया जाता है, क्योंकि यह सस्ता और सरल होता है, हालांकि इसकी दक्षता और प्रारंभिक टॉर्क कम होता है।
  • 2.3.5 रिपलशन टाइप मोटर:

    • संरचना और कार्य: रिपलशन टाइप मोटर एक विशेष प्रकार की सिंगल-फेज मोटर है, जिसमें एक कुम्यूटेटर और ब्रश के साथ स्टेटर और रोटर की विंडिंग्स होती हैं। यह मोटर रिपलशन (समान चुंबकीय ध्रुवों का विपरीत क्रिया) के सिद्धांत पर काम करती है।
    • उपयोग: इन मोटरों का उपयोग उच्च प्रारंभिक टॉर्क की आवश्यकता वाले अनुप्रयोगों में किया जाता है, लेकिन ये अन्य प्रकार की मोटरों की तुलना में कम प्रभावी होती हैं।
  • 2.3.6 सीरीज़ मोटर:

    • संरचना और कार्य: सीरीज़ मोटर में फील्ड विंडिंग और आर्मेचर विंडिंग को सीरीज़ में जोड़ा जाता है, यानी एक ही करंट दोनों के माध्यम से प्रवाहित होता है। इस मोटर का उपयोग उन अनुप्रयोगों में किया जाता है, जहां उच्च प्रारंभिक टॉर्क और परिवर्तनीय गति की आवश्यकता होती है।
    • उपयोग: यह मोटर इलेक्ट्रिक ट्रेनों, क्रेन्स और अन्य मशीनरी में उपयोग की जाती है, जहाँ परिवर्तनीय गति और उच्च टॉर्क की आवश्यकता होती है।
  • 2.3.7 यूनिवर्सल मोटर:

    • संरचना और कार्य: यूनिवर्सल मोटर एक प्रकार की मोटर है जो AC और DC दोनों आपूर्ति पर चल सकती है। इसमें आर्मेचर और फील्ड विंडिंग्स होती हैं, और यह सिंगल-फेज AC या DC पर चल सकती है, जिससे इसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए बहुमुखी बनाया जाता है।
    • उपयोग: यह मोटर छोटे घरेलू उपकरणों, पावर टूल्स और अन्य उपकरणों में उपयोग की जाती है, जहाँ उच्च गति और पोर्टेबिलिटी की आवश्यकता होती है।

2.4 विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए मोटर का चयन लोड टॉर्क-गति आवश्यकताओं के अनुसार:

मोटर का चयन लोड टॉर्क-गति विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • उच्च प्रारंभिक टॉर्क: कैपेसिटर स्टार्ट इंडक्शन रन या रिपलशन मोटर्स आदर्श होती हैं।
  • सस्ता, कम टॉर्क वाले अनुप्रयोग: शेडेड पोल मोटर छोटे उपकरणों के लिए उपयुक्त होती है।
  • परिवर्तनीय गति और उच्च टॉर्क: सीरीज़ मोटर या यूनिवर्सल मोटर अच्छे विकल्प होते हैं।

लोड टॉर्क-गति विशेषताओं का विश्लेषण करके, इंजीनियर उस मोटर प्रकार को चुन सकते हैं जो अनुप्रयोग की आवश्यकताओं के अनुरूप सर्वोत्तम प्रदर्शन और दक्षता प्रदान करता है।

2.5 सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर्स का रखरखाव:

सिंगल-फेज इंडक्शन मोटरों का रखरखाव में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • विंडिंग्स का नियमित निरीक्षण: ताकि दोषों से बचा जा सके और अच्छी इंसुलेशन सुनिश्चित की जा सके।
  • बेयरिंग्स की चिकनाई: घिसावट और शोर को कम करने के लिए।
  • अतिउष्णता की जांच: ताकि मोटर उचित तापमान पर चलती रहे और क्षति से बची रहे।
  • सफाई: वेंट्स और विंडिंग्स से धूल और मलबे की सफाई ताकि उचित वायु प्रवाह बनाए रखा जा सके।
  • कैपेसिटर स्वास्थ्य की जांच: मोटरों में (जैसे कैपेसिटर स्टार्ट मोटर) नियमित रूप से कैपेसिटर की स्थिति की जांच करना आवश्यक है।

नियमित रखरखाव मोटर के डाउनटाइम को रोकने और उसकी कार्यशील जीवनकाल को बढ़ाने में मदद करता है।

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