यूनिट 3: वित्तीय अनुमान और प्रक्षेपण (Financial Estimates and Projections)

 

यूनिट 3: वित्तीय अनुमान और प्रक्षेपण (Financial Estimates and Projections)

वित्तीय अनुमान और प्रक्षेपण का उद्देश्य किसी प्रोजेक्ट या व्यवसाय के लिए अनुमानित लागत, आय, लाभ, और अन्य वित्तीय पहलुओं का मूल्यांकन करना होता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई परियोजना वित्तीय दृष्टिकोण से व्यवहार्य है या नहीं। यह प्रक्रिया निवेश निर्णयों को सही दिशा में मार्गदर्शन देती है।


3.1 परियोजनाओं की लागत (Cost of Projects)

परियोजना की लागत वह कुल राशि है जो किसी परियोजना को शुरू करने और उसे पूरा करने में खर्च होती है। यह लागत विभिन्न हिस्सों में बंटी होती है:

  1. स्थायी लागत (Fixed Costs):
    • यह वह लागत होती है जो प्रोजेक्ट के कामकाजी स्तर पर निर्भर नहीं करती, जैसे भूमि, भवन, मशीनरी आदि।
  2. चर लागत (Variable Costs):
    • यह लागत उत्पादन के स्तर के अनुसार बदलती है, जैसे कच्चे माल, श्रम लागत, आदि।
  3. प्रारंभिक लागत (Initial Costs):
    • यह वह लागत है जो परियोजना की शुरुआत में लगती है, जैसे- निर्माण, उपकरणों की खरीद आदि।
  4. कार्य संचालन लागत (Operating Costs):
    • यह वह लागत है जो प्रोजेक्ट के संचालन के दौरान होती है, जैसे- कर्मचारियों का वेतन, बिजली, पानी, आदि।

उदाहरण:
मान लीजिए एक कार निर्माण कंपनी ने एक नई फैक्ट्री स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस फैक्ट्री की निर्माण लागत (स्थायी) और कच्चे माल, श्रमिकों की लागत (चर लागत) को मिलाकर कुल परियोजना की लागत का अनुमान लगाया जाएगा।


3.2 वित्तपोषण के साधन (Means of Financing)

परियोजना को वित्तपोषित करने के विभिन्न साधन होते हैं:

  1. इक्विटी फाइनेंसिंग (Equity Financing):

    • इसमें निवेशक कंपनी के शेयरों के बदले धन प्रदान करते हैं। इसके बदले उन्हें कंपनी के लाभ में हिस्सेदारी मिलती है।
  2. ऋण फाइनेंसिंग (Debt Financing):

    • इसमें कंपनी को बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण लिया जाता है, जिसे ब्याज सहित वापस करना होता है। यह सामान्यतः कम लागत का होता है, लेकिन जोखिम अधिक होता है।
  3. सरकारी सहायता (Government Grants/Subsidies):

    • कुछ परियोजनाओं को सरकार से वित्तीय सहायता मिल सकती है। यह सहायता विशेष रूप से नवीनीकरण, हरित ऊर्जा परियोजनाओं आदि के लिए होती है।
  4. आंतरिक निधि (Internal Funds):

    • यह उस पूंजी को संदर्भित करता है जो कंपनी के पास पहले से होती है, जैसे- पहले से अर्जित लाभ।

उदाहरण:
किसी नई शॉपिंग मॉल के निर्माण के लिए धन जुटाने के लिए कंपनी बैंक से ऋण ले सकती है, साथ ही साथ कुछ इक्विटी निवेशकों से भी पूंजी जुटा सकती है।


3.3 बिक्री और उत्पादन अनुमान – उत्पादन लागत (Estimates of Sales and Production-Cost of Production)

बिक्री अनुमान (Sales Estimates): यह अनुमान उस उत्पाद या सेवा की बिक्री को लेकर किया जाता है जो परियोजना के द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह अनुमान बाजार की मांग, प्रतिस्पर्धा और मूल्य निर्धारण पर आधारित होता है।

उत्पादन अनुमान (Production Estimates): यह वह अनुमान है कि किसी उत्पाद को बनाने के लिए कितने संसाधन और समय की आवश्यकता होगी। इसमें कच्चे माल, श्रम, ऊर्जा आदि का आकलन किया जाता है।

उत्पादन लागत (Cost of Production): यह वह लागत है जो उत्पाद या सेवा बनाने में आती है, जिसमें कच्चे माल, श्रमिकों का वेतन, मशीनरी का रखरखाव आदि शामिल हैं।

उदाहरण:
मान लीजिए एक बेकरी व्यवसाय है जो केक और बिस्कुट बनाती है। यहाँ बिक्री अनुमान होगा कि महीने में कितने केक बिकेंगे, और उत्पादन अनुमान होगा कि कितनी सामग्री (जैसे आटा, चीनी, आदि) की आवश्यकता होगी।


3.4 कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और उसका वित्तपोषण (Working Capital Requirement and its Financing)

कार्यशील पूंजी (Working Capital) वह पूंजी है जो किसी व्यवसाय को अपने दैनिक संचालन को चलाने के लिए आवश्यक होती है। इसमें संक्षेप में कहा जाए तो यह वह राशि है जो व्यवसाय के आम खर्चों (जैसे वेतन, कच्चा माल, बिजली आदि) को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होती है।

कार्यशील पूंजी की आवश्यकता (Working Capital Requirement): यह उस राशि को दर्शाती है जो व्यवसाय को दैनिक संचालन के लिए चाहिए होती है। इसका निर्धारण व्यवसाय के आकार, वित्तीय स्थिति, और संचालन के प्रकार पर निर्भर करता है।

वित्तपोषण (Financing of Working Capital): कार्यशील पूंजी के वित्तपोषण के लिए निम्नलिखित साधन हो सकते हैं:

  1. आंतरिक निधि (Internal Funds):

    • लाभ या कंपनी के अन्य संसाधनों से।
  2. कर्ज (Loans):

    • बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाओं से कार्यशील पूंजी के लिए ऋण लिया जाता है।
  3. क्रेडिट (Credit):

    • आपूर्तिकर्ताओं से उधारी पर कच्चे माल की आपूर्ति और सेवाएं प्राप्त करना।

उदाहरण:
यदि एक निर्माता कंपनी के पास 10 लाख रुपये का आदेश है, तो उसे इस आदेश को पूरा करने के लिए 3 लाख रुपये की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता हो सकती है। यह राशि कच्चे माल, श्रमिकों का वेतन, परिवहन लागत आदि को कवर करेगी।


3.5 लाभप्रदता प्रक्षेपण, नकद प्रवाह विवरण और बैलेंस शीट (Profitability Projection, Cash Flow Statement and Balance Sheet)

लाभप्रदता प्रक्षेपण (Profitability Projection): यह वह भविष्यवाणी होती है जो यह दर्शाती है कि परियोजना या व्यवसाय कितनी अधिक लाभप्रद होगी। इसमें बिक्री, लागत, और लाभ की भविष्यवाणी की जाती है।

नकद प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement): यह विवरण यह बताता है कि व्यवसाय के पास नकद की कितनी आवक और बहाव हो रही है। इससे व्यवसाय की नकद स्थिति का पता चलता है और यह निर्धारित होता है कि व्यवसाय को किसी भी वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है या नहीं।

बैलेंस शीट (Balance Sheet): यह एक वित्तीय दस्तावेज़ है जो किसी कंपनी की संपत्तियों (Assets), देनदारियों (Liabilities), और मालिकों की पूंजी (Owner's Equity) को दर्शाता है। बैलेंस शीट से यह पता चलता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति कैसी है।


3.6 ब्रेकइवन विश्लेषण (Breakeven Analysis)

ब्रेकइवन प्वाइंट (Breakeven Point) वह बिंदु होता है, जहाँ किसी व्यवसाय की कुल लागत और कुल आय बराबर हो जाती है, यानी न तो लाभ होता है और न ही हानि। यह बिंदु यह दर्शाता है कि व्यवसाय को लाभ में आने के लिए कितनी बिक्री करनी होगी।

ब्रेकइवन विश्लेषण का उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि किसी उत्पाद को बेचने के लिए न्यूनतम कितनी मात्रा बेची जानी चाहिए ताकि लागत पूरी हो जाए।

ब्रेकइवन प्वाइंट का सूत्र:

Breakeven Point=Fixed CostsSelling Price per UnitVariable Cost per Unit\text{Breakeven Point} = \frac{\text{Fixed Costs}}{\text{Selling Price per Unit} - \text{Variable Cost per Unit}}

उदाहरण:
मान लीजिए एक कंपनी की स्थायी लागत 5,00,000 रुपये है और प्रत्येक उत्पाद की बिक्री मूल्य 100 रुपये और प्रति उत्पाद की चर लागत 40 रुपये है। ब्रेकइवन प्वाइंट होगा:

Breakeven Point=5,00,00010040=5,00,00060=8333.33 units\text{Breakeven Point} = \frac{5,00,000}{100 - 40} = \frac{5,00,000}{60} = 8333.33 \text{ units}

इसलिए, कंपनी को 8334 उत्पादों की बिक्री करनी होगी ताकि वह अपनी लागत को कवर कर सके और कोई नुकसान न हो।


निष्कर्ष (Conclusion)

वित्तीय अनुमान और प्रक्षेपण किसी भी परियोजना के सफल संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन अनुमानों के द्वारा यह समझा जा सकता है कि प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक पूंजी, वित्तपोषण विकल्प, उत्पादन लागत, कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और लाभप्रदता कैसे होगी। ब्रेकइवन विश्लेषण से यह समझने में मदद मिलती है कि प्रोजेक्ट को कब से लाभ होने लगेगा।

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