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यूनिट 2: संघ सरकार
यह यूनिट भारतीय संघ सरकार की संरचना, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की भूमिका और शक्तियाँ, और संसद के दोनों सदनों – लोक सभा और राज्य सभा के कार्यों पर आधारित है। आइए, हम प्रत्येक विषय को विस्तार से समझते हैं।
2.1 भारतीय संघ की संरचना
भारत एक संघीय यूनियन (federal union) है, जिसमें केंद्रीय (संघ) सरकार और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों का विभाजन किया गया है। भारतीय संघ की संरचना भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है।
भारतीय संघ की संरचना के मुख्य तत्व:
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संप्रभु राज्य: भारत एक संप्रभु राज्य है, जिसका अर्थ है कि भारत का कोई बाहरी नियंत्रण नहीं है और यह पूरी तरह स्वतंत्र है। भारतीय संघ अखंड है, अर्थात इसका कोई हिस्सा संघ से अलग नहीं हो सकता।
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संघ सरकार: संघ सरकार पूरे देश का प्रशासन करती है और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीच संबंधों को नियंत्रित करती है। संघ सरकार को संविधान में उल्लिखित संघ सूची (Union List) के तहत अधिकार प्राप्त हैं, जिसमें रक्षा, विदेश नीति, संचार आदि जैसे विषय आते हैं।
-
संघीय प्रणाली: भारत एक संघीय ढाँचे का अनुसरण करता है, जहाँ केंद्र सरकार (संघ) और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है।
- तीन स्तर की सरकार:
- संघ सरकार: पूरे देश का प्रशासन करती है।
- राज्य सरकार: प्रत्येक राज्य का प्रशासन करती है।
- स्थानीय सरकार: नगर निगम, पंचायतें आदि के माध्यम से छोटे क्षेत्रों का प्रशासन करती है।
- तीन स्तर की सरकार:
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संसदीय प्रणाली: भारत संसदीय प्रणाली का पालन करता है, जिसमें कार्यपालिका (Executive) सीधे विधायिका (Legislature) के प्रति जिम्मेदार होती है।
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शक्तियों का पृथक्करण: भारतीय संविधान में सरकार की तीन शाखाओं में शक्तियों का विभाजन किया गया है:
- कार्यपालिका (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद)
- विधायिका (संसद: लोक सभा और राज्य सभा)
- न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय)
2.2 राष्ट्रपति – भूमिका और शक्तियाँ
राष्ट्रपति भारत का राज्य प्रमुख और भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर है। राष्ट्रपति की भूमिका प्रायः अनुष्ठानिक (ceremonial) होती है, लेकिन संविधान में उन्हें महत्वपूर्ण शक्तियाँ भी प्राप्त हैं, विशेष रूप से जब देश में आपातकाल या राष्ट्रीय संकट हो।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ:
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कार्यकारी शक्तियाँ:
- नियुक्तियाँ: राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, और अन्य उच्च अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं।
- कार्यकारी निर्णय: सरकार के सभी निर्णय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं, हालांकि ये निर्णय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर होते हैं (धारा 74)।
-
विधायी शक्तियाँ:
- संसद का आह्वान और स्थगन: राष्ट्रपति संसद को सत्र बुलाने, स्थगित करने और लोक सभा को भंग करने का अधिकार रखते हैं।
- बिल पर स्वीकृति: किसी भी बिल को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक होती है। हालांकि, राष्ट्रपति बिल को वापस कर सकते हैं (सिवाय धन विधेयक के)।
- आदेश जारी करने का अधिकार: राष्ट्रपति को संसद सत्र के दौरान नहीं होने पर अधिसूचनाएँ (Ordinance) जारी करने का अधिकार होता है। यह संविधान के समान प्रभाव डालता है, लेकिन इन आदेशों को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
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न्यायिक शक्तियाँ:
- क्षमा का अधिकार: राष्ट्रपति अपराधों के लिए माफी, राहत या विलंब देने का अधिकार रखते हैं।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति: राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।
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सैन्य शक्तियाँ:
- सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में, राष्ट्रपति को युद्ध घोषित करने और शांति समझौतों पर हस्ताक्षर करने का अधिकार है, हालांकि यह सलाह के आधार पर होता है।
-
कूटनीतिक शक्तियाँ:
- राष्ट्रपति भारत के अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं और विदेश समझौतों पर हस्ताक्षर करते हैं, लेकिन ये संसद से अनुमोदित होते हैं।
राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमाएँ:
- राष्ट्रपति की शक्तियाँ अधिकांशतः प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर संचालित होती हैं। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति की भूमिका प्रायः अनुष्ठानिक होती है और वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है।
2.3 प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद
प्रधानमंत्री (PM) भारत सरकार का मुख्य कार्यकारी होता है और यह देश की प्रशासनिक नीति के प्रमुख होते हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद सरकार के कार्यों को लागू करती है।
प्रधानमंत्री की भूमिका:
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कार्यकारी प्रमुख:
- प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रिपरिषद का नेता होता है और सरकार के सभी निर्णयों में मार्गदर्शन करता है।
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सरकार का प्रमुख:
- प्रधानमंत्री भारतीय सरकार का मुख्य निर्णयकर्ता होता है और पूरे प्रशासन को संचालित करता है। यह पद संविधान के तहत सबसे शक्तिशाली होता है।
-
राष्ट्रपति के सलाहकार:
- प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सभी मंत्रिपरिषद के निर्णयों की सूचना देते हैं। प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और संसद को नियमित रूप से सलाह देते हैं।
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संसदीय नेता:
- प्रधानमंत्री संसद में सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं और सरकार की नीतियों को लागू करने में सहायता करते हैं।
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बहुमत पार्टी का नेता:
- प्रधानमंत्री सामान्यतः लोक सभा में बहुमत प्राप्त पार्टी के नेता होते हैं। यदि कोई पार्टी स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त करती, तो राष्ट्रपति उस नेता को नियुक्त करते हैं जो लोक सभा में बहुमत प्राप्त करने में सक्षम हो।
मंत्रिपरिषद:
मंत्रिपरिषद में विभिन्न प्रकार के मंत्री होते हैं:
- कैबिनेट मंत्री: यह प्रमुख मंत्री होते हैं और बड़े मंत्रालयों का प्रभार संभालते हैं।
- राज्य मंत्री: यह जूनियर मंत्री होते हैं और कैबिनेट मंत्रियों की सहायता करते हैं।
- उप-मंत्री: ये और भी जूनियर मंत्री होते हैं, जो अन्य मंत्रियों के साथ काम करते हैं।
मंत्रिपरिषद का नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं और यह राष्ट्रपति को सलाह देता है। यह संघ सरकार का सबसे शक्तिशाली निकाय होता है।
2.4 लोक सभा और राज्य सभा
भारतीय संसद दो सदनों में बंटी होती है:
- लोक सभा (जनता का सदन) – निचला सदन
- राज्य सभा (राज्य सभा) – ऊपरी सदन
लोक सभा (House of the People)
-
संरचना:
- लोक सभा में 545 सदस्य होते हैं जो सीधे जनता द्वारा चुनाव के माध्यम से चुने जाते हैं। इनमें से अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं, जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि और नियुक्त सदस्य शामिल होते हैं।
-
कार्य:
- विधायी शक्ति: लोक सभा मुख्य रूप से कानून बनाने और बिलों को पास करने की जिम्मेदार होती है। इसमें राज्य सभा की तुलना में अधिक शक्तियाँ होती हैं।
- कार्यपालिका पर नियंत्रण: सरकार लोक सभा के प्रति जिम्मेदार होती है। प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद लोक सभा के सामने जिम्मेदार होते हैं।
- वित्तीय शक्तियाँ: केवल लोक सभा धन विधेयक प्रस्तुत कर सकती है। राज्य सभा केवल संशोधन का प्रस्ताव कर सकती है, लेकिन इसे अस्वीकार नहीं कर सकती।
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कार्यकाल:
- लोक सभा का कार्यकाल पाँच साल होता है, लेकिन इसे राष्ट्रपति द्वारा भंग भी किया जा सकता है।
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सत्र:
- लोक सभा साल में तीन सत्रों में बैठती है: वित्तीय सत्र, मानसून सत्र और सर्दी सत्र।
राज्य सभा (Council of States)
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संरचना:
- राज्य सभा में 245 सदस्य होते हैं, जिन्हें राज्य विधानसभाओं और संघ क्षेत्रों के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है, और कुछ सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।
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कार्य:
- विधायी शक्ति: राज्य सभा लोक सभा द्वारा पारित विधेयकों पर चर्चा करती है, लेकिन धन विधेयकों को वह रोक नहीं सकती।
- समीक्षा और बहस: राज्य सभा विधायिका की समीक्षा करने और विभिन्न मुद्दों पर बहस करने का काम करती है।
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कार्यकाल:
- राज्य सभा का कार्यकाल स्थायी होता है और इसे भंग नहीं किया जा सकता। हालांकि, एक तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त हो जाते हैं और नए सदस्य चुने जाते हैं।
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सत्र:
- राज्य सभा भी लोक सभा की तरह साल में तीन सत्रों में बैठती है।
निष्कर्ष
भारतीय संघ सरकार की संरचना एक जटिल प्रणाली है जो केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का संतुलन बनाती है। राष्ट्रपति राज्य का सर्वोच्च प्रमुख होते हुए भी एक प्रतीकात्मक भूमिका निभाते हैं, जबकि प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी शक्ति रखते हैं। संसद के दोनों सदन, लोक सभा और राज्य सभा, विधायिका के महत्वपूर्ण अंग होते हैं जो कानून बनाने और सरकार को जिम्मेदार ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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