✅ 1.1 रखरखाव के प्रकार (Types of Maintenance)
1.1.1 मरम्मत (Repair):
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यह उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें क्षतिग्रस्त या खराब हुए हिस्सों को ठीक किया जाता है।
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उदाहरण: दीवार में दरार आने पर उसे भरना या सील करना।
1.1.2 रेट्रोफिटिंग (Retrofitting):
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पुराने निर्माण को नई तकनीक से मज़बूत बनाना।
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उद्देश्य: भविष्य के लिए संरचना को भूकंप या अन्य जोखिमों से सुरक्षित बनाना।
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उदाहरण: पुराने भवन में सीज़्मिक बैंड जोड़ना।
1.1.3 री-स्ट्रेंथनिंग (Re-strengthening):
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क्षतिग्रस्त हिस्सों की संरचनात्मक ताकत को बढ़ाना।
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इसमें स्टील जैकेटिंग, फाइबर रैपिंग, ग्राउटिंग आदि तकनीकें प्रयोग होती हैं।
1.1.4 पुनर्वास (Rehabilitation):
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जब कोई संरचना आंशिक रूप से काम करने की स्थिति में हो, तो उसे फिर से उपयोग लायक बनाना।
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इसमें मरम्मत, रेट्रोफिटिंग और उपयोग की स्थिति के अनुसार सुधार होता है।
1.1.5 पुनर्स्थापन (Restoration):
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किसी संरचना को उसकी मूल स्थिति में वापस लाना।
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विशेषकर ऐतिहासिक इमारतों जैसे किले, मंदिरों आदि के लिए किया जाता है।
✅ 1.2 रखरखाव की आवश्यकता, उद्देश्य और महत्व (Necessity, Objectives and Importance)
आवश्यकता (Necessity):
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समय के साथ प्राकृतिक क्षरण, उपयोग का प्रभाव, और पर्यावरणीय कारक जैसे बारिश, धूप आदि से क्षति होती है।
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सुरक्षा, दीर्घायु और सेवा जीवन बनाए रखने के लिए जरूरी।
उद्देश्य (Objectives):
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इमारत को कार्यशील स्थिति में बनाए रखना।
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जीवनकाल को बढ़ाना और मरम्मत की लागत को कम करना।
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पर्यावरणीय खतरों से सुरक्षा देना।
महत्व (Importance):
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भवन की कार्यक्षमता बनाए रखता है।
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दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
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भवन का मूल्य घटने से रोका जा सकता है।
✅ 1.3 रखरखाव के लिए प्रभावी प्रबंधन का दृष्टिकोण (Approach of Effective Management)
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नियमित निरीक्षण (Regular Inspection): समय-समय पर जाँच।
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रिकॉर्ड मेंटेनेंस: सभी मरम्मत और रखरखाव कार्यों का डेटा।
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प्राथमिकता तय करना: कौन-से काम पहले जरूरी हैं।
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सामग्री और श्रमिक प्रबंधन: सही सामग्री और प्रशिक्षित व्यक्ति का उपयोग।
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बजट प्रबंधन: खर्च का पूर्वानुमान और नियंत्रण।
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आपातकालीन योजना: बाढ़, आग, भूकंप जैसे हादसों के लिए तैयार रहना।
✅ 1.4 समय-समय पर रखरखाव (Periodical Maintenance)
1.4.1 चेक लिस्ट (Check List):
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एक सूची जिसमें नियमित रूप से जाँच किए जाने वाले बिंदु शामिल होते हैं।
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जैसे – छत की रिसाव जाँच, दरारें, प्लंबिंग फिटिंग्स, इलेक्ट्रिकल वायरिंग आदि।
1.4.2 रखरखाव पुस्तिका (Maintenance Manual):
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इसमें भवन की पूरी योजना, संरचना की जानकारी, रखरखाव की विधियाँ शामिल होती हैं।
1.4.3 रीनफोर्समेंट डिटेल्स (Reinforcement Details):
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RCC संरचनाओं में प्रयोग हुए स्टील रॉड्स का विवरण।
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मरम्मत के समय बहुत जरूरी जानकारी।
1.4.4 सामग्री स्रोत (Material Sources):
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निर्माण और मरम्मत में इस्तेमाल होने वाली सामग्री कहाँ से मिलेगी – इसका रिकॉर्ड।
1.4.5 रखरखाव की आवृत्ति (Maintenance Frequency):
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कब-कब रखरखाव करना है, इसका समय निर्धारण।
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जैसे – वार्षिक निरीक्षण, मासिक सफाई, मानसून पूर्व जाँच आदि।
1.4.6 सुधारात्मक रखरखाव प्रक्रिया (Corrective Maintenance Procedures):
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जब किसी हिस्से में दोष या खराबी आ जाए, तो उसे सुधारने की विधियाँ।
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जैसे – प्लास्टर रिपेयर, क्रैक फिलिंग, लीकेज रोकना आदि।
1.4.7 मानसून पूर्व और बाद रखरखाव (Pre and Post Monsoon Maintenance):
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मानसून से पहले: छत की वाटरप्रूफिंग, नालियों की सफाई, सीलन की जाँच।
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मानसून के बाद: लीकेज, सीलन, रिसाव से हुए नुकसान की मरम्मत।
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