✅ 4.1 दीवारों में दरारें आने के कारण (Causes of Cracks in Walls)
4.1.1 दीवार का उभरना (Bulging) और संकुचन (Shrinkage)
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दीवार के बीच से बाहर निकलना या मुड़ना।
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कारण: नींव का बैठना, खराब ईंट जोड़, नमी के कारण संकुचन।
4.1.2 बंधन में कमजोरी (Bonding) और शीयर फोर्स (Shear)
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ईंटें एक-दूसरे से अच्छी तरह नहीं जुड़ी होतीं।
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भूकंप या असमान लोड से शीयर क्रैक बनते हैं।
4.1.3 तनावजन्य दरारें (Tensile Cracks)
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ऊर्ध्वाधर लोड या थर्मल एक्सपेंशन से पैदा होती हैं।
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विशेषकर लंबी दीवारों में पाई जाती हैं।
4.1.4 पेड़-पौधों की जड़ें (Vegetation)
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दीवारों या नींव के पास उगने वाले पौधे/झाड़ियाँ दीवारों को फोड़ देती हैं।
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दीवारों में दरारें और झुकाव का कारण बनती हैं।
✅ 4.2 संभावित दरार स्थान (Probable Crack Locations)
4.2.1 मुख्य दीवार और क्रॉस वॉल का जंक्शन
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जोड़ में लोड ट्रांसफर सही न होने पर दरारें।
4.2.2 स्लैब और दीवार का जंक्शन
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थर्मल मूवमेंट या कंक्रीट-ईंट में भिन्न थर्मल एक्सपेंशन से दरारें।
4.2.3 ईंट की जोड़ों में दरारें (Masonry Joints)
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खराब जुड़ाई, संकुचन या कम सीमेंट सामग्री से होती हैं।
✅ 4.3 दरार के प्रकार पर आधारित मरम्मत विधियाँ (Repair Methods Based on Crack Type)
4.3.1 छोटे और मध्यम दरारें (0.5 मिमी – 5 मिमी चौड़ी): ग्राउटिंग
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सीमेंट ग्राउट या पॉलिमर ग्राउट से दरारें भरी जाती हैं।
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दरार को सील करने और ताकत बहाल करने का कार्य।
4.3.2 बड़ी दरारें (>5 मिमी): मेष लगाना (Fixing Mesh)
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दरार के ऊपर स्टील या फाइबर मेश लगाकर प्लास्टर किया जाता है।
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यह दरार को और फैलने से रोकता है।
4.3.3 RCC बैंड लगाना
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क्षतिग्रस्त दीवार के ऊपर/बीच में RCC बैंड डाला जाता है।
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विशेष रूप से भूकंप रोधी निर्माण में अनिवार्य।
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यह लोड को संतुलित करने में मदद करता है।
4.3.4 कोनों पर फेरो-सीमेंट प्लेट लगाना
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फेरो-सीमेंट प्लेटें कोनों पर लगाने से दरारों और टूट-फूट को रोका जाता है।
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यह सुदृढ़ीकरण (strengthening) के लिए प्रभावी है।
4.3.5 डॉवेल बार लगाना
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दरार के दोनों ओर स्टील की रॉड (dowel bars) डालकर जोड़ा जाता है।
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यह दरार के दोनों हिस्सों को आपस में जोड़कर स्थिरता लाता है।
4.3.6 लोड-बेयर दीवार का प्रॉपिंग (Propping)
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लोड-बेयरिंग दीवार में अगर बहुत दरार है, तो अस्थायी सहारा (props) लगाया जाता है।
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इससे मरम्मत के दौरान ढांचा गिरने से बचता है।
✅ 4.4 नमी और सफेद जमाव (Efflorescence) के निवारक उपाय
नमी (Dampness) के उपाय:
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दीवारों में डैम्प-प्रूफ कोर्स (DPC) देना।
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दरारों और जोड़ों को सीलेंट या ग्राउट से भरना।
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बाहरी दीवारों पर वाटरप्रूफ कोटिंग लगाना।
एफ्लोरसेंस (Efflorescence) के उपाय:
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सूखी ब्रशिंग या स्क्रैपिंग से सफेद पाउडर हटाना।
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फिर गर्म पानी से धोना और सतह को सूखने देना।
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सल्फ्यूरिक एसिड (5-10%) से उपचार (ध्यानपूर्वक)।
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