5. RCC निर्माण की मरम्मत और अनुरक्षण विधियाँ

 

5.1 मरम्मत की विभिन्न अवस्थाएँ (Repair Stages)

1. कंक्रीट को हटाना और सतह की तैयारी

  • क्षतिग्रस्त, कमजोर या दरारयुक्त कंक्रीट को हटाना होता है।

  • हटाने की विधियाँ: हथौड़े से तोड़ना, वाटर जेट, या मैकेनिकल चिपिंग

  • सरफेस प्रिपरेशन:

    • रस्ट हटाने के लिए वायर ब्रश, सैंड ब्लास्टिंग

    • सतह को खुरदरा बनाया जाता है ताकि नया मटीरियल अच्छी तरह जुड़ सके।

2. उचित फॉर्मवर्क लगाना

  • मरम्मत सामग्री को आकार देने और पकड़ने के लिए।

  • फॉर्मवर्क लीक-प्रूफ, मज़बूत और आसानी से हटने योग्य होना चाहिए।

3. बोंडिंग/पैसिव कोटिंग लगाना

  • पुराने और नए कंक्रीट के बीच बॉन्डिंग एजेंट (जैसे एपॉक्सी) लगाया जाता है।

  • पैसिव कोटिंग (जैसे जिंक रिच पेंट) से रबर की जंग रुकती है।

4. मरम्मत सामग्री लगाना

  • चुनी हुई मरम्मत सामग्री जैसे पॉलीमर मॉर्टार, नॉन-श्रिंक ग्राउट या एपॉक्सी मोर्टार लगाया जाता है।

  • अच्छी क्योरिंग और फिनिशिंग ज़रूरी होती है।


5.2 मरम्मत के विकल्प (Repair Options)

1. ग्राउटिंग (Grouting)

  • सीमेंट या रसायनिक ग्राउट को दरारों में भरकर ताकत और जल रोधकता वापस लाई जाती है।

2. पैच रिपेयर (Patch Repair)

  • छोटे हिस्सों (जैसे बीम कोनों, कॉलम की सतह) की मरम्मत।

  • क्षतिग्रस्त भाग हटाकर नया सीमेंट या एपॉक्सी मोर्टार लगाया जाता है।

3. कार्बोनेटेड कंक्रीट की मरम्मत

  • जब कार्बोनेशन के कारण pH कम हो जाता है, तो स्टील में जंग लगती है।

  • उपाय:

    • कार्बोनेटेड कंक्रीट हटाना।

    • क्षारीय मरम्मत मोर्टार और स्टील कोटिंग लगाना।

4. रस्ट लगे स्टील की सफाई

  • वायर ब्रश, सैंड ब्लास्टिंग या केमिकल क्लीनिंग से जंग हटाई जाती है।

  • फिर एंटी-रस्ट कोटिंग लगाई जाती है।

5. कंक्रीट ओवरले

  • पुराने कंक्रीट के ऊपर नई परत डाली जाती है।

  • लोड बढ़ाने और सतह को ठीक करने में उपयोगी।

6. लेटेक्स कंक्रीट

  • लेटेक्स मिलाकर कंक्रीट को ज्यादा लचीला और वाटरप्रूफ बनाया जाता है।

  • बाथरूम, टेरेस, पूल्स के लिए उपयुक्त।

7. एपॉक्सी-बॉन्डेड मोर्टार/कंक्रीट

  • एपॉक्सी से जोड़कर पुरानी और नई सतह को एकजुट किया जाता है।

  • ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और रासायनिक रूप से प्रतिरोधक।

8. पॉलीमर कंक्रीट

  • सीमेंट के स्थान पर पॉलीमर रेज़िन का उपयोग होता है।

  • उच्च ताकत और रासायनिक प्रतिरोधकता

  • औद्योगिक फर्श आदि में उपयोगी।

9. जाकेटिंग (Jacketing)

  • कॉलम या बीम के चारों ओर नया आरसीसी कवर डाला जाता है।

  • ताकत बढ़ाने, क्रैक को रोकने, और जंग से बचाने का उपाय।


5.3 बिल्डिंग की दरारें और उनकी रोकथाम

स्थिर दरारें (Dormant Cracks) के लिए मरम्मत विधियाँ:

  1. एपॉक्सी इंजेक्शन

    • दरार में एपॉक्सी रेजिन भरकर मोनोलिथिक स्ट्रेंथ वापस लाना।

  2. ग्रूविंग और सीलिंग

    • दरार को काटकर, साफ कर, सीलेंट से भरा जाता है।

  3. स्टिचिंग

    • दरार के आर-पार स्टील की U शेप बार डाली जाती है, जिससे दरार फैलती नहीं।

  4. ग्राउटिंग

    • बड़ी दरारों या छिद्रों में सीमेंट/पॉलीमर ग्राउट भरा जाता है।

  5. गनाइटिंग / शॉटक्रेटिंग

    • हाई प्रेशर से मोर्टार का छिड़काव, सतह की पूरी मरम्मत के लिए।


5.4 सक्रिय दरारों के लिए सुदृढ़ीकरण विधियाँ (Strengthening for Live Cracks)

1. रिइंफोर्समेंट जोड़ना

  • नई स्टील रॉड्स या जाल बीम, कॉलम में जोड़कर ताकत बढ़ाई जाती है।

2. जाकेटिंग

  • पूरे कॉलम या बीम को नए RCC जाकेट से घेर देना

  • भूकंप जैसी घटनाओं के बाद आम उपाय।

3. ब्रैकेट्स और कॉलर

  • बीम-कॉलम जॉइंट पर ब्रैकेट लगाने से लोड ट्रांसफर बेहतर होता है।

  • कॉलर से कॉलम की स्थिरता बढ़ाई जाती है।

4. पूरक सदस्य (Supplementary Members)

  • शोरिंग: अस्थायी सपोर्ट से ढांचा सुरक्षित रहता है।

  • अंडरपिनिंग: नींव की ताकत बढ़ाने के लिए।

  • प्रॉपिंग: मरम्मत के दौरान लोड को सहारा देना।


🔁 पुनरावृत्ति सारांश (Quick Summary Table)

मरम्मत का तरीकाउपयोगप्रमुख सामग्री
एपॉक्सी इंजेक्शनमहीन स्थिर दरारेंएपॉक्सी रेजिन
पैच रिपेयरसतही टूट-फूटसीमेंट/पॉलीमर मोर्टार
जाकेटिंगस्ट्रक्चरल मजबूतीRCC / स्टील
ग्राउटिंगदरारें या खाली स्थानसीमेंट या केमिकल ग्राउट
गनाइटिंग/शॉटक्रेटिंगबड़ी सतह की मरम्मतसीमेंट मोर्टार
स्टिचिंगस्ट्रक्चरल दरारेंस्टील रॉड, ग्राउट

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