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1. माप के मूलभूत तत्व (Fundamentals of Measurements)
1.1 माप: महत्व, इकाइयाँ, मौलिक मात्राएँ और मानक (Significance, Units, Fundamental Quantities, and Standards)
महत्व (Significance of Measurements): माप किसी वस्तु, परिमाण या प्रणाली की स्थिति, गुण, या अन्य भौतिक गुण को जानने का तरीका है। यह वैज्ञानिक अध्ययन, तकनीकी अनुप्रयोगों, और उद्योग में सटीकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
इकाइयाँ (Units): माप की प्रक्रिया में इकाइयाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वैज्ञानिक माप में SI इकाइयाँ (International System of Units) का उपयोग होता है:
- लंबाई (Length): मीटर (m)
- भार (Mass): किलोग्राम (kg)
- समय (Time): सेकंड (s)
- धारा (Current): ampere (A)
- तापमान (Temperature): किल्विन (K)
- मात्रक (Amount of substance): मोल (mol)
- प्रकाश का बल (Luminous intensity): कैण्डेला (cd)
मौलिक मात्राएँ (Fundamental Quantities): ये वे मात्राएँ हैं जिन्हें अन्य मात्राओं से नहीं निकाला जा सकता। इनमें लंबाई, समय, द्रव्यमान, तापमान, विद्युत धारा, और चमक शामिल हैं।
मानक (Standards): मानक वे सटीक माप हैं जिनका प्रयोग अन्य मापों के लिए आधार के रूप में किया जाता है। यह शुद्ध माप मापने के लिए एक परिभाषित और स्थिर संदर्भ प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, SI मानक।
1.2 यंत्र प्रणाली का वर्गीकरण (Classification of Instrument Systems)
1.2.1 नल और डिफ्लेक्शन प्रकार यंत्र (Null and Deflection Type Instruments)
नल प्रकार यंत्र (Null Type Instruments): इन यंत्रों में माप को शून्य करने की प्रक्रिया होती है। इसका मुख्य उद्देश्य ऐसी स्थिति में पहुंचना है जहाँ सिस्टम पर कोई शारीरिक प्रभाव न हो। उदाहरण: व्हीटस्टोन ब्रिज।
डिफ्लेक्शन प्रकार यंत्र (Deflection Type Instruments): इन यंत्रों में, माप को प्राप्त करने के लिए डिफ्लेक्शन (विकलन) का उपयोग किया जाता है। उदाहरण: वोल्टमीटर, एमीटर।
1.2.2 एब्सोल्यूट और द्वितीयक यंत्र (Absolute and Secondary Instruments)
एब्सोल्यूट यंत्र (Absolute Instruments): ये यंत्र बिना किसी अन्य यंत्र के मदद के सटीक माप प्रदान करते हैं। इनकी रीडिंग सीधे मापे गए परिमाण से संबंधित होती है। उदाहरण: ग्रैविटी बल मापने वाला यंत्र।
द्वितीयक यंत्र (Secondary Instruments): ये यंत्र किसी मूल यंत्र के माध्यम से मान्य होते हैं और इनका कार्य वैलिडेशन और कैलिब्रेशन के लिए किया जाता है। उदाहरण: एमीटर, वोल्टमीटर।
1.2.3 एनालॉग और डिजिटल यंत्र (Analog and Digital Instruments)
एनालॉग यंत्र (Analog Instruments): इन यंत्रों में माप निरंतर रूप से बदलता है और यह घुमावदार डायल या निडल द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण: PMMC मीटर, PMMI मीटर।
डिजिटल यंत्र (Digital Instruments): इन यंत्रों में माप को संख्या के रूप में डिजिटल डिस्प्ले पर दिखाया जाता है। उदाहरण: डिजिटल मल्टीमीटर, डिजिटल वोल्टमीटर।
1.3 त्रुटियों के प्रकार (Types of Errors)
मूलभूत त्रुटियाँ (Fundamental Errors): ये त्रुटियाँ यंत्रों के डिज़ाइन या निर्माण में होती हैं और यंत्रों के द्वारा मापे गए परिमाण के सटीक परिणाम को प्रभावित करती हैं।
मानव त्रुटियाँ (Human Errors): माप प्रक्रिया के दौरान मापकर्ता द्वारा की जाने वाली त्रुटियाँ, जैसे रीडिंग गलत लेना, यंत्र का गलत इस्तेमाल करना आदि।
यांत्रिक त्रुटियाँ (Mechanical Errors): यांत्रिक कारणों से उत्पन्न होने वाली त्रुटियाँ जैसे यंत्र का टूटना, या असामान्य स्थितियाँ जैसे दबाव या तापमान के बदलाव।
आवधिक त्रुटियाँ (Periodic Errors): ये त्रुटियाँ समय के साथ नियमित रूप से होती हैं, जैसे सिंक त्रुटियाँ।
सिस्टमेटिक त्रुटियाँ (Systematic Errors): यांत्रिक और इलेक्ट्रिकल गलतियाँ जो किसी निश्चित पैटर्न का पालन करती हैं और नियमित रूप से होती हैं।
रैंडम त्रुटियाँ (Random Errors): ये अप्रत्याशित त्रुटियाँ होती हैं जो किसी विशेष पैटर्न का पालन नहीं करती हैं और विभिन्न प्रकार के कारणों से उत्पन्न होती हैं।
1.4 कैलिब्रेशन: आवश्यकता और प्रक्रिया (Calibration: Need and Procedure)
आवश्यकता:
- किसी यंत्र के द्वारा मापे गए मान को सही माप में परिवर्तित करने के लिए कैलिब्रेशन आवश्यक है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि यंत्र सटीक माप दे रहा है।
- कैलिब्रेशन यंत्रों के द्वारा मापे गए मानों में कोई भी विसंगति को सुधारने के लिए किया जाता है, जिससे माप की सटीकता में वृद्धि होती है।
प्रक्रिया:
- यंत्र की शून्य स्थिति और स्केल रेंज को जांचना।
- कैलिब्रेटेड रेफरेंस मानकों के साथ यंत्र का परीक्षण करना।
- प्राप्त रीडिंग की तुलना मानक माप से करना।
- यदि आवश्यक हो तो यंत्र को सुधारना और कैलिब्रेट करना।
- ट्रैकिंग और दस्तावेज़ीकरण करना, ताकि यंत्र की स्थिति और परीक्षण परिणामों का रिकॉर्ड रखा जा सके।
1.5 मापने वाले यंत्रों का वर्गीकरण (Classification of Measuring Instruments)
1.5.1 इंडिकेटिंग यंत्र (Indicating Instruments)
- इंडिकेटिंग यंत्र वे यंत्र होते हैं जो मापे गए मान को डायल या डिजिटल डिस्प्ले पर प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण: वोल्टमीटर, एमीटर। इन यंत्रों में माप केवल एक समय पर दिखता है और यह माप केवल उस समय के मान का प्रतिनिधित्व करता है।
1.5.2 रिकॉर्डिंग यंत्र (Recording Instruments)
- रिकॉर्डिंग यंत्र वे यंत्र होते हैं जो मापे गए मान को समय के साथ रिकॉर्ड करते हैं। यह मापे गए मानों का ग्राफिकल रेकॉर्ड तैयार करते हैं, जिसे एक निश्चित अवधि तक देखा जा सकता है। उदाहरण: ऑस्सिलोस्कोप, रिकॉर्डिंग थर्मामीटर। इन यंत्रों में रीडिंग को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है, जिससे डेटा संग्रहण और विश्लेषण किया जा सकता है।
1 Comments
Vinod
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