Hey Welcome to BTER Rajasthan Polytechnic.
1. Join Groups for PDF's & Regular Updates
Join the community of Civil Engineering students at BTER Polytechnic and stay updated:
- Telegram Channel: Join Telegram Channel 📱
- WhatsApp Group: Join WhatsApp Group 💬
- YouTube Channel: Visit YouTube Channel 🎥
2. Help & Donations 💖
If you find our resources helpful and wish to support our initiative, your donation will help us continue improving and providing valuable study material.
- UPI ID: garimakanwarchauhan@oksbi
- QR Code:
💰 Your support matters! Every contribution helps us reach more students and provide better resources! 🙏
3. Notes Website
- Official Notes Website: Visit Notes Website 📝
This website provides all study materials, notes, and important updates for Civil Engineering students.
4. Important Links
Explore the following links for additional resources and exam preparation:
- Syllabus: Download Syllabus 📚
- Previous Year Papers: View Previous Year Papers 🗂️
- Study Materials: Download Study Materials 📑
यूनिट 2: सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा एक प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो सूर्य की ऊर्जा को इकट्ठा करके बिजली उत्पादन, ताप, और विभिन्न अन्य अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है। इस यूनिट में हम सौर ऊर्जा के सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, जिनमें सूर्य की विकिरण से लेकर सौर पैनल तक के महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं। आइए इसे सरल तरीके से समझते हैं:
2.1 सौर विकिरण (Solar Radiation)
सौर विकिरण सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा है, जो पृथ्वी पर विभिन्न रूपों में पहुँचती है। सौर विकिरण सूर्य के द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में होती है।
-
सूर्य के विकिरण का स्पेक्ट्रम: यह विकिरण तीन प्रकार की होती है:
- दृश्य प्रकाश: जो मानव आंख से देखा जा सकता है।
- पराबैंगनी विकिरण (UV): यह मानव त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है, लेकिन यह विटामिन D के निर्माण में मदद करता है।
- इन्फ्रारेड विकिरण: यह ताप उत्पन्न करता है।
-
सौर स्थिरांक (Solar Constant): सूर्य से पृथ्वी के बाहर जो विकिरण पहुँचता है, उसे 1361 W/m² के रूप में मापा जाता है, जिसे सौर स्थिरांक कहते हैं।
-
पृथ्वी पर सौर ऊर्जा: पृथ्वी के वायुमंडल और बादलों के कारण, पूरी सौर विकिरण का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की सतह तक पहुँचता है।
आरेख: सूर्य के विकिरण स्पेक्ट्रम का आरेख जिसमें विभिन्न विकिरण प्रकार (दृश्य, इन्फ्रारेड, पराबैंगनी) दिखाए गए हों।
2.2 सौर विकिरण मापने के तरीके
सौर ऊर्जा का सही तरीके से उपयोग करने के लिए सौर विकिरण को मापना आवश्यक है। इसके लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
-
पायरानोमीटर (Pyranometer): यह वैश्विक सौर विकिरण को मापता है जो एक समतल सतह पर प्राप्त होता है। यह प्रत्यक्ष और विसरणीय विकिरण दोनों का माप करता है।
-
पायरहेलियोमीटर (Pyrheliometer): यह केवल प्रत्यक्ष सौर विकिरण को मापता है, यानी सूर्य से सीधे आने वाली विकिरण।
-
सूर्यप्रकाश रिकॉर्डर (Sunshine Recorder): यह उपकरण सूर्य के प्रकाश की अवधि को मापता है। इससे यह पता चलता है कि एक दिन में कितनी बार सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है।
आरेख: विभिन्न उपकरणों जैसे पायरानोमीटर और पायरहेलियोमीटर के चित्र।
2.3 फ्लैट प्लेट और संकेंद्रित कलेक्टर
सौर ऊष्मा प्रणालियों में कलेक्टर का उपयोग सूर्य की ऊर्जा को इकट्ठा करने और उसे गर्मी में बदलने के लिए किया जाता है।
- फ्लैट प्लेट कलेक्टर: यह सबसे सामान्य कलेक्टर है जिसका उपयोग घरों और छोटे अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- संरचना: इसमें एक समतल काले रंग की प्लेट होती है जो सूर्य की विकिरण को अवशोषित करती है और फिर इसे एक तरल (पानी या वायु) में स्थानांतरित करती है।
- लाभ: सरल, किफायती और जल या वायु को गर्म करने के लिए विश्वसनीय।
- संकेंद्रित सौर कलेक्टर: इन प्रणालियों में सूरज की रोशनी को एक छोटे क्षेत्र पर संकेंद्रित करने के लिए लेंस या दर्पणों का उपयोग किया जाता है। इससे उच्च तापमान उत्पन्न होता है।
- प्रकार: पाराबोलिक ट्रॉफ, हेलियोस्टैट्स, और डिश कलेक्टर्स।
- आवेदन: बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए।
आरेख: फ्लैट प्लेट कलेक्टर और संकेंद्रित कलेक्टर का तुलनात्मक आरेख।
2.4 सौर प्रत्यक्ष ऊष्मा अनुप्रयोग (Solar Direct Thermal Applications)
सौर प्रत्यक्ष ऊष्मा अनुप्रयोग सूर्य की गर्मी का सीधे उपयोग करते हैं, बिना उसे बिजली में बदलने के।
-
सौर जल हीटिंग (Solar Water Heating): फ्लैट प्लेट और शोषित ट्यूब कलेक्टरों का उपयोग घरेलू और औद्योगिक जल गरम करने के लिए किया जाता है।
-
सौर स्थान हीटिंग (Solar Space Heating): घरों और व्यवसायों को गर्म करने के लिए सूर्य की गर्मी का उपयोग किया जाता है, जिससे पारंपरिक गैस या बिजली से होने वाली ऊर्जा खपत में कमी आती है।
-
सौर खाना पकाना (Solar Cooking): सौर कुकर सूर्य की रोशनी को एकत्र कर खाना पकाने के लिए उपयोग करते हैं।
-
सौर सुखाना (Solar Drying): कृषि उत्पादों, कपड़े आदि को सूर्य की गर्मी से सुखाना ऊर्जा की बचत करने वाला तरीका है।
उदाहरण: भारत में घरों में और औद्योगिक क्षेत्रों में सौर जल हीटर का उपयोग किया जाता है।
2.5 सौर ऊष्मा बिजली उत्पादन (Solar Thermal Power Generation)
सौर ऊष्मा बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा को बिजली उत्पादन के लिए उच्च तापमान में बदलकर उपयोग किया जाता है।
-
कार्य प्रणाली: सौर तापीय बिजली संयंत्रों में दर्पणों या लेंसों का उपयोग करके सूरज की रोशनी को एकत्रित किया जाता है और एक रिसीवर पर केंद्रित किया जाता है, जिससे एक तरल (आमतौर पर तेल या गलती हुआ नमक) गर्म होता है। यह गर्म तरल फिर भाप टर्बाइन को घुमाता है, जो जनरेटर को चालित करता है।
-
सौर ऊष्मा संयंत्रों के प्रकार:
- पाराबोलिक ट्रॉफ सिस्टम: बड़े, घुमावदार दर्पण सूर्य की रोशनी को एक रिसीवर पर केंद्रित करते हैं।
- सौर पावर टावर: बड़े क्षेत्र में स्थित दर्पण सूर्य की रोशनी को एक केंद्रीय रिसीवर पर केंद्रित करते हैं।
- डिश स्टर्लिंग सिस्टम: पाराबोलिक डिश सूर्य की रोशनी को स्टर्लिंग इंजन पर केंद्रित करती है जो बिजली उत्पन्न करता है।
-
लाभ:
- सौर ऊर्जा संचय के साथ रात में भी बिजली उत्पन्न की जा सकती है।
- बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए उच्च दक्षता।
आरेख: पाराबोलिक ट्रॉफ और सौर पावर टावर की कार्यप्रणाली का आरेख।
2.6 सौर फोटोवोल्टिक (PV) रूपांतरण का मूल सिद्धांत
सौर फोटोवोल्टिक (PV) रूपांतरण का मतलब है सूर्य की रोशनी को सीधे बिजली में बदलना। यह प्रक्रिया सौर कोशिकाओं (solar cells) द्वारा की जाती है, जो अर्धचालक सामग्री से बनी होती हैं।
-
कार्य प्रणाली: जब सूर्य की रोशनी सौर कोशिका पर पड़ती है, तो यह अर्धचालक सामग्री में इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करती है, जिससे विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
- अर्धचालक सामग्री: सौर कोशिकाओं में आमतौर पर सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है।
- फोटॉन सूर्य की रोशनी से इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करते हैं, जो विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं।
-
दक्षता: सौर कोशिकाओं की दक्षता सामग्री, पैनल के कोण और सूर्य की रोशनी की तीव्रता पर निर्भर करती है।
उदाहरण: सौर कैल्कुलेटर जो सूर्य की रोशनी से सीधे शक्ति उत्पन्न करता है।
2.7 सौर कोशिकाएँ (Solar Cells)
सौर कोशिकाएँ फोटोवोल्टिक प्रणालियों के बुनियादी घटक होते हैं, जो सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने का काम करती हैं।
-
संरचना: एक सौर कोशिका में एक अर्धचालक परत (आमतौर पर सिलिकॉन) होती है, जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक परतें होती हैं, जो विद्युत क्षेत्र बनाती हैं।
-
प्रकार:
- मोनोक्रिस्टलिन सौर कोशिकाएँ: एकल सिलिकॉन क्रिस्टल से बनी होती हैं। इनकी दक्षता अधिक होती है, लेकिन लागत भी ज्यादा होती है।
- पॉलीक्रिस्टलिन सौर कोशिकाएँ: कई सिलिकॉन क्रिस्टल को मिलाकर बनाई जाती हैं। ये सस्ती होती हैं, लेकिन दक्षता कम होती है।
- पतली-फिल्म सौर कोशिकाएँ: इनका निर्माण पतली परतों के रूप में किया जाता है। ये लचीली और हल्की होती हैं, लेकिन कम दक्षता प्रदान करती हैं।
-
दक्षता: मोनोक्रिस्टलिन कोशिकाएँ उच्चतम दक्षता (~18-22%) प्रदान करती हैं, जबकि पतली-फिल्म कोशिकाएँ कम दक्षता (~10-12%) देती हैं।
आरेख: एक सामान्य सिलिकॉन सौर कोशिका की संरचना का आरेख।
2.8 सौर पीवी बिजली उत्पादन (Solar PV Power Generation)
सौर पीवी बिजली उत्पादन का मतलब है सौर कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न बिजली को एकत्रित करना और उसका उपयोग करना।
-
सिस्टम घटक:
- सौर पैनल: कई सौर कोशिकाएँ एक पैनल में जुड़ी होती हैं।
- इनवर्टर: यह डाइरेक्ट करंट (DC) बिजली को वैकल्पिक करंट (AC) में बदलता है, जो घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक होता है।
- बैटरी स्टोरेज: अतिरिक्त बिजली को स्टोर करने के लिए बैटरी का उपयोग किया जाता है ताकि रात के समय या बादल होने पर भी बिजली मिल सके।
-
ग्रिड से जुड़े सिस्टम: इन सिस्टमों को बिजली ग्रिड से जोड़ा जाता है ताकि दिन के समय अधिक ऊर्जा उत्पन्न की जा सके और रात में ग्रिड से बिजली ली जा सके।
-
ऑफ-ग्रिड सिस्टम: यह सिस्टम मुख्य रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं, जहाँ बिजली ग्रिड उपलब्ध नहीं है।
उदाहरण: घरों और ऑफिसों में स्थापित सौर पैनल जो बिजली उत्पन्न करते हैं।
2.9 सौर पीवी अनुप्रयोग (Solar PV Applications)
सौर पीवी प्रौद्योगिकी के कई अनुप्रयोग हैं, जो आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं।
-
आवासीय अनुप्रयोग:
- सौर गृह प्रणालियाँ: ये प्रणालियाँ घरों को रोशनी, उपकरणों, और अन्य घरेलू आवश्यकताओं के लिए बिजली प्रदान करती हैं।
- सौर जल पंपिंग प्रणालियाँ: ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में जल आपूर्ति के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
-
वाणिज्यिक अनुप्रयोग:
- सौर छत और सौर फार्म: बड़े वाणिज्यिक भवन और फार्म सौर पैनलों का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करते हैं।
-
औद्योगिक अनुप्रयोग:
- सौर ऊर्जा से चलने वाले कारखाने: सौर ऊर्जा से कारखानों को चलाकर बिजली की लागत को कम किया जाता है।
- ऑफ-ग्रिड अनुप्रयोग: दूर-दराज के क्षेत्रों में सौर पैनल का उपयोग जल पंप, संचार टावरों, और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए किया जाता है।
उदाहरण: एक बड़ा सौर फार्म जो एक शहर के लिए बिजली उत्पन्न करता है, या दूर-दराज के क्षेत्र में सौर जल पंपिंग सिस्टम।
निष्कर्ष
सौर ऊर्जा एक अत्यंत महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान करता है। सौर विकिरण, सौर कोशिकाएँ, ऊष्मा ऊर्जा प्रणालियाँ, और फोटोवोल्टिक प्रणालियाँ सभी मिलकर इस ऊर्जा स्रोत को अधिक प्रभावी और किफायती बनाती हैं। इसे समझकर हम इसे बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं, ताकि हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पूरा कर सकें।
📢 🔔 Download PDF & Join Study Groups:
📥 WhatsApp Group: Join Now
📥 Telegram Channel: Join Now
📺 Watch Lecture on YouTube: BTER Polytechnic Classes
📍 Stay connected for more study materials! 🚀
Thank You for Visiting!
We wish you all the best for your studies. Keep learning, and don't hesitate to reach out for help! 📚✨
0 Comments