UNIT 5: ELECTION COMMISSION in Hindi

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यूनिट 5: चुनाव आयोग

चुनाव आयोग भारत का एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है, जो देश के राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर चुनावों का संचालन करता है। यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित किए जाएं और चुनावी प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।

आइए हम चुनाव आयोग और इसके घटकों को विस्तार से समझें:


5.1 चुनाव आयोग की भूमिका और कार्यप्रणाली

चुनाव आयोग भारत में चुनावों के संचालन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है। यह संविधान का एक अंग है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत कार्य करता है।

मुख्य भूमिका और कार्य:

  1. चुनावों का आयोजन:

    • चुनाव आयोग भारत में लोकसभा, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति चुनाव, और स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन करता है। यह यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव समय पर और कानूनी रूप से सही तरीके से आयोजित किए जाएं, जिसमें मतदाता पंजीकरण, मतदान केंद्रों की स्थापना और मतदाता पहचान प्रक्रिया शामिल है।
  2. राजनीतिक दलों की निगरानी:

    • चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की मान्यता और चुनाव चिन्हों के पंजीकरण की प्रक्रिया का संचालन करता है। यह यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार अभियान और संसाधनों का उपयोग चुनावी नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो।
  3. सीमा निर्धारण:

    • चुनाव आयोग चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन करता है, ताकि संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का वितरण निष्पक्ष रूप से किया जा सके।
  4. मतदाता पंजीकरण और निर्वाचक सूची:

    • चुनाव आयोग निर्वाचक सूची को बनाए रखता है और इसे नियमित रूप से अपडेट करता है, ताकि इसमें सभी योग्य मतदाताओं के नाम शामिल हों। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी पात्र मतदाता पंजीकरण से छूट न जाए।
  5. चुनाव प्रचार की निगरानी:

    • चुनाव आयोग चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों के खर्चों और उनके द्वारा प्रचारित सामग्री की निगरानी करता है। यह आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी दल चुनावी नियमों का उल्लंघन न करे।
  6. मतदाता शिक्षा:

    • चुनाव आयोग मतदाता शिक्षा पर काम करता है ताकि चुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी बढ़े और वे अपने मतदान अधिकारों को समझें।
  7. विवादों का समाधान:

    • चुनाव आयोग चुनावों से जुड़े विवादों को हल करता है, जैसे चुनाव परिणामों को लेकर विवाद, उम्मीदवारों की अयोग्यता, या आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें।
  8. चुनाव कानूनों का पालन:

    • चुनाव आयोग प्रतिनिधित्व कानून, 1951 और चुनाव कानूनों का पालन सुनिश्चित करता है, जो चुनावों के संचालन और उम्मीदवारों की अयोग्यता के लिए दिशा-निर्देश तय करते हैं।

5.2 मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) चुनाव आयोग का प्रमुख होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और उसका कार्यकाल 6 वर्षों का होता है या जब तक उसकी उम्र 65 वर्ष न हो जाए, जो भी पहले हो।

मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रमुख जिम्मेदारियां:

  1. चुनाव आयोग का नेतृत्व:

    • मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग का नेतृत्व करता है और इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व करता है।
    • मुख्य चुनाव आयुक्त यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे।
  2. निर्णय लेना:

    • मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव की तारीखों का निर्धारण करता है, चुनाव परिणाम घोषित करता है, और पूरे चुनावी प्रक्रिया की निगरानी करता है।
  3. चुनाव प्रक्रिया की निगरानी:

    • मुख्य चुनाव आयुक्त पूरे चुनाव प्रक्रिया का संचालन करता है, जिसमें मतदाता पंजीकरण से लेकर मतगणना तक शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों।
  4. प्रशासनिक शक्तियाँ:

    • मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग के निर्देश और आदेश जारी करता है, जो चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं।
    • मुख्य चुनाव आयुक्त के पास चुनावों से संबंधित मामलों में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार होता है, जैसे आचार संहिता का उल्लंघन, उम्मीदवारों की अयोग्यता, और चुनाव कानूनों का प्रवर्तन।
  5. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति:

    • मुख्य चुनाव आयुक्त अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भी जिम्मेदार होता है, जो राज्य चुनाव आयोग और अन्य चुनाव प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त करते हैं।
  6. राष्ट्रपति चुनावों में भूमिका:

    • मुख्य चुनाव आयुक्त की महत्वपूर्ण भूमिका राष्ट्रपति चुनाव के आयोजन में होती है, जिसमें उम्मीदवारों की नामांकन जांच, चुनाव प्रक्रिया का संचालन और परिणामों की घोषणा शामिल है।

5.3 राज्य चुनाव आयोग

राज्य चुनाव आयोग प्रत्येक राज्य का एक स्वतंत्र प्राधिकरण है, जो स्थानीय निकाय चुनाव जैसे पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनावों का संचालन करता है। यह राज्य स्तर पर चुनावी प्रक्रिया के संचालन में केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत काम करता है।

राज्य चुनाव आयोग की प्रमुख जिम्मेदारियां:

  1. स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन:

    • राज्य चुनाव आयोग राज्य स्तर पर ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन करता है, जिसमें ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, नगर निगम, और नगर पालिका शामिल हैं।
  2. निर्वाचक सूची का तैयार करना:

    • राज्य चुनाव आयोग स्थानीय चुनावों के लिए निर्वाचक सूची तैयार करता है और उसे नियमित रूप से अद्यतन करता है।
  3. चुनाव प्रक्रिया की निगरानी:

    • राज्य चुनाव आयोग स्थानीय चुनावों के लिए सभी चुनावी प्रक्रियाओं की निगरानी करता है, जिसमें मतदाता पंजीकरण, मतदान प्रक्रिया, और मतगणना शामिल है।
  4. चुनाव कानूनों और दिशा-निर्देशों का पालन:

    • राज्य चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है कि राज्य स्तर पर आयोजित चुनावों में सभी कानूनी दिशा-निर्देशों और आचार संहिता का पालन किया जाए।
  5. विवादों का समाधान:

    • राज्य चुनाव आयोग राज्य के स्थानीय चुनावों से संबंधित विवादों का समाधान करता है, जैसे चुनाव याचिकाएं, अयोग्यता के मुद्दे, और धोखाधड़ी के आरोप
  6. स्वतंत्रता:

    • राज्य चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि राज्य स्तर पर चुनावी प्रक्रिया बाहरी दबावों से मुक्त और निष्पक्ष रूप से चले।

निष्कर्ष

चुनाव आयोग भारत में लोकतंत्र की नींव के रूप में कार्य करता है। यह मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में स्वतंत्र रूप से काम करता है, जो चुनावी प्रक्रिया की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों। राज्य चुनाव आयोग स्थानीय चुनावों के संचालन के लिए जिम्मेदार होता है और यह सुनिश्चित करता है कि राज्य और स्थानीय स्तर पर चुनाव कानूनों और दिशा-निर्देशों का पालन हो।

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