5. Low-Cost Irrigation (कम लागत वाली सिंचाई)

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Written by Garima Kanwar | Blog: Rajasthan Polytechnic


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Subject: Rural Construction Technology CE 40072 (Same as CC 40072)

Branch: Civil Engineering 🏗️
Semester: 4th Semester 📚

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5. कम लागत वाली सिंचाई 💧

कम लागत वाली सिंचाई प्रणाली पानी के उपयोग को अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं, और ये विशेष रूप से छोटे पैमाने पर किसानों के लिए लागत-कुशल होती हैं। ये प्रणालियाँ पानी की बर्बादी को कम करने, फसलों तक पानी की सही आपूर्ति सुनिश्चित करने और कृषि उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।


5.1 डिज़ाइन विचार और निर्माण 🛠️

5.1.1 ट्यूबवेल 🚰

ट्यूबवेल क्या है?
ट्यूबवेल एक गहरा कुआं है जिसे ज़मीन में ड्रिल किया जाता है ताकि भूमिगत पानी को निकाला जा सके। यह तब उपयोगी होता है जब सतही पानी (जैसे नदियाँ या झीलें) उपलब्ध नहीं होते।

डिज़ाइन विचार:

  • जल स्तर की गहराई: कुएं की गहराई जल स्तर पर निर्भर करती है। यदि जल स्तर गहरा है, तो कुआं अधिक गहरा होगा।
  • कुएं का व्यास: व्यास पर्याप्त होना चाहिए ताकि पानी आसानी से निकल सके। यदि व्यास छोटा होगा तो पानी का निष्कासन अक्षम हो सकता है।
  • पंप का प्रकार: पंप का चयन पानी उठाने की आवश्यकता के आधार पर किया जाता है, जैसे मैन्युअल, इलेक्ट्रिक या डीजल पंप।
  • स्थान: कुएं को ऐसी जगह पर बनाना चाहिए जहाँ पर्याप्त जल स्तर हो और जल का स्रोत प्रदूषण से दूर हो।

उदाहरण: एक किसान सूखे क्षेत्र में अपने गेहूँ के खेतों के लिए ट्यूबवेल लगाता है। कुआं 40 मीटर गहरा है और इसमें इलेक्ट्रिक पंप लगा हुआ है।

चित्र:

[सतही भूमि] | [ट्यूबवेल] ---> [पंप प्रणाली] ---> [सिंचाई प्रणाली को पानी] | [जल स्तर]

5.1.2 ड्रिप सिंचाई प्रणाली 💧🌱

ड्रिप सिंचाई क्या है?
ड्रिप सिंचाई एक प्रणाली है जो पाइप, ट्यूब और इमिटर के नेटवर्क के माध्यम से सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाती है। यह प्रणाली पानी की बचत के लिए बहुत प्रभावी है, क्योंकि यह वाष्पीकरण या प्रवाह के कारण पानी की बर्बादी को कम करती है।

डिज़ाइन विचार:

  • इमिटर की दूरी: इमिटर को पौधों की जड़ों के पास रखा जाना चाहिए ताकि पानी केवल वहाँ पहुंचे जहाँ इसकी आवश्यकता है।
  • पानी का दबाव: ड्रिप सिंचाई के लिए पानी का दबाव कम होना चाहिए ताकि पानी धीरे-धीरे और स्थिर रूप से पौधों तक पहुंचे।
  • फिल्टरेशन प्रणाली: इमिटर को अवरुद्ध होने से बचाने के लिए फिल्टर की आवश्यकता होती है, खासकर जब पानी को छानकर नहीं लिया जाता।

फायदे:

  • पानी की बचत: पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचता है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है।
  • नौचने की वृद्धि को कम करता है: पानी केवल पौधों तक पहुंचता है, जिससे अवांछनीय जगहों पर घास और पौधे नहीं उगते।
  • प्रभावी उपयोग: यह पंक्ति फसलों जैसे टमाटर, फल और सब्जियों के लिए उपयुक्त है।

उदाहरण: एक किसान सूखे क्षेत्र में टमाटर की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करता है, जिससे पानी की बचत 50% तक होती है।

चित्र:

[पानी का स्रोत] --> [मुख्य पाइपलाइन] --> [उप-पाइप] --> [इमिटर] --> [पौधों की जड़ें] | | |-------------------------------------| पानी सीधे जड़ों तक पहुँचता है

5.1.3 स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली 🌦️🌾

स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली में पानी को फसलों पर इस तरह से छिड़का जाता है जैसे कि प्राकृतिक बारिश हो रही हो। यह प्रणाली बड़े खेतों के लिए उपयुक्त है और कई प्रकार की फसलों के लिए उपयुक्त है।

डिज़ाइन विचार:

  • दबाव: स्प्रिंकलर को पानी को समान रूप से वितरित करने के लिए पर्याप्त दबाव की आवश्यकता होती है। इसे एक पंप के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • स्प्रिंकलर प्रकार: विभिन्न प्रकार के स्प्रिंकलर (स्थिर, घूर्णन, या यात्रा करने वाले) का चयन क्षेत्र के आकार और फसल की जरूरतों के आधार पर किया जा सकता है।
  • स्प्रिंकलरों की दूरी: स्प्रिंकलरों को इस तरह से रखा जाना चाहिए ताकि पानी समान रूप से वितरित हो सके।

फायदे:

  • बड़े क्षेत्र में कवरेज: यह प्रणाली बड़े क्षेत्रों या असमान आकार के खेतों के लिए उपयुक्त है।
  • विविधता: यह विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है, जैसे घास और शाकाहारी पौधे।
  • शीतलन प्रभाव: गर्म मौसम में स्प्रिंकलर पौधों का तापमान कम कर सकते हैं।

उदाहरण: एक किसान मक्का के बड़े खेत में स्प्रिंकलर प्रणाली का उपयोग करता है। यह प्रणाली एक केंद्रीय पंप से जुड़ी होती है जो पानी को खेत में घूमने वाले स्प्रिंकलरों तक भेजता है।

चित्र:

[पानी का स्रोत] ---> [मुख्य पाइपलाइन] ---> [स्प्रिंकलर] | पानी फसलों पर बिखरता है

5.2 जलग्रहण क्षेत्र और जलग्रहण क्षेत्र का विकास 🌍

जलग्रहण क्षेत्र वह भूमि का क्षेत्र है जहाँ पर वर्षा का पानी एक नदी, झील या समुद्र की ओर बहता है। जलग्रहण क्षेत्र का विकास जल संरक्षण, पानी की गुणवत्ता में सुधार और कटाव को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

जलग्रहण प्रबंधन में समस्याएँ:

  • मृदा अपरदन: यदि वनस्पति को हटा दिया जाता है या भूमि का सही उपयोग नहीं किया जाता है, तो मृदा आसानी से बह सकती है और नदी में जमा हो सकती है।
  • पानी की अत्यधिक निकासी: पानी के अत्यधिक उपयोग से जल संसाधन समाप्त हो सकते हैं।
  • बाढ़: गरीब जलग्रहण प्रबंधन से वर्षा के दौरान अधिक प्रवाह हो सकता है, जिससे बाढ़ आ सकती है।

जलग्रहण प्रबंधन की विशेषताएँ:

  • जल संरक्षण: वर्षा जल संचयन और बाढ़ नियंत्रण जैसे तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • मृदा संरक्षण: वनस्पति लगाना या संरचनाएँ जैसे बंड्स बनाना मृदा अपरदन को रोकने में मदद करता है।
  • समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों का जलग्रहण क्षेत्र के प्रबंधन में भाग लेना बहुत आवश्यक है।

उदाहरण: एक सूखा क्षेत्र जहाँ लोग वृक्षारोपण करते हैं ताकि मृदा अपरदन को रोका जा सके और नदी में वर्षा के पानी को संरक्षित किया जा सके।


5.3 जलग्रहण प्रबंधन संरचनाएँ 🏞️

जलग्रहण क्षेत्र में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने, मृदा संरक्षण करने और जल संचयन में मदद करने के लिए विभिन्न संरचनाएँ बनाई जाती हैं।


5.3.1 के.टी. वियर 🌊

के.टी. वियर एक प्रकार की छोटी डेम होती है जो जलग्रहण क्षेत्र में छोटे नदियों या नालों में बनाई जाती है ताकि पानी का संग्रहण किया जा सके और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

उदाहरण: एक गाँव में एक के.टी. वियर बनाई जाती है जो वर्षा के पानी को स्टोर करती है ताकि सूखे महीनों में खेती के लिए पानी मिल सके।


5.3.2 गैबियन संरचना 🧱💧

गैबियन संरचनाएँ वायर्ड मेष से बनी होती हैं, जो पत्थरों से भरी होती हैं और इन्हें नदियों के किनारे या पहाड़ियों पर स्थापित किया जाता है ताकि मृदा अपरदन को रोका जा सके।

उदाहरण: नदी के किनारे पर गैबियन संरचनाएँ बनाई जाती हैं ताकि पानी के प्रवाह से मिट्टी न बह जाए।


5.3.3 सीमेंट प्लग 🏗️

सीमेंट प्लग एक ठोस संरचना होती है जो छोटे नालों या धाराओं में बनाई जाती है ताकि पानी की प्रवाह को रोका जा सके और जल संग्रहण किया जा सके।

उदाहरण: एक किसान छोटे नालों पर सीमेंट प्लग बनाता है ताकि पानी के बहाव को रोका जा सके और पानी का संग्रहण किया जा सके।


5.3.4 कंटूर बंडिंग ⛰️

कंटूर बंडिंग भूमि की परिधि के साथ बने हुए बाँध होते हैं जो वर्षा के पानी को रोकने और मृदा अपरदन को कम करने में मदद करते हैं।

उदाहरण: एक किसान अपने खेतों में कंटूर बंडिंग बनाता है ताकि पानी को खेतों में ठहराया जा सके और मृदा अपरदन से बचाव हो सके।


5.3.5 फार्म तालाब 🏞️

फार्म तालाब एक छोटा कृत्रिम जलाशय है जो किसानों द्वारा जल संचयन के लिए बनाया जाता है।

उदाहरण: एक किसान वर्षा के पानी को संग्रहित करने के लिए एक फार्म तालाब बनाता है और सूखे महीनों में सिंचाई के लिए इसका उपयोग करता है।


5.3.6 बंधारा प्रणाली 🌊🌾

बंधारा प्रणाली एक पारंपरिक जल संचयन तकनीक है जो पहाड़ी क्षेत्रों में उपयोग की जाती है। इसमें छोटे बाँध या अवरोध बनाए जाते हैं जो पानी को रोकते हैं और संचयन करते हैं।

उदाहरण: महाराष्ट्र के पहाड़ी क्षेत्रों में किसान बंधारा प्रणाली का उपयोग करते हैं ताकि वर्षा के पानी का संचयन किया जा सके और सूखे महीनों में सिंचाई के लिए इसका उपयोग किया जा सके।


इन सिंचाई और जलग्रहण प्रबंधन तकनीकों का उपयोग कृषि में जल की बचत, मृदा संरक्षण और फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। ये प्रणालियाँ विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं जहाँ पानी की कमी या अनियमित वर्षा होती है। 🌾💦

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