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For 4th Semester Polytechnic CE Students
Written by Garima Kanwar | Blog: Rajasthan Polytechnic
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Subject: Construction Management, CE 40071 (Same as CC/CV 40071)
Branch: Civil Engineering 🏗️
Semester: 4th Semester 📚
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3. योजना बनाना और शेड्यूलिंग 🏗️📅
निर्माण परियोजनाओं में योजना और शेड्यूलिंग महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह सुनिश्चित करते हैं कि परियोजना समय पर और बजट के भीतर पूरी हो। इसमें कार्यों की पहचान करना, प्रत्येक कार्य के लिए समय का अनुमान लगाना और उन्हें कुशलतापूर्वक व्यवस्थित करना शामिल होता है।
3.1 निर्माण कार्य में व्यापक गतिविधियों की पहचान करना और उन्हें समय आवंटित करना 🏗️⏰
निर्माण परियोजना में, पहली कदम होती है व्यापक गतिविधियों की पहचान करना। ये गतिविधियाँ आमतौर पर उच्च-स्तरीय कार्य होती हैं जिन्हें पूरा करना जरूरी होता है।
निर्माण परियोजना में व्यापक गतिविधियों के उदाहरण:
- खुदाई: नींव डालने के लिए ज़मीन को खोदना।
- नींव कार्य: भवन की नींव का निर्माण।
- सुपरस्ट्रक्चर: मुख्य संरचना का निर्माण (दीवारें, बीम, मंजिलें)।
- छत निर्माण: छत की स्थापना।
- फिनिशिंग: आंतरिक कार्य जैसे पेंटिंग, फ्लोरिंग और प्लंबिंग।
एक बार गतिविधियाँ पहचान ली जाती हैं, अगला कदम है हर एक को समय आवंटित करना। यह कार्य की जटिलता और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर किया जाता है।
3.1.1 शेड्यूलिंग के तरीके 📊
परियोजना को शेड्यूल करने के कई तरीके होते हैं, लेकिन दो सबसे सामान्य तरीके हैं बार चार्ट (गैंट चार्ट) और नेटवर्क डायग्राम।
बार चार्ट (गैंट चार्ट) 📈:
- परिभाषा: यह एक चित्रमय प्रतिनिधित्व होता है जिसमें गतिविधियाँ ऊर्ध्वाधर धुरी पर और समय क्षैतिज धुरी पर होती हैं। यह प्रत्येक कार्य की प्रगति को समय के साथ ट्रैक करने में मदद करता है।
- फायदे: सरल, बनाना आसान और समझने में आसान।
- नुकसान: यह कार्यों के बीच निर्भरता या संबंधों को नहीं दिखाता है।
उदाहरण:
यदि एक परियोजना में चार गतिविधियाँ हैं (खुदाई, नींव, दीवारें, छत), तो गैंट चार्ट इन गतिविधियों को बार के रूप में दिखाएगा, जो प्रत्येक गतिविधि के लिए समय सीमा को दर्शाएगा।नेटवर्क डायग्राम 🔗:
- परिभाषा: यह एक नेटवर्क चार्ट होता है जिसमें गतिविधियाँ नोड (बॉक्स) के रूप में और उन गतिविधियों के बीच निर्भरता को तीर (एरो) के रूप में दिखाया जाता है।
- फायदे: यह कार्यों के बीच निर्भरता और संबंधों को दिखाता है।
- नुकसान: यह गैंट चार्ट से अधिक जटिल है।
3.1.2 बार चार्ट का विकास 📊
बार चार्ट बनाने में शामिल हैं:
- सभी गतिविधियों की सूची बनाना: उन सभी कार्यों की सूची बनाएं जिन्हें पूरा करना है।
- प्रत्येक गतिविधि के लिए समय का अनुमान लगाना: कार्य की जटिलता और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यक समय का अनुमान लगाएं।
- गतिविधियों को बार चार्ट पर प्लॉट करना: समय धुरी पर प्रत्येक गतिविधि के लिए बार खींचें। बार की लंबाई कार्य की अवधि को दर्शाती है।
उदाहरण:
एक निर्माण परियोजना जिसमें चार गतिविधियाँ हैं (खुदाई, नींव, दीवारें, छत) और उनके निम्नलिखित समयकाल हैं:
गतिविधि | अवधि (दिनों में) |
---|---|
खुदाई | 5 |
नींव | 7 |
दीवारें | 10 |
छत | 8 |
बार चार्ट इस तरह दिखाई देगा:
3.1.3 बार चार्ट के लाभ और सीमाएँ ✅❌
लाभ:
- सरलता: बार चार्ट समझने में बहुत आसान होते हैं और इन्हें बनाना भी सरल होता है।
- स्पष्ट दृश्य प्रतिनिधित्व: यह गतिविधियों और उनके समय का दृश्य चित्रण देता है, जिससे प्रगति को ट्रैक करना आसान होता है।
सीमाएँ:
- कार्य निर्भरता का अभाव: बार चार्ट कार्यों के बीच निर्भरता नहीं दिखाता, जिससे जटिल परियोजनाओं को प्रबंधित करना मुश्किल हो सकता है।
- लचीलापन की कमी: अगर किसी कार्य में देरी होती है, तो इसे बार चार्ट में दर्शाना कठिन हो सकता है।
3.2 नेटवर्क के तत्व 🔗
नेटवर्क डायग्राम का उपयोग परियोजना को योजना बनाने और शेड्यूल करने के लिए किया जाता है, जिसमें गतिविधियाँ और उनके संबंध दर्शाए जाते हैं।
इवेंट 🎉:
- परिभाषा: एक इवेंट एक मील का पत्थर होता है या एक समय बिंदु होता है जब कुछ महत्वपूर्ण घटित होता है (जैसे "नींव का निर्माण पूरा हुआ")।
- उदाहरण: "इवेंट 1: खुदाई का पूरा होना" एक बिंदु है जब खुदाई कार्य समाप्त होता है।
गतिविधि 🛠️:
- परिभाषा: गतिविधियाँ वे कार्य होते हैं जिन्हें पूरा करने में समय लगता है। इन्हें नेटवर्क डायग्राम में तीर (एरो) के रूप में दर्शाया जाता है।
- उदाहरण: "खुदाई" एक गतिविधि है, जिसे 5 दिन में पूरा किया जाएगा।
डमी गतिविधियाँ 🚫:
- परिभाषा: डमी गतिविधियाँ नेटवर्क डायग्राम में उपयोग की जाती हैं जब दो इवेंट्स के बीच कोई सीधी गतिविधि नहीं होती है लेकिन उनके बीच निर्भरता होती है।
- उदाहरण: यदि गतिविधि A को पहले पूरा किया जाना चाहिए और फिर गतिविधि B शुरू होनी चाहिए, लेकिन इनके बीच कोई कार्य नहीं है, तो डमी गतिविधि (जिसे एक डैश लाइन से दर्शाया जाता है) का उपयोग किया जाता है।
नेटवर्क बनाने में सावधानियाँ ⚠️:
- सुनिश्चित करें कि डायग्राम स्पष्ट और तार्किक हो।
- चक्र (सर्कुलर रिलेशनशिप) से बचें, क्योंकि यह भ्रम उत्पन्न कर सकता है।
- जब आवश्यक हो तो डमी गतिविधियों का उपयोग करें ताकि निर्भरता स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके।
इवेंट्स की संख्या देना 🔢:
- इवेंट्स की संख्या बहुत महत्वपूर्ण है ताकि भ्रम से बचा जा सके और प्रत्येक इवेंट को पहचाना जा सके।
3.3 सीपीएम (Critical Path Method) नेटवर्क ⏳
सीपीएम (Critical Path Method) एक परियोजना प्रबंधन तकनीक है जो परियोजना की समग्र अवधि निर्धारित करने के लिए प्रमुख मार्ग (Critical Path) को ध्यान में रखकर कार्यों का शेड्यूल बनाती है।
गतिविधि समय का अनुमान ⏰:
- नेटवर्क डायग्राम बनाने से पहले, प्रत्येक गतिविधि के लिए समय का अनुमान लगाया जाता है, जो संसाधनों, कार्य की जटिलता और टीम की दक्षता पर निर्भर करता है।
फॉरवर्ड और बैकवर्ड पास गणना द्वारा इवेंट समय 🔄:
- फॉरवर्ड पास: यह प्रत्येक गतिविधि के लिए सबसे जल्द शुरू और समाप्त होने का समय निकालने में मदद करता है। यह परियोजना की शुरुआत से आगे बढ़ता है।
- बैकवर्ड पास: यह सबसे देर से शुरू और समाप्त होने का समय निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जो परियोजना के अंत से शुरू होता है।
गतिविधियों का प्रारंभ और समाप्ति समय ⏳:
- प्रारंभ समय: वह समय जब एक गतिविधि को शुरू किया जा सकता है।
- समाप्ति समय: वह समय जब एक गतिविधि को पूरा किया जा सकता है।
परियोजना की कुल अवधि ⏱️:
- यह परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक कुल समय है, जो क्रिटिकल पाथ (Critical Path) से निर्धारित होता है।
फ्लोट (समय लचीलापन) 🔄:
- फ्री फ्लोट: वह समय जो किसी गतिविधि को देरी किए बिना बाद की गतिविधि पर असर डाले बिना देरी करने की अनुमति देता है।
- इंडिपेंडेंट फ्लोट: वह समय जो किसी गतिविधि को बिना अपनी पूर्ववर्ती या उत्तरवर्ती गतिविधियों पर असर डाले हुए देरी करने की अनुमति देता है।
- टोटल फ्लोट: वह कुल समय जो एक गतिविधि को बिना परियोजना की समग्र समाप्ति पर असर डाले देरी करने की अनुमति देता है।
3.4 नेटवर्क को क्रैश करने का उद्देश्य 🏃♂️💨
क्रैशिंग एक तकनीक है जो परियोजना की अवधि को कम करने के लिए अधिक संसाधन जोड़ने, ओवरटाइम करने या अतिरिक्त शिफ्टों के द्वारा की जाती है।
नॉर्मल समय और लागत 💰:
- यह गतिविधि का प्रारंभिक अनुमानित समय और लागत होता है।
क्रैश समय और लागत 💸:
- यह गतिविधि को तेजी से पूरा करने के लिए कम किया गया समय और बढ़ी हुई लागत होती है।
कॉस्ट स्लोप 📉:
- यह वह दर होती है जिसके आधार पर समय घटाने पर लागत बढ़ती है।
लागत और अवधि का अनुकूलन 💡:
- उद्देश्य यह होता है कि परियोजना की अवधि को कम किया जाए जबकि लागत को स्वीकार्य सीमा में रखा जाए।
3.5 सामग्री प्रबंधन 🏗️📦
सामग्री प्रबंधन वह प्रक्रिया होती है जिसमें निर्माण परियोजना के लिए आवश्यक सामग्री की योजना, नियंत्रण और प्रबंधन किया जाता है।
आदेश लागत 💳:
- सामग्री का आदेश देने से संबंधित लागत (जैसे परिवहन, हैंडलिंग शुल्क)।
इन्वेंट्री कैरींग लागत 🏷️:
- सामग्री को स्टोर करने की लागत, जिसमें वेयरहाउसिंग और रखरखाव लागत शामिल होती है।
आर्थिक आदेश मात्रा (EOQ) 📦:
- EOQ वह आदर्श आदेश मात्रा है जो कुल इन्वेंट्री लागत को न्यूनतम करती है।
- समीकरण:
जहां:
- D = मांग (सालाना इकाइयाँ)
- S = आदेश पर खर्च होने वाली लागत
- H = प्रत्येक यूनिट पर वार्षिक स्टोरिंग लागत
3.6 स्टोर प्रबंधन 🏪
स्टोर प्रबंधन यह सुनिश्चित करता है कि सामग्री को प्रभावी रूप से ट्रैक, स्टोर और प्रबंधित किया जाए ताकि परियोजना में कोई रुकावट न आए।
स्टोर प्रबंधन से संबंधित विभिन्न रिकॉर्ड 📑:
- स्टॉक रजिस्टर: सभी प्राप्त और जारी की गई सामग्री का रिकॉर्ड।
- इशू वाउचर: वह दस्तावेज़ जो सामग्री की जारी की गई मात्रा को ट्रैक करते हैं।
एबीसी तकनीक द्वारा इन्वेंट्री नियंत्रण 📊:
- सामग्री को तीन श्रेणियों में बाँटना:
- A-आइटम्स: उच्च मूल्य, कम मात्रा वाली सामग्री।
- B-आइटम्स: मध्यम मूल्य और मात्रा वाली सामग्री।
- C-आइटम्स: कम मूल्य, उच्च मात्रा वाली सामग्री।
- सामग्री को तीन श्रेणियों में बाँटना:
प्रारंभिक स्टॉक 📈:
- यह वह सामग्री होती है जो प्रोजेक्ट की शुरुआत में स्टोर में मौजूद होती है।
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