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For 4th Semester Polytechnic CE Students
Written by Garima Kanwar | Blog: Rajasthan Polytechnic
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Subject: Advanced Surveying CE 4002(Same as CC 4002)
Branch: Civil Engineering 🏗️
Semester: 4th Semester 📚
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5.1 रिमोट सेंसिंग
5.1.1 अवलोकन
रिमोट सेंसिंग वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी की सतह के बारे में बिना सीधे संपर्क के जानकारी प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों या विमान आधारित सेंसर का उपयोग कर डेटा एकत्र किया जाता है।
- उदाहरण: उपग्रहों द्वारा वनों की कटाई का अध्ययन करने के लिए वन क्षेत्र की छवियां कैप्चर करना।
- महत्व: यह भूमि उपयोग में परिवर्तन, शहरी विकास, और प्राकृतिक आपदाओं पर नज़र रखने में मदद करता है।
5.1.2 रिमोट सेंसिंग सिस्टम
एक रिमोट सेंसिंग सिस्टम में सामान्यत: निम्नलिखित घटक होते हैं:
- ऊर्जा स्रोत: सूर्य का प्रकाश या कृत्रिम स्रोत।
- सेंसर: पृथ्वी की सतह से परावर्तित या उत्सर्जित ऊर्जा का पता लगाता और रिकॉर्ड करता है।
- प्लेटफॉर्म: उपग्रह, विमान या ड्रोन जो सेंसर को ले जाता है।
- डेटा प्रोसेसिंग: कच्चे डेटा को उपयोगी जानकारी में बदलना।
5.1.3 रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग सिविल इंजीनियरिंग में
- शहरी योजना: भूमि उपयोग और शहरी विस्तार की निगरानी।
- आपदा प्रबंधन: बाढ़-प्रवण क्षेत्रों या भूकंप के बाद की स्थिति का पता लगाना।
- पर्यावरणीय निगरानी: वन, जल निकाय और वनस्पति में बदलाव को ट्रैक करना।
- निर्माण: निर्माण परियोजनाओं के लिए स्थल की पहचान, पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
5.1.4 भूमि उपयोग / भूमि आवरण
- भूमि उपयोग: भूमि पर मानव गतिविधियाँ (जैसे आवासीय, वाणिज्यिक)।
- भूमि आवरण: भूमि के भौतिक लक्षण (जैसे वन, जल निकाय)।
उदाहरण: उपग्रह चित्रों का उपयोग करके एक क्षेत्र में वन आवरण और शहरी विकास के बीच अंतर करना।
5.1.5 मानचित्रण, आपदा प्रबंधन
- मानचित्रण: रिमोट सेंसिंग मानचित्र बनाने में मदद करता है जो स्थलाकृति, भूमि उपयोग और संरचनाओं को दिखाते हैं।
- आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ या भूकंप के दौरान, रिमोट सेंसिंग नुकसान के आकलन और निकासी और राहत प्रयासों की योजना बनाने में सहायक है।
5.2 ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) उपकरणों का उपयोग
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) एक उपग्रह आधारित नेविगेशन सिस्टम है जो पृथ्वी पर सटीक स्थान (अक्षांश, देशांतर, ऊंचाई) निर्धारित करने में मदद करता है।
- सिविल इंजीनियरिंग में अनुप्रयोग:
- स्थल सर्वेक्षण और मानचित्रण साइट्स।
- निर्माण के दौरान संरचनाओं का संरेखण।
- बड़े ढाँचों जैसे बांधों या पुलों की गति की निगरानी।
उदाहरण: सर्वेयर अपनी भूमि ऊँचाई को सही मापने के लिए GPS का उपयोग करते हैं।
5.3 भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS)
5.3.1 अवलोकन
भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) एक कंप्यूटर आधारित उपकरण है जिसका उपयोग स्थानिक और भौगोलिक डेटा को स्टोर, विश्लेषण और विज़ुअलाइज करने के लिए किया जाता है।
- महत्व: यह सिविल इंजीनियरों को भौगोलिक डेटा के बड़े पैमाने पर प्रबंधन में मदद करता है और सड़क निर्माण, बाढ़ प्रबंधन और भूमि विकास जैसी परियोजनाओं पर सूचित निर्णय लेने में सहायक होता है।
5.3.2 GIS के घटक
- हार्डवेयर: कंप्यूटर, GPS डिवाइस, स्कैनर।
- सॉफ़्टवेयर: विश्लेषण और डेटा प्रसंस्करण के लिए उपकरण (जैसे ArcGIS, QGIS)।
- डेटा: स्थानिक डेटा (जैसे मानचित्र, उपग्रह चित्र)।
- लोग: विशेषज्ञ जो GIS का उपयोग करके विश्लेषण और निर्णय लेते हैं।
5.3.3 सिविल इंजीनियरिंग में GIS के अनुप्रयोग
- संरचना योजना: सड़कें, पुल और भवन डिज़ाइन करने में मदद करता है।
- आपदा प्रबंधन: बाढ़ क्षेत्रों की पहचान और निकासी मार्गों की योजना बनाना।
- पर्यावरणीय निगरानी: प्रदूषण स्तर, वनस्पति या लुप्तप्राय प्रजातियों का ट्रैकिंग।
5.3.4 सामान्य GIS सॉफ़्टवेयर
- ArcGIS: एक व्यापक GIS प्लेटफॉर्म जिसका उपयोग मानचित्रण और स्थानिक विश्लेषण के लिए किया जाता है।
- QGIS: एक ओपन-सोर्स GIS सॉफ़्टवेयर जो ArcGIS के समान कार्य करता है।
- AutoCAD Map 3D: विशेष रूप से इंजीनियरों द्वारा बुनियादी ढाँचे की योजना के लिए उपयोग किया जाता है।
- Google Earth: यह एक प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है जो स्थानिक डेटा को विज़ुअलाइज़ और विश्लेषण करता है।
5.4 ड्रोन सर्वेक्षण का परिचय
ड्रोन सर्वेक्षण में बिना चालक वाले विमान (UAVs) या ड्रोन का उपयोग किया जाता है, जिसमें कैमरा और GPS लगे होते हैं, ताकि सर्वेक्षण और मानचित्र बनाने के लिए डेटा एकत्र किया जा सके।
लाभ:
- त्वरित डेटा संग्रह: ड्रोन बड़े क्षेत्रों से जल्दी डेटा एकत्र कर सकते हैं।
- सटीकता: GPS के साथ, ड्रोन सटीक माप प्रदान कर सकते हैं।
- लागत-प्रभावी: महंगे हवाई सर्वेक्षणों की आवश्यकता को कम करता है।
उदाहरण: ड्रोन निर्माण स्थलों की 3D मॉडल बनाने और प्रगति की निगरानी करने के लिए सर्वेक्षण में उपयोग किए जाते हैं।
समीक्षा बिंदु
- रिमोट सेंसिंग पृथ्वी की सतह का अध्ययन करने का एक तरीका है, जिसमें उपग्रहों या ड्रोन का उपयोग किया जाता है।
- GPS सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं में सटीक स्थान मापने के लिए आवश्यक है, जैसे स्थल सर्वेक्षण और निगरानी।
- GIS स्थानिक डेटा का विश्लेषण करने में मदद करता है ताकि निर्माण, आपदा प्रबंधन और भूमि विकास जैसे निर्णयों में सहायता मिल सके।
- ड्रोन सर्वेक्षण मानचित्र और निगरानी डेटा के लिए डेटा एकत्र करने के तरीके को बदल रहा है।
प्रश्न और उत्तर
Q1: रिमोट सेंसिंग क्या है?
A1: रिमोट सेंसिंग पृथ्वी की सतह के बारे में बिना सीधे संपर्क के डेटा एकत्र करने की प्रक्रिया है, जिसमें उपग्रह, विमान, या ड्रोन का उपयोग किया जाता है।
Q2: रिमोट सेंसिंग सिस्टम के घटक क्या हैं?
A2:
- ऊर्जा स्रोत (जैसे सूर्य का प्रकाश)
- सेंसर (जैसे कैमरा या रेडियोमीटर)
- प्लेटफॉर्म (जैसे उपग्रह, विमान या ड्रोन)
- डेटा प्रोसेसिंग (कच्चे डेटा को जानकारी में बदलना)
Q3: GIS क्या है और इसके अनुप्रयोग क्या हैं?
A3: GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली) एक ऐसा उपकरण है जो स्थानिक डेटा को कैप्चर, विश्लेषण और विज़ुअलाइज़ करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह सिविल इंजीनियरिंग में संरचना योजना, आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय निगरानी में उपयोग होता है।
Q4: सामान्य GIS सॉफ़्टवेयर के नाम बताइए।
A4: सामान्य GIS सॉफ़्टवेयर में ArcGIS, QGIS, AutoCAD Map 3D और Google Earth शामिल हैं।
Q5: GPS सिविल इंजीनियरिंग में कैसे मदद करता है?
A5: GPS सिविल इंजीनियरों को स्थल सर्वेक्षण, संरचनाओं के संरेखण और बड़े ढाँचों जैसे बांधों या पुलों की गति की निगरानी करने में सटीक स्थान डेटा प्रदान करता है।
चित्र
बुनियादी रिमोट सेंसिंग सिस्टम
- 🌞 (ऊर्जा स्रोत) → 📡 (सेंसर) → 🛰️ (प्लेटफॉर्म: उपग्रह) → 💻 (डेटा प्रोसेसिंग)
GIS के घटक
- 🖥️ (हार्डवेयर) → 💻 (सॉफ़्टवेयर) → 🌍 (डेटा) → 👨💻 (लोग)
सर्वेक्षण के लिए GPS
- 📍 (GPS डिवाइस) → 🛰️ (उपग्रह) → 🗺️ (सर्वेक्षण क्षेत्र)
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