5. Diversion Head Works & Canals, Water Resources Engineering, CE 4005 Same as CV 4005

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Written by Garima Kanwar | Blog: Rajasthan Polytechnic


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Subject: Water Resources Engineering, CE 4005 Same as CV 4005

Branch: Civil Engineering 🏗️
Semester: 4th Semester 📚

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5. विभाजन हैडवर्क्स और नहरें 🌊🚧

विभाजन हैडवर्क्स और नहरें जल आपूर्ति और सिंचाई के बुनियादी ढांचे के महत्वपूर्ण घटक हैं। इनका मुख्य उद्देश्य नदियों, झीलों या जलाशयों से जल को कब्जा करना और उसे उन क्षेत्रों में स्थानांतरित करना है जहां सिंचाई या अन्य उपयोग के लिए पानी की आवश्यकता होती है।

मुख्य विषयों में शामिल हैं:

  • वियर, बैराज, नहरें, क्रॉस ड्रेनेज वर्क्स, नहर रेगुलेटर्स और उनके कार्य

5.1 वियर 🌊

वियर एक कृत्रिम अवरोधक है जो नदी या नाले में जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः जल स्तर बढ़ाने और जल को नहर या जलाशय में मोड़ने के लिए किया जाता है।

वियर के घटक:

  1. क्रेस्ट (Crest): वियर का ऊपरी भाग जो जल स्तर को नियंत्रित करता है। क्रेस्ट की ऊंचाई को कुछ वियरों में नियंत्रित किया जा सकता है, जो गेट्स के माध्यम से जल स्तर को बढ़ाने या घटाने में मदद करते हैं।
  2. वियर की दीवार (Body/Weir Wall): यह वियर का मुख्य संरचनात्मक हिस्सा होता है, जो जल को रोकता है और उसे नहर की ओर मोड़ता है।
  3. स्टिल बेसिन (Still Basin): वियर के नीचे का क्षेत्र जहाँ जल क्रेस्ट से बहने के बाद शांत हो जाता है। यह जल की उथल-पुथल को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होता है, जिससे जल नहर में ठीक से प्रवेश कर सके।
  4. एप्रोच चैनल (Approach Channel): वह चैनल जो जल को वियर की ओर ले जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि जल बिना रुकावट के वियर तक पहुंचे और किसी अन्य दिशा में न मुड़े।

वियर के प्रकार:

  1. ब्रॉड क्रेस्टेड वियर (Broad Crested Weir): यह वियर बड़े नदियों में इस्तेमाल होता है, जिसमें अधिक जल प्रवाह होता है।
  2. शार्प क्रेस्टेड वियर (Sharp Crested Weir): यह संकीर्ण क्रेस्ट वाला वियर है, जिसे छोटे नालों और जल प्रवाह को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  3. V-नॉच वियर (V-Notch Weir): यह V-आकार का नॉच होता है, जिसका उपयोग छोटे नालों में कम प्रवाह के माप के लिए किया जाता है।
  4. के.टी. वियर (K.T. Weir): यह एक विशेष प्रकार का वियर है जो पानी को नहर में मोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इसमें गेट्स होते हैं जो जल प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

5.2 विभाजन हैडवर्क्स 🚧💧

विभाजन हैडवर्क्स वे संरचनाएं होती हैं जो नदी से जल को नहरों या जलाशयों में मोड़ने के लिए बनाई जाती हैं। डिजाइन यह सुनिश्चित करता है कि जल की सही मात्रा नहरों में पहुंचे।

विभाजन हैडवर्क्स का लेआउट:

  • एप्रोच चैनल वह चैनल है जो नदी से जल को विभाजन संरचना की ओर ले जाता है। यह जल को नियंत्रित तरीके से नहर की ओर मोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया होता है।
  • वियर या बैराज नदी के पार बनाए जाते हैं ताकि जल स्तर बढ़ सके और इसे नहर में मोड़ा जा सके। ये संरचनाएं जल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और जल बहाव को रोकती हैं।
  • नहर इनटेक वह स्थान होता है जहाँ नदी से जल नहर में मोड़ा जाता है। इसमें जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए गेट्स और अन्य तंत्र होते हैं।

विभाजन हैडवर्क्स के घटक:

  • स्लूस गेट्स (Sluice Gates): ये समायोज्य गेट्स होते हैं जो नहर में जल की मात्रा को नियंत्रित करते हैं।
  • सैडिमेंट ट्रैप्स (Sediment Traps): कुछ विभाजन प्रणालियों में मिट्टी, कीचड़ और मलबे को नहरों में जाने से रोकने के लिए प्रणाली होती है।
  • ट्रैश रैक (Trash Rack): यह एक जाली संरचना है जो नहर के इनटेक में बड़े मलबे को प्रवेश करने से रोकती है।
  • इनटेक चैनल (Intake Canal): यह एक छोटा चैनल होता है जो मोड़े गए जल को मुख्य नहर प्रणाली में ले जाता है।

5.3 बैराज 🌊🔧

बैराज एक प्रकार का कम ऊँचाई वाला बांध होता है जिसे नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने और जल स्तर बढ़ाने के लिए बनाया जाता है। वियर के मुकाबले, बैराजों में गेट्स होते हैं जो जल प्रवाह को अधिक सटीकता से नियंत्रित करते हैं।

बैराज के घटक:

  • क्रेस्ट (Crest): बैराज का ऊपरी भाग होता है, जो जल प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसमें आमतौर पर समायोज्य गेट्स होते हैं।
  • गेट्स (Gates): ये गेट्स जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। गेट्स खोलने और बंद करने से जल स्तर और प्रवाह में बदलाव किया जा सकता है।
  • एप्रोच चैनल (Approach Channel): वह चैनल जो जल को बैराज की ओर लाता है।
  • स्लूस गेट (Sluice Gate): ये गेट्स अत्यधिक जल प्रवाह की स्थिति में जल को छोड़ने के लिए होते हैं, ताकि नहर से जल का अत्यधिक प्रवाह रोकने से बचा जा सके।

वियर और बैराज में अंतर:

  • वियर: यह सामान्यतः एक स्थिर क्रेस्ट होता है और इसका उपयोग जल स्तर को बढ़ाने या एक छोटी राशि में जल को नहर में मोड़ने के लिए किया जाता है।
  • बैराज: बैराज अधिक जटिल होते हैं और इनमें समायोज्य गेट्स होते हैं, जो जल प्रवाह को अधिक सटीकता से नियंत्रित करते हैं। यह बड़ी नदियों में इस्तेमाल होते हैं, जहाँ जल स्तर में उतार-चढ़ाव होता है।

5.4 नहरें 🚜💧

नहरें कृत्रिम जलवाहिनियां होती हैं जो जल को नदी, झील या जलाशय से कृषि भूमि या शहरी क्षेत्रों तक ले जाने के लिए बनाई जाती हैं।

नहरों का वर्गीकरण:

  1. मुख्य नहरें (Main Canals): ये बड़ी नहरें होती हैं जो सीधे विभाजन हैडवर्क्स से जल प्राप्त करती हैं और छोटे शाखा नहरों में वितरित करती हैं।
  2. शाखा नहरें (Branch Canals): ये मुख्य नहरों से जल प्राप्त करती हैं और उसे छोटे क्षेत्रों में वितरित करती हैं।
  3. वितरण नहरें (Distributary Canals): ये शाखा नहरों से निकलती हैं और छोटे खेतों तक जल पहुँचाती हैं।

नहरों का क्रॉस सेक्शन:

  • एंबैंकमेंट नहरें: ये नहरें आमतौर पर जमीन की सतह से ऊपर बनाई जाती हैं, विशेष रूप से समतल क्षेत्रों में।
  • कटिंग नहरें: ये नहरें जमीन के नीचे खोदी जाती हैं, जहाँ भू-भाग ऊँचा होता है।

आंशिक एंबैंकमेंट और कटिंग:

  • संयुक्त प्रणाली: ऐसी स्थितियों में जहां भूमि की ऊँचाई में अंतर होता है, वहाँ नहरों में दोनों एंबैंकमेंट और कटिंग का संयोजन होता है।

बैलेन्सिंग डेप्थ:

  • बैलेन्सिंग डेप्थ वह न्यूनतम गहराई होती है जिसे नहर में बनाए रखना चाहिए ताकि जल प्रवाह की दक्षता बनी रहे और जल की बर्बादी या कटाव कम हो सके।

5.5 नहर की लाइनिंग 🏞️🌿

नहर की लाइनिंग में नहर के अंदर एक मजबूत सतह सामग्री लगाई जाती है, जो जल रिसाव को रोकने और कटाव को कम करने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करता है कि जल नहर में बने रहे और बर्बादी कम हो।

नहर लाइनिंग का उद्देश्य:

  • जल संरक्षण: रिसाव को रोककर लाइनिंग सुनिश्चित करती है कि जल नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचे बिना खोए।
  • मृदा कटाव को रोकना: लाइनिंग नहर को कटाव से बचाती है, विशेषकर उच्च प्रवाह स्थितियों में।
  • कम रखरखाव: लाइनिंग के साथ, नहर की मरम्मत और सफाई की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे रखरखाव लागत में कमी आती है।

लाइनिंग के लिए सामग्री:

  1. कंक्रीट: इसका उपयोग उच्च प्रवाह और औद्योगिक नहरों में किया जाता है क्योंकि यह मजबूत और टिकाऊ होता है।
  2. ईंटें या पत्थर: पुराने सिस्टम या ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ निर्माण सामग्री स्थानीय रूप से उपलब्ध होती है।
  3. प्लास्टिक या पीवीसी: छोटे-स्केल नहर प्रणालियों के लिए उपयोग किया जाता है, या शहरी क्षेत्रों में अस्थायी नहरों के लिए।

फायदे:

  • दक्षता में वृद्धि: यह जल प्रवाह की दक्षता में सुधार करती है और जल की बर्बादी को कम करती है।
  • दीर्घायु: यह नहर संरचना की रक्षा करती है और जल प्रवाह और तलछट के कारण होने वाली घिसावट को कम करती है।

5.6 क्रॉस ड्रेनेज वर्क्स 🚧🌊

क्रॉस ड्रेनेज वर्क्स वे संरचनाएं होती हैं जो नहरों के नीचे या ऊपर जल प्रवाह को बनाए रखती हैं, ताकि प्राकृतिक जलधाराओं या जल मार्गों में कोई रुकावट न हो।

क्रॉस ड्रेनेज वर्क्स के प्रकार:

  1. एक्वाडक्ट (Aqueduct): यह जल को नहर के ऊपर से बहने की अनुमति देता है, जब नहर के ऊपर कोई नाला या नदी होती है।
  2. साइफन एक्वाडक्ट (Siphon Aqueduct): जल नहर के नीचे पाइपों के माध्यम से बहता है। इसे तब प्रयोग किया जाता है जब जलधारा नहर के नीचे होती है।
  3. सुपर पासेज (Super Passage): यह संरचना एक नहर को दूसरी नहर के ऊपर से गुजरने की अनुमति देती है, बिना किसी नहर के जल प्रवाह में कोई रुकावट डाले।
  4. लेवल क्रॉसिंग (Level Crossing): यह वह स्थान होता है जहाँ दो जल निकासी प्रणालियाँ एक ही स्तर पर मिलती हैं।

5.7 नहर रेगुलेटर्स 🔧💦

नहर रेगुलेटर्स वे यंत्र होते हैं जो नहरों के भीतर जल प्रवाह को नियंत्रित और मॉनिटर करते हैं। उचित नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि जल समान रूप से पूरे नेटवर्क में वितरित हो।

नहर रेगुलेटर्स के प्रकार:

  1. हेड रेगुलेटर (Head Regulator): यह नहर के शुरूआत में होता है और नदी से नहर में जल की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  2. क्रॉस रेगुलेटर (Cross Regulator): यह नहर के विभिन्न हिस्सों में जल को समान रूप से वितरित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  3. एस्केप (Escape): यह अत्यधिक जल प्रवाह की स्थिति में नहर से जल को बाहर निकालने के लिए होते हैं।
  4. फॉल्स और आउटलेट्स (Falls and Outlets): ये वे संरचनाएं होती हैं जो जल को नहर से बाहर निकालने के लिए प्रयोग की जाती हैं।

सारांश 📝

  • विभाजन हैडवर्क्स (वियर, बैराज, इनटेक सिस्टम) वे संरचनाएं होती हैं जो नदी से जल को कब्जा करती हैं और नहरों की ओर मोड़ती हैं।
  • नहरें (मुख्य, शाखा, वितरण नहरें) जल को खेतों या शहरी क्षेत्रों में पहुँचाने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  • क्रॉस ड्रेनेज वर्क्स (एक्वाडक्ट, साइफन आदि) यह सुनिश्चित करते हैं कि नहरों के नीचे या ऊपर जलधाराओं का प्रवाह अवरोधित न हो।
  • नहर की लाइनिंग जल रिसाव को रोकने में मदद करती है और नहर की संरचना को लंबे समय तक बनाए रखती है।
  • नहर रेगुलेटर्स जल प्रवाह को नियंत्रित और सुनिश्चित करते हैं कि नहरों में पानी का सही वितरण हो।

इन सभी घटकों का समन्वय यह सुनिश्चित करता है कि जल सही तरीके से बहता रहे और कृषि, उद्योग और अन्य मानव उपयोग के लिए उपलब्ध हो।

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