5. Track geometrics, Construction and Maintenance, Transportation Engineering, CE 4006 (Same as CC 4006)

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For 4th Semester Polytechnic CE Students
Written by Garima Kanwar | Blog: Rajasthan Polytechnic


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Subject: Transportation Engineering, CE 4006 (Same as CC 4006)

Branch: Civil Engineering 🏗️
Semester: 4th Semester 📚

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5.1 एलाइन्मेंट - रेल एलाइन्मेंट को प्रभावित करने वाले कारक 🚂📏

रेल एलाइन्मेंट का मतलब है रेलवे ट्रैक की सटीक दिशा और स्थिति। ट्रैक एलाइन्मेंट को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:

  1. भू-आकृति 🏞️: रेल ट्रैक बिछाने का निर्णय इलाके की भौगोलिक विशेषताओं (जैसे पहाड़, घाटियाँ और नदियाँ) पर निर्भर करता है। पहाड़ी क्षेत्रों में कटिंग (पृथ्वी की खुदाई) और एंबैंकमेंट (उठी हुई भूमि) की आवश्यकता हो सकती है।

  2. भूगर्भिक स्थितियाँ 🌍: जमीन की मजबूती और मिट्टी की प्रकृति महत्वपूर्ण है। यदि मिट्टी कमजोर या चट्टानी है तो ट्रैक को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता हो सकती है।

  3. वक्र और सीधी धारा ⤴️: ट्रैक में वक्र और सीधी धारा दोनों होते हैं। वक्रों का डिज़ाइन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह ट्रेन की गति और सुरक्षा को प्रभावित करता है।

  4. पर्यावरणीय प्रभाव 🌿: ट्रैक के एलाइन्मेंट को इस तरह से डिज़ाइन करना चाहिए कि वह पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डाले, जैसे वन्यजीवों के आवास या जल निकायों की सुरक्षा।

  5. लागत 💰: बजट की सीमा के कारण ट्रैक के डिज़ाइन और निर्माण में कटौती की जा सकती है। अतिरिक्त कटिंग और एंबैंकमेंट करने की लागत अधिक हो सकती है।

  6. संचालनात्मक दक्षता 🏃‍♂️: यदि ट्रैक का डिज़ाइन स्मूथ है, तो ट्रेन संचालन अधिक प्रभावी और सुरक्षित होता है।


5.2 ट्रैक क्रॉस-सेक्शन 🛤️📐

ट्रैक क्रॉस-सेक्शन एक ऊर्ध्वाधर दृश्य है, जो ट्रैक और इसके आस-पास के वातावरण को दर्शाता है।

5.2.1 कटिंग और एंबैंकमेंट में सिंगल और डबल लाइन का मानक क्रॉस-सेक्शन

  1. कटिंग में सिंगल लाइन (ट्रैक ज़मीन से नीचे):
    • ट्रैक को जमीन के नीचे डाला जाता है।
🌳 🌳 | | <- साइड पर पौधे _________ | | <-- ट्रैक बिस्तर और बॅलास्ट | | <- रेलवे ट्रैक |_________| | | | <- साइड ढलान (स्थिरता के लिए) | | | \___/ <- जल निकासी की व्यवस्था
  1. कटिंग में डबल लाइन (दो ट्रैक एक साथ):
🌳 🌳 | | <- साइड पर पौधे _________ | | | <-- ट्रैक बिस्तर और बॅलास्ट | | | <- दो रेलवे ट्रैक |____|____| | | | <- साइड ढलान (स्थिरता के लिए) | | | \___/ <- जल निकासी की व्यवस्था
  1. एंबैंकमेंट में सिंगल लाइन (ट्रैक ज़मीन से ऊपर):
    • ट्रैक को ऊंचा उठाकर डाला जाता है।
🌳 🌳 | | <- साइड पर पौधे _________ | | <-- ट्रैक बिस्तर और बॅलास्ट | | <- रेलवे ट्रैक |_________| | | <- साइड ढलान (स्थिरता के लिए) | | _|_|_ <- जल निकासी की व्यवस्था / \ / \ <- ऊंचा एंबैंकमेंट
  1. एंबैंकमेंट में डबल लाइन (दो ट्रैक एंबैंकमेंट में):
🌳 🌳 | | <- साइड पर पौधे _________ | | | <-- ट्रैक बिस्तर और बॅलास्ट | | | <- दो रेलवे ट्रैक |____|____| | | <- साइड ढलान (स्थिरता के लिए) | | _|_|_ <- जल निकासी की व्यवस्था / \ / \ <- ऊंचा एंबैंकमेंट

5.2.2 महत्वपूर्ण शब्द 📝

  1. स्थायी भूमि 🌍: वह भूमि जो ट्रैक और उसकी सहायक संरचनाओं के लिए आरक्षित होती है। इसे आसानी से परिवर्तित या हटाया नहीं जा सकता है।

  2. फॉर्मेशन चौड़ाई 📏: ट्रैक बिस्तर की कुल चौड़ाई, जिसमें बॅलास्ट, साइड ढलान और जल निकासी व्यवस्था शामिल होती है। यह एंबैंकमेंट में अधिक होती है।

  3. साइड ड्रेन्स 🌧️: जल निकासी की व्यवस्था जो ट्रैक के किनारे से पानी को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे ट्रैक जलभराव से सुरक्षित रहता है।


5.3 रेलवे ट्रैक जियोमेट्रिक्स 🚂🛤️

ट्रैक जियोमेट्री वह डिज़ाइन है जो ट्रैक के वक्र, ढलान और अन्य महत्वपूर्ण कारकों को नियंत्रित करता है।

5.3.1 ढलान ⬆️⬇️

ढलान ट्रैक का झुकाव होता है, जो या तो ऊपर की ओर या नीचे की ओर हो सकता है।

  • ऊपर की ओर ढलान ⬆️: ट्रेन को ऊपर चढ़ने में अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है।

    _____ / \ / \ <- खड़ी ढलान (ऊपर की ओर ढलान)
  • नीचे की ओर ढलान ⬇️: ट्रेन आसानी से नीचे आ सकती है, लेकिन गति को नियंत्रित करना आवश्यक होता है।

    _____ \ / \___/ <- खड़ी ढलान (नीचे की ओर ढलान)

5.3.2 वक्र - प्रकार और प्रभाव डालने वाले कारक ⤴️

वक्र ट्रैक के मोड़ होते हैं। वक्रों को प्रकार और आकार के आधार पर विभाजित किया जा सकता है।

  • सरल वक्र: जिसमें त्रिज्या स्थिर होती है।
  • संयुक्त वक्र: जिसमें अलग-अलग त्रिज्याएँ होती हैं।
  • विपरीत वक्र: दो वक्र होते हैं जो एक-दूसरे से विपरीत दिशा में होते हैं।

वक्रों को प्रभावित करने वाले कारक:

  • त्रिज्या: छोटी त्रिज्या वाले वक्र ज्यादा तीव्र होते हैं, जिससे अधिक घिसाव और असुविधा होती है।
  • सुपेरेलिवेशन (कैंट): वक्रों पर ट्रैक को थोड़ा झुका दिया जाता है ताकि सेंट्रीफ्यूगल बल को कम किया जा सके।
  • गति: उच्च गति के लिए बड़े वक्र की आवश्यकता होती है।
  • रेलवे व्हीकल्स: भारी ट्रेनें बड़े वक्रों पर आसानी से चल सकती हैं।

5.3.3 ग्रेड कम्पेन्सेशन ⚖️

ग्रेड कम्पेन्सेशन ट्रैक की ऊंचाई के परिवर्तन को संतुलित करने की प्रक्रिया है। जब सुरंगों या पुलों पर ट्रैक का ढलान बदलता है, तो ग्रेड कम्पेन्सेशन महत्वपूर्ण होता है।

5.3.4 सुपर एलिवेशन (कैंट) 🌀

सुपर एलिवेशन (कैंट) वक्रों पर ट्रैक का झुकाव होता है, जो सेंट्रीफ्यूगल बल को कम करने और ट्रेन को एक समान गति से चलाने में मदद करता है।

____ <- बाहर की रेल (ऊँची) / \ ______/ \____ | 🚂 | <- ट्रेन वक्र पर |_____________| ____ <- अंदर की रेल (निचली)

5.3.5 वक्रों पर सुपर एलिवेशन की सीमा

  • ज्यादा सुपर एलिवेशन से असुविधा हो सकती है, और कम सुपर एलिवेशन से सेंट्रीफ्यूगल बल बढ़ सकता है।
  • अधिकतम कैंट आमतौर पर 150 मिमी होता है।

5.3.6 कैंट डिफिशियेंसी ⚠️

कैंट डिफिशियेंसी तब होती है जब वक्रों पर कैंट (सुपर एलिवेशन) पर्याप्त नहीं होता, जिससे ट्रेन की गति को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है।

5.3.7 निगेटिव कैंट

निगेटिव कैंट तब होता है जब बाहर की रेल अंदर की रेल से नीचे होती है, जो अस्थिरता का कारण बन सकती है।

5.3.8 व्हील का कोनिंग 🛞

व्हील का कोनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्हील की बाहरी सतह पर हल्का कोण होता है, जिससे यह ट्रैक पर सटीक रूप से चलता है।

_______ / \ | 🚂 | <- व्हील का कोन \_______/

5.3.9 रेल का टिल्टिंग 🛤️

रेल का टिल्टिंग वक्रों पर ट्रैक को झुका देने की प्रक्रिया है, जिससे ट्रेन की गति और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित होती है।


5.4 ट्रैक शाखाएं, प्वाइंट्स और क्रॉसिंग्स 🔀

ट्रैक शाखाएं वे स्थान होते हैं जहां ट्रैक विभाजित होते हैं और ट्रेनें एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर जाती हैं।

  1. प्वाइंट्स: ये यांत्रिक उपकरण होते हैं जो ट्रेनों को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर स्विच करने की अनुमति देते हैं।

  2. क्रॉसिंग्स: ये वह स्थान होते हैं जहां दो ट्रैक आपस में मिलते हैं।

  3. टर्नआउट प्रकार:

    • स्विच प्वाइंट्स: ये एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर स्विच करने के लिए उपयोग होते हैं।
    • क्रॉसओवर: यह सिस्टम समानांतर ट्रैकों के बीच स्विच करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • सिजर क्रॉसओवर: यह एक जटिल क्रॉसओवर है जो अधिक कुशल स्विचिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  4. जंक्शन: विभिन्न ट्रैक जो आपस में मिलते हैं, जैसे डायमंड क्रॉसिंग


5.5 स्टेशन 🚉

स्टेशन वह स्थान होते हैं जहां ट्रेन रुकती है, यात्री चढ़ते-उतरते हैं, और ट्रेन का संचालन किया जाता है। स्टेशन का डिज़ाइन यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।

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